हरिद्वार का पौराणिक कथा
भारत के उत्तराखण्ड में स्थित यह है महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है हरिद्वार अर्थात् “हरि” मतलब “ईश्वर-भगवान” और “द्वार” मतलब रास्ता अर्थात् ईश्वर के द्वार तक ले जाने वाला रास्ता | पुराणों के अनुसार (आदिकाल) में ब्रम्हाजी ने एक विराट यज्ञ का अनुष्ठान किया था यहाँ स्थित भगवान विष्णु के “चरणचिन्ह” या “चरणपादुका” है और यही पर एक ब्रम्हकुंड है जहाँ सभी यात्री स्नान करते है और अपने पापो को धोने का काम करते है|
एक मान्यता के अनुसार समुन्द्र मंथन के बाद जब उस घड़े को ले जाया जा रहा था तो देवी धन्वन्तरी द्वारा इसकी चार बुँदे भारत के चार प्रमुख स्थान पर गिरे वो स्थान है हरि-द्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयागराज और इसी वजह से हर साल “स्नान” यानि “नहान” हर तीसरे वर्ष और 12वे वर्ष में एक महाकुंभ स्नान का आयोजन किया जाता है|
जहाँ देश दुनिया के हजारो शद्रालुओ का आवागमन होता है जिसमे नागा साधू का विशेष लाव-लस्कर होता है जो पूर्णत नग्न होते है और अपने शरीर पर शमशान के भष्म का लेप लगाये रहते है| पुरे विश्व से करोड़ों भक्तजन तीर्थयात्री एवं पर्यटक यहां आयोजित इस समारोह को मनाने के लिए एकत्रित होते हैं और शास्त्रों नियम द्वारा विधिवत स्नान और पूजा आदि करके मोक्ष प्राप्त करते है ऐसी मान्यता है|
हर की पौड़ी हरिद्वार उत्तराखण्ड
मनसा देवी मंदिर
हरिद्वार में जो सबसे महत्वपूर्ण स्थान है वो है “हर की पैड़ी” मान्यता है की जो अमृत का बूंद गिरा था वहां एक कुण्ड बन गया है जिसे ब्रम्हा कुण्ड कहा जाता है|
एक मान्यता के अनुसार जिस जगह भगवान विष्णुजी के पैर पड़े थे उस जगह को हरि का पैड़ी कहा गया पैड़ी का मतलब होता है “पैर या चरण” इसी से इस स्थान का नाम “हर की पैड़ी” पड़ा| हरिद्वार में हर की पौड़ी एक प्रमुख और लोकप्रिय घाट है इसे राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था|
मनसा देवी मंदिर हरि-द्वार में सबसे मशहुर मंदिर है यह मंदिर शहर से 3 किलोमीटर दूर बिलवा पर्वत पर स्थित है मंदिर से नीचे का नजारा माँ गंगा का दृश्य बहुत ही खुबसूरत दिखता है|
श्रद्धालु मनसा देवी मंदिर तक पहुँचने के लिए केबल कार यानि उड़नखटोला का इस्तेमाल करते है दूसरा रास्ता “सीढ़ी की चढाई” जोकि लगभग ढेड किलोमीटर की लम्बी चढाई है| मनसा देवी को भगवान शंकर की पुत्री के रूप में जाना जाता है माता के शरण में जाने से अपार-धन्य की प्राप्ति होती है |
हरिद्वार कुंभ मेला शाही स्नान
महाकुंभ मेले का अपना एक अगल महत्व है इस शाही स्नान में सबसे पहले जुना अखाड़ा के साधू स्नान करते है इनका समय तय होता है इनके समय में कोई और स्नान नहीं कर सकता है अखाड़ो को 30 मिनट का समय ब्रह्कुंड हरकी पैडी में दिया जाता है|
हरिद्वार का इतिहास
हरिद्वार के इतिहास की बात करें तो एक मान्यता के अनुसार राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजो के उत्थान के लिए माँ गंगा की कठोर तपस्या की और अंत में उन्हें धरती पर लाने में सफल हुए और राजा शवेत ने भी इसी स्थान पर ब्रम्हाजी की आराधना की उनकी तपस्या से प्रसन होके वर मांगने को कहा राजा ने भगवान से वर में कहा की यह स्थान आपके नाम से प्रसिद्ध हो और यहाँ पर आप भगवान विष्णु तथा महेश के साथ निवास करें ताकि यहाँ सभी तीर्थो का वास हो|
यहाँ हर की पैड़ी के अलावा चंडी देवी मंदिर, मनसा देवी मंदिर, गरुण घाट, कुशावर्त घाट, नीलधारा, बिल्वेश्वर, कनखल, सती कुण्ड, माया देवी मंदिर, गायत्री धाम, शांतिकुञ्ज आदि ऐसे अनेक दिव्या स्थान है|
हरिद्वार किस राज्य और जिले में है
हरिद्वार का पुराना और प्राचीन नाम क्या है, हरिद्वार का दूसरा नाम क्या है
हरिद्वार कौन सी नदी है?
हरिद्वार उत्तराखंड राज्य में है और यह खुद एक जिला है यह हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है यह स्थान गंगा का प्रवेश द्वार भी है इसलिए इस स्थान को गंगाद्वार भी कहते है|
हरिद्वार का प्राचीन नाम माया या मायापुरी है इसका सम्बन्ध महाभारत काल से भी है उस समय इसको गंगाद्वार कहा जाता था हरि-द्वार के दुसरे भाग को आज भी मायापुरी कहते है|
यहाँ की प्रमुख नदी गंगा नदी है इसको महाभारत काल में गंगाद्वार कहा जाता था इस गंगा नदी की धरा इतनी तेज है की कोई भी पानी में खड़ा नहीं हो सकता अतः लोगों की रक्षा के लिए जीवन रक्षक टॉवर लगे है और गोताखोर लगातार मौजूद रहते है| (स्नान के द्वरान)