शिव चर्चा कैसे करते हैं?

आओ चलो शिव की ओर...

शिव चर्चा कैसे किया जाता है
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संक्षिप्त परिचय

शिव एक महान देवता है सिर्फ महान देवता ही नहीं गुरुओं के भी गुरु है- आदिगुरू है इसका मतलब शिव इस पुरे ब्रम्हाण्ड के प्रथम गुरु है इसलिए शिव चर्चा कैसे करते है? इसको विस्तार से जानेंगे तो आओ चलो शिव की ओर…  

“शिव चर्चा कैसे करते है” इसको सही ढंग से करने के लिए हरेंद्र भैया का शिव चर्चा जानना जरूरी है क्योंकि शिव चर्चा शरू करने का श्रेय गुरु भैया हरेंद्र जी को जाता है तो उन्ही के शब्दों में सीखेंगे शिव चर्चा कैसे करते है? हमारे लेख को पूरा पढ़ने के बाद हम यह दावा के साथ कह सकते है की आपको पूरी पद्धति समझ में आ जाएगी|          

इस विषय पर गहन रिसर्च करके ही यहाँ पाठको के लिए बताया जा रहा है जो पूरी तरह प्रमाणित और सत्य पर आधारित है|

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विस्तार से समझें

शिव हमारे गुरु हैं, आइये शिव को अपना गुरु बनायें

LORD SHIVA OUR OWN GURU

शिव चर्चा कैसे करते  हैं 

पहला सूत्र: अपने गुरु शिव से यह मूक संवाद प्रतिदिन  संप्रेषित करें की “हे शिव! आप मेरे गुरु है, मैं आपका शिष्य हूँ, मुझ शिष्य पर दया कर दीजिये|

दूसरा सूत्र: सबको सुनाना और समझाना है कि शिव गुरु हैं ताकि दुसरे लोग भी शिव को अपना गुरु बनायें|

तीसरा सूत्र: अपने गुरु शिव को मन ही मन प्रणाम करना है| इच्छा हो तो “नमः शिवाय” मंत्र से प्रणाम किया जा सकता है|

                           गुरु भैया हरीन्द्रानंद

How does shiva discuss

First Sutra: For the spontaneous flow of shishyabhaav in the aspirants of discipleship of Lord Shiva and for the disciples of Lord Shiva also, it is essential to think heartily and communicate silently to their Guru Shiva “O Shiva! You are my Guru, I am your disciple. Bestow daya (mercy) on me.”

Second Sutra: Search a chance to talk to any human being and make him aware of this highest spiritual path of discipleship of Lord Shiva (the concept of Shiva-shishyata) so that he also may follow it.

Third Sutra: You are to nourish silent salutation to your Guru Shiva. If desirous, you can perform mental repetition of “Namah Shivay” (the panchaakshar mantra) for paying silent salutation (Pranaam).

Guru bhaiya Harindrananda

गुरु वंदना:

अखण्ड मंडलाकारं व्याप्तंयेन चराचरम|

तत्पदं दर्शित येन, तस्मै श्री गुरवे नमः||

अज्ञान तिमिरांधस्य ज्ञानांजन शलाकया|              

चक्षुरून्मिलितम येन तस्मै श्री गुरवे नमः||

गुरुब्रम्हा, गुरुविष्णु, गुरु देवो महेश्वरं:|

गुरुसाक्षात, पर ब्रम्हा, तस्मै श्री गुरवे नमः||

तव द्रव्यं जगतगुरु, तुभ्यमेव समर्पये|| 

किर्तन:

स्थाई-

            हर भोला-हर भोला, भोला बाबा हर-हर|

            हर शिव-हर शिव, शिव-शिव हर-हर||

अन्तर-

            हर भोला-हर भोला, भोला-भोला हर-हर|

            हर शिव-हर शिव, शिव-शिव हर-हर||

                         हर भोला-हर भोला, भोला-भोला हर-हर|

                         हर शिव-हर शिव, शिव-शिव हर-हर||

            हर भोला-हर भोला, भोला-भोला हर-हर|

            हर शिव-हर शिव, शिव-शिव हर-हर||

                        हर भोला-हर भोला, भोला-भोला हर-हर|

                        हर शिव-हर शिव, शिव-शिव हर-हर||

शिव गुरु photo

जागरण:

स्थाई-

                        जाग..– जाग.. महादेव हो, जगा द महादेव|

                        मेरे गुरु महादेव, महादेव-महादेव||

अन्तरा-

                        आदि देव महादेव, आदि गुरु महादेव|

                        जगत गुरु महादेव, सद्गुरु महादेव||

                        आदि शक्ति महादेव, मेरे गुरु महादेव|

                        महादेव – महादेव, महादेव – महादेव|| जाग…..

            बैद्यनाथ महादेव, विश्वनाथ महादेव|

            भोलेनाथ महादेव, अमरनाथ महादेव||

            अघोरेश्वर महादेव, हो योगेश्वर महादेव|

            महादेव – महादेव, महादेव – महादेव|| जाग…..

                        ज्ञान दाता महादेव, दया सागर महादेव|

                        तंत्र दाता महादेव, मंत्र दाता महादेव||

                        जीवन दाता महादेव, मेरे गुरु महादेव|

                        महादेव – महादेव, महादेव – महादेव|| जाग…..

            शाश्त्र दाता महादेव, वर दाता महादेव|

            भोग दाता महादेव, मोक्ष दाता महादेव||

            दया करा महादेव, किरपा करा महादेव|

            महादेव – महादेव, महादेव – महादेव|| जाग…..

                        औघड़ दानी महादेव, महादानी महादेव|

                        घट-घट वासी महादेव, अविनाशी महादेव||

                        दीनबन्धु महादेव, दीन दयाल महादेव|

                        महादेव – महादेव, महादेव – महादेव|| जाग…..

शिव कथा

चन्द्रमा को श्राप मुक्त करना

शिव चर्चा कैसे करते हैं इसके लिए कई प्रमाणित कथाएँ है: प्रजापति दक्ष की 27 पुत्रियाँ थी उन सभी का विवाह चन्द्रमा देवता के साथ हुआ था लेकिन चन्द्र देव का समस्त अनुराग और प्रेम केवल और केवल रोहिणी के प्रति ही रहता था उनके इस कार्य से राजा दक्ष की अन्य कन्याओं को बहुत कष्ट उन कन्याओं ने अपनी यह व्यथा अपने पिताजी से सुनायी लेकिन रोहिणी के वशीभूत होने के वजह से उनपर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा अंत में महाराज दक्ष ने क्रुद्ध होकर चन्द्रमा को “क्षयी” हो जाने का श्राप दे दिया इस श्राप के कारण चंद्रदेव तत्काल ही क्षयग्रस्त हो गये|

उनके क्षयग्रस्त होते ही पृथ्वी पर सुधा-शीलता वर्णन का उनका सारा कार्य प्रभावित होने लगा चारों और त्राहिमाम मच गया चन्द्रमा भी बहुत दुखी और चिंतित रहने लगे| उनकी प्रार्थना सुनकर इन्द्रादि देवतागण तथा ऋषिगण उनके उद्धार के लिए परमपिता ब्रम्हाजी के पास पहुँचे सारी बातें सुनने के बाद ब्रम्हाजी ने कहा चन्द्रमा अपने श्राप विमोचन के लिए अन्य देवों के साथ पवित्र प्रभास क्षेत्र में जाकर भगवान शिव की आराधना करें उनकी कृपा से ही अवश्य ही इनका श्राप नष्ट हो जायेगा और रोगमुक्त हो जायेंगे|

उनके कथानुसार चंद्रदेव ने भगवान शिव की आराधना का सारा कार्य पूरा किया उन्होंने घोर तपस्या करते हुए दस करोड़ महामृतुन्जय मंत्र का जाप किया इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अमरत्व का वर प्रदान किया उन्होंने कहा चंद्रदेव तुम शोक न करो मेरे वर से तुम्हारा श्राप-मोचन तो होगा ही साथ ही साथ प्रजापति दक्ष के वचनों की रक्षा भी हो जाएगी|

कृष्ण पक्ष में प्रतिदिन तुम्हारी एक-एक कला क्षीण होगी किन्तु शुक्ल पक्ष में उसी प्रकार क्रम से एक-एक कला बढती जाएगी| इस प्रकार प्रत्येक पूर्णिमा को तुम्हे पूर्ण चंद्रत्व प्राप्त हो जायेगा (फिर यही क्रम अगले दिन से चालू हो जाएगी एक-एक दिन घटना फिर एक-एक दिन बढ़ना ओर 15 दिन बाद  पूर्णिमा को पूर्ण रूप प्राप्त होना) भगवान शिव के प्राप्त इस वरदान से सारे लोकों के प्राणी प्रसन्न हो उठे| सुधाकर चंद्रदेव पुनः दसों दिशाओं से सुधा वर्षण का कार्य पूर्ववत् करने लगे|

भगवान शिव गुरु की कृपा, दर्शन, पूजन व् आराधना से भक्तों के जन्म-जन्मांतर तक के सारे कष्ट तत्काल दूर हो जाते है भगवान शिव और माता पार्वती की अक्षय कृपा का पात्र बन जाते है स्वर्ग का मार्ग उनके लिए अत्यंत ही सहज और सुलभ हो जाता है और उनको इहलोक और परलोक दोनों ही लोकों के सुख सहज ही प्राप्त हो जाते है|

अतः इस तरह आप शिव चर्चा कैसे करते हैं को कर सकते है तथा शिव के कथा का वर्णन करके अनंत सुख को प्राप्त कर सकते है|

harendra bhaiya ka photo

harendra bhaiya ka photo

आओ जाने देवो के देव और गुरुओं के गुरु शिव गुरु” को …

शिष्या अनुभूति

ऐसा माना जाता है की महादेव चिरकाल से ही आदिगुरू पद पर अवस्थित थे ग्रंथो में भी इसका उल्लेख मिलता है प्राचीन काल से शिव को देवो के देव महादेव कहा जाता है|

शिव चर्चा कैसे करते हैं इस विषय पर आगे समझे- शिव को कई नामो से जाना जाता है जैसे महाकाल, जगतगुरु, रूद्र, ईश्वर आदि नामो विभूषित किया गया है इन्हें असुरों के आराध्य, देवो के देव महादेव, अघोरिओं के अघोरेश्वर, तांत्रिकों के महाकालेश्वर, गृहस्थों के उमा-महेश्वर, निहंगों के श्मशानी शिव आदि सबके गुरु में रूप में जाना जाता है| इस श्रृष्टि का जो सबसे सूक्ष्म से सूक्ष्म तत्त्व है उसको शिव, ईश्वर, परमात्मा आदि नामो से जाना जाता है देवो के देव महादेव महेश्वर को प्रथम गुरु और आदि गुरु कहा गया है|

शिव गुरु चर्चा

शिव हमारे गुरु है इस बात को  समझे शिव चर्चा कैसे करते हैं इसपर ध्यान दें|

भगवान शिव के लिए कई ग्रन्थ मौजूद है जैसे “वंदे विद्यातीर्थ महेश्वर“ “शम्भवे गुरवे नमः” “गुरुणाम गुरवे नमः” आदि शब्दों से अलंकृत किया गया है| वर्तमान समय में शिव को गुरु के रूप में मानकर लोग अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की है भगवान शिव को गुरु के रूप में जो शिष्य मानते है उनका शिवगुरु सर्वोत्तम पक्ष को उजागर कर परम सुख देते है अपने शिष्य के ज्ञान के स्तर को वृद्धि कर पूर्ण ज्ञान की स्थिति में ले जाते है|

शिव गुरु परिचर्चा

शिव चर्चा कैसे करते हैं इसके अंतर्गत शिव गुरु परिचर्चा करें|   

शिव को गुरु की मान्यता कब मिली? भगवान शिव को गुरु के रूप में सन 1980 के दशक में गुरु भैया श्री हरीन्द्रानंद जी को अनुभूति और अनुभव प्राप्त हुआ और सन 1982 के सितम्बर माह में बिहार के मधेपुरा जिले से जन-मानस के लिए प्रचार-प्रसार करने का काम प्रारम्भ किया|

उन्होंने ही सबसे पहले भगवान शिव को गुरु रूप में स्वीकार किया और जनता जनार्दन को भगवान शिव को गुरु के रूप स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया ताकि सबका कल्याण हो सके उन्होंने इसके पीछे कारण भी दिया अगर हम गुरु के रूप में शिव को मानते है तो शिव हमेशा हमारे सुख-दुःख में साथ रहेंगे व् जीवन में सत कर्मो की ओर आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहेंगे सिर्फ जरुरत है श्रद्धा की|

इसके अलावा अगर हम भौतिक शारीर रुपी गुरुओं, तांत्रिक आदि के चक्करमे पढ़ेंगे तो वे हमें भ्रम जाल में फंसा के रखेंगे और हम कहीं नहीं पहुँच पाएंगे शिव को गुरु मानने और बनाने का एक ओर कारण यह है की शिव साक्षात् परब्रम्ह है वही जगत का स्वामी है हमें उनकी शरण में जाना चाहिए जो सबका स्वामी है सही रूप में वही हमारा कल्याण कर सकता है|

इस लिए मन में यह विचार आया गुरु साक्षात् परब्रम्ह हैं तो परब्रह्म स्वयं गुरु क्यों नहीं? इसके पहले उन्होंने बहुत से गुरु किये सबने उन्हें धोखा किया और लुटने का काम किया अतः दूध का जला मट्ठा फूँक-फूँक कर पीता है इस अनुभव से ग्रसित थे इसलिए उन्होंने शिव को ही गुरु रूप में स्वीकार किया और उनके अन्दर एक प्रेरणा जगी की प्रत्येक व्यक्ति को शिव का शिष्य होने के लिए प्रेरित करना है यही भाव उनके अन्दर दृढ़ संकल्पित होता गया|

शिव गुरु का शिव चर्चा

शरू में कुछ लोगों ने इसे स्वीकार किया शिव को गुरु के रूप में अनेकों ने शिव को अपना शिष्य भाव देना प्रारम्भ किया और फिर अपने अनुभूतियों का क्रम चल पड़ा| जो भी इन्सान शिव को श्रद्धा, विश्वास और समर्पण के भाव से महादेव शिव को अपना गुरु स्वीकार किया उन-उन का कल्याण ही कल्याण होता गया ओर लोग अधिक से अधिक संख्या में जुड़ते जा रहे है|

असल में हम इस सांसारिक दुनिया में सुख-दुःख के साथ रहते हुए जीवन के इस यात्रा को हम भूल गए है अपने ही दैनिक कार्यों में व्यस्त है और शिव चर्चा कैसे करते हैं इस बात को महत्त्व नहीं देते है|

शिव गुरु से प्राप्त ज्ञान सही मायने में जीवन जीने की कला है शिव गुरु भोग और मोक्ष के अभिन्न रूप से दाता हैं कहा जाता है की शिव के शरण में मुक्ति और भुक्ति दोनों प्राप्त होता है देवो के देव महादेव तो सदगुरुओं के गुरु हैं भूतों के गुरु है मनुष्यों के गुरु है पुरे ब्रम्हाण्ड के गुरु है अतः उनको गुरु रूप में स्वीकार करने पर हमारे सभी कार्य पूर्ण होते है|

शिव गुरु कथा और कहानी
शिव चर्चा कैसे करते हैं - शिवगुरु के गीत - शिव गुरु का गाना - शिव गुरु का भजन - शिव गुरु चर्चा MP3
अपना गुरु के माना लेब (शिव चर्चा कैसे करते हैं)
आना शिव चर्चा में
ए हो गुरु सिसिया-दीदी
करीब शिव के चर्चा
करीम शिव चर्चा आइहे गुरु
करें शिव चर्चा आइहे गुरु हमार हो
गुआ में होता शिव चर्चा हो
गुरु के मन (शिव चर्चा कैसे करते हैं)
गुरु चर्चा में जगिले हम
चर्चा करेल दुवार (शिव चर्चा कैसे करते हैं)
चर्चा सुने के एहे सावन में
चर्चा होखे वाला बा (शिव चर्चा कैसे करते हैं)
चला चला शिव चर्चा में चला
जनक दुवारी रहस कवरी
जे अपना शिव गुरु के चर्चा
झूम झूम के चर्चा के होत
डूब गिल चर्चा में रहे
बाबा हो भोला चर्चा
शंकर को जिसने पूजा
शिव गुरु करावैब घरे चर्चा तोहर
शिव गुरु के चर्चा
शिव गुरु चर्चा में आई
शिव चर्चा में चला ये सैया
शिव चर्चा में सब कुछ भुला
सुनके दिलके पुकार
सुने चर्चा के उठले (शिव चर्चा कैसे करते हैं)
भजन-1

सुबह-सुबह ले शिव का नाम, कर ले बंदे यह शुभ काम|

सुबह-सुबह ले शिव का नाम, शिव आएंगे तेरे काम||

खुद को राख लपेटे फिरते, औरों को देते धन धाम|

देवो के हित विष पी डाला, नील कंठ को कोटि प्रणाम

सुबह-सुबह ले शिव का नाम, शिव आयेंगे तेरे काम॥

शिव के चरणों में मिलते सारी तीर्थ चारो धाम,
करनी का सुख तेरे हाथों, शिव के हाथों में परिणाम|
सुबह-सुबह ले शिव का नाम, शिव आयेंगे तेरे काम॥

शिव के रहते कैसी चिंता, साथ रहे प्रभु आठों याम,
शिव को भज ले सुख पायेगा, मन को आएगा आराम|
सुबह-सुबह ले शिव का नाम, शिव आयेंगे तेरे काम॥

भजन-2

शिव शंकर को जिसने पूजा, उसका भी उद्धार हुआ।

अंत काल को भवसागर में उसका बेड़ा पार हुआ॥

भोले शंकर की पूजा करो,

ध्यान चरणों में इसको धरो।

हर हर महादेव शिव शम्भू।

हर नाम से ऊँचा है महादेव का,

वंदना इनकी करते है सब देवता।

इनकी पूजा से वरदान पातें हैं सब,

शक्ति का दान पातें है सब।

नाथ-असुर-प्राणी सब पर ही भोले का उपकार हुआ|

अंत काल को भवसागर में उसका बेडा पार हुआ||

॥ हर हर महादेव शिव शम्भू ॥

तो इस प्रकार “शिव चर्चा कैसे करते हैं” को अच्छी प्रकार समझ कर अपने अंतरात्मा के गहराईयों से जानकर और पूर्ण मनोभाव से शिव चर्चा करने से आपके सारे मनोकामना पूर्ण होती है और आध्यात्मिक सुख और शांति प्राप्त होती है शिव चर्चा कैसे करते हैं आज हर इन्सान को इसपर ध्यान देने की आवश्यकता है लोग सही राह पर चले यही हमारा उद्देश्य और ध्येय है सबका मंगल हो! सबका कल्याण हो! सबकी स्वस्थ मुक्ति हो!

harendra bhaiya hd photo

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निष्कर्ष

“शिव चर्चा कैसे करते है?” इसको संक्षेप में समझना है तो सबसे पहले जागा जागा महादेव के गूंज से शुरू किया जाता है सबसे पहले गुरु वंदना किया जाता है फिर शिव गुरु के तीन सूत्र को बताया जाता है इसके बाद कीर्तन किया जाता है (ढोलक-मजिरी के साथ) फिर जागरण और इसके उपरान्त शिव कथा बताया जाता है शिव की महिमा मंडन किया जाता है इसके उपरान्त शिष्य अनुभूति लोगों का बताया जाता है और उपस्थित लोगों खासकर महिला द्वारा उनके साथ घटित अनुभूति लोगों को बताया जाता है यहाँ सबको बोलने का मौका दिया जाता है फिर भजन-आरती करके प्रसाद वितरण करके समाप्त कर दिया जाता है|

तो इस प्रकार कोई भी शिव चर्चा अपने घर-मंदिर कहीं पर भी करा सकता है जिससे असीम पूण्य की प्राप्ति होती है हर हर महादेव!        

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