होली का महत्व

होली का महत्व

Rango ki holi

Importance of Holi

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संक्षिप्त परिचय

भारत का एक ऐसा पर्व जिसमें भारत की विविधता दिखती है यह एक ऐसा त्यौहार है जो लोगों को जोड़ता है इस दिन लोग एक साथ मिल-जुलकर एक दूसरे को रंग लगते हैं संध्या के समय अबीर लगते है पैर छुकर छोटे बड़ों का आशीर्वाद लेते है| मिठाइयाँ खाते हैं विभिन्न प्रकार के व्यंजन घर पर बनाया जाता है और बच्चे खूब मस्ती करते हैं| इस लेख में आप “होली का महत्व” पर विस्तार से जानेंगे|

हिन्दू पञ्चांग के अनुसार होली फाल्गुनी महीने की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है| अगली दिन चैत्र मास की कृष्ण पक्ष के दिन रंगों का त्यौहार होली मनाया जाता है|

सरकार के तरफ से “होली की छुट्टी” किया जाता है कई राज्यों में छोटी होली और बड़ी होली मनाये जाने का भी रिवाज है|

होली के दिन का इतिहास के बारे में भी विस्तार से आगे बताया गया है इसके अलावा पौराणिक मान्यता के अनुसार होली का शुरुआत कब और कैसे हुआ इसके पीछे एक प्राचीन कहानी है| प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप राक्षस की कहानी का वर्णन किया गया है जैसे-जैसे आप आगे पढ़ते जायेंगे आप होली शब्द कहाँ से आया यह भी ज्ञात हो जायेगा| 

फिर पूर्व और वर्तमान में होली किस प्रकार से मनाया जाता है यह पता चलता है| वर्तमान समय में होली का रूप रंग और स्वरुप दोनों बदल गया है|

आज हर प्रदेश का होली अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है कहीं कपड़ा फाड़ होली होता है, कहीं लट्ठमार मर होली होता है कहीं दारू पीने का रिवाज है तो कहीं सादगी के साथ होली मनाने का रिवाज है लेकिन इन सब में “वृन्दावन” की होली पूरे विश्व में सबसे रंगीन, परम्पगत और आध्यात्मिक से भरा होता है| जिसमें देश-विदेश के लोग मिलकर इस होली को और भी खूबसूरत बना देते है|

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विस्तार से समझें

आध्यात्मिक नजर से होली क्या है?

होली जले विकार की, जन जन निर्मल होए|

प्यार जगे, मैत्री जगे, जन-जन मंगल होए||

आचार्य श्री सत्यनारायण गोयनका जी

May HOLI fire burn our defilements, May purity arise in all

May love and metta spread, Happiness in one and all.

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में होली का स्वरुप

गुल ने गुलशन से गुलफाम भेजा है

सितारों ने आसमान से सलाम भेजा है,

मुबारक हो आपको होली का त्यौहार

हमने दिल से यह पैगाम भेजा है|

होली की शुभकामनाएं संस्कृत में

सूर्य संवेदना पुष्पे, दीप्ति कारुण्यगंधने|

लब्ध्वा शुभम होलिकापर्वेऽस्मिन कुर्यात्सर्वस्य मंगलम्‌||

होली के गाना (गाने)

रंग बरसे भीगे चुनरवाली

रंग बरसे अरे किन्ने मारी पिचकारी तोरी भीगी अंगिया रंग रसिया, रंग रसिया… 

Rang barse bheege chunarwali – Amithabh bacha

Rang barse bheege chunarwali – New & latest version

barsana holi
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होली की परिभाषा (Definition of Holi)

आज होली है, अब इसे इस तरह समझे – जो हमें याद रखना चाहिए उसे हम भूल जाते है और जो हमें भूल जाना चाहिए वह हम याद रखते हैं| जो हमें नहीं करना चाहिए हम वह करते हैं और जो हमें करना चाहिए वह हम नहीं करते हैं|

होली के दिन लोग एक दूसरे के ऊपर रंग फेंकते है और खुद को भी रंगों में भिंगो लेते है यह रंगों का त्यौहार है जो इस बात का प्रतीक है की जीवन का मूल तत्व उल्लास है, उमंग है, ख़ुशी है यही जीवन है|

होली का एक और मतलब है “अपनी सभी गैर जरूरी चीजो को जला देना”| इस दिन लोग वह सभी चीजो को जला देतें है जो काम का नहीं है जैसे पुराने कपड़े, प्लास्टिक के सामान, लकड़ी के पुराने सामान वह अन्य सामान जो काम के नहीं है उसको होलिका में जला देतें है इसका मतलब पुराने चीजो को जलाने से नहीं है|

इसका मतलब पिछले एक साल में जो यादें जमा हुआ हैं उनको जलाने से है यानि उन यादों को ख़त्म करना ताकि हम आगे का जीवन नए उल्लास, उमंग और ख़ुशी के साथ माना सकें और आज वही दिन है इसको व्यर्थ नहीं होने देना चाहिए इसी को होली का महत्व कहते है|

होली में जितना मौज-मस्ती होता है उतना शायद ही किसी और त्यौहार में होता होगा| होली सिर्फ भारत में ही दुनिया के दूसरे देशों में भी मनाया जाता है| होली का अर्थ है पवित्रता| होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है यह एक ऐसा पर्व है जिसमें लोग आपसी मतभेद भुलाके एक दूसरे को गले लगाते है यही इसकी परिभाषा है|

होली का प्राचीन नाम होली या होलिका नाम है|

होली रंगों का त्यौहार है| यह वसंत ऋतु में पूर्णिमा में मनाया जानेवाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जिसे खासकर भारत में मनाया जाता है बाद में इसे पूरे विश्व में मनाये जाने लगा|

यह त्यौहार मौसम के बदलने के कारण मनाये जाने वाला ख़ुशी का पर्व है इस पर्व को मार्च और अप्रैल के मध्य में मनाया जाता है माघ महीने की शुक्ल पंचमी से वसंत ऋतु का प्रारंभ होता है यही से नए साल का प्रारंभ भी माना जाता है|

होली पर हिन्दू धर्म की मान्यता होली को पूरे विश्व का प्राचीनतम धर्म माना जाता है इसे वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म भी कहा जाता है होली पर्व को मानव के उत्पत्ति के साथ ही मनाया जाने वाला पर्व भी कहा जाता है होली को कई विभिन्न धर्मों के संस्कृतियो और त्यौहार के साथ जोड़ कर देखा जाता है|

barsana holi

होली का इतिहास (History of Holi)

HOLI COLOR

होली के बारें में इतिहासकारों का मानना है की होली आर्यों (जिसे विद्वान कहा जाता था) से भी पूर्व में इस पर्व का प्रचलन था लेकिन यह अधिकतर भारत के पूरब में मनाया जाता था| इस पर्व का उल्लेख बहुत से भारतीय पुरातन साहित्यों और ग्रंथो में भी देखने को मिलता है जैसे मीमांसा की पुस्तक, नारद पुराण और बहुत से कवियों ने भी इसका उल्लेख किया है और होली का महत्व बताया है। भारत के मुस्लिम कवियों ने भी इसे अपनी रचना में उल्लेख किया है और इसपर शेरों-शयरी किया है|

मुग़ल शासन में भी धूमधाम से होली मनाया जाता था सम्राट अकबर, हुमायूँ, शाहजहाँ आदि राजा होली में शामिल होते थे इस द्वरान भांग, मिठाई, पान आदि से मेहमानों का स्वागत किया जाता है और शाम को महफिले जमती थी जिसमे नाच गाना, शेरो-शयरी होता था|

barsana holi
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होलिका दहन की कहानी (Holika dahan story)

होली से पूर्व (पहले) दिन होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन कहते है होलिका दहन में गोबर की गोइठी, लकड़ी, घी आदि पूजन सामग्री डालकर होलिका का पूजा किया जाता है थाली में धुप-दीप से सजाकर पूजा किया जाता है इसके चरों तरफ परिक्रमा भी किया जाता है| फिर दुसरे दिन होली खेला जाता है जिसे धुलेंडी कहते है होली में लोग एक दुसरे पर अलग-अलग रंग लगते है या फेकते हैं शाम को अबीर-गुलाल लगाते है ख़ुशी में लोग गाना-बजाना और गीत गाते है|

Holi

होली के अवसर में गाया जानेवाला गीत (फाग और धमार) गाया जाता है इस गीत में मुख्य रूप से भगवान राधाकृष्ण के प्रेम का वर्णन किया जाता है (गीत के रूप में) साथ ही साथ मिठाइयों का आदान प्रदान भी करते है इस दिन नए कपड़े पहनना लोगों से मिलना मिठाई-पकवान खाने का रिवाज है|

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पौराणिक मान्यता के अनुसार होली का शुरुआत

प्राचीन काल में एक हिरण्यकश्यप नामक असुर राजा हुआ करता था उसने भगवान शिव को प्रसन्न कर वर प्राप्त किया था अपने वर के घमण्ड में चूर था और वह अपने आप को भगवान मानने लगा था उसने अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने पर रोक लगा रखा था उसके राज्य में कोई भी भगवान का पूजा नहीं कर सकता था जो कोई भी ईश्वर का नाम लेता था उसको हिरण्यकश्यप कठोर दण्ड देता था|

हिरण्यकश्यप का एक पुत्र था जिसका नाम प्रह्लाद था वह भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था लोग उसे भक्त प्रह्लाद कहते थे लेकिन इस भक्ति से हिरण्यकश्यप बहुत दुखी था और उसने अपने पुत्र को दण्ड देने का सोचा हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को आग में भस्म न होने का वरदान प्राप्त था अतः उसने अपने बहन से कहा की तुम प्रह्लाद को अपने गोद में लेकर जलते हुए आग में बैठ जाओ वह वैसा ही करी लेकिन हुआ उल्टा प्रह्लाद बच गया और होलिका जल गयी।

इसलिए इसी को देखते हुए भक्त प्रहलाद के भक्ति की याद में होली मनाया जाता है और होली जलाया जाता है प्रह्लाद का मतलब ही आनंद होता है इसलिए इस दिन को ख़ुशी से आनंद से मनाया जाता है| भक्त प्रह्लाद जब आग से बच कर निकल आया तो उसको मारने के लिए उसे पहाड़ पर से फेका गया जहरीले सांपो के झुण्ड में फेका गया लेकिन सबसे सही सलामत बच सकुशल निकल आते थे तब उन्होंने कहा की ईश्वर से बड़ा कोई नहीं है|

एक अन्य कथा के अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने पूतना राक्षसीं का वध किया था|

Holi

होली की परम्परा (Tradition of Holi in India)

होली शुरू होने से पूर्व कुछ प्राचीन परम्परा है इसमें शादी शुदा महिला द्वारा पूजा किया जाता है और सुख समृधि की कामना किया जाता है इसी दिन महर्षि मनु का जन्म हुआ था और इसी कारण इस दिन को मन्वादितिथि कहते है|

सबसे पहले तो एक एक स्थान पर बड़ा सा डंडा गाढ़ा जाता है फिर लकड़ी गोबर का उप्पल, गोइठा, झड़ी व जलने वाला सामान उस स्थान पर इकठ्ठा किया जाता है फिर रात पंचांग में देखकर रात को लगभग बारह बजे शुभ मूर्त के मुताबित गाँव के सरे लोग इकठ्ठा होकर उसमे आग लगते है उसे होलिका बोला जाता है।

धुप-दीप से पूजा किया जाता है और सबसे बड़ी बात यह है की भरभोलिय गाय के गोबर से बने उपले होते है उसको सुखाया जाता है उपले को एक धागा में पिरोकर माला बनाया जाता है फिर भाइयों के ऊपर सात बार घुमाकर उसे होलिका में डाल दिया जाता है ऐसा माना जाता है की इससे भाइयों के लू-बला या कोई ऊपरी हवा हो तो वह दूर हो जाता है| इसके बाद लोग नाचते गाते है होली के गीत गाते है लेकिन अब रिवाज बदल रहा है अब DJ का परम्परा आ गया है कई-कई जगह तो हुरदंग भी देखने को मिलता है|

अगले दिन होली होता है पूर्व काल में प्राकृतिक रंगों से होली का रिवाज था फिर जमाना बदला लोग केमिकल के रंगों का उपयोग करने लगे जो चेहरे और चमड़े को नुकसान पहुँचा रहें है| गाँव के होली का अपना अलग ही रुतबा है लोग गोबर से भी होली खेलते है मथुरा-वृन्दावन में लट्ठमार होली होती है जिसमे महिला आदमी को लाठी से वार करती है और आदमी अपने आपको उससे बचाते हैं|

Holi

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

होलिका दहन क्यों मनाया जाता है?– होलिका एक रक्षास्नी थी वह असुर राजा की बहन थी उसने अपने आराधना और साधना के बल पर भगवान शंकर को प्रसन्न कर लिया था|

इससे खुश होकर भगवान भोलेनाथ ने होलिका को एक चादर दिया था जो कभी जल नहीं सकता था अर्थात् चादर ओढ़ने पर उसपर अग्नि का कोई असर नहीं होगा होलिका जब उस चादर को ओढ़कर साथ में भक्त प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता पर बैठ गई तो उस समय एक चमत्कार हुआ वह चादर होलिका के ऊपर से उड़कर भक्त प्रह्लाद के ऊपर आ गई जिससे होलिका जल गई और भक्त प्रह्लाद साफ बच गए|

होली की पूजा करने से पुण्य मिलता है और घर में सुख-शांति के साथ धन-धान्य की भी कमी नहीं होती है ऐसी मान्यता है|

होलिका दहन पूजन विधि इस प्रकार है:

आवश्यक सामग्री: रोली, कच्छा सूत, चावल, फूल, साबुत, हल्दी, मूंग, बताशे, नारियल, बडकुले इसको ऐसे समझे यह छोटे-छोटे उपलों (सूखे गोबर के टुकड़े) की माला होते हैं आदि|

पुजा विधि:

एक थाली में पूजा की सारी सामग्री लें और साथ में एक पानी से भरा लोटा भी लें| इसके बाद होली पूजन के स्थान पर पहुंचकर नीचे लिखे मंत्र को बोलते हुए स्वयं पर और पूजन सामग्री पर थोड़ा जल छिडकें- ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु, ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु, ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु|

अब हाथ में पानी, चावल, फुल एवं कुछ दक्षिणा लेकर नीचे लिखा मंत्र बोले-

ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया अद्य दिवसे सौम्य नाम संवत्सरे संवत् – (वर्ष जो चल रहा है) फल्गुल मासे शुभे शुक्लपक्षे पुर्निमायाँ शुभ तिथि (जो वर हो) अमुकवासरे – अमुकगोत्र (अपने गोत्र का नाम लें)

उत्पन्ना – (अपना नाम बोले) मम इह जन्मनि जन्मान्तरे वा सर्वपापक्षयपूर्वक दीर्घायुविपुलधनधान्यं शत्रुपराजय मम् दैहिक दैविक भौतिक त्रिविध ताप निवृत्यर्थं सदभीष्टसिद्धयर्थे प्रह्लादनृसिंहहोली इत्यादीनां पूजनमहं करिष्यामि।

श्रीगणेश: अंबिका पूजन विधि
इसके बाद अपने हाथों में फूल और चावल लेकर भगवान श्री गणेश का ध्यान करना है
ऊँ गं गणपतये नम: आहावानार्थ पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि।।
अब भगवान गणपति को एक पुष्प पर रोली एवं अक्षत लगाकर समर्पित कर दें।
ऊँ अम्बिकायै नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि सर्मपयामि।।
मां अंबिका का ध्यान करते हुए पंचोपचार पूजा के लिए गंध, चावल एवं फूल चढ़ाएं।
ऊँ नृसिंहाय नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि।।
भगवान नृसिंह का ध्यान करते हुए पंचोपचार पूजा के लिए गंध, चावल व फूल चढ़ाएं।
ऊँ प्रह्लादाय नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि समर्पयामि।।
अब प्रह्लाद का स्मरण करते हुए नमस्कार करें और गंध, चावल व फूल चढ़ाएं|
अब नीचे लिखा मंत्र बोलते हुए होलिका जी के सामने दोनो हाथ जोड़कर खड़े हो जाएं तथा अपनी मनोकामनाएं की पूर्ति के लिए निवेदन करें:
असृक्पाभयसंत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै: अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव:।।
अब गंध, चावल, फूल, साबूत मूंग, साबूत हल्दी, नारियल एवं बड़कुले होली के समीप छोड़ें| कच्चा सूत उस पर बांधें और फिर हाथ जोड़ते हुए होली की पांच बार परिक्रमा करें। परिक्रमा के बाद लोटे में भरा पानी वहीं चढ़ा दें और घर आ जायें|

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कुछ महत्वपूर्ण स्थानों के होली और उसके रिवाज

  • मथुरा-वृन्दावन में 15 दिनों तक होली खेलने का रिवाज है|
  • होली पहली बार कहाँ मनाया गया? तो इसका उत्तर है (एरच) झाँसी में पहली बार होली मनाया गया|
  • हरियाणा में धुलंडी होली होती है जिसमे भाभी देवर को सताए जाने का रिवाज है|
  • पश्चिम बंगाल में डोल जात्रा निकला जाता है जुलुस के रूप में ढोल-बाजे नगाड़े के साथ मनाया जाता है|
  • पंजाब में होली के दिन शक्ति प्रदर्शन किया जाता है लोग तलवार-लाठी का प्रदर्शन करते है|
  • महाराष्ट्र में होली के अगले दिन सुखा गुलाल से होली होती है खासकर मछुवारों की बस्ती में|
  • गोवा में जुलुस निकलने का प्रथा है|
  • चन्नई के तमिलनाडु में होली कामदेव को समर्पित है इसको माता सती की मृत्यु के बाद भगवान शिव से जोड़ा जाता है|
  • मणिपुर में लोग नदी के किनारे झोपड़ी बनाने का रिवाज है|
  • गुजरात के आदिवासी लोगों के लिए होली विशेष पर्व के रूप में मनाया जाता है|
  • मध्यप्रदेश के आदिवासी लोगों के लिए भी यह पर्व विशेष है|
  • बिहार में होली जमकर मनाया जाता है यहाँ कपड़ा फाड़ होली होती है|
  • पूर्व में नेपाल भारत का ही एक भाग था वहां की संस्कृति और शादी-विवाह आज भी हिन्दू जैसे ही है वह भी हिन्दू रीति रिवाज का पालन करते है और होली भी वैसे ही मानते है जैसे भारत में होते है उनके होली में धार्मिक और सांस्कृतिक रंग दिखता है|
  • भारत के आलावा होली पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, यूरोप, अमेरिका के साथ-साथ पुरे विश्व में मनाया जाने वाला पर्व है|

अतः संक्षेप में होली ख़ुशी और उल्लास का पर्व है जिसमे अग्नि की पूजा होती है अग्नि में विशेष रूप से लकड़ी और गोबर के उपले का प्रयोग होता है उससे अग्नि तैयार करके उसका विधि विधान से पूजा किया जाता है ढोल नगाड़े से मौज मस्ती करते है रंगों से होली खेलते है मिठाइयों का आदान-प्रदान किया जाता है छोटे बड़ों का पैर छुकर आशीर्वाद प्राप्त करते है| इस तरह होली आपसी मेलजोल और सोहार्द का प्रतीक है|

विदेशों में होली

विदेशों में होली (Foreign ki holi)

विदेश में मनाए जाने वाले त्योहार में होली प्रमुख है इसके अलावा और भी त्योहार हैं जैसे दीपावली, रक्षा बंधन आदि हैं लेकिन होली का अपना विशेष महत्व है और इसे लोग अजब-गजब तरीके से और बहुत धूमधाम से मनाते हैं|

  • होली को स्पेन देश में “ला टोमाटीना” कहा जाता है। इसका सम्बन्ध लाल-लाल टमाटर से है यानि टमाटर की होली (टमाटर होली) | स्पेन में टमाटर वाली होली खेली जाती है| होली के समय लोग अधिक संख्या में जुटते हैं और एक दूसरे के ऊपर टमाटर फेंकते है और हर्सोल्लास से होली का त्यौहार मानते है|
  • रोम की होली फेस्टिवल को “रेडिका” कहते है रोम की होली भारत से कुछ मेल खाता है लोग पहाड़ों पर जाते है सुखी लकड़ी लाकर उसे जलाते हैं और उसके चारो तरफ अपने वाद्य यंत्र गिटार आदि बजाते है नाचते-गाते है खुशियाँ मानते है ड्रिंक भी करते है और पूरी तरह एन्जॉय करते है|
  • इटली की होली को “औरेंज बैटल” कहा जाता है| इसको साल के शुरू में मनाया जाता है यहाँ भी स्पेन की तरह टमाटर की होली खेली जाती है| इस फेस्टिवल में अधिक संख्या में लोग जुटते है जिसमें औरत-मर्द एक दूसरे के ऊपर टमाटर फेंकते है और मनोरंजन करते हैं|
  • ऑस्ट्रेलिया में होली को “वाटरमेलन फेस्टिवल” के रूप में मनाया जाता है| यहाँ की होली स्पेन की होली की ही तरह होती है बस अंतर यह है की यहाँ पर लोग टमाटर की जगह तरबूज के साथ होली खेलते है लेकिन इसको एक साल छोड़कर खेला जाता है| जैसे इस वर्ष मनाया गया तो अगले वर्ष नहीं मनाया जायेगा उसके बाद वाले वर्ष में मनाया जायेगा|
  • न्यूज़ीलैंड का “वनाका फेस्टिवल” इस दिन शहर के पार्क में अधिक से अधिक लोग एकत्र होते हैं और एक “बॉडी पेंट प्रतियोगिता” होता है जिसके तहत लोग एक दूसरे के शरीर पर अपने कला का प्रदर्शन करते है (चित्रकारी करते है) जिसका काला बेहतरीन होता है उसको पुरस्कृत किया जाता है|
  • थाईलैंड का “सोनकरण पर्व” यह नव वर्ष का पर्व है इस दिन लोग समुद्र में खड़े होकर एक दूसरे के ऊपर पानी फेंकते है यह कार्यक्रम पूरे दिन चलता रहता है नाच-गाने के साथ बड़े हर्ष के साथ मनाया जाता है|
  • जापान में “चेरी बलोसम” यह पर्व मार्च के अंत में मनाया जाता है इस दिन चेरी में फूल आ जाते है लोग बगीचे में रहकर उत्सव मनाते है नाच-गाना मौज-मस्ती करते है और एक दुसरे को बधाई देते है|
  • चीन में पानी फेंकने वाला फेस्टिवल” यह दाई लोगों का एक महत्वपूर्ण उत्सव है इस दिन लोग एक दूसरे लोगों पर पानी फेंकते है इस पर्व को “भगवान बौद्ध का स्नान” नाम से भी जाना जाता है लोग एक दूसरे को बधाई देते है और पूजा पाठ भी करते है|
  • तिब्बत तिब्बत का स्नान पर्व” जुलाई में दस दिनों तक चलने वाला इस पर्व को गामा रेज़ी नाम से भी जाना जाता है इस समय नदियों का पानी मीठा होता है साफ होता है और मधुर होता है इस जल में स्नान करने से रोग मुक्ति भी होता है| इस दिन लोग नौका विहार भी करते है|      
  • साउथ कोरिया में कीचड़ वाला (मड फेस्टिवल) होली होता है| यहाँ लोग एक बड़े से टब में मिट्टी भर देते है फिर उमसे पानी डाल दिया जाता है फिर लोग एक दूसरे के ऊपर गीली मिट्टी फेंकते है और अन्जॉय करते हैं| लेकिन इस होली को जुलाई महीने में मनाया जाता है|
  • मिश्र की होली यहाँ के लोग अंगारों से होली खेलना पसंद करते है| यह मार्च के 20 तारीख के आसपास मनाया जाता है इसको मिश्र के आदिवासी अपने पूर्वजों के कपड़ों को उनके समानो को जलाते है फिर रख और अंगार एक दूसरे के ऊपर फेंकते है|
  • बर्मा की होली को जलोत्सव के रूप में मनाने का रिवाज है इस दिन स्थानीय लोग अपने द्वारा किये गए बुरे कर्म का पश्चात करते है इस दिन लोग एक दुसरे पर पानी फेंकते है, पूजा-पाठ करते है, पुण्य का काम करते हैं दान देते है लोगों का भला करते है|
  • अफ्रीका में यह फेस्टिवल “ओमेन बोगा” के रूप में मनाया जाता है बोंगा एक क्रूर राजा था उसके मरने के बाद उसके अत्याचारों के खात्मे के रूप में होली मनाया जाता है| पहले होलिका दहन करते हैं फिर एक दूसरे के ऊपर रंग फेंककर उत्साह का, खुशी का इजहार करते है|
  • नॉर्वे देश में बसंत आने पर लड़के लड़कियों पर पानी फेंकते है फिर लड़कियां लडको पर पानी डालती है इस तरह एक दुसरे पर पानी डालने से यह होली में बदल जाता है फिर लोग एन्जॉय करते हैं पार्टी होता है खुशियाँ मानते है|
  • रूस में 31 मार्च के दिन होली मनाने का रिवाज है इस दिन रूस के लोग मुर्ख दिवस मनाते है लोग दिन भर मजाक करते हैं और शाम को एक दुसरे को अबीर लगाते हैं वोडका पीते हैं और एन्जॉय करते है| इस दिन लकड़ी का खेल भी खेला जाता है|
  • भारत के आसपास के देश नेपाल, बर्मा, श्रीलंका, मयंमार, मॉरीशस आदि देशों में हिंदुस्तान की ही तरह होली खेलने का रिवाज है| क्योंकि इनकी सभ्यता भारत से काफी मेल खाती है|
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निष्कर्ष

उपरोक्त लेख में हमने देखा होली क्यों मनाई जाती है? होली कब मनाया जाता है (होली कब है) यह जाना| होली मनाने का सबसे बड़ा कारण ऋतु का परिवर्तन से है शरद् ऋतु का गर्म ऋतू में प्रवेश, पेड़ो में फल लगाना मौसम खुशनुमा होना इस सब कारणों से है|

आज के वर्तमान परिप्रेक्ष्य में होली का स्वरुप कैसा है? और आध्यात्मिक नजर से होली का क्या रूप है इसको जाना| आज के तारीख में होली का पूरी तरह काया कल्प हो गया है यह अपने मूल स्वरुप में नहीं रह गया है आने वाले 40-50 वर्षो में हो सकता है इसका नामोनिशान ही न रह जाये इसी को परिवर्तन कहते है परिवर्तन प्रकृति का नियम है|

होली पहली बार कहाँ मनाया गया? तो इसका उत्तर है (एरच) झाँसी में पहली बार होली मनाया गया|

क्या श्री राम और हनुमान में होली हुई है? – हाँ, एक बार माता सीता अपने मस्तक पर सिंदूर लगा रही थे हनुमानजी ने पूछा माते यह माथे पर आप क्या लगा रही है माता ने कहा इसको लगाने से उनकी (श्री राम) आयु बढ़ती है इस पर हनुमानजी ने कहा अगर थोड़े से सिंदूर से बढ़ती है तो क्यों न हम पूरे शरीर पर लगा लें इससे वह अजर-अमर हो जाएँ फिर उन्होंने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर पोत लिया जब राम आये तो हनुमानजी खूब हँसें श्री राम ने हनुमानजी को गले लगाया और पूरा शरीर लाल रंग में रंग गया उस दिन सबने खूब होली खेली|  

मसान की होली क्या होता है? – मसान की होली काशी के हरिश्चंद्र घाट पर (वाराणसी) में साधुओं द्वारा खेला जाता है जब लाश जल जाती है तो राख बच जाता है औघड़ द्वारा उस बचे हुए लाश से मसान की होली खेली जाती हैं| (Masan Holi Varanasi)

फिर होली की कहानी या होलिका दहन की कहानी भी बताया गया जिसमें होली की शुभकामनाएं संदेश (होली की हार्दिक शुभकामनाएं संदेश) के साथ-साथ होली क्यों मनाते हैं? होली दहन कब है?, होली की छुट्टी कब होता है? इन सब के बारे में आपको जानकारी मिल चूका होगा उपरोक्त बिन्दुयों पर आप “होली निबंध” भी बड़ी सहजता से लिख सकते है| इस तरह होली का महत्व हर दिशा से समझाया गया है|

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