महाशिवरात्रि का महत्व

Importance of mahashivratri

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संक्षिप्त परिचय

“महाशिवरात्रि का महत्व” महा शिवरात्रि का मतलब है आपके जीवन में शिव ही शिव हो यानि आपका जीवन शिवमय हो|

इस लेख में सबसे पहले आप यह जानेंगे महाशिवरात्रि कब है? महाशिवरात्रि क्यों मनाया जाता है? और महाशिवरात्रि की कथा क्या है? इसके अलावा मुख्य रूप से यह जानेंगे  शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर है?

शिव द्वारा इतनी लीलायें रचने के पीछे कई कारण है उसमें भी जो सबसे महत्वपूर्ण कारण है वह यह की मनुष्यों को जीवन जीने का सही मार्ग दिखाना ताकि लोग धर्म के मार्ग पर चल करे, न की अधर्म और अत्याचार के मार्ग पर| दूसरा कारण है लोग इस जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त कर सकें हमारे जीवन का परम लक्ष्य है ‘मुक्ति’ मनुष्य बार-बार इस शरीर रूपी घर में प्रवेश करता है भोग भोगता है मर जाता है फिर जन्म लेता है फिर वही क्रम चालू हो जाता है मरने जीने का|

शिवरात्रि का एक वैज्ञानिक आधार है जिसपर आगे विस्तार से बताया गया है| यह एक रात आपके जीवन में आनंद और उल्लास भर देगा अगर आप इस दिन का सही से उपयोग करते है|

जैसा की आप जानते हैं दुनिया में सबसे पुराना धर्म सनातन धर्म है और शिव आदि योगी है उन्हीं से यह सनातन धर्म चला आ रहा है आगे चलके लोग अपने स्वार्थ के कारण अलग-अलग मजहब और पंत का निर्माण कर अपना उल्लू सिद्ध करते चले आयें है इसको आगे “महाशिवरात्रि का महत्व” और विस्तार से जानेंगे|  

इस पवन अवसर पर महाशिवरात्रि के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दिया गया है|

भोले शंकर की पूजा करो, ध्यान चरणों में इनके धरो बोलो “ॐ नमः शिवायः”

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विस्तार से समझें

भारत में चार (4) महारात्रियाँ मनाई जाती है – जन्माष्टमी, होली, दीवाली और महा शिवरात्रि|

शिवरात्रि को ‘अहोरात्रि’ भी कहा जाता है|

इस दिन को सबसे पवित्र दिन माना जाता है अध्यात्म के दृष्टिकोण से क्योंकि इस दिन ग्रह-नक्षत्रों का ऐसा मेल होता है की हमारा मन नीचे से ऊपर जाता है अर्थात् हमारा मन नीचे के केन्द्रों से ऊपर की तरफ जाता है हमारे अन्दर मौजूद कुंडलिनी शक्ति नीचे से ऊपर उठती है अगर हम थोड़ा सा संवेदनशील हो जाए और इस दिन ध्यान करें तो अद्भुत लाभ मिलता है जिसकी कल्पना करना भी असंभव है|

अगर कोई पूरी तरह जागृत रहते हुए इस दिन साधना करता है तो उसे अभीष्ट की सिद्धि होती है उसके सारे मनोकामना पूर्ण होते हैं|

देखना, सुनना, चखना, सूंघना और स्पर्श करना इस विकारी जीवन में तो जीव-जंतु सभी चालांक और होशियार है लेकिन जानवर जितना काम-विकार में लिप्त रहता है उतना मनुष्य नहीं हो सकता एक बकरी-कुत्ता आदि जानवर एक दिन में चालीस बकरिओं का मुहँ काला कर सकता है लेकिन मनुष्य ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि मनुष्य के अन्दर बुद्धिमता (समझ) है जो जानवरों में नहीं है| विकार भोगना जानवरों का काम है|

महाशिवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व क्या है? और महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? तो इसका सीधा सा उत्तर है- अपने जीवन को ऊपर उठाना| हमारा यह शरीर विकारी शरीर है इस विकारी शरीरी की परम्परा में आते हुए भी निर्विकार नारायण का आनंद-माधुर्य पाकर अपने शिव स्वरुप को जगाने के लिए शिवरात्रि में जागरण किया जाता है|

जिस प्रकार दीवाली की रात (अघोरी) रातभर जागकर अपने मंत्रों को जगाते हैं उसको सिद्ध करते है उसी प्रकार शिवरात्रि की रात का महत्व है इस दिन शक्ति नीचे से ऊपर उठती है इसलिए इस दिन को सोकर व्यर्थ नहीं करना चाहिए बल्कि इसका भरपूर लाभ लेना चाहिए ताकि आपके जीवन में बेहतरी आयें आपको करना कुछ नहीं है बस शांति से पालथी मरकर पीठ सीधी रखकर ध्यान में बैठे और “ॐ नमः शिवायः” जपते रहें बस यही काम है और कुछ नहीं|

“शिवरात्रि का महत्व” के बारे में शिव शिवजी कहते हैं की ‘मैं बड़े-बड़े तपों से, बड़े-बड़े यज्ञों से, बड़े-बड़े दानों से तीन खुश नहीं होता जितना शिवरात्रि के दिन किये गए जप-तप-दान से होता हूँ’|

व्रत का अपना महत्व होता है व्रत (उपवास) करने से आप भूखे नहीं मरते बल्कि आपके शरीर में मौजूद रोग स्वाहा हो जायेंगे आलस्य, निद्रा आदि कलेश शरीर से ख़त्म होता है और मन शांत, स्थिर और दृढ़ होता है| यह है महाशिवरात्रि का महत्व|

बस एक फूल, एक बेलपत्र और एक लोटा जल की धार इतने में ही भोले कर देते हम सबका बेड़ा पार – महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं

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शिवरात्रि करने के फायदे:

  • शिवरात्रि करने का सबसे पहला लाभ तो यह होता है की मन शांत हो जाता है|
  • मन में स्थिरता आती है|
  • आपके रोगों से निजात मिलने लग जाता है|
  • रिश्तों में सुधार होने लगता है|
  • हमारी भावनाओं में परिवर्तन आने लगता है|

महाशिवरात्रि व्रत नियम के अंतर्गत सबसे पहले उपवास के द्वारन क्या खाना चाहिए|

  • फल का सेवन कर सकते है|
  • कुछ लोग निराजल (बिना पानी पिए) भी रहते है|
  • फल में अंगूर, सेब, केला, संतरा आदि का इस्तेमाल किया जाता है|
  • नारियल का पानी और उसका गरी को खाया जाता है|
  • मेवा जैसे- बादाम, काजू, लावा, किसमिस, सुखा-गीला नारियल आदि चीजों का प्रयोग करें|
  • मिठाई में बर्फी, संदेश सिर्फ और सिर्फ दूध से निर्माण किया हुआ मिठाई का इस्तेमाल कर सकते है|

शरीर में जो जन्म से लेकर विजातीय द्रव्य हैं, पाप-संस्कार, वासनाएं हैं उन्हें मिटाने में शिवरात्रि की रात बहुत काम आती है|

महा शिवरात्रि का जागरण कैसे किया जाता है? (महाशिवरात्रि पर्व)

शिवरात्रि का जागरण करो इसके लिए ‘बं’ बीजमंत्र का सवा लाख जप करना चाहिए इससे गठिया की तकलीफ से निश्चित रूप से निज़ात मिलता है| इस बीजमंत्र का उच्चारण वायु मुद्रा में बैठकर “बं बं बं बं …” जप करना चाहिये| बुढ़ापे में तो वायु से सम्बंधित रोग अधिक होते है, जोड़ो का दर्द इसलिए इस मंत्र के जप से ठीक होते है और या यह अत्यंत लाभकारी है| ध्यान के समय आसन का प्रयोग अवश्य करें| शांत मन से “ॐ नमः शिवायः” का जप करते रहना चाहिए अगर आप मंदिर में ना जा सके तो कोई बात नहीं अपने मन के मंदिर में इस मंत्र का जप कर सकते है|

अगर आप शिव की पूजा-अर्चना करते है और आपके अन्दर में परम शिव को पाने का संकल्प हो जाता है तो इससे बढ़कर कोई उपहार नहीं|

भगवान शिव से आप प्रार्थना करें “इस संसार के क्लेशों” से बचने के लिए, जन्म-मृत्यु के शुलों से बचने के लिए हे भगवान शिव! हे भगवान शंकर! मैं आपकी शरण में हूँ मैं नित्य आनेवाली संसार की यातनाओं से हारा हुआ हूँ इसलिए आपके मंत्र का आश्रय ले रहा हूँ|

भगवान शिव से प्रार्थना कैसे करे (प्रभु से प्रार्थना):

हे प्रभु! आप मुझे इस संसार रूपी सुख-दुख, लाभ-हानि में सम रहने की शक्ति दें और सामने आनेवाले चुनौतियों का सामना धर्म के मुताबित कर सकूँ और अपने पापों को पुण्य में बदल सकूँ| ऐसी कामना करता हूँ|

शिव क्या है?- शिव सत्य है, शिव अनंत है, शिव अनादि है, शिव ओंकार है, शिव ब्रह्मा है, शिव विष्णु है, शिव भगवंत है, शिव शक्ति है, शिव भक्ति है अंत में आपमें हममें सबमें शिव ही शिव है|

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शिव धर्म क्या है?

शिवधर्म (शिवधर्म संहिता) पांच प्रकार का कहा गया है

  • तप – सात्विक आहार करना, उपवास करना, ब्रह्मचर्य का पालन करना|
  • भगवान की प्रसन्नता के लिए सत्कर्म, पूजा-अर्चना आदि करना|
  • शिव का जाप करना “ॐ नमः शिवायः”|
  • शिवालय, मंदिर, एकान्त स्थान, घर पर शिव स्वरुप का ध्यान करना|
  • शिव स्वरुप का ज्ञान, शिवपुराण, वेद आदि ग्रंथों को पढ़ना|

शिवधर्म गाथा ग्रंथ के अनुसार एक बात जान लेना चाहिए की यह पूरा जगत शिव है जीव-निर्जीव, जिन्दा-मुर्दा, पेड़-नदी-दरिया, देव-दानव-जानवर श्रृष्टि के कण-कण में शिव है कण के अणु-परमाणु में शिव है|

देवों के देव महादेव के महाशिवरात्रि का महत्व की शक्ति देखिये मुर्दे में भी शिवतत्व है, दुख में भी सुख को ढूढ़ लेनेवाला ज्ञान है, मरुस्थल को बसंत में बदलने वाला शिव है मकसद यह है की आपके जीवन में शिव ही शिव हो| शिव का मतलब ही कल्याण है|

शिव की भक्ति से ज्ञान मिलता है सबके दिलों को सुकून मिलता है जो भी लेता है दिल से भोले का नाम उसको भोले का आशीर्वाद के रूप में ज्ञान-विज्ञान जरूर मिलता है|

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शिवरात्रि भजन

शिवरात्रि वह अद्भुत समय होता है जिसको हमें सावधानीपूर्वक इस समय का सदुपयोग करना चाहिए इस समय शिव भजन गाने गाना चाहिए| हर्षोल्लास का यह समय सबके साथ मिल-जुलकर शिव की भक्ति में शिव की महिमा में पूर्ण रूप से सराबोर होने का है| एक बात जो सबसे महत्वपूर्ण है वह यह की इस दिन किसी को भी सोना नहीं चाहिए हर भक्तगण चाहे वह बच्चा हो, बुढा हो, जवान हो, चाहे जो भी हो उसको इस महत्वपूर्ण समय का सदुपयोग करना चाहिए और अपने जीवन को धन्य बनाना चाहिए|

जब हम ध्वनि का उच्चारण करते हैं और लगातार करते रहते हैं तो ऐसा क्यों होता है कि कुछ विशेष ध्वनियाँ हमारे मन पर एक खास तरह का असर डालती हैं? इसका कारण है जब कोई भी शब्द बार-बार बोलते हैं एक लय में, तो वह ध्वनि बन जाती है ध्वनि का मतलब एक लय में बोले जाने वाला शब्द| ध्वनि में कंपन होता है कंपन जो हमारे पूरे मन मस्तिष्क पर गहरा असर डालता है|

तो प्रश्न आता है महाशिवरात्रि के भजन का प्रभाव कैसा होता है? यह बिलकुल हमें अन्दर से झकझोर के रख देता है आप मंत्रमुग्ध हो जाते हैं उस असीम सत्ता से आप अपने आपको जोड़ पाते है| यह हमारे आध्यात्मिक उन्नति के लिए सहायक होता है| बशर्ते आप उमसे लीन हो जायें|

मंत्र की महिमा

मंत्रों का सम्बन्ध हमारे शब्दों से है शब्द मतलब ध्वनि से है ध्वनि का मतलब कंपन से है कंपन एक गूंज है एक विशेष प्रकार का गूंज|

ध्वनि हमारे वातावरण में, आकाश में, अंतरिक्ष में हर जगह विद्यमान है ध्वनि ऊर्जा है इसको नष्ट नहीं किया जा सकता है यह हमेशा विद्यमान रहता है|
जब भी हम मंत्र जाप करते हैं मंत्र जाप मतलब क्रमबद्ध शब्दों को बार-बार उच्चारित करना जप कहलाता है|

अब जाने मंत्र का अर्थ क्या है? मंत्र एक संस्कृत शब्द है जो शब्दों को व्यवस्थित क्रम है| इसके उच्चारण से मन मस्तिष्क और शरीर को संतुलित किया जा सकता है|

मंत्रों के सही उपयोग से हम कुंडलिनी को जागृत कर सकते है मूलाधार चक्र से आज्ञा चक्र फिर सहस्त्रार चक्र तक पहुंचा जा सकता है लेकिन यह इतना आसान नहीं है| इस तरह मंत्र सिद्धि के उपाय को जानकर समझकर सावधानीपूर्वक उसका अनुसरण करके कोई भी मानव महामानव बन सकता है| यहाँ पर हम मंत्र पाठ की व्याख्या नहीं कर रहें है क्योंकि हर मंत्र का अलग-अलग अर्थ होता है बहुत से ऐसे मंत्र भी होते हैं जिनका कोई अर्थ नहीं होता बस ध्वनि होता है हमें उस ध्वनि के तालमेल के साथ होना होता है|

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महाशिवरात्रि विशेष भजन क्यों कहलाता है?

महाशिवरात्रि में मंत्रों का अपना विशेष महत्व है इसके निम्न कारण है:

  • मंत्र में बिजली के सामान ऊर्जा होती है|
  • यह हमें अन्दर से पूरी तरह झकझोर देती है|
  • यह हमारे चेतना पर गहरा प्रभाव डालती है|
  • मंत्र की शक्ति से हम ऊपर उठते जाते हैं|
  • आकाश तत्व हमारे शरीर के अन्दर भी है और बाहर भी है मंत्र दोनों जगह प्रभाव डालता है|
  • मंत्र की शक्ति से निर्जीव को सर्जीव किया जा सकता है|
  • मंत्रो की ध्वनि हमारे शरीर के रोम-रोम में अवशोषित हो जाता है|
  • मंत्रों के उच्चारण से मन में स्थिरता आती है|

शिव के “महाशिवरात्रि का महत्व को छोटे-छोटे दो शब्दों में भी समझ सकते है| कुछ ऐसे मंत्र है जिनको चलते-चलते गुनगुना सकते हैं जैसे ॐ नमः शिवायः, शिव शम्भो शम्भो, चिदानंद स्वरूपा शिवोहम-शिवोहम, हर हर महादेव आदि|

इन मंत्रों को ध्यानपूर्वक सही उच्चारण के साथ बोलना चाहिए शिव लिंगाष्टकम, रुद्रम मंत्रोच्चार, श्री रूद्राष्टकम स्तोत्रम, शिव षडाक्षरा स्तोत्रम, रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र आदि का पाठ विधि पूर्वक करना चाहिए|

इस दुनिया में कोई किस्मतवाला नहीं अपने कर्म से दुनिया को जितना होता है लेकिन  जिसने भोले का नाम लिया वह किस्मतवाला स्वतः हो जाता है|

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?

हिन्दू पञ्चांग ठाकुर प्रसाद के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है| हर साल तारीख जरूर बदल जाता है लेकिन यह पञ्चांग के अनुसार हर वर्ष इसको मानाने का विधान है| क्योंकि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था|

अब दो प्रश्न आते हैं पहला शिवरात्रि मेला कब है? और दूसरा शिवरात्रि का त्यौहार कब मनाया जाता है? दोनों ही प्रश्न एक दूसरे के पूरक है दोनों एक ही दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है|

महाशिवरात्रि किस तिथि को मनाई जाती है? तो इसके लिए हमें पञ्चांग पर निर्भर रहना पड़ता है की महा शिवरात्रि कब है|

महा शिवरात्रि स्टेटस

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Mahashivratri Wishes and Mahashivratri Messages

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निष्कर्ष

उपरोक्त लेख में हमने देखा महाशिवरात्रि की कथा क्या है?, शिवरात्रि व्रत कथा क्या है? और  महाशिवरात्रि की व्रत कथा विधि क्या है? इसके अलावा महाशिवरात्रि की कथा सुनाइए (पढ़ने के लिए महाशिवरात्रि की कथा हिंदी में click शिव गुरु कथा और लीला करें) साथ ही साथ आप महाशिवरात्रि की कथा कहानी को भी पढ़ सकते है ऐसी दुर्लभ कहानियाँ जो केवल पुराणों में वर्णित है जिसको संक्षिप्त रूप से पाठकों की सुविधा के लिए दिया गया है|

महाशिवरात्रि के तरीके बहुत से हैं इनका उपरोक्त लेख में विस्तार से चर्चा किया गया है हर पूजा का एक नियम होता है इसी प्रकार शिवरात्रि एक विशेष पर्व है हिन्दुओं का, इस पर्व को दुनिया में मौजूद हिन्दुस्तानियों द्वारा मनाया जाता है|  

इस पावन पर्व में जप, व्रत, उपवास, भजन, कीर्तन, जागरण यानि रातभर जागने का नियम है क्योंकि इस दिन ऊर्जा नीचे से ऊपर उठती है और अगर कोई इस एक दिन को श्रद्धा और विश्वास के साथ बिताये तो निश्चित रूप से यह दिन उसके लिए वरदान से काम नहीं होगा|

एक प्रश्न आता है की शिवरात्रि मेला कब है? या शिव रात्रि कब है? शिवरात्रि के एक दिन पहले से मंदिरों के पास बड़ी संख्या में दुकानों का आना प्रारंभ हो जाता है लोग पूजा-अर्चना करके मेला का लुफ्त उठाते है| लेकिन शिवरात्रि तो रातभर चलता है उसके बाद मेला लगता है यानि रात बारह बजे नया दिन प्रारम्भ हो जाता है शिवरात्रि प्रारम्भ हो जाता है लोग रातभर जागरण करते हैं सुबह लोग स्नान करते है फिर पूजा-अर्चना के बाद मेला देखते है| इस तरह महाशिवरात्रि का महत्व” आध्यात्मिकता के साथ-साथ सामाजिक लिहाज से भी बहुत महत्वपूर्ण है|

शिवरात्रि के अद्भुत फायदे है ध्यान करने से चित्त शांत होता है, रोग से मुक्ति मिलती है, मन संतुलित होता है घर के क्लेश दूर होते हैं| 

और अंत में आप सभी के जीवन में मंगल ही मंगल हो और ढेर सारी महा शिवरात्रि की शुभकामनाएं…

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