विचारों का प्रभाव

विचारों का प्रभाव

आज हम - खुश है तो क्यों ? दुखी है तो क्यों ? परेशान है तो क्यों ? सफल है तो क्यों ? इसका जवाब सुनने के लिए क्या आप तैयार है तो जवाब है आप “खुद”

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संक्षिप्त परिचय

इन्सान पर सबसे ज्यादा अगर किसी चीज का प्रभाव होता है तो वह “विचारों का प्रभाव” होता है इस लेख में हम बात विचारों के बारे में विस्तार से बताने जा रहें है “अच्छी सोच पर लेख” या “अच्छी सोच स्टेटस” पर बताने वाले है साथ ही साथ सकारात्मक की परिभाषा क्या है? इसको भी समझेंगे|         

अगर हम ज्यादा से ज्यादा अपने “ध्यान और विचार” पर ध्यान दें तो निश्चित रूप से हम यह समझ पाएंगे की हमें क्या बोलना चाहिए और हम क्या बोल रहें है इससे हम अपने वाणी पर कण्ट्रोल कर सकतें है अगर आप अपने हर कार्य पर पर्याप्त ध्यान दे तो आप यह जान पाएंगे की हम किस दिशा में जा रहें है हमारा मुख्य उद्देश्य अपने विचारों में परिवर्तन लाकर अपने जीवन को बेहतर बनाना है| यही हमारा उद्देश्य है|

हमने जब “विचारों का प्रभाव” पर रिसर्च और अनुसन्धान करना प्रारम्भ किया तो बहुत सी अड़चन आई वह सब अड़चन सोच ही था और सोच पर ही हम रिसर्च कर रहें थे लेकिन धीरे-धीरे हमने सीखा सही सोच के साथ सफलता कैसे प्राप्त किया जा सकता है गलत सोच के साथ भी सफलता पाया जा सकता है लेकिन वह टिकाऊ नहीं होता जबकि सकारात्मक सोच के साथ सफलता हमेशा बनी रहती है|

इन बातों पर विस्तृत और बड़े पैमाने पर एक-एक चीज पर बारीकियों के साथ बताने का प्रयास किया गया है|    

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विस्तार से समझें

सही सोच और सफलता

आज आप अपने आप से एक सवाल पूछिए क्या आप सुखी है? तो  क्यों? कैसे? अगर आप दुखी है? सफल है? या असफल है? फिर इन सवालों को सामने रखो और अपने आप से पूछ के देखों क्या जवाब मिलता है? यह है विचारों का प्रभाव|

जवाब होगा इन सारे परिस्थितियों के जिम्मेदार हम खुद है खुद का मतलब हमारे भौतिक चीजों से नहीं हमारे अवचेतन मन से है आज हम जैसे भी स्थिति मे हैं चाहे अच्छे, चाहे बुरे उसका हमने कहीं न कहीं, कभी न कभी उसका बीज हमने अपने अन्दर बो दिया था चाहे एक महिना पहले 10 साल या 30 साल पहले जब भी उसको अनुकूल वातावरण मिलेगा वो बीज फूटेगा और बहार आयेगा और जब वो बहार आयेगा तो असर दिखेगा ही|

इसलिए अपने “विचारों का प्रभाव” का चयन बड़े सावधानी से करना चाहिए यानि बीज कैसे बोये इसका चयन बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए सही सोच रखें सफलता अपने आप मिलेगी|

व्यक्ति की सोच

व्यक्ति के सोच के पीछे कोई न कोई विचार का बीज छिपा होता है मनुष्य अपने दिल मे जैसा सोचता है वैसा ही होता है बिना बीज के पेड़ नहीं हो सकता मनुष्य के कर्म के पीछे विचार रुपी बीज होते हैं|अच्छा विचार अच्छा फल देता है और बुरे विचार बुरे फल देता है| यही है विचारों का प्रभाव|

नीम के बीज बोने पर उसमे नीम ही उगेगा और उसी मिट्टी मे आम के बीज बोने पर मिठे आम उगेंगे इसका मतलब बीज हमारे विचार हैं और मिट्टी हमारा वातावरण तो हम अपने आप-पास के वातावरण मे कैसे पौधे लगाते हैं या खुल्ला छोड़ देते है तो उसमे झाड़ी ही उगेंगे और झाड़ी एक ऐसा विचार जो आपके किसी काम का नही है तो समय-समय पे उसको साफ करने की जरुरत होती है और अच्छे के लिए अच्छे बीज की जरुरत होती है|

जीवन पर विचार

जीवन में कभी-कभी ऐसा लगता है जैसे हमारे जिंदगी मे कुछ काम अपने आप ही होये जा रहा है जिस पर हमारा नियंत्रण नहीं है यह सच है| लेकिन यह भी सच है की उस कार्य के पीछे भी एक विचार है जो अनजाने मे हमारे द्वारा बोया गया था वो सूक्ष्म रूप मे ही क्यों न हो आज उसी का परिणाम है की हम एसे स्थिति मे हैं अब मान लेते है हमारे अन्दर कोई विचार ही न हो तो क्या होगा? बिलकुल खाली न कोई भाव, न कोई द्वेष, न अच्छाई, न बुराई, न सुख, न दुःख तो ऐसे परिस्थिथि मे वो क्या करेगा, इस स्थिति को कहते है “जीवन पर विचारों का प्रभाव ख़त्म होना”

अब उसके पास कोई भाव नहीं है तो ऐसे स्थिति मे वो बिलकुल शांत रहेगा जब उसको भूख लगेगा तो वो खाना खायेगा, प्यास लगेगा तो वो पानी पियेगा जब जैसा शारीरिक जरुरत महसूस होगा वैसा ही वो करेगा| इसके आलावा कोई क्रिया-प्रतिक्रिया नहीं होगा जिसे विचार शुन्य या भावरहित कहते है|

सकारात्मक-नकारात्मक

समस्या का सही इलाज

अगर हमें कोई मानसिक बीमारी होती है, तो क्या हमें उसके इलाज के लिए डॉक्टर के पास जा के दवाई लेना चाहिए ज्यादातर लोग ऐसा ही करते है और दवाई लेने के बाद वो ठीक भी हो जाते है लेकिन सवाल उठता है क्या यह सही इलाज है क्या यह स्थाई समस्या का अस्थाई इलाज नहीं है हमें क्या करना चाहिए – विचारों का प्रभाव को समझते हुए शब्दों का अर्थ को भी समझना होगा या समस्या के मूल मे जाना होगा तभी हम समस्या का सही इलाज निकल सकते है|

मानव सोच

मान लेते है आज से 20-30 साल पहले जो कड़वाहट के बीज हमने अपने अन्दर बोये थे आज उसका असर दिख रहा है यानि जीवन मे दुःख ही दुःख है तो क्या करें? क्या इसका कोई इलाज है? इसका समाधान क्या हो सकता है? क्या इस पेड़ को उखाड़ा जा सकता है? क्या इसको काटा जा सकता है? जवाब है – यह बिलकुल भी सम्भव नहीं है|

उसका फल हमें मिलना ही मिलना है तो अब क्या करे? यह है आम मानव सोच इसी प्रकार काम करता है इसका सिर्फ एक ही इलाज है वैसे पेड़(कड़वाहट के) और न लगने पाए और साथ ही साथ एक और पेड़(अच्छे विचारों का) लगाओ नीम के विपरीत आम का बीज लगाओ ताकि उसके प्रभाव को काम किया जा सके उसका भी असर तुरंत नहीं दिखेगा समय लगेगा लेकिन खाद-पानी देते रहने पर महीने दो महीने बाद असर दिखेगा| विचारों का प्रभाव पुराने बीजो से छुटकारा पाने का सिर्फ यही इलाज है|   

चेतन मन और अवचेतन मन

जब हम किसी का बुरा, अहित या नुकसान करते है तो इसके साथ मे प्रकृति के तरफ से बोनस के रूप मे हमें दुःख मिलता है यह साथ-साथ मिलेगा जिस प्रकार साईकिल के आगे का पहिया चलेगा तो पीछे का पहिया अपने आप ही चलने लगेगा यह सिक्के के दो पहेलु की तरह है अगर आप किसी का भला करते है तो वह अपने साथ सुख लायेगा ही हमें विचारों का प्रभाव अच्छे और बुरे दोनों ही रूप में दिखते है अपने कर्मो के फल के रूप में|

अगर मे आपसे पूंछू ताजमहल कितनी बार बना तो शायद आपका जवाब होगा “एक बार” लेकिन असल मे ताजमहल “दो बार” बना पहली बार ताजमहल शाहजहाँ के दिमाग मे बना और दूसरी बार हकीकत मे, बिलकुल इसी तरह कोई भी कार्य घटित होने से पहले वो हमारे दिमाग मे चित्रित होता है बाद मे वो हकीकत का रूप लेता है तो विचारों का प्रभाव का हमने एक बेहतरीन उदाहरण है|

चेतन मन और अवचेतन मन इसको समझना जरुरी है इस संसार मे जो कुछ भी इन्सान ने बनाया है वो मूल रूप से पहले हमारे दिमाग यानि हमारे (मन) मे बना था जैसे हवाई जहाज, रेल, बड़ी-बड़ी इमारतें, मंदिर-मस्जिद, टीवी, मोबाइल, राकेट आदि इस धरती पर जो भी अद्भुत चीज़ें बनी है या भयानक से भयानक चीज़ें जैसे परमाणु बम आदि वो सब इन्सान के दिमाग मे पहले बना उसके बाद उसको हकीकत का रूप दिया गया गया| यह सब हमारे विचारों का प्रभाव या विचारों का उपज है

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क्रिया प्रतिक्रिया क्या है?

दुनिया मे ऐसा कोई चीज नहीं है जिसमे क्रिया-प्रतिक्रिया न हो, कार्य के पीछे कारण जरुर होता है

विचार है तो उसका प्रभाव जरुर होगा विचारों का प्रभाव कह सकते है| अब कारण का कारण नहीं होता, यह तो कुतर्क है क्रिया-प्रतिक्रिया का उदाहरण क्या हो सकता है आग मे हाथ डालेंगे तो जलेगा, बर्फ को हाथ पर रखेंगे तो ठण्ड लगेगा यह तो रही प्रत्येक्ष बात जो हमें दिख रहा है लेकिन जो हमारे अन्दर क्रिया-प्रतिक्रिया होती है उसको समझना जरुरी है|

सकारात्मक की परिभाषा

अब विचारों का प्रभाव का एक और उदहारण देखें जब हम किसी से जलन रखते है तो हमारे अन्दर अपने आप ही जलन शुरू हो जाता है रसायनिक बदलाव शुरू हो जाता है तो हमें एक चीज समझ मे आना चाहिए जितनी बड़ी दुनिया हमारे बाहर है उतनी ही बड़ी दुनिया हमारे अन्दर भी है बल्कि अन्दर उससे बड़ी दुनिया है|

अब अगर आपको यह चीज समझ मे आ गई तो आप कारण पे नहीं करण के मूल पर काम करेंगे यह है जड़ पे काम करना, समस्याओं को जड़ से खत्म करना यानि अपने “विचारों” पे काम करना है यह जड़ पे काम करना हुआ मतलब बीज पे काम करना है आम का बीज बोयें या बबूल का बोयें हम किसको खाद पानी दे रहे हैं अगर आम और अनार के बीज बो रहे है तो मीठे-मीठे आम और अनार के फल लगेंगे और अगर बबूल बो रहे है तो आगे चल के कांटे ही मिलेंगे| यहाँ विचारों का प्रभाव बीज के रूप में काम करता है|

सकारात्मकता क्या है

सकारात्मकता मतलब – सही| गलत भी अपने जगह सही होता है लेकिन यहाँ सकारात्मक का मतलब पॉजिटिव से है कठिन परिस्थिति में भी अपने को मजबूती से खड़ा रखना|

जिस तरह का विचार बार-बार हमारे अन्दर आता है वो विचार हमारे शब्द बन जाता है और वह शब्द हमारा आदत बन जाता है और फिर आदत हमारे व्यवहार में दिखता है और फिर विचारों का प्रभाव देखिये वह शब्दों के रूप में बहार आते है|

सकारात्मकता सोच क्या है

सकारात्मक और नकारात्मक में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है सिर्फ और का अंतर है जिस तरह चिता और चिंतन में सिर्फ एक बिंदु का अंतर होता है|

शब्द तो शब्द होता है वह न पॉजिटिव होता है न नेगेटिव होता है वह तो शब्द होता है|

“विचारों का प्रभाव” हम उसके साथ कैसा बर्ताव करते है वैसा शब्द बन जाता है यानि अच्छे बर्ताव पर सकारात्मक (Positive) शब्द कहलाता है और बुरे बर्ताव पर नकारात्मक (Negative) कहलाता है हम क्या चुनते है यह मायने रखता है|

मन को कंट्रोल कैसे करें

विचारों का प्रभाव

  • सकारात्मक काम में मन लगायें
  • व्यर्थ में बह्स न करें
  • कुछ नया करें
  • अच्छे दोस्त बनायें
  • कुछ क्रिएटिव करें
  • नया सोचें
  • कुछ बड़ा करने का प्रयास करें
  • ध्यान पर ध्यान दे
  • ध्यान से कुछ बड़ा किया जा सकता है
  • अपने आसपास अच्छा वातावरण बनाये
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विचारों का प्रभाव

हमारी सोच कैसी होनी चाहिए

इन्सान के पास हमेशा यह विकल्प होता है की वो सही रास्ता चुने या गलत रास्ता चुने, अच्छाई का साथ दे या गलत का का साथ दे, न्याय का साथ दें या अन्याय का विकल्प हमारे हाथ मे है|

इन्टरनेट पर अच्छी से अच्छी चीज भरी पड़ी है और गन्दी से गन्दी चीज दोनों भरी पड़ी है विकल्प हमारे हाथ मे है कि हम क्या देखते हैं, हम क्या सुनते है, हम क्या बोलते है, हम क्या करते है, इन सब कुछ का असर हमारी सोच पर पड़ता है फिर हमारे जीवन पर पड़ता है अच्छा करेंगे तो अच्छा असर दिखेगा और बुरा करेंगे तो बुरा असर दिखेगा यहाँ असर का मतलब उर्जा से है सकारात्मक उर्जा – नकारात्मक उर्जा| विचारों का प्रभाव अगर जीवन में अच्छे विचार आते है तो सकारात्मत उर्जा और बुरा विचार आते है तो नकारात्मक उर्जा का प्रवाह होता है|

दोनों ही उर्जा के प्रभावों को हम देख सकते है हमारे “अन्दर” और उसका प्रतिबिम्ब हमारे बाहर व्यक्तित्व मे दिखता है हमारे शरीर के आस-पास के वातावरण मै दिखता है जैसे गुस्सा,घृणा, द्वेष, जलन, हिंसा, पाप, मिथ्या इत्यादि का असर दिखता है वहीं इसके विपरीत सकारात्मत गुण मै दया, करुणा, प्रेम, मित्रता, मिलनसार, सत्य, परोपकार, न्याय-सांगत आदि गुण हमारे कर्मो मे दिखता है|

प्रारब्ध किसे कहते है?

इन्सान कभी-कभी अच्छा कर्म करते हुआ अचानक से बुरे विचारो से ग्रसित हो जाता है ऐसा कैसे हो जाता है ? इसका सीधा सा जवाब है हमारे पूर्व मे संचित विचारों का बीज जो हमने जाने अनजाने मे बो रखा था वो अब बड़ा हो गया है और उसी का फल अब मिल रहा है | इसीलिए इन्सान यह समझ नहीं पाता की उसके साथ ऐसा कैसे हो रहा है मैं तो इतना सीधा-साधा हूँ लोगो का मदत करता हूँ उनके साथ सहानुभूति रखता हूँ यह अचानक से एकाएक इतना परिवर्तन कैसे और कहाँ से आ गया यह सब प्रारब्ध के संचित कर्मो का फल है जो विचारों का प्रभाव से आता है|  

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सोच और विचार में अंतर

इन्सान का दिमाक एक बगीचे की तरह होता है एक ऐसा बगीचा जिसमे हम अपने हिसाब से फूल के पौधे जैसे गुलाब, रजनीगंधा, गेंदा, चमेली जैसे सुगन्धित पौधे लगा सकते है जहाँ टहलकदमी करके आपका मन प्रसन हो जाये, आनन्दित हो जाये| आम, अनार के वृक्ष लगा सकते है उसमे खेती भी कर सकते है या अन्य किस्म के पौधे लगाकर उसको खुबसूरत और आकर्षक बना सकते हैं या फिर उसको खुल्ला छोड़ सकते है अपने आप उसमे जो उगे उगने दें|

अगर हम उस बगीचे को उसके हिसाब से उसके मन से उगने देंगें तो क्या उगेगा? पहले तो वो जमीन बंजर बन जाएगी, उसर बनेगी कंकड़-पत्थर जहाँ-तहाँ पड़े होंगें फिर कुछ दिनों या महीनों के बाद उसमे घास उग आयेंगे, झाड़ियाँ जम जाएँगी, कटीले पेड़ उग आयेंगे, घना जंगल लग जायेगा और उसमे जंगली जीव-जन्तु भी अपना घर बना लेंगे|

तो क्या आप ऐसे जगह जाना चाहेंगे जहाँ घोर वन लगा हो? या एक बहुत सुन्दर बगीचे मे? घोर वन मे आपको कुछ करने की जरुरत नहीं होगा लेकिन सुन्दर बगीचे मे आपको रोज मेहनत करना पड़ेगा पानी देना होगा, कड़े धुप से बचाव करना होगा, खाद देना होगा, भूमि उपजाऊ करना होगा, अंधी-तूफान से बचाव करना होगा आदि काम करना होगा और इसमें मेहनत लगता है इस तरह यहाँ भी आपने विचारों का प्रभाव एक उदहारण के माध्यम से समझा|

हमारी सोच सकारात्मक होनी चाहिए

अब बात समस्याओं की करते हैं उधाहरण के लिए एक बहुत ही गंभीर समस्या दो लोगों के जीवन पर एक जैसी घटित होती है जिसमे से एक टूट जाता है और दूसरा उससे लड़ता है और बाहर निकल जाता है और बहुत मजबूत होके सामने आता है इसमें पहला वाला भाग्य को दोष देता है, लोगों को दोष देता है, समाज को दोष देता है, अपने आप को छोड़कर बाकि सब लोगों को दोष देता है| ऐसा कैसे हो सकता है? एक सफल हो जाता है दूसरा असफल जाता है, एक नदी पार कर लेता है दूसरा डूब जाता है क्या करण है?

इसका उत्तर है हमारा बीज है जो हमने बोया था विचारों के रूप वह विचारों का प्रभाव के रूप में जाने अनजाने मे महीनो-सालो पहले बोया था जब उससे मिलता जुलता समस्या हमारे सामने आता है तो हमारा विचार उसी तरह हो जाता है अगर संघर्ष का बीज बोया हुआ है तो हम समस्या सामने आते ही उससे लड़ जायेंगे और डर का बीज है तो हम टूट जायेंगे यही हमारे साथ होता है यही जीवन का अनसुलझा रहस्य है इसको समझे विचारों का प्रभाव को समझे और सही निर्णय के साथ अपने जीवन को सार्थक बनाये|

Meditation-Brain-ध्यान-दिमाग

सोच की परिभाषा

हमारा दिमाग विचारों का भंडार है अनगिनत विचार आते-जाते रहते है जिसका कोई मतलब नहीं होता है यह विचार मकड़ जाल की तरह होता है कुछ मिलते है एक दुसरे से, कुछ नहीं मिलते, छडभर मे यह अपने पास होता है और अगले ही छण नदी-तालाब-पहाड़ों पे चला जाता है समुन्द्रो मे गोते लगता है इसलिए इसको नियंत्रित करना बहुत जरुरी है|      

हम ऐसा क्या करें की अच्छे से अच्छे समय और बुरे से बुरे समय मे भी स्थिर रहें, शांत रहे| जीवन का अंतिम लक्ष्य क्या है ? क्या सुख है ?  नहीं एक सुख प्राप्त करने के बाद हम दुसरे सुख के तरफ अग्रसर हो जाते है फिर तीसरे, चौथे और यह चक्रम चलता रहता है तो सुख अंत नहीं है फिर अंत क्या है ? अंत तो “शांति” है शांत बिलकुल शांत जहाँ न सुख हो न दुःख, न जीत हो न पराजय, न अच्छाई हो न बुराई, न न्याय हो न अन्याय उसके परे शांत बिलकुल शांत और बिलकुल शांत शांति ही शांति अन्दर बहार हर जगह|  

सोच का अर्थ

विचार का दायरा छोटा और संक्षिप्त होता है लेकिन सोच की कोई सीमा नहीं होती है “विचार एक रूप देता है, सोच उसका विस्तार करता है” चाहे वह सकारात्मक रूप में हों या नकारात्मक रूप में विचार सोच को एक दिशा देता है इसलिए हमें विचारों को बड़े ध्यान से चुनना चाहिए|

अगर आप सचमुच अच्छा महसूस करना चाहते है तो आपको रोज अपने दिमाग यानि बगीचे पर काम करना होगा आपको अच्छे विचारों का संग्रह करना होगा और उसमे रोज खाद-पानी देना होगा तभी वो विचार सही सलामत रह पाएंगे नहीं तो कोई बकरी आके उसको चर जाएगी अतः पहली बात अपने विचारों का चयन बहुत ही सावधानी से करो और उसको खाद-पानी देते रहो और दूसरी बात नकारात्मत विचारो का बीज अपने मन मे नहीं जमने पाए इसके लिए प्रयासरत रहे|

मनुष्य की सोच कैसी होनी चाहिए

हमें भविष्य के समस्याओं को ध्यान मे रखकर अभी से तयारी करनी चाहिए क्योंकि समस्या तो आना ही आना है तो हमें क्या करना चाहिए? अभी से हमें अच्छे बीज बोने होंगे ताकि बुरे वक्त मे वो विचार हमारी मदत कर सके और समस्याओं से लड़ सके अगर हमने ऐसा नहीं किया तो बुरे वक्त मे हम टूट जायेंगे न अन्दर से कोई आत्म प्रोत्साहन मिलेगा न बहार से|

बहार से अगर मिल भी जाये तो भी आत्मबल के बिना वो अधुरा ही रहेगा और पूरी शक्ति से काम नहीं करेगा इसलिए अपने आप को मजबूत करें, अच्छे विचारों का बीज बोये यही आगे जीवन मे काम आयेगा|

जीवन मे समस्या आ जाने के बाद हमारे पास सिर्फ दो विकल्प बचता है या तो हम समस्या को तोड़ेंगे या समस्या हमें तोड़ देगी इसलिए हमें तयारी करनी पड़ेगी उस अनदेखे जंग के लिए जो दो साल चार साल या दस साल बाद आने वाली है| आपको तयारी तो करनी ही पड़ेगी तभी हम लड़ सकेंगे प्रार्थना या दया से हमें कुछ हासिल नहीं होगा|

अच्छा सोच

इसको एक उदाहरण से समझते है अगर किसी को मोटापे की बीमारी है तो डॉक्टर के पास जाने से बेहतर यह हो सकता है की हम अपने खानपान को नियंत्रित करें क्योकि दावा का प्रतिकूल असर भी पड़ सकता है तो हमें क्या करना चाहिए हमें मसाला कम खाना होगा, सुबह-सुबह जोगिंग करना होगा, महीने मे एक-दो बार व्रत का पालन करें है, चार रोटी के जगह 2 रोटी खाएं, बार-बार न खाएं अपने जीभ पर लगाम लगाये आदि उपाय पर्याप्त है|

लेकिन फिर भी आपको अपने वैद्य से विचार-विमश जरुर करना चाहिए दूसरा उदाहरण लेते है

अगर मेरे साथ कुछ गलत हो रहा है तो अपने आप से रूक कर पूछे मेरे साथ यह क्या हो रहा है? एक जगह शांति से आंख बंध करके बैठ जाये और अपने आपसे पूछे यह समस्या कहाँ से आ रहा है? इसका जड़ कहाँ से है?

आपको जवाब जरुर मिलेगा समस्या के तह तक जाये अन्दर का जवाब दुनिया का सबसे शक्तिशाली और सबसे सटीक जवाब होता है इसलिए उसकी मदत लीजिये| आप अपने जीवन की हर समस्या का हल खुद निकाल सकते है किसी के पास जाने की जरुरत नहीं क्योकि हर समस्या का जड़ “विचार” है विचारों को सही दिशा मे लगाओ आपके समस्याओं का समाधान हो जायेगा|

स्वयं पर नियंत्रण कैसे करे

समस्या का समाधान कैसे करें – हम स्वयं अपनी समस्या के लिए अपने सुख और दुःख दोनों के लिए जिम्मेदार है तो हमें स्वयं उसे ठीक करने की जिम्मेदारी भी लेनी होगी | महर्षि दयानंद सरस्वती जी कहते है हमारे अन्दर हजारों सूर्य की शक्ति है हम एक सूर्य की रोशनी से अपने आपको बचाते है कपडे से अपने को ढक लेते हैं अगर आप सिर्फ अपने विचारों को नियंत्रित कर लेते हैं तो आप कुछ भी कर सकते है अपने अन्दर की शक्ति को पहचाने|

बन्दर न बने, बन्दर और मन मे कोई अंतर नहीं है बन्दर हर पल हिलता रहता है अस्थिर रहता है उसी तरह हमारा मन भी है यह हर छण भागता रहता है कभी स्थिर नहीं रहता तो इसे स्थिर करें, शांत करें और एकाग्र करें ताकि हम अपने काम को सही ढंग से नियंत्रित रूप से कर सकें|

हमें अपने शारीरिक क्रिया, मानसिक क्रिया और भावनात्मक क्रिया को नियंत्रित करना होगा ताकि चीजो को संतुलित कर सके| अगर दुनिया मे चीजें वैसी नहीं हो रही हैं जैसा आप चाहते हैं तो कम से कम आपके भीतर तो वैसा होना ही चाहिए जैसा आप चाहते हैं, स्वयं पर नियंत्रण रखे अपने जीवन को अपने हाथो मैं लीजिये|   

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निष्कर्ष

जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए जीवन का एक उद्देश्य होना चाहिए साथ ही साथ एक सही सोच जरूरी है सफलता के लिए|

हमें यह समझने की जरुरत है की हम खुश-दुखी और परेशान होने के क्या कारण है? इसके पीछे के वैज्ञानिक कारण क्या है? और उसमे क्या सुधार करने की जरुरत है? हमने यह भी देखा एक व्यक्ति किस स्तर तक सोच सकता है क्या वह अपने विचारों पर नियंत्रण कर सकता है? समस्या का सही ईलाज कैसे किया जाए इन सब बातों पर गहराई से जाना|

अगर कोई भी उपरोक्त बातों को अपने जीवन में उतरने का प्रयास करता है तो निश्चित रूप से समय जरुर लगेगा लेकिन सफलता अवश्य मिलेगा सफलता कोई (शॉट-कट) नहीं है यह तो निरंतरता पर आधारित है|

उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक तुम्हें लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाये – स्वामी विवेकानन्द          

हमें अपने विचारों का फल मिलता है अच्छे-बुरे किसी भी रूप मे – राधा रमण

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