विपश्यना ध्यान

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विपश्यना ध्यान

Vipassana Meditation

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संक्षिप्त परिचय

Vipassana Meditation विपश्यना ध्यान क्या है? इस लेख में हम इस प्रश्न का उत्तर समझेंगे साथ ही साथ विपश्यना क्यों करना चाहिए? विपस्सना का अर्थ क्या होता है? विपश्यना करने की विधि क्या है? विपश्यना कैसे करे? और विपश्यना के चमत्कार आदि सभी प्रश्नों को उत्तर समझेंगे|    

अब सबसे बड़ा प्रश्न यह उठता है की विपश्यना क्यों करना चाहिए जैसे-जैसे आप आगे पढ़ते जायेंगे आप यह समझते जायेंगे की विपश्यना ध्यान ही जीवन है अगर आप रामायण महाभारत काल की शिक्षा पद्धति और आज की शिक्षा व्यवस्था को देखें तो पाएंगे की इन दोनों में जमीन आसमान का अंतर है इस अंतर को बहुत ही खूबसूरत ढंग से समझाया गया है| 

तमाम अध्ययन और अनुसन्धान के आधार पर हम यह कह सकते है की यहाँ पर जो भी जानकारी दी जा रही है वह पूर्णतः सत्य पर आधारित है और ग्रंथों और किताबों के अध्ययन के बाद ही यहाँ लिखा जा रहा है|    

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विस्तार से समझें

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विपश्यना क्यों करना चाहिए?

विपश्यना क्यों करना चाहिए? इसको ध्यान से समझे, विपश्यना क्यों करना चाहिए? इसका सीधा सा उत्तर है मन को शांत करने के लिए| हमारे मन में असंख्य विचार चलते रहते हैं और कई प्रकार के विचार आते रहते है जिससे हमारा मन विकारों से विकृत हो जाता है चाहे वह क्रोध, घृणा, भय, ईर्ष्या या कुछ और हो जब ऐसे विचार हमारे मन में आते है तो हम विचलित हो जाते है अपना संतुलन खो देते है अब सवाल उठता है यह विचार हमें क्यों आते है?

इसके पीछे भी कारण है- हो सकता है हमारे साथ कोई घटना-दुर्घटना हुआ हो, गुस्सा-तनाव, झगड़ा कुछ भी हो सकता है कुछ भी संभव है जीवन में अच्छा और बुरा दोनों प्रकार की परिस्थिति पैदा होती है| अब सवाल उठता है हमें गुस्सा क्यों आता है? तो इसको ऐसे समझे हमारे अवचेतन मन में जनम जन्मान्तर से संचित अहंकार, आसक्ति, राग, द्वेष, मोह आदि की गांठें पहले से मौजूद है जब भी अहंकार से जुड़ा कोई घटना घटता है तो अहंकार जो पहले से मौजूद था वह जाग जाता है, उसी प्रकार क्रोध से जुड़ा कोई बात होने पर पूर्व में संचित क्रोध जाग जाता है और हमें दुःख कष्ट या अन्य प्रकार का अनुभव होता है| ऐसी परिस्थिति में हमें क्या करना चाहिए प्रयास यही करना चाहिए की चाहे कैसी भी स्थिति हो हमें अपने मन को शांत और संतुलित रखना है जिंदगी में उतर-चढ़ाव तो आते रहेंगे हमें स्थिर रहना है अच्छी स्थिति आये तो स्थिर, बुरी स्थिति आये तो स्थिर हर स्थिति-परिस्थिति में स्थिर रहना चाहिए|

अतः जिस इन्सान का अंतर्मन एकदम शुद्ध हो (जिसमें पूर्व संचित कोई विकार न हो) उसे ऐसी कोई भी घटना होने पर कोई फर्क नहीं पढ़ता| विपश्यना ध्यान यही काम करता है विपश्यना हमारे विकारों को जड़ से ख़त्म करने का काम करता है ताकि फिर कभी विकार ही पैदा न हो|

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विपस्सना का अर्थ?

विपश्यना क्या है?

विपश्यना क्या है? विपस्सना शब्द का अर्थ होता है देखना – जैसा है वैसा देखना भगवान बुद्ध कहते है इहि पस्सिको आओ और देखो, मानने की आवश्यकता नहीं है देखो और फिर मान लेना बुद्ध किसी धारणा का आग्रह नहीं रखते यह एक मात्र ऐसा धर्म है जो पूर्ण रूप से वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित धर्म है भगवान बुद्ध कहते है आओ और देख लो मानने की जरूरत नहीं देखो फिर मानो और जो देख लेगा वह मान भी लेगा इसलिए जरूरी है देखना| इस देखने की प्रक्रिया को ही विपस्सना कहा गया है|

Vipassana Meditation विपश्यना ध्यान एक महत्वपूर्ण ध्यान पद्धति है जितने लोग विपश्यना से मुक्ति या बुद्धत्व को प्राप्त हुए है उतने अन्य किसी विधि से नहीं हुए है वेदों में विपश्यना का साफ-साफ जिक्र है विद्वानों ने विपश्यना का अलग-अलग अर्थ निकला लेकिन विपश्यना का मूल अर्थ से सभी भटक गए सबने इसका अलग-अलग व्याख्या किया आगे चकले भगवान बुद्ध ने विपश्यना का सही अर्थ लोगों को बताया और स्वयं भी इसका प्रयोग करके मुक्ति को प्राप्त हुए और औरों को भी मुक्ति प्राप्त करने में सहायक हुए इस प्रकार विपश्यना का सही अर्थ निकल के सामने आया|

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विपस्सना ध्यान विधि

विपश्यना ध्यान विधि कैसे करे? विपस्सना एक ध्यान की विधि है ध्यान विधि तो कई प्रकार के हैं लेकिन वेदों में वर्णित विपस्सना ध्यान विधि उमसे सबसे श्रेष्ठ है विपस्सना ध्यान विधि हमारे अंतरात्मा से विकारों को दूर करने का काम करता है| इस ध्यान विधि को भगवान बुद्ध ने सबसे पहले दुनिया को बताया यह एक ऐसी ध्यान की विधि है जिसको अपनाकर बहुत से लोग मुक्ति को प्राप्त हुए हैं|

इसकी विधि बहुत ही साधारण हैं इस विधि के तहत व्यक्ति को अपने श्वास का निरीक्षण करना होता है हर समय जागृत भाव से अपने श्वास को देखना होता है| एक दृष्टा भाव से लगातार देखना होता है अपना सारा ध्यान श्वास पर केन्द्रित करना होता है श्वास चाहे किसी भी नासिका से आ रही हो उसको बस देखना होता है दायें नासिका से या बाएं नासिका से बस देखना होता है|

श्वास हमारी अन्दर घटित होने वाली घटना का प्रतिबिम्ब है इसमें सिद्ध होने पर हम अपने विचारों को भी देख सकते है फिर धीरे-धीरे अपने अन्दर घटित होने वाली समस्त घटनाओं को देख सकते है और अनुभव कर सकते हैं इससे हमारा मन शान और निर्मल हो जाता है|   

विपश्यना कैसे करे?

विपस्सना कैसे की जाती है इसके लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:

स्थान – विपस्सना करना बहुत ही आसान है सबसे पहले एक शांत और निर्मल स्थान चुने जहाँ कोई शोरगुल न हो रहा हो, हवादार कमरा हो, या प्राकृत से जितना करीब होंगे उतना अच्छा रहेगा| ऐसा स्थान जहाँ कोई आपको आधा या एक घंटा परेशान न करें जहाँ आप सिर्फ आप हों| आप हो और आपके विचार और कोई नहीं| 

वस्त्र – हल्का कपड़ा पहने पाजामा और कुर्ता जैसे हलके कपड़े पहने चुस्त और तंग कपड़े न पहने सूती कपड़े का इस्तेमाल करें| स्लिम जॉगर्स पहने यह आपको ट्रैक पैंट जैसा आराम (कम्फ़र्ट) देगा और साथ ही साथ काफ़ी खूबसूरत (ट्रेंडी) भी नज़र आएगा इस तरह के कपड़े आपके शरीर से चिपकते नहीं और आपको योग करते वक़्त पूरी सहजता देते है| ध्यान के समय ढीले वस्त्रों का प्रयोग करें।   

शरीर – अपने शरीर को शांत और स्थिर करना होता है उसके बाद हमें अपने श्वास पर ध्यान देना होता है श्वास को लय बंध नहीं करना होता है जैसा आ रहा है उसको वैसा देखें न श्वास को धीमा करें न तेज करें जैसा आ रहा है उसको वैसा देखें| अपने शरीर या मन के द्वारा किए हुए हर गतिविधि पर ध्यान दें श्वास अन्दर आ रहा है तो ठंडा हवा अन्दर आ रहा है और वही हवा बाहर निकल रही है तो गरम हो जा रही है इसका अहसास होना चाहिए श्वास किस गति से आ रहा है उसके हर गतिविधि पर ध्यान रखना है|

अगर मन में कोई विचार चल रहा है तो उसको दृष्टा भाव से देखते रहें अच्छा चल रहा तो देखें बुरा चल रहा है तो देखें आपका काम बस देखना है सजग भाव से, दृष्टा भाव से शरीर पर होने वाली हर घटना को ध्यान से देखना झुनझुना हट, सिरकन, कम्पन, फुसफुसाहट, गर्मी-ठंडी, नरमी, गर्मी आदि हर अनुभव को ध्यान से देखना, समझना और जानना यही ध्यान है|

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विपश्यना फायेद

विपश्यना के फायेद

विपश्यना करने के फायेद

1- असाध्य रोग से छुटकारा पाने का सबसे बेहतरीन जरिया है विपश्यना|

2- मन के विकारों से छुटकारा दिलाने का अचूक उपाय|

3- आलस्य, उदासी, अनिद्रा आदि भाव विपश्यना के प्रभाव से गायब हो जाते है|

4- विपश्यना के अत्यधिक प्रयास से मोक्ष की प्राप्ति 100 प्रति शत तक संभव है|

5- मन और तन को शुद्ध रखने का बेहतरीन तरीका है विपश्यना ध्यान (Vipassana meditation)

1- मन में अपार शांति का अनुभव होता है|

2- मन में चलने वाला गतिविधि शांत हो जाता है|

3- विचारों पर नियंत्रण होता है|

4- सकारात्मक विचारों में बढ़ोतरी होती है|

5- नकारात्मता मन से दूर होता है|

1- विपश्यना ध्यान करने से हमारे पूर्व में संचित संस्कारों के क्षीण होने से मन बहुत हल्का हो जाता है|

2- विपश्यना एक पूर्णता वैज्ञानिक तकनीक पर आधारित है|

3- विपश्यना के अभ्यास से अपने अन्दर व्याप्त जितने भी गन्दगी है सब दूर किया जा सकता है|

4- रोग और शोक से मुक्ति के लिए विपश्यना सबसे बेहतरीन विकल्प है|

5- विपश्यना के चमत्कारी और अद्भुत लाभ है|

विपश्यना के चमत्कार

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1- अद्भुत रूप से आप अपने मन को नियंत्रित कर पाएंगे|

2- तनाव में आप जबरदस्त लाभ देखेंगे|

3- हर कार्य अपने आप सही समय पर होते जायेंगे|

4- पैसे, रिश्ते, सम्बन्ध, व्यापार, रोजगार जीवन के हर क्षेत्र में सफलता अपने आप दिखेंगे|

गौतम बुद्ध की ध्यान विधि

विपश्यना एक सीधा और सरल प्रयोग है इस ध्यान विधि में आपको अपनी आती-जाती श्वास के प्रति साक्षी भाव रखना होता है याद रखें श्वास से ही हमारी आत्मा-मन इस शरीर से जुड़ी हुई है अतः इसे (श्वास) को देखते रहें श्वास एक पुल यानी सेतु का काम करता है आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का रास्ता है| अगर हम ध्यान पूर्वक अपने श्वास को देखते रहें तो निश्चित रूप से हम अपने आपको शरीर से अलग जानेंगे|

अगर श्वास को देखते-देखते आपका शरीर छूट जाता है श्वास छूट जाता है तो शाश्वत का दर्शन हो जायेगा यही है ब्रह्म दर्शन, दिव्य दर्शन, साक्षात्कार के दर्शन हैं यह परम लक्ष्य है| यही मुक्ति का द्वार है…….

विपश्यना नियम

विपश्यना के नियम बहुत ही सख्त है उदाहरण के लिए विपश्यना के द्वारन आपको बिलकुल आर्य मौन रखना है| झूठ बिलकुल भी नहीं बोलना है| जीव हत्या नहीं करना है| अहिंसा सर्वोपरि होना चाहिए| किसी के संपर्क में न रहें सबसे दूरी बना के रखना है| चोरी-हत्या का जीवन में कोई स्थान नहीं होना चाहिए| मन में सकारात्मक भाव होना चाहिए| मदद-परोपकार और देने की भाव होनी चाहिए| 

विपश्यना दिनचर्या

विपश्यना साधक का दिनचर्या बिलकुल साधारण होना चाहिए साधना के द्वारन आर्य मौन रहें| दिन भर में केवल एक बार ही भोजन करें (अत्यधिक भोजन आलस्य लता है) अन्य समय बहुत हल्का फल या हल्का भोजन लें| सुबह 4 बजे ब्रह्म मुहूर्त में जाग जायें फ्रेश होने के उपरान्त ध्यान में लग जायें| शाम को चाय-जल-शिकंजी आदि लें (सूर्य के अस्त होने के बाद भोजन ग्रहण न करें) रात को प्रवचन सुने फिर ध्यान करें और उसके उपरांत सो जायें अगले दिन फिर यही क्रम जारी रखें (पूरे विपश्यना अभ्यास के द्वारन)|

विपश्यना करने की विधि

मात्र 4 पॉइंट में जाने विपश्यना करने की विधि:

  • पहले एक साफ़ स्वच्छ वातावरण चुने ध्यान के लिए|
  • फिर साफ़ और हल्का कपड़ा पहने|
  • किसी भी आसान में बैठे (शर्त यह है की पीठ सीधी हो बस) शांति से बैठे|
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  • अब दृष्टा भाव से देखते रहे जो भी क्रिया-प्रतिक्रिया आपके शरीर पर हो रहा है अपने श्‍वास पर ध्यान लगाये आते-जाते श्‍वास को देखें, देखें और देखते रहें|
  • मन को भटकने न दें अगर भटक जाता है तो उसी ओर फिर ध्यान लगाये बस जागते रहें होशपूर्ण रहें|

विपश्यना साधकों के लिए 5 महत्वपूर्ण बातें:

प्रतिदिन ध्यान

सुबह-शाम एक-एक घंटा नियमित रूप से विपश्यना ध्यान-साधना करें|

मंगल-मैत्री

ध्यान के उपरांत पांच से दस मिनट सबके लिए मंगल की कमाना करें|

दस दिवसीय शिविर

साल में कम से कम एक बार दस दिनों का विपश्यना ध्यान शिविर में जायें|  

सामूहिक साधना

सप्ताह में एक बार विपस्सी साधकों के साथ सामूहिक साधना जरूर करें|

सबकी मंगल कामना के साथ सोना और जागना चाहिए

सुबह सो कर उठने के तुरन्त बाद लेटे- लेटे और रात सोने से पहले के 5 मिनट बिस्तर पर लेटकर शरीर की संवेदनाओं की अनित्य बोध के साथ जानकारी ले|

और सबके मंगल की कामना के साथ सोए और जागे इसके अद्भुत परिणाम दिखेंगे|

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विपश्यना साधना पद्धति किस दर्शन के अंतर्गत वर्णित है

विपश्यना सत्य-दर्शन के अंतर्गत आता है जिसका मतलब होता है वर्तमान क्षण को देखना वर्तमान के यथार्थ रूप को जानना| जो जैसा है उसको वैसा देखना अपने ऊपर होने वाली संवेदना को साक्षी भाव से देखना तटस्थ भाव से देखना और अनुभव करना यही विपश्यना सत्य-दर्शन है|

ध्यान शरीर के बाहर से भीतर की ओर की यात्रा है – राधा रमण

अधिक जानकारी के वेबसाइट www.dhamma.org पर जायें

महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

विपश्यना ध्यान (Vipassana Meditation) वह तकनीक है जिसके तहत हम अपने विचारों पर नियंत्रण करते हैं विपश्यना कर अर्थ होता है देखना जो चीज़ जैसी है उसको वैसा ही देखना|

विपश्यना ध्यान में मन और शरीर के बीच संतुलन बनना बताया जाता है विपश्यना में अपने विचारों को कैसे नियंत्रित किया जा सके यह बताया जाता है क्योंकि यह मन बन्दर की तरह चंचल है इसको नियंत्रण करना सिखाया जाता है| 

ध्यान में कुछ नहीं करना होता है बार ध्यान देना होता है| कुछ भी सोचना नहीं होता है उल्टा उसे ख़त्म करना होता है अपने विचारों को समाप्त करना होता है एक बार उस स्थिति में पहुँचने के बाद दिल, दिमाग, मन, शरीर सब स्थिर हो जाता है और ब्रह्म से हम जुड़ जाते हैं| यह स्थिति अत्यंत शक्तिशाली होती है यह स्थिति हमारे ऋषि-मुनियों को ही प्राप्त होती है|

ध्यान में बाधक तत्व है आलस, प्रमाद, अनियमितता, अधिक भोजन से आलस्य आना, चंचल मन किसी एक काम को छोड़कर दूसरे पर जाना आदि| 

हर इन्सान को सुबह एक घंटा और सोने से पहले एक घंटा ध्यान जरूर करना चाहिए| शुरुआत में आप 10 मिनट से कर सकते हैं फिर 30 मिनट फिर एक घंटा फिर और आगे जा सकते हैं| 

यह बिलकुल मुफ्त होता है| यह संस्था पूरी तरह दान के पैसे पर चलता है| शिविर समाप्त होने के बाद लोग अपनी इच्छा से दान करते हैं ताकि अगले आने वाले शिविर का आयोजन किया जा सके|  

ज्यादा ध्यान करने से या अधिक से अधिक ध्यान करने से हमारी कार्य क्षमता बढ़ती है मन एकाग्र होता है काम में लगन आता है तनाव दूर होते हैं सकारात्मक सोच से हम जिस भी काम में हाथ डालते हैं सफलता निश्चित और 100% गारंटी हो जाती है|  

मन चंचल होता है इसे मरघट भी कहा जाता है अर्थात् हमारा मन बन्दर की तरह होता है जो एक जगह स्थिर नहीं हो सकता है इसके कई कारण है जैसे शरीर अस्वस्थ होना, दवा के कारण, नींद का कमी या ज्यादा आना, मानसिक असंतुलन होना, किसी काम का चिंता उसे पूरा करने की इच्छा आदि चीजे हो सकती है|

ध्यान कम से कम 10 मिनट करनी चाहिए से 60 मिनट तक करनी चाहिए इसके ऊपर आपकी समय की उपलब्धता के अनुसार|

एक शोध से अनुसार छोटे बच्चों में ध्यान जल्दी आ जाता है क्योंकि उनके दिमाग में ज्यादा विचार नहीं होते हैं (बड़ो की तुलना में) इसलिए हमें चाहिए की छोटे बच्चों को बचपन से ही ध्यान के तरफ प्रेरित करें| 

उत्तर: हाँ, बिलकुल आप कर सकते हैं आपको बस अपने श्वास पर ध्यान रखना होता है लेकिन विश्राम के समय किए जाने वाले ध्यान ज्यादा देर एक जगह टिक नहीं पाते और भटक जाते हैं इसलिए सीधे बैठकर ही ध्यान करना चाहिए|

ध्यान में असीमित शक्ति होती है आपके सोच के ज्यादा यह हमें पूरे ब्रह्मांड के दर्शन करा सकता है| यह असीमित और असंभव कार्य कर सकता है| 

ध्यान हमारे नकारात्मक गतिविधियों को नियंत्रित करता है और सकारात्मक को आगे लाता है यह हमारे दुखो को कम करता है शारीरिक और मानसिक थकान परेशानियों को दूर करता है मन को एकाग्र और स्थिर करता है|

ध्यान हमारे क्रियाओं का मेल है अपने क्रियाओं का निषेध के बाद जिस चीज का बोध होता है वहाँ से ध्यान की शुरुआत होती है|

अगर विपश्यना ध्यान करने में दिक्कत आ रही है तो आप अपने ईष्ट देव का ध्यान कर सकते है जैसे हनुमानजी, शिवजी, माँ दुर्गा आदि…

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निष्कर्ष

विपश्यना ध्यान अपने आप में पूर्ण ध्यान विधि है जिसके नियमित अभ्यास से मानव महा मानव बन जाता है हमने विपस्सना ध्यान विधि, विपश्यना कैसे करे? विपश्यना के फायदे और सबसे बड़ी बात विपश्यना क्यों करना चाहिए इन सब के ऊपर विस्तार से चर्चा किया जिन-जिन लोगों ने भी विपश्यना ध्यान तन मन से किया है उनके जीवन में 360 डिग्री का बदलाव आया और उन्होंने अपने इस जीवन को सफल किया|

इसलिए हम सभी को यह मनुष्य जीवन बार-बार नहीं मिलता है आप एक बार इसको अपनाये और परिणाम देखें इन्हीं शब्दों के साथ सबका मंगल और कल्याण हो!

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