शिव चर्चा

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शिव चर्चा

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संक्षिप्त परिचय

आज हम शिव चर्चा के बारे में आपको विस्तार से बताने वाले है शिव चर्चा कैसे करतें हैं? इसका क्या महत्व है? और कैसे किया जाता है? यहाँ हम शिव गुरु के महत्व के बारे में भी बतायेंगे साथ ही नमः शिवायः गाने (mp3) भी download कर पाएंगे|

अगर आप वाकई में शिव चर्चा के विषय में समझना चाहते हैं और इसमें रूचि लेते है और इसका ध्यान पूर्वक अध्यन करते है तो ऐसा मेरा विश्वास है आपको सम्पूर्ण जानकारी एक ही जगह पर प्राप्त होगा|

मेरे घर में खुद नियमित रूप से शिव चर्चा होता है इसलिए मेरा शिव चर्चा पर विशेष अध्ययन किया हुआ है महा शिव पुराण, वेदों से, रूद्र संहिता, कोटिरुद्र संहिता, कैलाश संहिता, रावण संहिता, विध्वेश्वर संहिता, वायु संहिता आदि ग्रंथो से जानकारी प्राप्त किया हुआ है और साथ ही साथ हमारे परिवार द्वारा दूसरे लोगों के घरों में जाकर चर्चा करने का अनुभव के आधार पर यहाँ जन सामान्य के लिए सरल भाषा में लिखा जा रहा है उम्मीद है आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी|

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विस्तार से समझें

सम्पूर्ण जगत की परिकल्पना ईश्वर के रूप में की गई है शिव को ईश्वर के रूप में जाना जाता है इसीलिए उन्हें देवों के देव “महादेव” के रूप में विभूषित किया गया है|

तव तत्त्वं न जानामि कीदृशोसि महेश्वरः |

या द्रिश्योसी महादेवः तादृशाय नमो नमः||

अर्थात् पहले ही पंक्ति में “ईश्वर को” जो इस जगत के स्वामी है उन्हें महेश्वर के नाम से संबोधित किया गया है और दूसरी पंक्ति में उन्हें देवो के देव महादेव कहा गया है| यह पूरी दुनिया उस एक ईश्वर की इच्छा से उत्पन्न हुई है|

सृष्टि का नियम है सृजन होना और विनाश होना यह सृष्टि पल-प्रतिपल बन रही है और विनाश हो रही है अगर आप ध्यान पूर्वक देखे तो पाएंगे यह पूरा जगत एक उर्जा है और कुछ भी नहीं हम-आप भी एक उर्जा का छोटा सा भाग है इस जगत के प्रतेक चीज में, कण-कण में उर्जा व्याप्त है जिसे हम भगवान कहते है, प्राण कहते है या अन्य नामो से जानते हैं|

लेकिन यह सब उर्जा ही है अगर आप ध्यान के गहराई में जाएँ तो आप पाएंगे की पूरा शरीर एक उर्जा का रूप है जिसमे निरंतर कंपन होता रहता है, निरंतर बदलाव होता रहता है| इसको आप ध्यान में ही अनुभव कर सकते है और आप समझ जायेंगे यह जगत नाशवान है, मिथ्या है, और नष्ट होनेवाला है इसलिए शिव चर्चा करते रहिये|

सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है!

जगतगुरु शिव तो दया का अक्षय श्रोत हैं हम सभी शिव को किसी न किसी रूप में मानते और जानते है और उनको पूजते है लेकिन गुरु रूप में पूजने का फल कुछ अलग ही रूप के प्राप्त होता है|

माया को चाहनेवाला बिखर जाता है|

शिव को चाहनेवाला निखर जाता है||

मेरे गुरु भी शिव हैं, मेरे गुरुर भी शिव है| जब हम शिव को “गुरु” के रूप में अपना लेते है तो वही भगवान गुरु बनकर क्षण प्रति क्षण हमारे पास रहते है और हमारा मार्ग दर्शन करते रहते है “गु” का अर्थ होता है अन्धकार और “रु” का अर्थ होता है “प्रकाश” यानि जो अन्धकार से प्रकाश की और ले जाये वह “गुरु” इस तरह शिव हमें हर मुसीबत और संकट से निकालने में मदत करते है और हमारे दुखों को दूर करते हैं|

शिव हमारे “गुरु” है इस बात को सारा जगत जनता है पुराणों में, ग्रंथों में, किताबों में हर जगह मिल जायेगा लेकिन शिव को गुरु बनाने का श्रेय गुरु भैया श्री हरीन्द्रानंद जी को जाता है उन्ही के कारण “शिव चर्चा” शरू किया गया इसके पीछे का वजय भी बहुत विचित्र है अधिक जानकारी के Click करें|

गाँव शिव चर्चा
गांव देहाती भजन

गाँव का देहाती शिव चर्चा कैसे किया जाता है?

गांव का शिव चर्चा बहुत ही साधारण तरीके से किया जाता है इसमें कोई बहुत अधिक तामझाम नहीं होता है

इस दो तरीके से किया जाता है पहला “शिव के मंदिरवा में” गाँव में स्थित शिव मंदिर के आँगन में किया जाता है (जहाँ लोगों के बैठने की व्यवस्था हो) दूसरा अपने घर के आंगन में किया जाता है वहाँ एक चौकी या कुर्सी पर शिव गुरु का फोटो रखकर किया जाता है|

शिव चर्चा के लिए पहले से व्यवस्था किया जाता है (जैसे फल-फूल मेवा आदि का) बजा और माइक का व्यवस्था भी किया जाता है जिससे शिव भैया द्वारा बताये जा रहें प्रवचन-गीत आदि हर शिव भक्त तक आसानी से पहुँच सकें और समझ सकें| शिव चर्चा में हर शिव भक्त अपनी अनुभूति भी सुनाता है उसके साथ होने वाले घटनाओं को लोगों के साथ अपना अनुभव भी साझा करते हैं|

कुछ लोग शिव चर्चा गीत लिखा हुआ किताब देखकर पढ़ते हैं कुछ लोग शिव गुरु की कहानी सुनाते हैं| गाँव का शिव चर्चा बहुत ही मधुर होता है क्योंकि लोग शिव चर्चा गीत भोजपुरी में गाते हैं शिव गुरु का सबसे सुपरहिट गीत भी लोगों द्वारा गया जाता हैं और माहौल पूरा शिवमय हो जाता है जो पहली बार इस तरह का आयोजन कराते हैं वह शिव चर्चा का किताब देखकर ही क्रमानुसार आगे बढ़ते है इस तरह हरेंद्र भैया का शिव चर्चा बहुत प्रसिद्ध और जग विख्यात हो रहा है|

आज गुरु भैया श्री हरेंद्र भैया हमारे बीच नहीं है लेकिन उनका दिया हुआ अनमोल उपहार हम सबके जीवन में परिवर्तन ला रहा है| हो सकता है वह शिव लोक में हों और वहीं से हम सब को आशीर्वाद दें रहें हो| हम सब पर आपकी कृपा बनी रहें यही कामना है|

शिव हमारे “गुरु” है इस बात को सारा जगत जनता है पुराणों में, ग्रंथों में, किताबों में हर जगह मिल जायेगा लेकिन शिव को गुरु बनाने का श्रेय गुरु भैया श्री हरीन्द्रानंद जी को जाता है उन्ही के कारण “शिव चर्चा” शरू किया गया इसके पीछे का वजय भी बहुत विचित्र है अधिक जानकारी के Click करें|

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महादेव शिव का महामृत्युंजयस्तोत्रम् मंत्र का अर्थ

त्रयम्बकं – तीन नेत्रों वाला

यजामहे – पूजनीय, ह्रदय से सम्मान

सुगंधिम – एक मीठी सुगंध के समान

पुष्टिः – फलने और फूलने वाली स्थिति

वर्धनम – जो पोषण करते हैं

उर्वारुकम – ककड़ी

इव – जैसे

बंधनात – बन्धनों से मुक्त करनेवाले

मृत्योः – मृत्यु से

मुक्षीय – हमें स्वत्रंत करें

मा – न

अमृतात – अमरता, मोक्ष

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शिव ही संसार के सार हैं,

शिव ही मुक्ति के द्वार हैं|

शिव ही जगत के आधार हैं,

शिव गुरु के बिना जीवन बेकार हैं|

हर भोला-हर भोला, भोला-भोला हरा हरा!

जगा-जगा महादेव दो जगा दा!

महादेव मेरे गुरु महादेव!!

हमारा मोबाइल नेटवर्क 2G, 3G, 4G, 5G से चलता है लेकिन यह पूरा संसार शिवG नेटवर्क से चलता है|

शिव शिष्य होने में सहायक तीन सूत्र:

पहला: अपने गुरु शिव से मन ही मन कहें कि “हे शिव! आप मेरे गुरु हैं, आप मुझ पर दया कर दीजिये”|

        दूसरा: सबको बताना, सुनाना और समझाना है कि शिव गुरु हैं ताकि दुसरे लोग भी शिव को अपना गुरु बनायें|

        तीसरा: अपने गुरु शिव को मन ही मन प्रणाम करना है और मन ही मन “नमः शिवायः” मंत्र से प्रणाम करना है|

जो बंधन में है- वह जीव है, और जो बंधन मुक्त है- वह शिव है|

नमः शिवाय कहने के फायदे:

  • मन हल्का हो जाता है|
  • बिगड़े काम बनते है|
  • नकारात्मक विचार नहीं आते|
  • गम कोसो दूर चले जाते है|
  • मन में ख़ुशी भर जाती है|
  • सकारात्मकता में वृद्धि होती है|
  • हमारा हर सपना पूरा होता है|
  • सम्बन्धो में मधुरता आती है|
  • मानसिक और आध्यात्मिक शांति मिलती है|
  • जीवन की हर समस्या का समाधान यहीं पर है|
  • मोक्ष और मुक्ति का रास्ता प्रशस्त होता है|

हमारे गुरु शिव, शिव के गुरु कोई नहीं,

जो गुरुओं के गुरु हैं, वह है “शिव गुरु”|

गुरुर्ब्रम्हा गुरुर्विष्णु गुरुर्दवो महेश्वरा|

गुरुर्सक्षात परब्रम्हा तस्मै श्री गुरुवे नमः||

शिव पुराण में वर्णित है-

ब्रम्हा आप सृष्टि की उत्पत्ति का काम करें,

विष्णु आप संसार के पालन का काम करें,

और

मैं जगत को ज्ञान देने और संहारक का काम करूँगा|

पुराणों और ग्रंथो में स्पष्ट वर्णित है की शिव गुरु है लेकिन यह बातें ग्रंथो और किताबों तक ही सीमित रह गयी थी यह एक सिद्धांत था जिसे गुरु भैया श्री हरीन्द्रानंद जी “शिव चर्चा” के रूप में प्रतिपादित किया उन्होंने ही हमें आभास दिलाया की शिव न केवल देवताओं के गुरु है वरन इस संसार के प्रत्तेक जीव के गुरु है देवताओं और मनुष्यों के गुरु तो है ही साथ ही साथ हर जीव-जन्तु-जानवर के गुरु हैं और आज हर कोई शिव को गुरु मान रहें है और “शिव चर्चा” कराके अपने जीवन को धन्य बना रहें हैं|

Download Shiv Charcha Ringtone

नमः शिवायः 

देवघर से 

आओ महिमा गायें

कैलाश की निवासी 

शिव तांडव श्त्रोत

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निष्कर्ष

अंत में हम यही कहेंगे उपरोक्त वर्णित जानकारी अपने अनुभव और सत्य ग्रंथों से प्राप्त जानकारी के आधार पर लिया गया है उम्मीद है शिव चर्चा के इस लेख को पूरा पढ़ने के बाद आपकी जिज्ञासा शांत हुई होगी और आप भी इन जानकारी का इस्तेमाल कर “शिव चर्चा कार्यक्रम” में शामिल होकर अपना मत व्यक्त कर सकते है और शिव के बारे में लोगों को जानकारी दें सकते है|

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