लेह लद्दाख में पर्यटन स्थल

लेह लद्दाख में पर्यटन स्थल

लेह लद्दाख में पर्यटन स्थल

Tourist places in Leh Ladakh

लद्दाख भारत का एक महत्वपूर्ण केंद्र शाशित राज्य है लद्दाख समद्रतल से 3500 मीटर की ऊँचाई पर बसा है इतने ऊँचाई पर होने के कारण इसे पृथ्वी का छत भी कहा जाता है लद्दाख का अर्थ है “पर्वतों का देश”|

“लेह लद्दाख में पर्यटन स्थल” के बारे में विस्तार से समझते हैं| लद्दाख अपने अनेक धर्म-जाति, रीति-रिवाजों, संस्कृति, भेष-भूषा, भाषाओं और कलाओं के लिए प्रसिद्ध है| लद्दाख में बड़े-बड़े, ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों के बीच गुफाओं का अपना ही महत्त्व है यहाँ ऊँची-ऊँची गुफाओं में बौद्ध प्रतिमा सबसे मुख्य आकर्षण का केंद्र है जहाँ अद्भुत शांति प्रतीत होता है पहाड़ों पर निर्मित गुरुद्वारा-माजर-मंदिर सबका एक बेहतरीन भाईचारे का मिसाल देखने को मिलता है|

सन 1979 को लद्दाख को दो भागों में बाँट दिया गया था एक लेह का स्थान जहाँ बौद्ध बाहुल क्षेत्र था लामाओं की संख्या अधिक थी यह सभी भगवान बुद्ध के अनुयायी थे ‘लेह लद्दाख में पर्यटन स्थल’  बौद्धों के लिए खास प्रसिद्ध है और दूसरा क्षेत्र कारगिल कहलाया जहाँ मुसलमानों की संख्या अधिक थी|    

एक बात जो सबसे महत्वपूर्ण है वह यह की लेह लद्दाख जाने का सही समय क्या है? तो लद्दाख जाने के लिए सबसे उपयुक्त समय अप्रैल, मई, जून, जुलाई और अगस्त ही है क्योंकि इस समय मौसम का तापमान घुमने लायक उपयुक्त होता है लेकिन ठण्ड तब भी रहता है अपने गर्म कपड़े जरुर साथ रखें अन्य महीनों में पारा 0 से -20 डिग्री तक होता है यानि सबकुछ बर्फ ही बर्फ दिखता है|

Shanti Stoop2

लेह लद्दाख में घूमने लायक स्थान

लद्दाख शांति स्तूप

यह लेह से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और समुद्रतल से इसकी ऊँचाई 14000 फुट है इसे सन 1991 में जापान के फूजी गुरु ने करवाया था इसमें भगवान बुद्ध की प्रतिमा मौजूद है| यह लद्दाख के लेह के चन्सपा के एक पहाड़ी पर निर्मित है|

इतने ऊँचाई पर होने के कारण यहाँ से पुरे शहर को देखा जा सकता है|

लद्दाख शांति स्तूप लेह लद्दाख में पर्यटन स्थलएक महत्वपूर्ण स्थल है|

गोस्पा तेस्मो

यह मठ भी शहर के मध्य में स्थित है लेह महल के बिलकुल पास में बना यह भगवान बुद्ध को समर्पित है इस मठ में बुद्ध की प्रतिमा व् उनसे जुडी अन्य चीज मौजूद है|

शे बौद्ध मठ

यह मठ लेह से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इस मठ में भगवान बुद्ध की कांस्य, पीतल, पत्थर व् अन्य धातु की बनी मूर्ति मौजूद है|

Stock place museum

लेह मस्जिद

इस मस्जिद का निर्माण 17वीं शताब्दी में देलदन नामग्याल ने अपनी मुस्लिम माँ के यादगारी में बनवाया था इसके लिए ईरान और तुर्की से नक्काशी और कारीगर दोनों को लाया गया था यह मस्जिद कला का बेजोड़ नमूना है|

स्टॉक पैलेस म्यूजियम

यह संग्राहलय लेह से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इस संग्राहलय में लद्दाख के पुराने सिक्के, शाही मुकुट, शाही परिधान, थंका, राजाओं के भाला-तलवार, झंडा, पहनावा, मुखौटा, संगीत का सामान आदि अन्य चीज मौजूद है|

Hemis gompa Monastery in Ladakh

लेह लद्दाख में पर्यटन स्थल

शंकर गोंपा

यह मठ लेह से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इस मठ में भगवान बुद्ध की बहुत से मूर्तियाँ उपस्थित है साथ में अन्य मूर्तियाँ भी मौजूद है जैसे चोंकापा, चंडाजिक, ग्यालवा आदि|   

लद्दाख में हेमिस प्रसिद्ध है (हेमिस गोंपा)

यह मठ लेह से 40 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है यहाँ प्रतिवर्ष पदमसंभव के उपलक्ष्य में हर साल मुखौटा नित्य किया जाता है यहाँ मौजूद लद्दाख संग्रहालय में जिसमे लद्दाख का सम्पूर्ण रूपरेखा मिल जायेगा|

लद्दाख में पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण क्या है

ठिकसे मठ

ठिकसे मठ लेह से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह लेह का सबसे खुबसूरत मठों में से एक माना जाता है मठ में भगवान बुद्ध की भव्य और विशाल प्रतिमा विराजित है|

काली मंदिर

यह मंदिर लेह से 7 किलोमीटर की दूरी (हवाईअड्डे के पास) स्थित है काली मंदिर को ‘स्पीतुक’ मठ के नाम से भी जाना जाता है यहाँ माँ काली की मूर्ति के साथ ‘जिगजित’ देवता का भी मूर्ति स्थापित किया गया है| 

Gurudwara Pathar Sahab-1

लद्दाख में पर्यटन

लेह महल

लेह महल लेह का शान है यह शहर के मध्य में स्थित है इसको 16वीं शताब्दी में सिंगे नामग्याल ने करवाया था इस महल में भगवान बुद्ध के जीवन का चित्रण किया गया है|

गुरुद्वारा पत्थर सहाब

यह हिन्दू और पंजाबियों के लिए यह एक प्रवित्र स्थान है यह स्थान लेह से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यहाँ पर एक चट्टान(शिला) है जिसपर गुरु नानकदेवजी की आकृति उभरी हुई है|

लद्दाख पर्यटन

लद्दाख उत्सव

यह उत्सव हर साल एक से पंद्रह सितम्बर को मनाया जाता है|

यह एक बहुत विशाल उत्सव के रूप में मनाया जाता है जिसमे अगल-अलग गांवों से लोग आते हैं और अपने कला-नृत्य का प्रदर्शन करते हैं|

इस उत्सव के जरिये लोग लद्दाख के संस्कृति रंग-रूप भेष-भूषा से परिचित होते है|

राज्य सरकार द्वारा इस उत्सव को पर्यटक को आकर्षित करने के लिए बड़े धूम धाम से मानती है| 

लोसर

लोसर एक उत्सव है जिसको लद्दाख के लोग खासकर (बौद्ध) धर्म माननेवाले नव वर्ष के आगमन पर बड़े धूमधाम से मनाते है|

यहाँ घर-घर में छांग यानि देश शराब को कहते हैं इसका सेवन किया जाता है लोग एक दुसरे को छांग भेंट देकर नववर्ष का आगमन मनाते हैं|

उनके शब्दों में ‘लोसर ला टाशिश दिलेक’ बोलकर नया साल मुबारक हो बोलते है|

इस त्यौहार में लोग रंगबिरंगे कपड़े पहनकें लोगों से गले मिलते हैं और हर्षौल्लास से त्यौहार मनाते है|   

कारगिल

यह लद्दाख का सबसे बड़ा मुस्लिम आबादी वाला क्षेत्र है यह लेह श्रीनगर राज्यमार्ग पर बसा है यहाँ बहुत से ऐसे स्थान और घाटी मौजूद है जो देखने योग्य है जैसे बुर्दान, फुगताल, द्रास, सुरु घाटी, रंगदुम, जंस्कर आदि देखने योग्य स्थान है|

कारगिल का महत्त्व 1999 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में चर्चा में आया  इस युद्ध में भारत ने कारगिल की सबसे ऊँची चोटी पर भारत का झंडा फेहरा कर कारगिल फतह किया था यहाँ पर्यटकों के लिए होटल और ठहरने के लिए उत्तम व्यवस्था है|

To get more information of लेह लद्दाख में पर्यटन स्थलCLICK HERE

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

0