मथुरा गोकुल वृंदावन
Mathura Gokul Vrindavan
संक्षिप्त परिचय
यह एक ऐसा स्थान है जहाँ श्रीकृष्ण का जन्म हुआ इसके अलावा भगवान के बचपन की लीलाओं के वजह से भी यह स्थान प्रसिद्ध है यहाँ पर श्रीकृष्ण द्वारा हजारों मंदिरों का निर्माण कराया गया था उस काल में मथुरा पर बड़े-बड़े दानवों और राक्षसों का शासन था जिसपर विस्तार से बताया गया है मथुरा गोकुल वृन्दावन का इतिहास के बारे में बताया गया है|
हमारा विश्वास है जैसे-जैसे आप आगे पढ़ते जायेंगे आपको श्रीकृष्ण के मथुरा का सम्पूर्ण जानकारी मिलते जायेगा उनके लीलाओं से परिचित होते जायेंगे और वर्तमान में मथुरा में क्या-क्या परिवर्तन हुआ है इसको भी जान पाएंगे|
मथुरा में आने के लिए यातायात के साधन के बारे में विधिवत् रूप से बताया गया है ताकि पाठकों को मथुरा आने में कोई असुविधा न हो|
विस्तार से समझें
मथुरा गोकुल वृंदावन भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है और यहाँ से मात्र 10 किलोमीटर दूर स्थित वृन्द्रावन को मंदिरों की नगरी भी कहा जा सकता है बनारस के तर्ज पर यहाँ भी गली-गली में मंदिर बने हुए हैं|
उत्तर प्रदेश पुरे संसार का एक ऐसा राज्य है जहाँ मथुरा श्रीकृष्णा की जन्मस्थली, अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मस्थली और काशी भगवान भोलेनाथ का प्रवित्र जन्मस्थली है|
इन तीनो स्थलों को मुगलों द्वारा बर्बाद किया गया और अब इन सबकी धरोहरों को संजोने और संरक्षण की आवश्यक है मथुरा गोकुल वृंदावन स्थान भारतीय संस्कृति और सभ्यता दर्शन, धर्म कला, साहित्य के निर्माण और विकास में मधुरा का अपना ही अलग योगदान है|
मथुरा का प्रसिद्ध मंदिर
वैसे तो मथुरा गोकुल वृंदावन मंदिरों का गढ़ माना जाता है हर जगह मंदिर और घुमने का स्थान मिल जायेगा | मथुरा के चारों दिशाओं में चार भोलेनाथ (शिव) का मंदिर मिल जायेगा पूर्व-पिपलेश्वर, दक्षिण-रंगेश्वर, उत्तर-गोकर्णेश्वर, पश्चिम-भूतेश्वर शिव भगवान का मंदिर है चारों दिशाओं में शिव मंदिर होने का अर्थ है भगवान शिव मथुरा के कोतवाल के रूप में विराजमान है मथुरा के प्रसिद्ध मंदिर है – बांकेबिहारी, श्री गरुण गोविन्द मंदिर, श्री कृष्ण बलराम मंदिर, बिडला मंदिर, गोपी नाथ मंदिर, राधावल्लभ मंदिर, राधा रमण मंदिर, मदन मोहन मंदिर, गोविन्दजी मंदिर, जयपुर मंदिर आदि बहुत से मंदिर है|
शत्रुघ्न के बाद मथुरा का राजा कौन बना
पौराणिक कथाओं के अनुसार मथुरा गोकुल वृंदावन मधुदानव और लवणासुर राक्षस का बसाया हुआ नगर था जिसे भगवान श्रीराम के भाई शत्रुघ्न ने युद्ध में राम बाण से संहार किया था शत्रुघ्न के बाद सत्वंत के पुत्र भीम सत्वंत यादव ने मथुरा नगर पर अपना अधिकार प्राप्त किया और राज्य किया| सत्वंत के पास दो पुत्र थे एक अंधक और दूसरा वृष्णि आगे चलके अंधक को मथुरा का शासक बनाया गया और वृष्णि को द्वारका का शासक बनाया गाया| इससे यह पता चलता है की वो समय रामायण काल का ही था और मथुरा गोकुल वृंदावन अपने आप में एक महत्वपूर्ण स्थान था|
भाई दूज क्यों मनाया जाता है
मथुरा गोकुल वृंदावन का सबसे विशाल मंदिर वर्तमान में द्वारकाधीश मंदिर(मथुरा में) है इसमे वल्लभ-संप्रदाय के लोग पूजा अर्चना करते है| एक और पुराणिक कथा के अनुसार एक दिन यम अपनी बहन यमुना के पास भैयादूज मनाने गये थे और उनके स्वादिष्ट भोजन से संतुष्ट होकर उन्होंने यह वचन दिया था की वर्ष के उस दिन जो भी इन्सान यमुना में स्नान करेगा वो यमपुरी जाने से बच जायेगा|
यहाँ ऐसे बहुत से मनोहर और दर्शनीय घाट है जैसे विश्रामघाट, पोतरा कुण्ड, ध्रुवघाट, मधुवन का स्थान जहाँ बंगाल के महायोगी चैतन्य महाप्रभु आये, महाकवि सूरदास, स्वामी दयानंद स्वरस्वती (आर्य समाज के संस्थापक) उनके गुरु स्वामी विर्जनान्दजी महाराज जो की व्याकरण के प्रकांड सूर्य कहे जाते थे सबने इस पवित्र स्थान “मथुरा गोकुल वृंदावन” का महत्त और गौरव बढाया है|
मथुरा का इतिहास
मथुरा एक प्राचीन नगरी है यह भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली है यह एक ऐतिहासिक नगरी है जो कनिष्क वंश द्वारा स्थापित किया गया था यह नगरी धर्म, साहित्य-दर्शन का केंद्र है महर्षि दयानंद स्वरस्ती उनके गुरु महर्षि विरजानंद, विवेकानंद, सूरदास, चैतन्य प्रभु आदि का प्रमुख केंद्र रहा है| मथुरा का पुराना नाम क्या है? पौराणिक साहित्य के अनुसार इसे कई नामों से जाना जाता है जैसे शूरसेन नगरी क्योकि पुराणों के अनुसार शूरसेन देश की यह राजधानी थी|
इसे और भी कई नामों से जाना जाता है मधुरा, मधुपुरी, मधुनगरी आदि यह नगर यमुना नदी पर बसा होने के कारण मथुरा गोकुल वृंदावन और भी खुबसूरत हो जाता है यहाँ से आगरा 60 किलोमीटर और दिल्ली मात्र 150 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है|
मथुरा के राजाओं का इतिहास
मथुरा पर आदि काल से ही राजाओं का शासन रहा है राम के समय काल में मधुदानव और लवणासुर राक्षस का बसाया हुआ नगर जिसे भगवान श्रीराम के भाई शत्रुघ्न ने युद्ध में राम बाण से संहार किया था शत्रुघ्न के बाद सत्वंत के पुत्र भीम सत्वंत यादव ने मथुरा नगर पर अपना शासन किया उनके बाद उनके दोनों पुत्र अंधक और वृष्णि आगे चलके अंधक को मथुरा का राजा बनाया गया और वृष्णि को द्वारका का राजा बनाया गाया|
मुगलों का भारत पर आक्रमण के बाद औरंगजेब के काल में उन्होंने सबसे पहले लोगों का धर्म परिवर्तन करने का काम किया और मंदिर तोड़े भगवान के प्रपौत्र वज्रनाभ द्वारा केशव देव जी का मंदिर बना था उसको भी उसने तोडवा कर मस्जिद बनवा दिया बाद में मस्जिद के पीछे फिर से केशव देव जी का मंदिर बनवाया गया पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई के द्वरान मंदिर के अवशेष प्राप्त हुए|
गोकुल का इतिहास
मथुरा गोकुल वृंदावन में से एक गोकुल में भगवान श्री कृष्ण का बचपन बिता था इसलिए गोकुल नगरी का अपना ही अलग महत्व है गोकुल मंदिरों का नगरी है भगवान श्री कृष्ण को विष्णु के अवतार मन गया है गोकुल में ही गोपियों संग क्रीड़ा यही पर किये थे इसलिए इसका अपना विशेष स्थान है|
मथुरा उत्तर प्रदेश
मथुरा से वृन्दावन की दुरी
मथुरा से वृंदावन नगर की दुरी 15किलोमीटर है यह वह स्थान है जहाँ भगवान श्री कृष्ण अपना बचपन बिताया था इसे बाल लीला का स्थान माना गया है जहाँ भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी व् उनके गोपियों संग लीला किये थे यहाँ पर राधा रमण का विशाल मंदिर है इसे को भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माना गया है और सैकड़ो के संख्या में मंदिर उपलब्ध है|
मथुरा से गोकुल की दुरी
मथुरा से गोकुल दुरी मात्र 10 किलोमीटर है और यहाँ से सीधे सवारी भी उपलब्ध है इसको वाया आगरा मार्ग होकर जाना होता है इन दोनो स्थानों के बीच सिर्फ यमुना अक अंतर है इस पर मथुरा उस पर गोकुल है|
मथुरा से बरसाना की दुरी
मथुरा से बरसाना की दुरी 50 किलोमीटर है जिसको 1 घंटे 10-20 मिनट में तैय किया जा सकता है इसको नेशनल हाईवे 19/44 के रास्ते से जाया जा सकता है| बरसाना का प्राचीन नाम वृषभानुपुर है ऐसी मान्यता है की राधा का जन्म बरसाना में हुआ था और वह की बरसाना की रहने वाली थी|
मथुरा से गोवर्धन की दुरी
मथुरा से गोवर्धन की दुरी 46 किलोमीटर है जिसको सोंख मार्ग और राधा कुंद मार्ग से जाया जा सकता है इस स्थान को बृजभूमि भी कहा जाता है यह भगवान श्री कृष्ण की लीलास्थली है यहाँ पर एक पर्वत है जिसे गोवर्धन पर्वत कहते है द्वापर युग में एक दिन इन्द्र का प्रकोप देखने को मिला इस प्रकोप से गाँववालो को बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी कानी (कनिष्ठ) उँगली पर गोवेर्धन पर्वत ही उठा लिए था जिसके नीचे आके लोग अपने आप को सुरक्षित किए इस पर्वत को गिरिराज भी कहते है|
मथुरा से नंदगांव की दुरी
मथुरा से नंदगाँव की दुरी 55 किलोमीटर है जिसे नेशनल हाईवे 19/44 के रास्ते से जाया जा सकता है नंदगाँव शहर बड़ा ही प्रसिद्ध शहर है यह स्थान एक पहाड़ी पर बसा है मान्यता के अनुसार श्री कृष्ण के पिता नंदराय द्वारा बसाया गया गाँव था इस स्थान पर बहुत से मंदिर है यहाँ पर गिरधारी, माता यशोदा व अन्य मंदिर मौजूद है साथ ही झील, सरोवर सब मौजूद है|
मथुरा गोकुल के भजन एवम् वृंदावन के भजन
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जल्द ही गाने upload किए जाएँगे तब तक के लिए खेद है।
1- कृष्णा-दम-मरो-दम-हरे-कृष्णा-हरे-राम (DJ)
2- हरे कृष्णा (DJ)
3- हरे कृष्णा हरे राम धूम (DJ)
4- होली खेले रघुवीरा अवध में (DJ)
5- कृष्णा जन्माष्टमी (DJ)
6- राधा बंसी बजाके (DJ)
7- श्री कृष्णा गोविन्द धुन
8- श्री राधे गोविंदा
9- आरती कुञ्ज बिहारी की
10- हरे कृष्णा
11- श्री कृष्णा गोविन्द
निष्कर्ष
प्राचीन काल में मथुरा गोकुल वृंदावन एक घन-घोर जंगल था इसका नाम मधुबन से मधुपुर आगे चलके वर्तमान में मथुरा हो गया| यहाँ मथुरा संग्रहालय है जिसमे राधा-रानी, कृष्ण, गोपियाँ, मंदिर और भगवान बुद्ध की मूर्तियाँ मौजूद है यहाँ सैकड़ो देश-विदेश के पर्यटक आते हैं गोवर्धन पर्वत का परिक्रमा भी लगाते है मथुरा गोकुल वृंदावन को परमेश्वर का धाम भी कहते है क्योंकि इस स्थान पर परमात्मा ने स्वयं जन्म लिया था श्री कृष्ण ने इस स्थान पर गोपियों संग रासलीला की थी यहाँ श्री कृष्ण लीला का आनंद भी ले सकते है|
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