भारत का सम्पूर्ण इतिहास

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संक्षिप्त परिचय

“भारत का सम्पूर्ण इतिहास” या भारतीय इतिहास सृष्टि की रचना से ही प्रारम्भ हो गया था उसे ही सनातन संस्कृति कहते हैं जैसे सिन्धु घाटी सभ्यता, हरप्पा का विकास विश्व का सबसे पहला विश्वविद्यालय तक्श्यशिला को ही जाता है जहाँ पूरे विश्व के विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त करने आते थे|

महान आचार्य चाणक्य का ज्ञान अद्भुत था मौर्य साम्राज्य के राजा अशोक ने धर्मविजय की शिक्षा दी शांति का प्रचार किया विज्ञान, कला और साहित्य के क्षेत्र में भारतीय संस्कृति को मजबूत किया|

लेकिन मुग़ल आक्रान्ताओं के आने के बाद यह भारत के एक विशाल भू-भाग पर अपना आधिपत्य स्थापित किया भारतीय साहित्य को नुकसान पहुँचाया अपनी सभ्यता का प्रचार-प्रसार किया| लोगों का धर्म परिवर्तन कराया गया हिंसा से साधु-संतों को मारा गया मंदिरों को नष्ट कर दिया गया|

भारत के इतिहास का जनक कौन है?- “Bharat ka itihas in hindi” के बारे में पूरे विस्तार से बताया गया है इसका श्रेय महात्मा मोहन दास करम चंद गाँधी को जाता है इसी लिए इन्हें “राष्ट्रपिता” की उपाधि दिया गया उन्होंने अहिंसा, सत्याग्रह जैसे आंदोलन चलाया|   

इसके बाद ब्रिटिश भारत आये ईस्ट इंडिया कंपनी के रूप में उन्होंने कई वर्षों तक शासन किया अंग्रेजों का नीति “फुट डालो राज करो” का रहा| भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के स्वर राष्ट्रीय स्वतंत्रता की लड़ाई चली जिसमें सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, मंगल पाण्डेय और महात्मा गाँधी से महान लोगों ने हिस्सा लिया और भारत को आजाद करवाया|

इस लेख में हम देखेंगे Real Indian History in Hindi जिसे The true story of India भी कह सकते हैं “भारत का सम्पूर्ण इतिहास” पूरे प्रमाण के साथ|

Itihas

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विस्तार से समझें

भारत का सम्पूर्ण इतिहास बहुत ही विस्तृत और समृद्ध है। भारत के इतिहास को चार मुख्य कालों में विभाजित किया जा सकता है| 

1) प्राचीन काल 2) मध्य कालीन काल 3) मुगल काल 4) आधुनिक काल|

1) प्राचीन काल – “Prachin bharat ka itihas” प्राचीन काल भारत का एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक काल है| जो लगभग 2500 ईसा पूर्व से 500 ईस्वी तक चला| इस काल के दौरान भारतीय सभ्यता विकसित हुई और विभिन्न राजनीतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक परंपराओं का निर्माण हुआ| यहां प्राचीन भारत के महत्वपूर्ण घटनाओं और समाज के पहलुओं का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया जा रहा है:

वैदिक काल (1500 ईसा पूर्व – 600 ईस्वी): वैदिक काल संस्कृति के विकास का काल है| इस काल में वेदों का निर्माण हुआ और हिंदू धर्म की मूलभूत आधारभूत तत्वों की रचना हुई| इस समय जीवन यापन गुरुकुल पद्धति में चलता था और ब्राह्मण वर्ण की महत्वपूर्णता थी|

महा जनपद काल (600 ईसा पूर्व – 325 ईस्वी): इस काल में भारत में विभिन्न महा जनपदों की स्थापना हुई| यह राज्यसभाओं के समूह हुआ करते थे इसके अलावा कृषि, व्यापार और सेना के क्षेत्र में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा था| चंद्रगुप्त मौर्य के समय में मौर्य साम्राज्य की स्थापना हुई आदि…

2) मध्यकालीन काल – “Madhyakalin bharat ka itihas” मध्य कालीन काल भारत का एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक काल था| जो लगभग 6वीं से 18वीं शताब्दी तक चला| इस काल के दौरान “भारतीय सभ्यता” और “सांस्कृतिक जीवन” का विस्तार हुआ और राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, वाणिज्य और साहित्यिक विकास हुआ| यहाँ मध्य कालीन काल के महत्वपूर्ण घटनाओं और समाज के पहलुओं का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया गया है:-

गुप्त साम्राज्य (4वीं से 6वीं शताब्दी): गुप्त साम्राज्य भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है| इस काल में भारतीय सभ्यता, कला, साहित्य और विज्ञान के क्षेत्र में विकास हुआ| चंद्रगुप्त, समुद्रगुप्त और चंद्रगुप्त द्वितीय इत्यादि प्रमुख शासक रहे थे|

दिल्ली सल्तनत (13वीं से 16वीं शताब्दी): मुस्लिम शासन के आगमन के बाद ही दिल्ली सल्तनत (मुस्लिम शासको) का काल आरंभ हुआ| इस काल में अल्तामश, बलबन, खिलजी, तुगलक और लोधी शासक आए यहाँ पर्सियन और तुर्की कला और सांस्कृतिक प्रभाव भी दिखाई दिया उनकी बेहतरीन कलात्मक काम का कारीगरी उनके मकबरे के रूप में देखने को मिला|

3) मुगल काल मुग़ल काल भारत के इतिहास का एक महत्वपूर्ण युग था| जिसमें हमारा “History of Greater India” को धर्म के नाम पर सत्यानाश कर दिया गया| मुगलों का शासन 16वीं से 19वीं शताब्दी तक चला| मुग़ल साम्राज्य की स्थापना मुग़ल शासक बाबर (क्रूर शासक) द्वारा हुई और उसके पुत्र हमायूँ, अकबर, जहाँगीर, शाहजहाँ और औरंगजेब जैसे प्रमुख शासकों ने इसे आगे बढ़ाया|

निम्नलिखित विषयों पर ध्यान दिया जाता था:-

मुग़ल शासन काल और उनका साम्राज्य भारत के एक विशाल भू-भाग पर वह शासन किए| इस दौरान विभिन्न मुग़ल शासकों ने अपने प्रभाव का विस्तार किया और भूतकाल, स्वतंत्र काल और उपेक्षा काल के रूप में इसको विभाजित किया गया|

समाज और सांस्कृतिक विकास का कार्य मुग़ल साम्राज्य के दौरान हुआ, समाज में भूमिका निभाई गई और सांस्कृतिक विकास हुआ| मुग़ल साम्राज्य के शासक धर्म निरपेक्ष थे और हिंदू और मुस्लिम संस्कृतियों के मिश्रण की प्रोत्साहन किया गया| इस काल में उर्दू साहित्य, शिल्पकला और शानदार ऐतिहासिक और सांस्कृतिक निर्माण का उदाहरण मौजूद है|

इसके अलावा मुग़ल अपनी संस्कृति को बढ़ावा देते थे लेकिन हिन्दुओं के आस्था के केन्द्र जैसे मथुरा, काशी, अयोध्या के मंदिरों को नष्ट कर उनके दीवारों पर से ही मस्जिदों का निर्माण कराया गया उनका ज्यादा से ज्यादा मकसद हिन्दुओं को मुसलमान में बदलना इसलिए वह हिंदूओं के पूजा स्थलों को नष्ट कर देते थे और उसके स्थान पर मस्जिद का निर्माण करा दिया जाता था|

अकबर नामा पुस्तक में लिखा है की मथुरा के मंदिरों से लायीं गयी मंदिरों की मूर्तियों को जामा मस्जिद और अन्य मकबरों के सीढ़ियों और चौखटों के नीचे चुनवा दिया गया| इससे पता चलता है की मुसलमान शासकों का किस स्तर का सोच रहा होगा| इस तरह का क्रूरता का शासन रहा मुसलमानों का|  

4) आधुनिक काल भारत के आधुनिक काल का इतिहास 19वीं शताब्दी से लेकर आज तक का इतिहास है| इस काल के शुरुआत से भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के शासन का काल आरंभ हुआ| इसी समय स्वतंत्रता आंदोलन का आगाज हुआ और भारत ने 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता हासिल की|

इस युग में भारतीय इतिहास में निम्नलिखित विषयों पर ध्यान दिया गया था:-

ब्रिटिश शासन: भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का आगमन 18वीं शताब्दी के आखिरी दशक में हुआ| अंग्रेजों की नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था, सामाजिक संरचना, शिक्षा, संस्कृति और अन्य क्षेत्रों में बड़े परिवर्तन हुए|

स्वतंत्रता आंदोलन: भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक लंबा और संघर्ष पूर्ण दौर था| इस दौरान भारत के नेताओं ने अनगिनत आंदोलनों, सत्या ग्रहों, अनशनों और नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष किया|

संविधान निर्माण: स्वतंत्रता के बाद, भारत का संविधान निर्माण किया गया| जिसमें भारत का संविधानिक ढांचा तय किया गया| भारत को सुचारु रूप से चलाने के लिए संविधान बनाये गए प्रशासकीय विभाग बनाये गए रेलवे, हवाई अड्डे और सड़कों का निर्माण कराया गया आदि| भारत सन 1757 से 1947 तक ब्रिटेन के ईस्ट इंडिया कंपनी के आधीन रहा और 15 अगस्त 1947 भारत अपने आपको अलग राष्ट्र घोषित कर दिया|

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विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता कौन सी है?

मिस्र की सभ्यता यह पूरे विश्व में सबसे प्राचीन सभ्यता मानी गयी है यह सभ्यता नील नदी पर बसा है इसके अलावा अन्य सभ्यताएं जैसे मेसोपोटामिया की सभ्यता, सिंधु घाटी की सभ्यता, बेबीलोन की सभ्यता, चीन की सभ्यता इत्यादि प्रमुख थीं। ये सभी सभ्यतायें सामान्यता नदियों के किनारे ही विकसित हुई लेकिन किसी ने भी शून्य को नहीं खोज पायें|

शून्य की खोज भारत में कब और कैसे हुई?

शून्य का खोज क्यों हुआ? और शून्य का खोज किसने किया था? कहा जाता है “happiness is consider to be an energize state of mind” प्रसन्नता को मन की एक ऊर्जावान अवस्था माना जाता है| ऋषियों ने इसे अपने अध्यात्म से कैसे जोड़ा?

अपने जीवन को ऊपर उठाने के लिए पांच चीजों को अपने जीवन से कम करना होता है भोजन, वस्त्र, आवास, श्वास और अस्तित्व|

तो सबसे पहले सन्यासी या साधु का कोई घर नहीं होता एक योगी सबसे पहले अपना घर छोड़ता है (जिसमें आवास और वस्त्र शामिल होता)| दो सीढ़ी ऊपर उठ गए उदाहरण नागा साधु या जैन मुनि|

फिर क्या आता है “भोजन”| शरीर को भोजन की आवश्यकता होती है अब यह उसे ब्रह्मांडीय ऊर्जा से भोजन प्राप्त होता रहता है हालाँकि फिर भी दस दिन या महीने भर के बाद साधु भोजन लेते हैं| बहुत अल्प आहार लेते है|

इसके बाद आता है आपका “श्वास और आप”| यहाँ पर जब आप अपने श्वास पर नियंत्रण पा लेते हैं तो आप इस ब्रह्मांड के साथ एक हो जाते हैं| यानी आप शून्य हो गए मतलब आपमें और इस जगत में कोई अंतर नहीं होता है यानी आप समाधि प्राप्त कर लेते हैं| आपके चाहने से श्वास चलेगी न चाहने से नहीं चलेगी आप अपने ऊपर पूरी तरह नियन्त्रण प्राप्त कर लेना|

लेकिन अभी भी एक चीज रह गई वह है आप जिस दिन आप अपने आपको उससे भी मुक्त कर लेते हैं तब आप शून्य हो जाते हैं| यह है शून्य का महत्व| तो अनंत की यात्रा शून्य से प्रारंभ होती है| हमारे ऋषि-मुनि अनंत को खोज रहे थे और शून्य को खोज लिया यही मूल कारण है इस प्रकार शून्य का आविष्कार हुआ| तो किस प्रकार शून्य का आविष्कार हुआ? उपरोक्त कारण से शून्य का आविष्कार कब और किसने किया यह पता चलता है|

लाचित बोरफुकन

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लाचित बोरफुकन

भारत का इतिहास किताब के बारे में हमारे पुस्तकों में बहुत कुछ बताया गया हमें यह बताया गया की मुग़ल महान थे सम्राट अशोक महान थे लेकिन उनके अत्याचारों के बारे में कुछ नहीं बताया गया| मुगल कभी भी “दक्षिण भारत” पर राज नहीं कर पायें यह नहीं बताया गया क्योंकि क्षत्रपति शिवाजी महाराज मुगलों के सामने चट्टान की तरह खड़े थे| इसके अलावा हिन्दू “चोल राजा” दक्षिण भारत और लक्ष्यदीप में उनका राज था|

मुग़ल कभी भी पूर्वोत्तर भारत पर राज नहीं कर पायें उसका कारण है महान शासक “Lasit borphukan assameseलसित बोरफुकन यह वह महान सेनापति हैं जिन्हें पूर्वोत्तर का सेनापति कहा जाता है| वह सन 1671 में आहोम साम्राज्य के सेनापति थे| उन्होंने मुगलों को कई बार लड़ाई में हराया था उनकी मृत्यु बीमारी से हुई थी आहोम राजाओं ने लगभग 600 सालों तक असम पर राज किया| सन 1228 से लेकर 1828 तक आहोम साम्राज्य का अस्तित्व था|

लचित के पिता मोमई तमुली चीफ कमांडर थे| सन 1615 से 1682 तक अहोम और मुगलों में कई लड़ाइयां हुई| बादशाह जहांगीर और बादशाह शाहजहां ने असम पर कब्जे के लिए कई बार अपनी सेना भेजी लेकिन मोमई बारबरुआ ने मुगलों को कामयाब नहीं होने दिया| मोमई बारबरुआ के मृत्यु के बाद लचित बोरफुकन अहोम सेनापति बने और इन्होंने औरंगज़ेब के सेना को हराया|

औरंगजेब ने दिल्ली पर कब्ज़ा करने के बाद उसने अपने सैनिकों को पूर्वोत्तर पर कब्ज़ा करने के लिए रवाना कर दिया| इस द्वारन मुगलों ने गुवाहाटी पर कब्ज़ा कर लिया| औरंगजेब चाहता था की पूरे भारत में मुगलों का साम्राज्य हो इसके लिया वह चारों दिशाओं में अपनी सेना भेजनी शुरू कर दिया| मुगल सेना का गुवाहाटी तक कब्ज़ा हो चूका था|

असम के राजा चक्रध्वज सिंह ने अपनी सेनापति और मंत्रिमंडल को बुलाया और कहा की दुश्मन सेना हमारे काफ़ी करीब तक आ चुकी है दुश्मनों के सेनापति सईद फिरोज और सईद सना को कैसे पकड़ा जाये| हमें एक ऐसे सेनापति की जरूरत है जिसके अन्दर असाधारण धैर्य, सहनशक्ति, फैसले लेने की क्षमता होनी चाहिए उस समय लचित बोरफुकन ने कहा हमारा दुश्मन कौन है? वह भी तो एक इन्सान ही है| उस समय वह सेनापति नहीं थे| उनके हिम्मत को देखते हुए राजा ने उन्होंने सेनापति नियुक्त कर दिया|

सन 1667 में अहोम सेना ने गुवाहाटी की कई इलाके मुगलों से आज़ाद करवा लिए थे| लचित के अगुवाई में अहोम सेना ने मुगलों को पीछे धकेलना शुरू कर दिया| मुग़ल राजा को जब पता चला तो उन्होंने आमेर के राजा राम सिंह प्रथम को 30 हजार सैनिकों के साथ 18 हजार घुड़सवार, 15 हजार तीरंदाज 500 टोप के साथ रवाना कर दिया| फ़रवरी 1669 में राजा राम सिंह गुवाहाटी के पास रंगापति इलाके के पास पहुँच गए|

लचित बोरफुकन मुगलों को जानते थे इसलिए दिल्ली से रास्ते-रास्ते पर अपना जासूस लगा रखे थे उनको पल-पल की जानकारी मिलती रहती थी जानकारी के आधार पर लचित बोरफुकन मौके का इंतजार करने लगे लचित चाहते थे की मुगलों को ब्रम्हपुत्र नदी से घेरा जाये इसके लिए वह अपने मामा को मिट्टी की दीवार बनाने के लिए कहा समय पर काम पूरा नहीं होने पर लचित ने अपने मामा का सिर काट दिया उन्होंने कहा देश से बड़ा परिवार नहीं होता|

इसी समय अहोम राजा चक्र ध्वज की मृत्यु हो जाती है उनके मृत्यु के बाद उनके भाई उदयादित्य राजा बने 1671 तक मुग़ल सेना को बढ़त मिल चुकी थी लचित का स्वस्थ ख़राब चल रहा था उन्होंने कहा मैं इसी युद्ध में मरूँगा मैंने चिल्ला पहाड़ी पर अपने लिए जमीन का एक टुकड़ा तय किया है वहाँ मेरा मृत शरीर आराम करेगा और अगर मैं जीवित रह गया तो मैं जो-जो इस युद्ध से भाग गए उन सभी के पास आऊंगा| इस भाषण के बाद सभी में उत्साह और जोश आ गया|

अहोम नौसेना ने मुगलों पर जबरदस्त हमला किया इससे मुगलों के जहाज डूब गए आधे से ज्यादा सैनिक मारे गए भगदड़ मच गयी और जो मुग़ल सैनिक बच गए थे उन्हें अहोम के सैनिक दौड़ा-दौड़ा कर मार रहे थे उनकी पूरी सेना बर्बाद हो चुकी थी| वह पीछे पांच किलोमीटर पीछे चले गए थे|

इस युद्ध में राम सिंह प्रथम ने अहोम सेनापति की तारीफ किया और कहा की अहोम की सेना का हर सैनिक नाव चलाने में, तीरंदाजी में, बन्दुक और टोप चलाने में माहिर था| मैंने अपने पूरे जीवन में इस तरह के बहुमुखी प्रतिभा के धनी सैनिक नहीं देखे थे| अगर कोई असम पर हमला करने आता है तो उसके गाल पर झाडुओं से मार पड़नी चाहिए| उन्होंने यह भी कहा की लचित बोरफुकन एक असाधारण सेनापति था और उसमें कोई कमी नहीं थी|

बोरफुकन जानते थे मुग़ल सिर्फ खुले मैदान में लड़ना चाहते हैं वह मुगलों के चाल को भलीभांति जानते थे इसलिए वह इसपर अपनी अलग रणनीति बनाई और कामयाब हुए| उन्होंने महाराजा क्षत्रपति शिवाजी के शैली का प्रयोग किया पहाड़ों और नदियों में फंसा दिया इसे आज के दौर में गुरिल्ला युद्ध शैली कहा जाता है| जिसमें टुकड़ियों में हमला किया जाता है|

राजा ने उपहार के तौर पर लाचित बोरफुकन को सोने की एक तलवार हेंगडांग नाम की तलवार दिया था| यह उनके बहादुरी की निशानी थी| यह बहादुरी की गाथा इतिहास की किताबों में इस तरह से लिखा हुए नहीं मिलता है इतिहासकारों ने उनकी इस बहादुरी को नजरंदाज कर दिया था|                

“भारत का सम्पूर्ण इतिहास” में बहादुरी के लिए शिवाजी के बाद अगर किसी का नाम लिया जाता है तो वह लचित बोरफुकन हैं| और क्या आप जानते हैं एनडीए में लचित बोरफुकन अवार्ड किसको मिलता है? – बेस्ट कैडेट को|

सोने की चिड़िया

भारत सोने की चिड़िया

भारत सोने की चिड़िया

भारत की पहचान या भारत के इतिहास या भारत के संविधान या भारत क्या है? भारत बना कब? भारत किसने बनाया? भारत का सम्पूर्ण इतिहास “Complete history of India”में इन सब सवालों का जवाब आगे विस्तार से वर्णित है यह पूरी तरह प्रमाणित और सत्य पर आधारित है| इसके एक-एक बात की प्रमाणिकता गूगल करके प्राप्त किया जा सकता है|

भारत एक शांतिप्रिय देश हमेशा से रहा है भारत ने कभी भी किसी भी देश पर आक्रमण कर उसको अपने देश में नहीं मिलाया है हलांकि भारत में वह क्षमता है भारत हर तरह के हथियार से संपन्न देश है लेकिन अपने आसपास मौजूद देश जैसे श्रीलंका, बर्मा, म्यांमार, बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान आदि देशों को कभी भी बलपूर्वक अपने में नहीं मिलाया बल्कि उनको हमेशा अनाज, दवाइयाँ, टेक्नोलॉजीज आदि चीजों से मदद ही किया है इसके अलावा जब भी इन देशों पर कोई प्रकृति आपदा जैसे युद्ध, भूकंप, Sri lanka bankruptcies (sri economy) आदि आयी है भारत दिल खोलकर मदद किया है|

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भारत में धर्म

भारत में धर्म

“भारत का सम्पूर्ण इतिहास” में भारत में धर्म एक महत्वपूर्ण और गहन सांस्कृतिक तत्व है| धर्म भारतीय समाज के मूल्यों, आचार-व्यवहारों और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में व्याप्त है| भारत में कई धर्मों का विविधता पूर्ण समन्वय देखा जा सकता है| जिनमें प्रमुख धर्म हिन्दू धर्म, इस्लाम, सिख धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और ईसाई धर्म शामिल हैं|

हिन्दू धर्म भारत का सबसे पुराना और सबसे बड़ा धर्म है जिसकी मूलभूत तत्वों में मान्यताएं, देवताओं, पूजा-अर्चना, धर्मशास्त्र और कर्मकांड शामिल हैं| इस्लाम दूसरा सबसे बड़ा धर्म है जो भारत में मुस्लिम समुदाय द्वारा मान्यता प्राप्त है| सिख धर्म भी भारत का आधिकारिक धर्म है और इसके मुख्य सिद्धांत सत्य, संगत, सेवा और धर्म की रक्षा हैं| बौद्ध धर्म और जैन धर्म भी भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उनमें मोक्ष और अहिंसा के सिद्धांत प्रमुख हैं| ईसाई धर्म की भारत में एक छोटी समुदाय है लेकिन अब यह बढ़ रही है| और इनका अपना अलग परंपरा है चर्च जाना प्रार्थना करना आदि|

आइये “भारत में धर्म का विस्तार” और “भारत में हिन्दू धर्म का इतिहास” को समझे|

बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म का इतिहास भगवान गौतम बुद्ध से प्रारम्भ होता है| भगवान बुद्ध राजा शुद्धोधन के पुत्र थे और माता महारानी महामाया थी| गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की थी| बुद्ध की पत्नी का नाम यशोधरा था और उनके पुत्र का नाम राहुल था| विस्तृत और सम्पूर्ण जानकारी के लिए click करें|

जैन धर्म

जैन धर्म हिन्दू से निकाल एक धर्म है| जैन धर्म के महान गुरु श्री अरिष्टनेमि और श्री ऋषभनाथ का जिक्र ऋग्वेद में भी मिलता है पुरातत्ववेत्ताओं द्वारा जब हड़प्पा की खुदाई कराया गया तो जैन सभ्यता से जुड़ा बहुत से चीज खुदाई में प्राप्त हुआ| जैन धर्म में पार्श्वनाथ तेइसवें तीर्थकर जी महाराज तथा भगवान महावीर चौबीसवें तीर्थकर माने गए है जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर वर्धमान महावीर है जो जैनों के सबसे प्रमुख तथा अन्तिम तीर्थकर माने गए जिन्हें परम ज्ञान प्राप्त हुआ|

इनका जन्म 540 ईसा पूर्व में हुआ था| जैन धर्म दो भागो में विभाजित है- पहला श्वेताम्बर (साधु श्वेत वस्त्र पहनते हैं) और दूसरा दिगंबर (साधु नग्न रहते हैं) और मुँह (भोजन करनेवाला) ढंका रहता है|

श्वेताम्बर और दिगंबर कब अलग हुए थे? – भद्रबाहु तक जैन एक धर्म था उनके बाद यह दो भागो में बंट गया|    

तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी ने लोगों को पंचशील सिद्धांत बताएं – अहिंसा (जीव हत्या न निषेध), सत्य बोलना (मृधू भाषी झूठ नहीं बोलना), अपरिग्रह (संपत्ति एकत्रित न करना), अचौर्य (अस्तेय- चोरी नहीं करना) और ब्रह्मचर्य (अपने इन्द्रियों पर नियंत्रण)|

यहूदियों का इतिहास

यहूदियों का पूजा स्थल कौन सा है? यहूदियों का धार्मिक ग्रंथ क्या है? यहूदियों का धर्म और यहूदियों का इतिहास क्या है?

भारत में यहूदी समुदाय का इतिहास काफी पुराना है और इसमें कई चरण हैं| यहूदी समुदाय का अस्तित्व भारतीय उप महाद्वीप पर लगभग 2000 साल से भी अधिक समय से है| यहूदी लोगों का पहला प्रवास यहां 1 से 2वीं सदी के बीच हुआ था|

यहूदी समुदाय का सबसे प्राचीन समुदाय जूठापुर है, जो आजकल के राजस्थान राज्य में स्थित है| वहां के यहूदी समुदाय को भारतीय इतिहास के 6वीं और 7वीं सदी के दौरान संगठित और स्थापित किया गया था| उनका मुख्य कार्यक्षेत्र व्यापार था और वे मुख्य रूप से ब्राह्मणों के साथ व्यापार करते थे| लेकिन समय के साथ-साथ अन्य लोगों और क्षेत्रों में भी यहूदी समुदाय के समूह बने जैसे मुंबई, कोचीन, कल्याण, पुणे, कोलकाता और अहमदाबाद| कोचीन में यहूदी समुदाय विशेष रूप से प्रमुख रहा है और यहां के यहूदी लोग मलाबार यहूदी नाम से भी जाने जाते हैं|

यहूदी धर्म, जिसे यहूदाइज़्म (Judaism) कहा जाता है, यहूदी समुदाय की मान्यताओं, नैतिकता और आचरणों का समूह है| यहूदी धर्म एक अत्यंत प्राचीन धर्म है (लेकिन हिन्दू सनातन संस्कृति सबसे पुरानी है यह श्रृष्टि के उत्पत्ति के समय से ही है) हिन्दू धर्म के बाद यहूदी धर्म दूसरे नंबर पर आता है इसे मजहब कहा जायेगा और यह विश्व की सबसे पुरानी मज़हबों में से एक मानी जाती है। इसकी मूलभूत धारणाएं, मान्यताएं और नियम ताल्लुक  का विवरण उनकी प्राचीन प्रतिमा ग्रंथ, तोराह (Torah) में मिलता है|

यहूदी धर्म में मूलतः एक देव की धारणा है, जहां केवल एक ही परमेश्वर (यहूदी भाषा में ‘यहोवा‘ या ‘अदोनाई‘) मान्य होता है| यहूदी धर्म की अन्य महत्वपूर्ण मान्यताएं शांति, न्याय, एकता, कर्मफल की नियंत्रण शीलता, तपस्या, सेवा और आदेशों का पालन करने की महत्वाकांक्षा पर आधारित हैं|

यहूदी धर्म में कई महत्वपूर्ण आचार-विचार और रस्मों का पालन किया जाता है| जैसे कीरियत शेमा (Shema) का पाठ, शब्बत (Sabbath) का पालन, कोशेर खाना (Kosher food) का सेवन, बार मित्ज़्वा (Bar Mitzvah) और बत मित्ज़्वा (Bat Mitzvah) समारोह होते हैं|

 

यहूदी धर्म में शादी कैसे होती है?

यहूदी समुदाय में शादी की प्रक्रिया और रीति-रिवाज बहुत पुरानी हैं और यह किसी निश्चित संगठन द्वारा नहीं कराई जाती बल्कि इनके विभिन्न-विभिन्न तरीके होते हैं| तथापि, कुछ सामान्य तत्वों को ध्यान में रखकर हम आपको यहूदी शादी की कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत कर रहें है|

अभिषेक (Engagement): शादी की प्रक्रिया “अभिषेक” नामक समारोह से शुरू होती है, जिसे हितलेख कहा जाता है| इसमें दोनों पक्षों के परिवार एक साथ आकर शादी की योजनाओं को साझा करते हैं और साथ ही विवाहिता और विवाहित के एक दूसरे के आपसी संपर्क की पुष्टि करते हैं|

केतुबाह (Ketubah): यहूदी शादी में “केतुबाह” नामक एक लिखित “agreement” होता है जो विवाहित पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के प्रति वचनों को समर्पित करता है| यह एक कानूनी दस्तावेज़ होता है और विवाहिता को सुरक्षा और सामरिक हितों की गारंटी देता है|

इस प्रकार इनकी यहूदी शादी या यहूदी विवाह होता है और यह इनका भारत में यहूदी इतिहास और इस प्रकार भारतीय समाज में यहूदी का योगदान रहा है|

यूनानियों का समयकाल

यूनानी सभ्यता का समय काल एशिया में बहुत प्राचीन है और इसका इतिहास लगभग 3000 ईसा पूर्व से लेकर 6वीं शताब्दी ईसा के बाद तक फैला था| यूनानी सभ्यता अपने उच्च संस्कृति, विज्ञान, दर्शन, कला, राजनीति और साहित्य के लिए प्रसिद्ध थी|

यूनानी इतिहास को तीन युगों में बाँटा जा सकता है:

यूनानी इतिहास में तीन प्रमुख युगों का उल्लेख किया जाता है:

पहला: अर्केयिक युग (Archaic Age)  

दूसरा: क्लासिकल युग (Classical Age) और

तीसरा: हेलेनिस्टिक युग (Hellenistic Age)

  • अर्केयिक युग (ग्रीक: Αρχαϊκή περίοδος):

यह युग ग्रीस के इतिहास का शुरूआती अवधि है और लगभग 8वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व तक के समय में आता है। यह युग ग्रीसी नगरी-राज्यों (City-States) की उभरती हुई शक्ति के रूप में देखा जाता है| केवल पुरातात्विक साक्ष्यों और कविताओं के अलावा इस युग के बारे में अधिक जानकारी नहीं है|

यूनानी समय क्रिस्त पूर्व 8वीं से 6वीं सदी तक रहा| यह एक प्राचीन सभ्यता थी जो महान दार्शनिकों, वैज्ञानिकों, लेखकों, कलाकारों और फिलॉसफरों के साथ संबद्ध का माना जाता था| इस दौरान यूनानी संस्कृति का विस्तृत विकास व अवधारणाओं का निर्माण हुआ जो आज भी उपयोगी माने जाते हैं| यूनानी संस्कृति उत्तर अफ्रीका, दक्षिण इटली, तुर्की, लेबनान, सीरिया और ईरान जैसे देशों में फैली थी|

इसकी दो प्रमुख घटना रही है पहला सोक्रेटीज़्म और दूसरा प्लाटोनिज़्म है|

  • क्लासिकल युग (Classical Age)

यूनानी इतिहास में (Classical Age) उस समय काल को सांकेतिक करता है जब यूनानी सभ्यता और सांस्कृतिक प्रगति का उच्चतम स्तर था| यह युग लगभग 5वीं से 4वीं सदी ईसा पूर्व तक का समय माना जाता है| इस काल अवधि में यूनानी संस्कृति, विज्ञान, तार्किक, राजनीति और कला में महत्वपूर्ण योगदान रहा|

क्लासिकल युग में यूनानी सभ्यता में विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण विकास हुआ| जिसमें साहित्य-कला-विज्ञान-दर्शनशास्त्र (Philosophy) और राजनीति का विशेष महत्व रहा है इसलिए यह क्लासिकल युग एक महत्वपूर्ण युग माना जाता था|

  • हेलेनिस्टिक युग (Hellenistic Age)

Hellenistic Age यूनानी इतिहास में उस समय को संकेत करता है जब अलेक्जेंडर द ग्रेट (Alexander the Great) के आक्रमण के बाद उसके विश्वव्यापी साम्राज्य के विस्तार हुआ| यह समय यूनानी सभ्यता, विज्ञान, कला, और फ़िलॉसफ़ी का काल था| यह समय लगभग 4वीं से 1वीं सदी ईसा पूर्व तक चला|

यूनानी इतिहास में हेलेनिस्टिक युग यह वह समय था जब यूनानी सभ्यता और सांस्कृतिक का विस्तार हुआ और इसका प्रभाव दूर-दूर तक फैलने लगा| यह युग लगभग 4वीं से 1वीं सदी ईसा पूर्व तक का समय था| इस काल चक्र में अलेक्जेंडर महान के साम्राज्य का प्रारम्भ हुआ|

हेलेनिस्टिक युग का शुरुआत अलेक्जेंडर दी ग्रेट के मृत्यु के बाद प्रारम्भ होता है| जब उनके साम्राज्य क्षेत्र को उनके सामरिक जीवन के द्वारा विस्तारित किया गया| उसके बाद यूनानी साहित्य-विज्ञान-राजनीति और कला के क्षेत्र में हेलेनिस्टिक सभ्यता का विकास हुआ|

रोमियों का समयकाल

रोमियों का समयकाल 1597 से 1599 के आसपास का माना जाता है हालांकि यह भी एक प्राचीन सभ्यता थी इस सभ्यता को विकसित करने का श्रेय शेक्सपियर को जाता है वह एक काव्य और नाटक कलाकार थे|

उनके द्वारा रचित कुछ महत्वपूर्ण पुस्तक इस प्रकार है:

  • रोमियो और जूलियट (Romeo and Juliet): यह एक बेहतरीन प्रेम कहानी नाटक है|
  • हैमलेट (Hamlet): एक बेहतरीन नाटक जिसमें हैमलेट के चरित्र को दर्शाया गया है|
  • मैकबेथ (Macbeth): एक नाटक जिसमें प्यार, विश्वासघात पाप पर आधारित नाटक है|
  • हमलेट (The Tempest): यह शेक्सपियर की अंतिम नाटक में से एक है इसमें कॉमेडी, प्रेम, शक्ति, आजादी, संगीत पर बना बेहतरीन रचना है|

रोमियो के समय काल के द्वारन केवल शेक्सपियर के बारे में ही और उनके द्वारा रचित काव्य और नाटक का ही उल्लेख मिलता है इसके अलावा और कोई जानकारी प्राप्त नहीं होती है|

धर्मों का इतिहास

भारत में अन्य धर्मों का इतिहास

भारत में अन्य धर्मों का इतिहास

आप यह कैसे जानेंगे की कौन सा भाषा भारत का हिस्सा है और कौन भारत का भाग नहीं है?

भारत में बोले जाने वाली हर भाषा का वर्णमाला क, ख, ग से हुआ है उदाहरण के लिए हिंदी, भोजपुरी, कन्नड़, पंजाबी, कश्मीरी, पहाड़ी, बंगाली, सिंधी, तेलुगु, मलयालम, गुजरती आदि यह सब भारतीय कहलाते हैं|

भारत ने भारत के बाहर से आये अन्य धर्मों को सम्मान किया इसे निम्न उदाहरण से समझे|

पहला भारत के बाहर से जो भी लोग आये जैसे पारसी उनकी भाषा वह भी हमारे समृद्धि का हिस्सा है जैसे रतन टाटा यह उनका मातृभूमि नहीं है वह ईरान से आये थे लेकिन अब वह भारत की शान है वह लोग अग्नि की पूजा करने वाले लोग हैं भारत ने सहृदय इनको स्वीकार किया और कहा आप यहाँ ख़ुशी-खुशी रहें और उनको पूरी एक कालोनी दे दिया गया और कहा यहाँ कोई मंदिर नहीं खुलेगी आप लोग आराम से रहें और प्रगति करें (अवेस्ता या ज़ेंद यह धर्म ग्रन्थ है। यह फारसी या ईरान में इस्लाम आने से पूर्व का मूल धर्म है)|

दूसरा सबसे बड़ा उदाहरण है यहूदी| पूरे दुनिया ने यहूदियों को अपने यहाँ से मार कर भगाया लेकिन भारत ने अपनाया और उनसे यह नहीं कहा गया की तुम लोग हिन्दू बन जाओ यहूदी वह लोग हैं जिन्होंने कहा “मोनोथिसम (monotheism- अद्वैतवाद) एक सच्चाई है और पोलिथिसम एक गन्दा काम है” इसी का अरिबिक शब्द है “ला इलाहा इल्लल्लाह”| भारत ने उनको यहाँ सह-समान इजाजत दिया उनके धर्म को मनाने का छूट दिया और वह आजादी से यहाँ रह रहें है|

प्राचीन भारतीय इतिहास क्या हैं? (What is ancient Indian history?)

मुगल क्या है? मुग़ल लोग क्या है? यह नोमैटिक लोग हैं इनके आसपास के देश कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, कीर्गीस्तान, तुर्कमेनिस्तान है यह स्तान वाले देश तुर्क जनजाति के लोग हैं और उनके कई उप जनजाति है कजाक तुर्क आदि थे इन लोगों ने कई देशों पर आक्रमण कर उनपर शासन कायम किया था|

इसी तरह एक देश है – तुर्की (जून 2022 में तुर्की का नाम बदलकर संयुक्त राष्ट्र ने तुर्किए Turkiye कर दिया) तुर्क जनजाति के लोग वहाँ आक्रमण कर कब्ज़ा कर लिए और उसे (सल्तनत-ए-उस्मानिया बनाया – तुर्की बनाया) यह लोग वहाँ के मूल निवासी नहीं है इसी लिए EU (European Union) अपने EU का हिस्सा नहीं बनाया क्योंकि यह लोग वहाँ के मूल निवासी नहीं है| यह एशियन लोग हैं यूरोपीय लोग नहीं है| हालांकि यह देश नाटो का हिस्सा जरूर है|

मुगलों की पहचान क्या है?

बाबर और मुग़ल के वंशज कौन थे?

बाबर के वंशज उज्बेकिस्तान के समरकंद से आयें थे|

बाबर का पुत्र हुमायूँ था|

हुमायूँ का पुत्र अकबर था|

अकबर का पुत्र जहाँगीर था|

जहाँगीर का पुत्र शाहजहां था|

“मुग़ल” यह लोग एक जगह टिकते नहीं थे इनको रूस के लोगों ने एक जगह स्थाई रूप से बसाया लेकिन उनके स्वभाव में ही मारना-पीटना झगड़ा करना किसी का भी कत्ल कर देना यही उनका काम था| ईरान का पहचान पारस्य देश के रूप में माना जाता था|

सातवीं सदी के द्वारन ईरान में इस्लाम आया। इससे पहले ईरान में जरदोश्त धर्म हुआ करता था और यह लोग इसके अनुयायी थे| यहाँ मुग़ल आये दोनों में लड़ाई हुई बाद में यहाँ के लोगों ने इस्लाम कबूल कर लिया और वह भी मुस्लिम हो गए| ईरान शिया इस्लाम का केन्द्र माना जाता है| फिर यही लोग भारत में दो कारणों से आने लगे पहला इस्लाम के नाम पर और दूसरा लुटने के मकसद से|

लूटपाट कत्ल करने के बाद जब उनको सत्ता मिल गई (भारत के छोटे-छोटे क्षेत्रों पर उन्होंने शासन किया) उन्होंने जो सबसे पहला काम किया वह था भारत के आस्था के केन्द्रों को तोड़ने का काम किया|                    

मुगलों ने भारत के तीन सबसे बड़े आस्था के केंद्र काशी विश्वनाथ मंदिर, अयोध्या राम जन्मभूमि और मथुरा श्री कृष्ण मंदिर उनको तोड़ा और सिर्फ तोड़ा ही नहीं उसके ऊपर मस्जिद भी बना दिया| यहाँ से लोगों में विद्रोह उत्पन्न हुआ लोग धीरे-धीरे उठ खड़े हुए और फिर कई लड़ाइयां हुई फिर 150 वर्षों के अन्दर इनके शासन का अंत हुआ शिवाजी महाराज ने मुगलों को मार भगाया|

इतिहास जो गलत पढ़ाया गया

Indian History the Real Truth

UN Charter Article 2 (4) says prohibition of threat or use of force in international relations. Article 2 (4) of the Charter prohibits the threat or use of force and calls on all Members to respect the sovereignty, territorial integrity and political independence of other States.

यानी अगर कोई जबरदस्ती हमारे देश को जीतता है तो वह अवैध है उसे मान्यता नहीं दी जा सकती है|

अगर आप विष्णु पुराण पढ़े या भागवत गीता पढ़े उसी समय से भारत का नक्शा बन चुका था यह भारत की geographical structure था|

मुगलों ने अपनी किताब में लिखा है की हमने भारत में आकर लोगों को मारा उनकी इतिहासकार द्वारा लिखित किताब उल-हिन्द इन हिंदी pdf, अलबरूनी का भारत वर्णन, फतवा अल-आलमगिरीया को पढ़े, अकबरनामा, बाबरनामा आदि का उदाहरण देख सकते हैं यह सब लिख रहें हैं की हमने हिन्दुओं को मारा उनकी हत्या की उनकी पूजा पद्धति-मंदिरों को नष्ट किया|

और हमारे किताबों में क्या बताया जाता है की मुगलों ने हिन्दुओं-मुस्लिमों में एकता कराया मुगलों ने मंदिर बनाया यह सब झूठ और गलत है|

मुग़ल एक आक्रान्ता थे उन्होंने भारत में आक्रमण किया राज किया और चले गए उन्होंने जिन लोगों को मुस्लिम बनाया जिन लोगों ने इस्लाम काबुल कर लिया वह भी भारतीय ही हैं अगर वह उज्बेकिस्तान चले जाए और कहें हमें यहाँ की नागरिकता चाहिए वह डंडे मारकर भगा देंगे यह सऊदी अरब को कहिये हमने इस्लाम धर्म अपना लिया है आप हमें दुबई की नागरिकता दे दो वह उलटे पैर भगा देंगे और हम अपने को बहुत बड़ा मुसलमान मानते हैं|

भारत में जन्मे हर मुस्लिम हिन्दू ही है धर्म परिवर्तन कर लेने से कोई अरबी या उज्बेकिस्तान के बाबर और मुग़ल के वंशज नहीं बन जाते हैं| अगर आप अपना वंशावली निकले तो हम सब किसी न किसी से जुड़े हैं अपने स्वार्थ और अपने लालच या उनके (मुगलों के) अत्याचार से तंग आकर उनका धर्म अपना लिया इस सच्चाई को हमें समझना होगा|  

Islam in India

How Islam came to India

भारत में मुसलमान कब और कैसे आए? (How Islam Came To India?)

इस्लाम का जन्म कैसे हुआ? मुस्लिम कहा से आये… इस्लाम का जन्म सातवीं सदी में अरब प्रायद्वीप में हुआ था| इनके अंतिम नबी हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जन्म 570 ईस्वी में मक्का में हुआ था|

सन 613 ई० के आसपास मुहम्मद साहब ने लोगों को अपने ज्ञान का उपदेश दिया था| यहीं से इस्लाम को प्रारंभ के रूप में जाना जाता है यहीं से इस्लाम का जन्म हुआ हालांकि मुहम्मद साहब से पहले भी इस्लाम को जाननेवाले रहे होंगे और इनके बाद भी रहें होंगे लेकिन उन्होंने ही इस्लाम का प्रथम प्रचार किया इसलिए यहीं से इस्लाम का जन्म माना जाने लगा आगे चलके इनके शिष्यों ने प्रचार-प्रसार किया और इस्लाम पूरे दुनिया में फैला|

सऊदी से इस्लाम का शुरुआत हुआ| सऊदी सरकार आपको मुसलमान बना देंगे लेकिन अरबी नहीं बनायेंगे यानी सऊदी की नागरिकता नहीं देंगे यह कैसा दोहरा चरित्र है अगर आप इस्लाम दे सकते हैं तो नागरिकता क्यों नहीं? UAE में अरबों से ज्यादा अन्य धर्मों के लोग रहते हैं लेकिन किसी को भी वहाँ की नागरिकता नहीं मिली है|

भारत कहता है आप हिंदुस्तान के नागरिक बने आप इंडियन बने क्योंकि भारत एक उदार देश है| भारत किसी के साथ भेदभाव नहीं करता| भारत में 80 प्रतिशत हिन्दू रहते हैं उसके बाद भी भारत एक हिन्दू राष्ट्र नहीं है| यह “सेक्युलर राष्ट्र” है गांधीजी द्वारा स्वीकृत “सर्व धर्म समभाव” अर्थात् भारत के सभी धर्म समान है कोई बड़ा नहीं, कोई छोटा नहीं है| सबको सामान अधिकार है सभी लोग अपना धर्म और त्योहार आजादी से माना सकते हैं| 

भारत में कुल कितनी सभ्यता थी?

भारत में बहुत से अलग-अलग सभ्यता थी लेकिन यहां कुछ मुख्य सभ्यताओं के नाम दिए जा रहें है:

हड़प्पा सभ्यता

वैदिक सभ्यता

मौर्य साम्राज्य

गुप्त साम्राज्य

चोल साम्राज्य

वर्षगांज सभ्यता

कुशाण साम्राज्य

पल्लव राजवंश

चालुक्य राजवंश

राजपूत राजवंश

दिल्ली सल्तनत

मुगल साम्राज्य

मराठा साम्राज्य

सिक्ख राज्य

ब्रिटिश शासन

यह कुछ महत्वपूर्ण सभ्यताओं के नाम हैं|

भारतीय इतिहास की कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं:

हड़प्पा सभ्यता का उदय

(2600 -1900 ईसा पूर्व)

वैदिक (वेदों) सभ्यता का विकास

(1500 -500 ईसा पूर्व)

मौर्य साम्राज्य की स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा

(321 ईसा पूर्व)

सम्राट अशोक द्वारा धर्म प्रचार और दशानाम संहिता का प्रकाशन

(3वीं सदी ईसा पूर्व)

गुप्त साम्राज्य का उदय चंद्रगुप्त प्रथम और समुद्रगुप्त मौर्य

(4वीं – 6वीं सदी)

मोहम्मद गजनवी द्वारा दिल्ली सल्तनत की स्थापना

(1192 ईसा पूर्व)

विजयनगर साम्राज्य की स्थापना

(1336 ईसा पूर्व)

बाबर द्वारा मुग़ल साम्राज्य का उदय काल

(1526 ईसा पूर्व) (1526 – 1556 – 1761 ईसा पूर्व )        

पानीपत की लड़ाई

(1526 – 1556 – 1761 ईसा पूर्व )        

नवाबों (मुस्लिम शासकों) का शासनकाल

(18वीं सदी)

सिपाही आंदोलन

(1857)

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का स्थापना दिन

(1885)

गांधीजी का सत्याग्रह आन्दोलन

(1915 – 1947)

पाकिस्तान के विभाजन और आजादी

(1947)

भारतीय संविधान

वर्तमान समय

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भारत का इतिहास

भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहते हैं? भारत को सोने की चिड़िया इसलिए नहीं कहते हैं की भारत के पास बहुत पैसा है या सोने की खदान है बल्कि इसलिए कहते हैं क्योंकि भारत की शिक्षा उत्तम दर्जे की थी और है| भारत अपने ज्ञान के कारण सोने की चिड़िया कहलाया|

आइए “भारत का सम्पूर्ण इतिहास” समझते है:

भारत को India कहने वाले यूरोपीयन देश थे| भारत अपने आपको इंडिया नहीं कहता इंडिया शब्द इंडिका (ग्रीक) से आया| तुर्कों ने भारत को हिंदुस्तान कहा| अरबो ने अल-हिन्द और हउदा कहा लेकिन भारत के लोग भारत को जम्बूद्वीप आर्याव्रत कहते थे यह इसका प्राचीन नाम है|  

अंग्रेजों को जब यह पता चला की भारत की पहचान सिंधु घाटी सभ्यता से है जिसे इंडस वैली भी कहा जाता है तो अंग्रेजों ने भारत को इंडिया कहना शुरू कर दिया और यहीं से भारत को इंडिया के नाम से जाना जाने लगा|   

भारत की परिभाषा क्या है? भारत के एक बहुत बड़े स्कॉलर श्री अभिषेक मिश्र जी (वाराणसी) ने भारत के इतिहास के बार में बताते हुए कहते हैं की भारत को कई नामों से जाना जाता है जैसे इंडिया, भारतवर्ष, हिन्दुस्तान, हिन्द, हिन्द देश, आर्यावर्त (पुराना नाम) है| भारत को “भारत गणराज्य” कहा जाता है अंग्रेजी में “Republic of India” भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, भारत दुनिया का सबसे बड़ा जनसंख्या वाला देश है| भारत ने आज तक किसी भी देश पर आक्रमण कर कब्ज़ा नहीं किया| भारत एक विश्व गुरु है, योग गुरु है, यह ऋषियों का देश है| आध्यात्मिक उन्नति का केंद्र है|

भारत का नाम कैसे पड़ा – मनु देवी से ऋषभ का जन्म हुआ ऋषभ से भारत का जन्म हुआ उन्हीं के नाम पर भारतवर्ष पड़ा “वर्ष” का मतलब देश होता है|     

यानी ऋषभ और मनु देवी के पुत्र के “भारत” के नाम पर पड़ा इसके पहले भारत का नाम आर्यावर्त हुए करता था|  

दूसरा उदाहरण भारत को भौगोलिक दृष्टि से समझे उत्तर में हिमालय पर्वत और दक्षिण में हिन्द महासागर स्थित है इनके बीच के जमीन को भारत कहते हैं| इसमें पश्चिम में पाकिस्तान जो भारत से अलग हुआ उत्तर पूर्व में नेपाल अलग हुआ पूरब में भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार हैं स्वतंत्र राष्ट्र बना| दक्षिण-पश्चिम में मालदीव है, दक्षिण में श्रीलंका, दक्षिण-पूर्व में इण्डोनेशिया स्थित है|  

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भारत का मतलब क्या है? भारत शब्द से हम क्या समझते है?

भारत के लोग अपने जमीन से जुड़े लोग हैं हमें हमारी संस्कृति पता है हमारे नाना-नानी, दादा-दादी हमारी रीति-रिवाज परंपरा के बारे में बताते हैं हम जमीन से जुड़े लोग है| उदाहरण के लिए अगर आप पठान हैं तो आप पश्तून हैं जब एक बच्चा जन्म लेता है तो भाषा उसकी माँ ही सिखाती है बच्चा बड़े आसानी से अपनी मातृ भाषा सीख लेता है| उसके संस्कृति में पश्तून मिलेगा उसका माहौल वैसा होगा|

उसी प्रकार भारत की सभ्यता को कांग्रेस बदलने का प्रयास कर रही थी इसी कारण स्वदेशी आन्दोलन के अंतर्गत आरएसएस (RSS) का जन्म हुआ| सन 1925 में लोग कांग्रेस से अलग हो रहे थे क्योंकि कांग्रेस की विचारधारा देश के विरुद्ध जा रही थी यह लोग भारत के आक्रांताओं को अपने इतिहास में शामिल कर इनको अपना हीरो बताने लगे थे जबकि वह आक्रान्ता थे उन्होंने हम पर आक्रमण किया था और जो देश के लिए अपनी जान बलिदान कर दिए इनके बारे कुछ नहीं बताया जाता था|     

भारतीयता क्या है? भारतीयता अर्थ और इसका मतलब क्या है? – भारतीयता से मतलब उस विचार और भाव से है जो हमें जोड़ता है| जमीन से जुड़ना अपनी सभ्यता जानना| उदाहरण के लिए एक मुसलमान कौम के नाम पर बनता हैं इसका संबंध है “अल्लाह से”| जब एक मुसलमान दूसरे मुसलमान को देखता है- तेरा मेरा रिश्ता क्या “ला इलाहा इल्लल्लाह मोहम्मद रसूलल्लाह” हमारी कौम बन गई| कोई कलमा पढ़ लेगा यह मुसलमानों का कौम बन गया|

भारतीय कैसे जमीन से जुड़े है इसको जानो भारत का प्रत्येक इंसान अपनी सभ्यता (culture) से जुड़ा है मुसलमान कलमे से जुड़ा है| दोनों में यह अंतर है| भारत की खूबसूरती यह है अगर आप कलमे से जुड़े हैं और अपनी मिट्टी से भी जुड़े है तो आप भारतीय है| आपके दिमाग में कौन सा भगवान, अल्लाह, गॉड आ रहें है इससे हमें कोई मतलब नहीं है आपको बस अपने मिट्टी अपने देश से प्यार होना चाहिए हमारे लिए “Nation first” बाद में आपका धर्म आता है|

क्योंकि मिट्टी अपने में सर्व धर्म संपन्न है या कोई धर्म नहीं है मिट्टी किसी में कोई भेदभाव नहीं करती यह तो प्रकृति का एक भाग है जो सबके लिए उपलब्ध है| इसलिए हिंदुस्तान में धार्मिक आजादी है सबके लिए है| हमारे लिए जन्म देने वाली माँ और धरती माँ से बड़ा कोई नहीं है गाये को भी हम माँ मानते है क्योंकि वह हमें अपने दूध से पोषित करती है| हमारे लिए यह स्वर्ग के सामान है हमारे लिए यह भगवान है|

जब एक मुसलमान अपने आप को कलमे से जोड़ता है तो वह मिट्टी से दूर होता जाता है क्योंकि इस्लाम में हदीस या कुरान क्या कहता है यह अपने मिट्टी से जुड़ना नहीं सिखाता है यह “Culture of Arabia” को अपने साथ ले आता है आपका जन्म भारत में हुआ है लेकिन आप अपनी सभ्यता अरब देश को मानते हो तो आप जमीन से कैसे जुड़े हो?

और सबसे मजेदार बात यह है की कोई भी हिन्दुस्तानी मुसलमान अरब देश की नागरिकता नहीं ले सकता है| आप मुसलमान हो आप अपनी सभ्यता को छोड़कर उनके सभ्यता को अपनाते हो और वही अरब देश आपको अपनी नागरिकता नहीं देता| इसे ही दोगलापन कहते है| आपका दोगलापन यह है की आप भारत में जन्मे भारत आपकी सभ्यता और प्रेम अरबी यह क्या बात हुई? इसलिए मुसलमान एक उलझन (confused religious) वाला धर्म है|

जो अपने मिट्टी से कटा हुआ है| पैदा भारत में हुए हैं भोजन भारत का खा रहें हैं लाभ भारत से ले रहें लेकिन धर्म अरबी मुसलमान अपनाते हैं जिनका इनसे दूर-दूर तक कोई रिश्ता-नाता नहीं है| न वह इनके वंशज है, न खानदान के हैं अगर आप वंशावली (कुर्सी नामा) देखते हैं तो आप पाएंगे हर कोई, हर एक इनसान के पर-पर दादा हिन्दू थे| अरब से या उज्बेकिस्तान, मंगोल से आक्रान्ता आयें लेकिन वह बसे नहीं थे वह लोगों को धर्म परिवर्तन कर चले गए थे|

आज वह हिन्दू बड़े गर्व से अपने आपको मुसलमान मानते हैं| उस काल में जो भी हिन्दू अपने आपको मुस्लिम धर्म में परिवर्तन किया उसके कई कारण हो सकते हैं जैसे उनका डर, खौफ, जान से मारने की धमकी, लालच आदि कोई भी कारण हो सकते थे| यह वह हिन्दू थे जो कायर थे देश के गद्दार थे जिन्हें अपने देश से प्यार नहीं था यानी भारत का हर मुस्लिम कायर था देशद्रोही था लेकिन उदार भारत फिर भी इनको अपनाया और स्थान दिया रहने के लिए|

मुग़ल कहाँ के थे यह सेंट्रल एशिया के लोग थे मंगोलिया, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान यहाँ से मुग़ल आये थे भारत पर आक्रमण करते लोगों का कत्ल करते लुटते और चले जाते थे|

अब मुगलों के साथ क्या हुआ इनको मार-मारकर दुम्बा बनाया ईस्ट स्लाविक लोग जिन्हें रस्सियन (रूस) कहते हैं यह लोग आये इन्होंने पूरा सेंट्रल एशिया जीत लिया यह मुग़ल जो भारत में घुस गए थे यूरोप के कुछ देशों में अपना इस्लामिक राज्य स्थापित किया उसको रूस मार मारकर भुरता बना दिया था और इनके पूरे साम्राज्य को खा गया और सिर्फ खाया ही नहीं इनके फारसी और उर्दू को समाप्त कर दिया गया और यह अब अंग्रेजी और रसशियन भाषा पढ़ते हैं|

Mustafa Kemal Atatürk (कमाल अतातुर्क) जिन्हें कहते हैं (father of turkey) जब रोमन साम्राज्य टूट गया तो तुर्की बचा वह कमाल अतातुर्क ने अरबी इस्लामी भाषा इस्तेमाल करने से माना कर दिया और अंग्रेजी को अपनाया वह यूरोप के साथ जाना पसंद किया वनस्पत सऊदी अरब के साथ| आज कोई तुर्किये (तुर्की) के लोग अरबी स्क्रिप्ट (लिपि) का इस्तेमाल नहीं करता है सब अंग्रेजी (रोमन abcd) का इस्तेमाल करते हैं|

तुर्क मुसलमान खुद रोमन अंग्रेजी अपना लिए लेकिन हिन्दुस्तानी मुस्लिम आज भी उर्दू भाषा अपना रहें है|      

अब सवाल उठता है इस्लाम कहाँ से आया? इस्लाम अपना इतिहास बाइबिल में देखता है और बाइबल से ही इस्लाम, यहूदी, ईसाई सब अपना इतिहास बाइबिल से ही दिखाते है “प्रोफेट मोहम्मद का इतिहास” सब लोग बाइबिल को ही अपने जन्म का श्रोत बताते है| अगर बाइबिल न होता तो यह धर्म भी न होते|

उदाहरण के लिए “पश्तून” जो आज पाकिस्तान-अफगानिस्तान-वजीरिस्तान में है वह कहाँ से आये अभिषेक मिश्र जी की रिसर्च बताती है की यह पश्तून जिनको पख्ता या पठान भी कहा जाता है का जिक्र ऋग वेद में मिलता है| लेकिन कुरान में भी जिक्र नहीं आता पश्तूनो का| उस वेद को वहाँ के मुसलमान गाली देते हैं यानी अपने दादा पुरखों को भी यह लोग नहीं छोड़ रहें हैं जिनके वंशज है उसी वेद को यह मुसलमान गाली देते हैं कम से कम इतिहास तो पढ़ लेना चाहिए|

इनकी पहचान भारतीय से जुड़ी है राजा सूर्यास से कुछ विवाद हो गया था गुरु विश्वामित्र से तो विश्वामित्र ने भारतीय 10-11 राजाओं (अनस, ध्रुयुस, भालना, अलीना, प्रित्यु, शिवास, ध्रुगु, परशु, शिमियु, मत्श्य, पश्ता) को बुलाकर इनपर आक्रमण कराया और उनको हराए थे|

तो पश्ता से पठान और पश्तून निकले हैं| इस प्रकार यह सब क्षेत्र भारत का ही हिस्सा है| सिर्फ मुस्लिम धर्म अपना लेने से इनके दादा-पुरखा नहीं बदल जाते या इनका इतिहास नहीं बदल जाता यह सब भारत का ही हिस्सा थे|

उज्बेकिस्तान में लोग अगर नमाज पढ़ते पाए जाते थे तो रसियन (रुसी) लोग आकर सोते (चाबुक) मरते थे क्योंकि वह किसी धर्म को नहीं मानते थे| उनके ऊपर पूरी तरह पाबंदी थे अपने मुस्लिम धर्म के रीति-रिवाज पर इसे कर्मों का फल ही कहेंगे उन लोगों ने जैसा हिन्दुओं के साथ किया वैसा ही उनके साथ रसिया (रूस) के लोगों ने किया|

अरबों ने मुगलों को इस्लाम दिया मुग़ल ही अरबों को अपना गुलाम बनाने लगे| मुगलों ने हिन्दुओं को नुकसान पहुँचाया कत्ले-आम किया तो रसियन ने मुगलों को नेस्तनाबूद कर दिया मुगलों के दो बहुत बड़े सम्राट थे एक खानिद ऑफ़ कोकन और दूसरा खानिद ऑफ़ खायारा को रूस ने पूरी तरह ख़त्म कर दिया इनके धर्म इस्लाम को भी ख़त्म कर दिया और पाबंदी लगा दिया इस्लाम के पालन पर|   

यह है इस्लाम का उदय और विस्तार जो हमें नहीं पढ़ाया जाता यह “इस्लाम का इतिहास” का कड़वा सच भी है|

भारत की प्राचीन शिक्षा प्रणाली

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भारत की प्राचीन शिक्षा प्रणाली

भारत की प्राचीन इतिहास (Indian history) प्राचीन शिक्षा प्रणाली (प्राचीन भारतीय शिक्षा की विशेषताएं) में विद्यार्थी को चार आयामों पर ध्यान केंद्रित कराया जाता था| “भारत का सम्पूर्ण इतिहास” में शिक्षा के अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है| भारत अपनी शिक्षा पद्धति के कारण हर क्षेत्र में हमेशा से आगे रहा|    

1) आचार्य (गुरु),

2) विद्यालय (शिक्षालय),

3) आश्रम (रहने का स्थान) और

4) गुरुकुल (शिक्षा ग्रहण करने का स्थान)

गुरुकुल प्रणाली में छात्र अपने गुरु के आगे गुरुकुल में निवास करते थे और उन्हें धर्म, ज्ञान, शिक्षा और शिक्षा का व्यापार में किस प्रकार लाभ लिया जाये इसका प्रशिक्षण प्राप्त करना यह उद्देश्य था| इसके साथ ही शिक्षा का मूल ध्येय ब्रह्मचर्य, तपस्या और सेवा में समर्पण भाव| विद्यार्थियों को विद्या के साथ-साथ सभ्यता, नैतिकता और धार्मिकता की भी प्रशिक्षण दी जाती थी| शिक्षा का व्यापार मुख्य रूप से वेद, उपनिषद, ग्रंथों और पुराणों के माध्यम से होता था|

जिनमें विभिन्न विषयों और कला की जानकारी शामिल थी| इस प्रणाली में गुरु और छात्र के बीच एक गहरा तालमेल होता था और गुरु को छात्र के पूर्ण विकास की जिम्मेदारी होती थी| यह हमारे “प्राचीन भारत का इतिहास” का एक हिस्सा रहा है यह हमारे ऋषियों की देन है| 

Old India

Old India Photo

भारत कैसे एक विकसित देश था

भारत आज से नहीं आदिकाल से विकसित देश था इस बात का प्रमाण जानने के लिए इस पूरे लेख को पढ़िए (प्रमाण के साथ)|

भारत की शिक्षा व्यवस्था के बारे में आचार्य श्री राजीव दीक्षित जी कहते हैं सन 1931 लंदन में भारत की शिक्षा व्यवस्था पर चर्चा हो रही थी जिसमें महात्मा गाँधी को भी आमंत्रित किया गया था चर्चा में अंग्रेज ने भारत के विरोध में एक बात कहीं उन्होंने कहा अगर अंग्रेज भारत नहीं गए होते तो आज भारत का एजुकेशन सिस्टम बहुत ही ख़राब होता| इस बात से नाराज होकर गाँधी ने कहा अगर अंग्रेज भारत नहीं आये होते तो आज भारत की शिक्षा व्यवस्था आप से भी बेहतर होती क्योंकि अंग्रेज के आने से पहले भारत की शिक्षा व्यवस्था बहुत उत्तम थी|

इस बात पर एक अंग्रेज के पूछा यह बात आप किस आधार पर कह सकते हैं गांधीजी ने कहा मैं भारत के गाँव-गाँव से वाकिफ हूँ मैं उनके खंडरों से प्राप्त जानकारी के आधार पर यह कह सकता हूँ की भारत की शिक्षा अति उत्तम थी उसको विध्वंस किया गया है| वार्तालाप ख़त्म हुआ श्री गाँधी भारत लौट आये|

गाँधी जी ने अपने काफी नजदीकी प्रोफेसर धर्मपाल जी से एक बात कही आप भारत की पुरानी शिक्षा व्यवस्था पर अध्ययन करो और उसपर एक विस्तृत लेख बनाओ प्रोफेसर धर्मपाल जी ने इसको अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया और लग गए काम पर|

उन्होंने 40 वर्षों तक इसपर अपना research किया वह विभिन्न देशों में गए वह हर देश की शिक्षाओं पर अध्ययन किया भारत के हर प्रान्तों का अध्ययन और विश्लेषण किया 40 वर्षों के अथक प्रयास के बात वह पाए की भारत की शिक्षा व्यवस्था दुनिया में सबसे उत्तम दर्जे की थी ऐसी व्यवस्था किसी भी देश की नहीं थी|

सन 2006 में पूर्व PM डॉ मनमोहन सिंह को जब doctorate की उपाधि University of Cambridge में दिया गया तो वह अपने संबोधन भाषण में 40 मिनट तक भारत की बुराई करते रहें watch the short video और अंग्रेजों का गुणगान करते रहें उन्होंने कहा हम अंग्रेजों के अहसानमंद है की वह भारत आये अपनी शिक्षा व्यवस्था भारत लाये हम भारतीय आप (अंग्रेजों) के शुक्रगुजार है की उन्होंने हमें शिक्षित किया इस तरह 40 मिनट तक बकवास करते रहें (वह भाषण भारत के स्वाभिमान को नीचा दिखाने वाला था)|

उनके अन्दर अपने देश के प्रति वफ़ादारी-स्वाभिमान मर चूका है उनको चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए| ऐसे देश द्रोही जो अपने देश का खाते है इस देश ने आपको मान-सम्मान, धन-दौलत दिया उस मातृभूमि की बुराई करते वक्त तेरा मुंह नहीं कंपा एहसान फरामोश मनमोहन सिंह जी|

इसके बात सभी अखबार में यह लेख छपा की former PM of UK Mr.Winston Churchill ने 1945 में यह कह दिया था की यह देश आजाद देश होने लायक नहीं है और मनमोहन सिंह ने यह साबित और सिद्ध कर दिया की भारत अभी भी मानसिक रूप से गुलाम है|

उसके बाद आचार्य श्री राजीव दीक्षित जी ने 250 पन्नों का एक लेख (पूरी किताब) लिखकर भेजी और कहा की आप भारत के बारे में कुछ भी नहीं जानते आप देश के इतिहास से अनपढ़ है| कृपया इस लेख को पढ़े और जानो अपने देश को| हमें आप पर शर्म आती है जो भारत को नहीं जाना उलटे बुराई पर बुराई करते रहें आपने यह सिद्ध कर दिया की आप देश के सबसे बड़े अनपढ़, देशद्रोही, गद्दार है|

भारत की शिक्षा अंग्रेजों के पहले कैसा था, भारत की तकनीकी अंग्रेजों के पहले कैसा था, भारत की साहित्य अंग्रेजों के पहले कैसा था, भारत की विज्ञान अंग्रेजों के पहले कैसा था, भारत की व्यवसाय अंग्रेजों के पहले कैसा था यह पूरे दुनिया में सबसे उत्तम था|

हम हर चीज में उनसे उत्तम थे इन सब बातों को दस्तावेजों के आधार पर अगर कोई समझे तो भारत सबसे उत्तम थे|   

अब आगे हम जानेंगे की भारत कैसे दुनिया में सबसे आगे थे किसी भी देश की प्रगति उसके शिक्षा व्यवस्था से जाना जा सकता है मसलन प्राचीन समय भारत में “भारत का प्राचीन विश्वविद्यालय” था “विश्व का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय” भी भारत में था उस समय दुनिया में कोई स्कूल नहीं था उस काल में हमारे पर विश्वविद्यालय थी|   

भारत की शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए कई अंग्रेज आये जिसमें से Willam Adam जो Lord of House (Britain)  का सांसद था उन्हें भारत भेजा गया उनके नीचे काम करने वाले एक अधिकारी थे “टीबी मेकॉले”| इन्होंने भारत के शिक्षा प्रणाली पर 1780 पन्ने का एक विस्तृत लेख तैयार किया इस रिपोर्ट से यह पता चला की भारत का शिक्षा-प्रणाली कैसा है|

Willam Adam का यह वक्तव्य रिकार्ड के रूप में आज भी ब्रिटेन के संसद में सुरक्षित है|  

Willam Adam, 2 फ़रवरी 1835 इंग्लैंड के संसद में भाषण दे रहें थे उन्होंने कहा मैंने पूरा भारत घूम लिया है उत्तर से पश्चिम, पूर्व से दक्षिण तक और मैंने भारत का बाहरी क्षेत्र और आंतरिक क्षेत्र दोनों देख लिया है मैंने जो देखा है वह आप विश्वास नहीं करेंगे फिर उन्होंने कहा सम्पूर्ण भारत भ्रमण करने के बाद मुझे आज तक कोई भिखारी देखने को नहीं मिला, कोई बेरोजगार नहीं दिखा, कोई ऐसा नहीं दिखा जो दूसरे पर आश्रित हो यह बात आज से लगभग 170 साल पहले की बात है यानी सन 1835 की बात है| आगे उन्होंने कहा भारत के गुजरात का सूरत शहर में इतनी संपत्ति है की पूरे यूरोप में नहीं होगा|

एक सांसद खड़े होकर बोले अगर हम भारत पर राज करना चाहते हैं तो सबसे पहले उनका धन ख़त्म करना होगा| इसपर एक सांसद ने कहा तुम्हारे पास उनके धन को ख़त्म करने का क्या उपाय है तब उन्होंने कहा की इनके शिक्षा व्यवस्था को ख़त्म करना होगा न की इनके धन को|

फिर किसी ने पूछा की उनकी शिक्षा व्यवस्था कैसा है? उन्होंने कहा यहाँ निरक्षता नहीं है| यानी सब अपने-अपने क्षेत्र में माहिर है| यानी सब शिक्षित है| दक्षिण भारत में 100% साक्षरता है| पश्चिम भारत में 98% साक्षरता है| उत्तर भारत में 82% साक्षरता है| और मध्य भारत में 78% साक्षरता है| कुल मिलकर पूरा भारत 100% शिक्षित (साक्षर) है| एक सांसद उनमें से खड़ा होकर कहता है क्या आप यह बता सकते हैं की इंग्लैंड की साक्षरता कितनी प्रतिशत है इस पर वहां का शिक्षा मंत्री कहते हैं पूरे इंग्लैंड का कुल साक्षरता 17% भी नहीं है|   

एक सांसद ने पूछा इसका क्या कारण है? उन्होंने कहा भारत में कुल 7,32,000 राजस्व गाँव है और हर गाँव में गुरुकुल (स्कूल) है जहाँ बच्चे शिक्षा लेने जाते हैं| तो इस प्रकार से इंग्लॅण्ड के हाउस ऑफ़ कॉमन्स में यह चर्चा हुआ| जिसका रिकार्ड आज भी वहां उपलब्ध है|

आगे, फिर एक सांसद ने पूछा गुरुकुल में क्या होता है? उन्होंने कहा इसमें शिक्षा दी जाती है यानी पढ़ाते है लोग शिक्षा ग्रहण करते है| पढ़कर निकलते हैं और अपना व्यवसाय करते हैं|

फिर एक सांसद ने पूछा अच्छा बताओ गुरुकुल में कितने लोग पढ़ते है? उन्होंने कहा मैंने सबसे बड़ा गुरुकुल बीस हजार (20,000) लोगों का देखा और सबसे छोटा दो सौ (200) लोगों का देखा|

फिर एक सांसद ने पूछा 20000 लोगों को पढ़ना तो बहुत मुश्किल होता होगा इसकी व्यवस्था कैसे होती है इनको पढ़ाया कैसे जाता है?

फिर उन्होंने कहा उनके पास monitorial education होता है मतलब, जो विद्यार्थी शिक्षा ले चुके हैं वह अपने नीचे वाले को पढ़ाएंगे उनके नीचे पढ़ने वाले विद्यार्थी अपने नीचे वाले को पढ़ाएंगे फिर वह अपने नीचे वाले को… इस तरह यह क्रम चलता जाता है और लोग शिक्षा ग्रहण करते जाते हैं|

फिर एक सांसद पूछे हैं यह शिक्षा किन वर्ग के लोगों के लिए हैं? हमने तो सुना है ब्राह्मण वर्ग को ही शिक्षा का अधिकार है क्या ऐसा है?

उन्होंने कहा यह शिक्षा सभी वर्गों के लिए हैं (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र)| अब शिक्षा के मामले में दक्षिण भारत में शूद्रों (42%) और महिलाओं (98%) की संख्या सबसे ज्यादा है| 

पश्चिम भारत के गुरुकुल में ब्राह्मणों और वैश्यों की संख्या सबसे ज्यादा है|

उत्तर भारत के गुरुकुल में क्षत्रियों की संख्या सबसे ज्यादा है|

और मध्य भारत में लगभग सब बराबर है|            

सन 1881 में अंग्रेजों द्वारा जो जनगणना कराया गया उमसे महिलाएं लगभग 53% और पुरुष 47% पुरुष है|

फिर एक प्रश्न आया इनको पढ़ाया कैसे जाता है? क्या इनको एक साथ पढ़ाया जाता है या क्या व्यवस्था है?

उन्होंने कहा लड़कियों को पढ़ने के लिए महिलाएं हैं और लड़कों के लिए पुरुष है|

फिर एक सांसद पूछते हैं क्या इन अध्यापकों को कौन पढ़ता है?

वह कहते हैं अध्यापकों को प्रशिक्षित करने के लिए उच्च-अध्ययन केंद्र होते हैं जहाँ इनको बाकायदा ट्रेनिंग दिया जाता है और तैयार होने के बाद वह गुरुकुलों में पढ़ाने का काम शुरू कर देते थे|

अब एक सांसद पूछते हैं इनको क्या-क्या पढ़ाया जाता है? किस विषय पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाता है?

उन्होंने कहा इनको 18 विषय पढ़ाया जाता है जो निम्नलिखित है:

सबसे ज्यादा गणित पर जोर दिया जाता है| फिर खगोल शास्त्र (astronomy) है| इसको सब पढ़ते हैं| फिर धातु विज्ञान (Metallurgy)|

फिर कारीगरी विषय है| इसमें कई प्रकार के काम आते हैं जैसे- मिट्टी के बर्तन बनाना, लोहे का काम, लकड़ी का काम, बांस का काम करने वाले आदि|

अगला विषय क्या है? वह कहते हैं (Astro physics)| फिर रसायन शास्त्र पढ़ते हैं|

चिकित्सा शास्त्र पढ़ाते हैं| इसके दो भाग है पहला औषधि विज्ञान (medicine) दूसरा शल्य चिकित्सा (surgery) है|

इस प्रकार वह पूरे अठारह विषय बताता है|

फिर एक सांसद पूछते हैं यह कैसे संभव है की 18 विषय को एक साथ पढ़ना? वह कहते हैं एक बच्चा 5 वर्ष की आयु में गुरुकुल में प्रवेश पाता और जब वह निकलता है तो उस समय उसकी आयु 21 वर्ष की होती है इसलिए वह हर विषय सीख जाता है|

अब एक प्रश्न आता हैं इन विषयों को कैसे पढ़ाये जाते हैं? क्या एक साथ पढ़ाये जाते हैं क्या रोज पढ़ाये जाते है कैसे होता है?

तो जवाब आता है नहीं-नहीं एक साथ नहीं पढ़ायें जाते हैं एक विषय लिया 6-7 महीने का समय लिया जाता है फिर इनको पूरा किया जाता है, फिर दूसरा विषय लिया उसको पूरा किया, फिर तीसरा विषय लिया इस प्रकार इनको पढ़ाया जाता है| इस प्रकार 16 साल में सब विषय पूरा कर लिया जाता है|

अब अगला सवाल आता है इनके परीक्षा कैसे होता है?

तो वह बताते हैं इनका परीक्षा नहीं होता है एक विषय पूरा होने पर इनको एक काम या project दे दिया जाता है उसी आधार पर आचार्य उनको अंक देते हैं| उनको प्रश्न-उत्तर हल नहीं करने होते हैं उनको उसी विषय का कार्य दिया जाता है जिसको पूरा करना होता है| इस प्रकार उनका परीक्षा या उसके योग्यता को जाँचा जाता है|

फिर Willam Adam से पूछा गया हमारे इंग्लॅण्ड के शिक्षा का क्या व्यवस्था है? उसने कहा यहाँ पूरे 200 स्कूल है जिसमें गणित पढ़ाने का किसी को कोई ज्ञान नहीं है यहाँ सिर्फ और सिर्फ बाइबिल पढ़ाया जाता है और कुछ नहीं पढ़ाया जाता क्योंकि किसी को कुछ आता ही नहीं है| हमारे यहाँ सोलहवीं शताब्दी तक तो कोई भी स्कूल नहीं था और भारत में 7,32,000 गुरुकुल हैं|

यहाँ एक मजेदार बात यह समझने की हैं की पूरे यूरोप में प्लेटो (Plato) को दूसरा भगवान मानते हैं (ईसा मसीह के बाद)| उसने जो लिख दिया वह अमर है| उसने बहुत सी पुस्तक लिखी है| मतलब यूरोप की सभ्यता का जनक प्लेटो है| उनकी दो सबसे ज्यादा चर्चित पुस्तक है

1) The Republic और 2) Laws है|

The Republic में प्लेटो कहते हैं शिक्षा की जरूरत सभी को नहीं होती हैं सिर्फ राजा और उनके मंत्रियों को होती हैं जनता को नहीं होती हैं क्योंकि सभी को उनके आदेश का पालन करना होता हैं इसलिए जनता को शिक्षा की जरूरत नहीं है|

प्लेटो कहते हैं आत्मा सिर्फ राजा में होता है उसे ही फैसला करने का अधिकार है प्रजा में आत्मा ही नहीं होती है| इसलिए कानून सिर्फ प्रजा के लिए है और आदेश देने का काम राजा का है| प्लेटो ने आत्मा का इंसानों पर वर्गीकरण किया| राजा के बाद दूसरे नंबर पर बड़े व्यापारी आते हैं तीसरे नंबर पर कारीगर हैं संगीतकार आदि हैं| इसके बात खेत में काम करने वाले, फैक्ट्री में काम करने वाले फिर प्लेटो कहते हैं महिलाओं में आत्मा होता ही नहीं है वह तो इस्तेमाल करने की वास्तु हैं जब मन किया इस्तेमाल किया मन नहीं किया दूसरी ले आओ| यह विचार थे प्लेटो के|

उसने अपने किताब में लिखा है गवाही में कभी भी स्त्री के गवाही पर विश्वास नहीं करना चाहिए| क्योंकि उसको सत्य का ज्ञान नहीं है उसके पास विवेक नहीं हैं क्योंकि उसके पास आत्मा नहीं है| इसलिए यूरोप में और भारत में भी सन 1950 तक किसी भी महिला की गवाही नहीं मानी जाती थी|

फिर यूरोप में बगावत हुआ जिसको वीमेन लिव “Women’s Lives” कहा जाता है इस आन्दोलन का नेतृत्व Semen the bauer कर रही थी उसने कई वर्ष आन्दोलन किया तब जाकर फ़्रांस में यह कानून बना की किसी तीन महिला का गवाही एक पुरुष के बराबर मान्य होगा|

सन 1950 तक किसी भी महिला को वोट डालने का अधिकार प्राप्त नहीं था| बैंक में अकाउंट खोलने का भी अधिकार नहीं था| अकाउंट उसके पति के नाम पर खुलेगा पति नहीं रहने पर उसके बेटे के नाम पर खुलेगा बेटा न हो तो उसके पढ़ोसी के बेटे के नाम पर खुलेगा लेकिन उस (महिला) के नाम पर अकाउंट नहीं खुलेगा|

यह सब चर्चा ब्रिटिश पार्लियामेंट में चर्चा हो रहा है इसका प्रमाण आज भी इंग्लैंड के पार्लियामेंट में मौजूद है|    

एक सांसद ने पूछा यह कैसे हो गया की हम कहते हैं स्त्री में आत्मा नहीं होती और भारत वाले स्त्री को (देवी) परमात्मा के सबसे करीब मानते हैं?

मेकॉले कहते हैं क्योंकि महिलाओं में कुछ गुण ज्यादा होते हैं इसलिए वह पुरुषों से श्रेष्ठ होती हैं| और इस बात का प्रमाण उनके ऋग्वेद में स्पष्ट लिखा है|

और हमारे यहाँ 2500 वर्ष तक “witch hunting” एक परंपरा चली जिसमें जिन स्त्रियों की पति मर गए हैं उनको खोज-खोज कर मार दिया जाता था| हम तो भारत से काफी पीछे हैं| भारत में सती प्रथा था वही उनके यहाँ विच हंटिंग था|

भारत में सती प्रथा? भारत की सती प्रथा क्या है?

एक सबसे अच्छा उदाहरण भारत के गोंड समाज में देखने को मिलता है जब उनके परिवार में किसी स्त्री का पति मर जाता हैं तो उसके गाँव के लोग पूरे विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार की तैयारी करते हैं और श्मशान घाट ले जाते हैं साथ में उसकी पत्नी भी चलती हैं मंत्रोच्चार के साथ चिता में आग लगा दी जाती हैं फिर वह विधवा स्त्री एक चक्कर मारकर लोगों से पूछती हैं (सबसे पहले अपने परिवार से) क्या वह मेरी जिम्मेदारी लेंगे? अगर हाँ तो वह चली जाती है अगर कोई जवाब नहीं आता हैं तो वह दूसरा चक्कर लगाती है क्या महाजन लोग मेरी जिम्मेदारी लेंगे?

फिर जवाब का इन्तेज़ार करती हैं फिर तीसरा चक्कर लगाती है क्या इस समाज के आचार्य गण मेरी जिम्मेदारी लेंगे? इस तरह कुल सात चक्कर लगाती हैं अगर कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता हैं तो वह गाँव छोड़कर चली जाती है और दूसरे गाँव के मंदिर में जाकर भजन-भाव करती हैं यह सती प्रथा थी|

इसके अलावा भी कई तरह की सती प्रथा थी जैसे पति के साथ चिता पर जलना यह प्रथा भी रहा है|        

आज का मोर्डेन विज्ञान भी यह प्रमाणित करता है स्त्रियों में एक क्रोमोसोम (chromosome) पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा होता है वही सारा खेल खेलता है|  

स्त्रियों में समझदारी ज्यादा होता है उनमें क्रियात्मक ज्ञान ज्यादा होता हैं और पुरुषों में फालतू ज्ञान ज्यादा होता है|

Plato image

Plato

प्लेटो के बाद के जितने भी पश्चिमी देश के दार्शनिक आये सभी ने उनके बात का समर्थन किया लेकिन अठारहवीं शताब्दी में लोग इनके विचार से असहमत होने लगे और शिक्षा की जरूरत सभी को महसूस होने लगा|

इंग्लैंड में 2000 वर्ष पहले ईसाइयत आया तभी बाइबिल आया उसी समय से जागरूकता आया और बाइबिल की शिक्षा लोगों को दिया जाने लगा| उसके पहले किसी का कोई धर्म नहीं होता था सब लोग कबाइलियों में रहते थे| इनकी संख्या एक हजार होती थी| उनका अपना रीति-रिवाज होते थे|    

जब वहां ईसाइयत और आपस में संघर्ष शुरू हुआ तब उन्होंने बाइबिल स्कूल शुरू किया गया| इस प्रकार बाइबिल से उनकी शिक्षा का प्रारम्भ होता है| और यह बाइबिल स्कूल केवल सनडे (एक दिन) ही पढ़ाया जाता है बाकी के दिन छुट्टी रहता है इन्हें Sunday school के नाम से जाना जाता था|

बाइबिल में न्यू टेस्टामेंट ओल्ड टेस्टामेंट पढ़ाया जाता है बस और कुछ नहीं बताया जाता है| यह स्कूल आज भी यूरोप में पढ़ाये जाते हैं|

फिर एक सांसद एक प्रश्न पूछते हैं क्या भारत में जो शिक्षा दी जाती हैं उसका कोई वर्गीकरण हैं?

वह इसका बहुत सुन्दर उत्तर देते हैं भारत के विद्यार्थियों को दो चीज पढ़ाई जा रही है पहला शिक्षा है और दूसरा विद्या है| यह दोनों अलग चीज है इसे समझने की जरूरत है|

नाम विद्यालय रखा है और काम शिक्षालय का कर रहें हैं| शायद हमें यह नहीं पता विद्या क्या होता है? और शिक्षा क्या होता है? भारत का सम्पूर्ण इतिहास में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है कैसे समाज को चलाया जाये|  

विद्या क्या है?

विद्या अपने जीवन को अध्यात्म के रास्ते पर ले जाने वाले गुण को विद्या कहते है| अपने जीवन को ऊँचा उठाने वाली| आत्मा से परमात्मा से मेल करने वाली| मृत्यु के बात हमारी आत्मा कैसे परमात्मा में मिले जाये इस ज्ञान को बताने वाली विद्या को विद्या कहते हैं| धर्म क्या है? अन्याय क्या है? अच्छा क्या है? बुरा क्या है? इन सब बातों को बताने वाली विद्या को विद्या कहते है| यह हमारी प्राचीन शिक्षा पद्धति क्या है PDF

शिक्षा क्या है?

प्राचीन शिक्षा के उद्देश्य क्या थे? अलग-अलग विषयों के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेना शिक्षा कहलाता है| उदाहरण के लिए हमने गणित सीख लिया उस विषय में मास्टर बन गए या किसी काम में महारत हासिल कर लेना| जैसे लकड़ी का काम सीख लेना लोहा से सम्बंधित कार्य सीख लेना या मिट्टी के बर्तन बनाना उमसे दक्षता ले लेना| किसी भी विषय और गुण में महारत को शिक्षा कहते हैं|  

Indian study room

Study Center

फिर एक सांसद पूछते हैं क्या भारत में higher studies center उच्च शिक्षा की कोई व्यवस्था है?  

तो टीबी मेकॉले कहते हैं – “हाँ” 15,800 कुछ विश्व विद्यालय है उसने पूरा लिस्ट गिनाएं| हम आप तो कुछ नाम सुने है जैसे “नालंदा विश्व विद्यालय” “तक्षशिला विश्वविद्यालय” लेकिन मेकॉले बता रहें सन 1835 में अपने पार्लियामेंट में 15,800 (कुछ) यह एक बहुत ही बड़ी संख्या है|

एक “अमरावती विश्वविद्यालय” है जो बहुत मशहूर है यहाँ धातु विज्ञान बताया जाता है धरती के अन्दर पायें जानेवाले कच्चे धातु को कैसे अलग-अलग किया जाए, कैसे इनको अपने शुद्ध रूप में लाया जाये, कैसे इनको आकार दिया जाये और इनके क्या-क्या लाभ और हानि है| यह सब बताया जाता है| एक “कांगड़ा विश्वविद्यालय” है जो सर्जरी के लिए मशहूर है “राइनोप्लास्टी सर्जरी” एक अंग के चमड़ी को निकालकर किसी दूसरे अंग पर लगा दिया जाये इस तरह का ज्ञान दिया जाता है| इसको skin-grafting कहते हैं यह सब भारत में सन 1835 में होता था| भारत हमसे बहुत आगे है|

तभी एक सांसद (कर्नल कूट) खड़ा होकर बोला में भी भारत के एक युद्ध में मैं हैदर अली से युद्ध हार गया था तो वह मेरा एक नाक काटकर मुझे छोड़ दिए इस पर एक सांसद ने पूछा तुम तो युद्ध हार गए थे तुम्हारा तो सिर काट देना चाहिए था फिर उसने कहा भारत के लोग बहुत दयालु होते हैं वह मुझे नाक काटकर छोड़ दिए| फिर मैं कर्नाटक के बेल गाँव के एक वैध के पास गया और वह मेरे नाक को पुनः जोड़ दिए अब यह पूरी तरह ठीक है| इस तरह का उच्च स्वास्थ्य विज्ञान केवल भारत में ही है|

सन 1835 में  इंग्लैंड में चिकित्सा व्यवस्था और भारत की चिकित्सा व्यवस्था में क्या अंतर था?

इंग्लॅण्ड में चिकित्सा व्यवस्था

250 वर्ष ई०पूर्व० में उनके पास एक चिकित्सा व्यवस्था थी “hippocrates medicinal system” हिप्पोक्रेट्स नाम का एक व्यक्ति था (ग्रीस में) उसने एक सिद्धांत दिया जो आगे चलकर एलोपैथी का मूल सिद्धांत बना वह सिद्धांत यह था की अगर शरीर में कोई भी बीमारी हो गया है तो उसका एक कारण है रक्त दूषित हो जाना|

जैसे सर्दी-जुकाम, खाँसी, डायरियाँ, शरीर में दर्द, शरीर के अन्दर-बहार कुछ भी हो गया सबका एक ही कारण है रक्त का दूषित होना| इस रक्त को बाहर निकलना ही इसका ईलाज था|

भारत की चिकित्सा व्यवस्था

भारत की चिकित्सा इतनी अद्भुत है की वह थोड़ा सा चूरन खिला देते हैं अगले दिन मर्ज ठीक हो जाता है| जो चिकित्सा करते हैं उन्हें वैध कहते हैं| और उनके पास हर मर्ज का अलग-अलग ईलाज होता है वह ऑपरेशन भी करते हैं और हर मर्ज 100% गारंटी के साथ ठीक होता है|

सबसे बड़ी बात भारत के साधु-संत जड़ी बूटियों से इतना अच्छा दवा बना लेते हैं की एक या दो बार में ही मर्ज समाप्त हो जाता है|   

Gurukul

Indian Gurukul

भारत के प्रमुख गुरुकुल

bharat ka sampurn itihas” के इस लेख में  भारत के गुरुकुल का योगदान भारत के विकास में बहुत ज्यादा रहा है| विलियम एडम इंग्लैंड के सांसद में बताते हैं की भारत के आंध्रप्रदेश (विशाखापत्तनम) में कावेरी नदी के पास एक गुरुकुल हैं जो 12वी० शताब्दी का है जिसमें निर्माण (construction) के बारे में पढ़ाया जाता है इनके आचार्यों और छात्रों ने मिलकर एक बांध बनाया है जो दुनिया का सबसे पहला बांध है|

और वह बांध आज भी मौजूद है उसपर एक पत्थर पर लिखा है इसका निर्माण सन 1238 में हुआ है| कावेरी को सबसे ज्यादा प्रवाह वाली नदी मानी जाती है दक्षिण में उस पर बांध का निर्माण किया गया इसके निर्माण में चुने और गुड का इस्तेमाल किया गया इसका चौड़ाई कितनी हैं लगभग ढेड़ किलोमीटर लम्बा बांध इसको अंग्रेजी के Z आकार में बनाया गया था जो आज भी उपस्थित है| जो 800 वर्षो से ज्यादा समय से वैसे ही मौजूद है|

इसी प्रकार भारत में गाँव-गाँव में ऐसे हजारों तालाब और कुएं गाँव के लोगों ने बनाये हैं|

इस प्रकार आचार्य और विद्यार्थी मिलकर समाज का निर्माण कर रहें हैं|

कई गुरुकुल ऐसे भी जो बहुत समृद्ध शाली है तमिलनाडु में कुछ गुरुकुल ऐसे हैं जहाँ कृषि विज्ञान ऐसा सिखाया जाता है जहाँ एक एकड़ में 56 कुंतल चावल पैदा होता है| आज के भारत में एक एकड़ में 30 कुंतल चावल पैदा नहीं हो पा रहा है लेकिन उस ज़माने में 56 किलो तो सामान्य बात थी यह बात विलियम एडम बता रहें हैं| फिर वह आगे बताते हैं की भारत सुखी है इन गुरुकुलों के कारण| अगर भारत को गुलाम बनाना है तो इस शिक्षा व्यवस्था को तोड़ना होगा अन्यथा भारत गुलाम नहीं बनेगा|

फिर इंग्लैंड के राजा ने पूछा तुम्हारे पास क्या कोई उपाय है?

विलियम एडम कहता है “हाँ” सबसे पहले हमें कानून बनाना होगा जिसके तहत हम भारत की शिक्षा व्यवस्था को बंद करवा सकते हैं उन्हें गैर क़ानूनी घोषित कर देंगे हम यह कानून लंदन में बना देंगे यह कानून भारत में चला जायेगा कानून के आगे सबको झुकना होगा|

तब लंदन में एक कानून बना “Indian Eduction Act” भारत आया भारत के पार्लियामेंट में लागू हुआ और कहा गया संस्कृत के माध्यम से जो भी शिक्षा गुरुकुलों में दिया जा रही है वह सब गैर क़ानूनी है| फिर स्थानीय भाषा में जो भी शिक्षा दी जाती है वह भी गैर क़ानूनी है| तो क़ानूनी क्या है? शिक्षा अंग्रेजी माध्यम से दी जानी वाली शिक्षा क़ानूनी|

मेकोलेव ने भारत के ऊपर कानून लागु करवाकर गुरुकुलों पर अत्याचार का काम शुरू करवाया| अंग्रेज गुरुकुलों को जला देते थे आचार्यों का हाथ काट देते थे गला काट देते थे विद्यार्थी को मारा जाता था उनको दंड दिया जाता था अंग्रेज लोग भारतीयों को शिक्षा से वंचित रखते थे| भारत के पुस्तकालय को जला दिया गया| इस तरह लगभग 100 वर्षो तक अत्याचार चला सन 1840 से 1940 तक|

एक तरफ वह अत्याचार करते गए गुरुकुल खतम होते गए दूसरी तरफ उन्होंने भारत में कॉन्वेंट स्कूल शुरू किए ताकि यह अपने पुराने वजूद में न आ सकें|    

यूरोप में, कॉन्वेंट स्कूल का मतलब यह था की जिसके भी घर कोई बच्चा पैदा होता तो उन्हें अनाथालय में दे देना| कुछ लोगों ने टोकरी में बच्चे डालकर अपने घर के बाहर रख देते थे अनाथालय का कोई व्यक्ति आएगा और ले जायेगा कभी-कभी तो कुत्ते उठा ले जाते हैं|      

यूरोप का एक महान फिलोसफ़र रुसोव उसके पांच बच्चे पैदा हुए जिसमें चार बच्चों में दो को कुत्ते उठा ले गए और दो को अनाथालय वाले| यह यूरोप का एक परम्परा है लावारिस छोड़ना क्यों छोड़ना क्योंकि प्लेटो कहते हैं की स्त्री और पुरुष के आनंद के समय में बच्चे एक बाधा है इसलिए इनको मत रखो यह प्लेटो की शिक्षा है| अब जो बच्चे छोड़े जाते हैं राजा उनकी व्यवस्था करें इसलिए कान्वेंट संस्था बनाये गए| जिसमें बच्चों के रहने और शिक्षा की व्यवस्था होती हैं|

कान्वेंट का मतलब लावारिस बच्चों को पालने वाली संस्था| जब अंग्रेज भारत छोड़कर गए उस समय भारत में 350 कान्वेंट स्कूल थे इस समय अनगिनत हो गए हैं| अच्छा क्या आप जानते हैं कान्वेंट स्कूल में फादर और मदर क्यों कहा जाता है क्योंकि यह बच्चे लावारिश होते हैं उनको तो पता नहीं की इनके माता-पिता कौन है इसलिए उम्र के अनुसार अध्यापक को फादर(उम्रदराज को), मदर(उम्रदराज को), सिस्टर(जवान है), ब्रदर(जवान है) कहा जाता है| यह सब टीचर होते हैं|

कान्वेंट से जुड़ा एक और परंपरा है वेलेंटाइन डे (What is Velantine day?) वेलेंटाइन डे क्या है? बिना शादी के साथ रहना इसको कहते हैं वेलेंटाइन डे जिसे (live in relationship) भी कहते हैं| आज भी यूरोप में 75% लोग बिना शादी के रहते हैं अमेरिका में 90% लोग इसी तरह रहते हैं|

16वी० शताब्दी में एक आदमी का जन्म हुआ उसका नाम था वेलेंटाइन वह बड़ा होकर चर्च का पादरी बना उसने भारत का कुछ किताब पढ़ लिया था जिसमें पति-पत्नी को शादी करके ही रहना चाहिए उसने लोगों को घूम-घूमकर बताने लगा शादी करके ही एक साथ रहना चाहिए उसने राजा से भी कहा की यह एक बहुत अच्छा परंपरा है भारत, चाइना ईरान मंगोलिया आदि देशों में इसका प्रचलन है और वह लोग बहुत सुखी और संम्पन है सबको ऐसे ही रहना चाहिए| इससे समाज व्यवस्थित हो जायेगा| उसने बहुत से लोगों को अपने चर्च में शादी करवाया वहां से शादी का परंपरा शुरू हुआ|

लेकिन एक दिन राजा (क्लौडिय्स) वेलेंटाइन से तंग आकर उसको फांसी पर लटका देते हैं जिस दिन उनको फांसी दिया जाता है वह दिन 14 फ़रवरी 498 था इस दिन को जिनकी वह शादी करवाये थे वह उनके याद में वेलेंटाइन डे के रूप में मनाने लगे|

फादर डे क्या है?

यूरोप में बच्चे को अपने बाप के साथ खाना खाने का अधिकार नहीं है जब बाप खाना खाकर चला जाये तब बच्चा आकार खाना खा सकता है| लेकिन वह साल में एक दिन तय करते हैं जिस दिन बाप और बेटा एक साथ मिल बैठकर खाना खाते हैं उस दिन को वह फादर डे मानते हैं|

डैडी का मतलब होता है “मरे हुए जैसा”|

मदर डे क्या है?

कॉन्वेंट स्कूल में गए नवजात शिशु को माँ का दूध चाहिए अब असली माँ तो हैं नहीं अब क्या करें तो वहां सिस्टर होती है अब सिस्टर तो माँ बनी नहीं वह कैसे अपना दूध पिलाये तो विज्ञान कहता है की कोई भी महिला (बिना शादी के) अगर बच्चे को 4-5 दिन लगातार अपना स्तन बच्चे के मुँह में रखें तो उसमे से दूध आने लगता है| यह है मदर दे|

मम्मी का मतलब होता है “मारा हुआ”|

इस तरह से जीवन आगे बढ़ता गया हमने प्राचीन शिक्षा और आधुनिक शिक्षा पद्धति में क्या अंतर है इसको जाना और आज हम आधुनिक जीवन से स्मार्ट जीवन के तरफ अग्रसर हो रहें है…

indian statue photo

Indian statue

हिन्दू धर्म से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें:

  • अमेरिका के राजधानी वाशिंगटन में राज्यों के नाम पर सड़कें हैं वहाँ पूरे दुनिया का दूतावास है वहाँ इंडोनेशिया का भी दूतावास है इंडोनेशिया दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम देश है उस दूतावास के आगे 12 फूट की माँ सरस्वती की मूर्ति लगी है और उसके सामने तीन बच्चे पढ़ रहें है और वह कहते हैं यह हमारे सभ्यता का प्रतीक है| एक मुस्लिम देश हमारे सरस्वती देवी को मानता है|
  • इंडोनेशिया वह देश है जो अपने नोट पर भगवान श्री गणेश का चित्र बनाया हुआ है|
  • साउथ कोरिया की प्रथम महिला यानि (राष्ट्रपति) अपने आप को भगवान राम की वंशज मानती है जहाँ आज भी 60 प्रतिशत लोग अपने आप को नास्तिक मानते है|
  • बैंकॉक में पुराने राजा का महल दिखाया जाता है वहाँ महल के चारों तरफ 256 गरुड़ बने हुए है और वह कहते हैं यह हमारे सभ्यता के प्रतीक है| अगर आप गाइड से पूछें की गरुड़ क्यों बने हैं तो वह कहेंगे की गरुड़ भगवान विष्णु के वाहन (चालक) है इसलिए महल के चारों तरफ गरुड़ बने है| यह सब हमारी सभ्यता का हिस्सा है|
  • मंगोलिया के जितने बड़े-बड़े मकबरे है उन सब के ऊपर त्रिशूल और डमरू मिलेंगे| चंगेज़ ख़ान के मकबरा के ऊपर भी आपको त्रिशूल मिलेगा| आप गूगल कर सकते है| मंगोलों का इतिहास क्या था? – तेंद्रिन था| तंत्र का अपभ्रंश तेंद्रिन है और कुछ नहीं था यह भी हमारी ही सभ्यता थी| और त्रिशूल क्यों है क्योंकि तंत्र के देवता भगवान शिव है इसलिए त्रिशूल लगा हुआ है| वहाँ संसद के ऊपर घोड़ा बना हुआ है घोड़ा बहुत पवित्र माना जाता है और घोड़े का नाम है कनथक यह नाम कहाँ से आया यह आया भगवान बुध के घोड़े के नाम से| इसलिए मंगोलों का इतिहास भी भारतीय धर्म से जुड़ा है|
  • भारत का पंचांग सबसे पुराना calendar है यह है ब्रह्म संवत् जिसकी गणना एक अरब 97 करोड़ 40 लाख 28 हजार यानी 1.97 अरब साल पुराना है बाकी पूरे विश्व में कोई भी सभ्यता हजार साल से ऊपर नहीं जा पाई मुसलमान का इस्लाम अपने आपको 1400 वर्ष पुराना बताता है लेकिन गणना नहीं कर पायें| इसका प्रमाण क्या है? Astronomer, Scientist Carl Sagan इन्होंने प्रमाण दिया की वैज्ञानिक ने पहला उपग्रह बनाया जो अपना उपग्रह सौर मंडल के पार पहुँचाया| उनके द्वारा निर्मित Voyager उपग्रह जिसको 1978 में छोड़ा गया था| वह कहते है “only the ancient cosmological calculation of Hindus matches with the modern science calculations because they went to the billions” इसीलिए आज हम मानते है की इस पृथ्वी की आयु 4.5 अरब साल पुरानी है| यह केवल हिन्दू के गणित से ही सिद्ध हो सका है| अन्य धर्मों में इस तरह का कोई सोच भी नहीं था न है|
  • हिन्दू धर्म और अन्य धर्मों में क्या अंतर है? हमारे धर्म ग्रंथों में विज्ञान-गणित यह हमारे धर्म का हिस्सा है जैसे आयुर्वेद| ऐसा किसी भी दूसरे धर्मों में नहीं पाया जाता है| वेदों के अन्दर विज्ञान और गणित का पूरा अध्याय बना हुआ है (क्रम से)| हमारा मेडिकल साइंस धर्म ग्रन्थ का हिस्सा है| दूसरे धर्मों में विज्ञान और गणित का धर्मों से विवाद है हिन्दू धर्म में यह हमारा विषय है| यह अंतर है| हमारा धर्म सिर्फ धर्म नहीं है यह सम्पूर्ण विज्ञान है|
  • भारत को शून्य की खोज करने वाला कहा जाता है| शून्य की खोज किसने किया? “आर्यभट” ने| लेकिन क्या आप जानते हैं आज से 2500 वर्ष पूर्व में बौद्ध ग्रंथों में इसका सिद्धांत कहाँ से आया| इसके अलावा भगवान श्री राम की जब कुण्डली बनी तो क्या बिना शून्य के कुंडली बनना संभव था| वास्तव में शून्य हमारे वेदों से निकला| हमारे पंचांग का उदाहरण देखें उमसे ग्रहों के चाल के आधार पर बहुत सटीक गणना हमारे पंडित आज भी करते हैं वह एक-एक मिनट, सेकंड का बिलकुल सही समय निकाल कर बता सकते हैं| वह यह बता सकते हैं की कब सूर्य ग्रहण, चन्द्र ग्रहण लगेगा कब अमावस्या, पूर्णिमा लगेगा आदि| हमारे पूर्वज गणित का इस्तेमाल आज से नहीं अनादि से करते चले आ रहें हैं|
  • हमने विज्ञान में यह पढ़ा है की नौ ग्रह होते है और उसकी खोज किसने की Kepler ने उनका सिद्धांत हैं kepler’s law of planetary motion हम यह जानते है की इन्होंने ही पूरे संसार को ग्रहों के बारे में बताया लेकिन क्या आप यह जानते हैं की हमारे पंडितजी लोग जब पूजा करते हैं तो क्या कहते हैं पढ़े:

ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी, भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च| 

गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव, सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु||

अर्थात् ब्रम्हा, विष्णु, शिव, सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु का जिक्र किया गया है|

अब यह नौ ग्रहों के नाम किसने बताया कैपलर बताये हैं? की पंडितजी बताये हैं? यह हमें हजारों सालों से बताया जा रहा है| यह तो हमारे संस्कृति का हिस्सा है| हम लोग आज से नहीं आदि से जानते हैं| हमारे विज्ञान और आध्यात्मिकता एक दूसरे के पूरक है|

प्राचीन भारतीय इतिहास का कालक्रम

  • प्रागैतिहासिक कालः प्रागैतिहासिक काल का अर्थ होता है इतिहास से पूर्व का युग यानी – पाषाण काल जिस समय आग का खोज हुआ था यह समय 500000 ई० पू० से 2500 ई० का था|
  • सिंधु घाटी सभ्यता का समय: 2500 ई० पू० -1500 ई० पू० था: सिंधु घाटी सभ्यता एक विकसित, नगरीय और पहली व्यवस्थित रूप से बसी हुई सभ्यता थी| मिस्र, मेसोपोटामिया, चीन की सबसे बड़ी प्राचीन नगरीय सभ्यताओं से भी अधिक उन्नत सभ्यता थी|
  • मौर्य काल का समय: 322 ई० पू०-185 ई० पू० का समय चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित साम्राज्य जिसमें पूरा उत्तर भारत ला क्षेत्र आता था| यह प्राचीन भारत का एक शक्तिशाली राजवंश था| जो 137 वर्षों तक “मौर्य राजवंश” का शासन रहा| राजा अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाया|
  • गुप्त साम्राज्य का समय: श्री गुप्त का शासन काल240 ई० – 280 ई० तक रहा और यही गुप्त साम्राज्य के संस्थापक राजा थे| इनके बाद इनका पुत्र घटोत्कच फिर राजा चंद्रगुप्त बने इन्होने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की| चन्द्रगुप्त ने शाक के विरुद्ध युद्ध किया| विजय प्राप्त किया इसके बाद इस युग में शाकुंतलम और कामसूत्र की रचना हुई| आर्यभट्ट ने खगोल विज्ञान में अद्भुत कार्य किए इसके अलावा भक्ति पंथ भी इस समय उभरकर सामने आया|
  • चोल साम्राज्य का समय: 9वीं० से 13वीं० शताब्दी के बीच रहा| यह एक दक्षिण भारत का प्राचीन राजवंश था| विजयालस द्वारा स्थापित चोल एक शक्तिशाली तमिल हिन्दू शासक थे जो अपनी समुद्री नीति के कारण बहुत प्रभावशाली शासक बने इनके समय में मंदिर, सांस्कृतिक और सामाजिक केन्द्र बनने लगे और द्रविडि़यन भाषा फलने फूलने लगी भारतीय सभ्यता का विस्तार होने लगा|
  • हर्षवर्धन का शासन काल: 590 ई० – 647 ई० तक रहा| यह एक प्राचीन राजा थे जिन्होंने पूरे उत्तरी भारत में 606 ई० से 647 ई० तक शासन किए| उनके पिता का नाम प्रभाकरवर्धन था| यह एक अच्छे शासक थे धर्म और नीति उदार थी| इनके शासन काल में साहित्य और कला का विकास हुआ|

आधुनिक भारत का घटनाक्रम (Indian History in Hindi)

  • आधुनिक भारत के घटनाक्रम में क्षेत्रीय राज्यों का उदय हुआ जिसमें बंगाल, हैदराबाद, मैसूर, पंजाब आदि राज्यों का विस्तार हुआ इसके अलवा पश्चिमी देशों के व्यापारी भारत आकार व्यापार करने लगे जिसमें पुर्तगाली, डच, फ़्रांसिसी, अंग्रेज (ईस्ट इंडिया कंपनी) आदि प्रमुख थे| जिसमें अंग्रेज तो यहाँ आकार बस गए और भारत पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया और शासन भी करने लगे|
  • अंग्रेजों ने मुगलों के साथ युद्ध लड़ा और उनको भारत से मार भगाया| पहले तो अंग्रेज कलकत्ता को अपनी राजधानी बनाया फिर बाद में दिल्ली को अपना राजधानी बना और वहां पर संविधान का निर्माण भी कराया|
  • अंग्रेजों के अत्याचार से तंग आकार भारत में कई आन्दोलन हुए और कई संस्थाओं का जन्म हुआ जैसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, जलियांवाला बाग, मुस्लिम लीग की स्थापना, स्वदेशी आन्दोलन, अराजक और रिवोल्यूशनरी अपराध, खिलाफत और असहयोग आन्दोलन, साइमन कमीशन, रौलट विरोधी सत्याग्रह, अंग्रेज भारत छोड़ो आन्दोल, अंतरिम सरकार, संवैधानिक सभा, माउंटबेटन योजना और भारत के विभाजन, पश्चिमी भारत में सुधार आन्दोलन, सैय्यद अहमद खान और अलीगढ़ आन्दोलन जैसे महत्वपूर्ण आंदोलन हुए आदि|  
  • सन 1947 को भारत आजाद हुए
  • प्रधानमंत्री मोदी जी ने 1 अक्तूबर 2020 को नए संसद भवन का नींव राखी 10 दिसम्बर 2020 को कार्य प्रारम्भ हुआ और 28 मई 2023 को नए संसद भवन का उद्घाटन माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा कर दिया गया| संसद भवन बनाने में कुल 862 करोड़ का लागत लगा, भूमि क्षेत्र – 700000 वर्ग फीट है, मुख्य ठेकेदार – टाटा ग्रुप इसमें 1272(लोक सभा 888, राज्य सभा 384) की बैठने की क्षमता है|

प्राचीन भारत के राजवंश उनके राजधानी और संस्थापक का विवरण pdf

Indian yodha

महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

भारत के इतिहास का जनक भारत के राष्ट्र पिता महात्मा मोहनदास करमचंद गाँधी को जाता है उन्होंने भारत को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलाया उनके द्वारा कई आंदोलन जैसे सत्याग्रह उन्होंने लोगों को अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट किया और उनके खिलाफ स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी और भारत को आजाद किया|

भारत में मुख्य रूप से 15 मुख्य और महत्वपूर्ण सभ्यता थी, भारत के इतिहास में और भी महत्वपूर्ण सभ्यता थी जिनका उल्लेख ऊपर दिया गया है|

“भारत का सम्पूर्ण इतिहास” को मुख्य रूप से तीन भागों में बंटा जाता है 1) प्राचीन इतिहास- हड़प्पा सभ्यता, वैदिक सभ्यता आदि  2) मध्यकालीन इतिहास- राजाओं का शासन, मुग़ल आदि और तीसरा 3) आधुनिक इतिहास- ब्रिटिश शासन का काल से अब तक

“भारत का सम्पूर्ण इतिहास” की जब बात आती है तो भारतीय इतिहास के तीन भाग: प्राचीन भारत, मध्यकालीन भारत, आधुनिक भारत|

भारत की कुछ महत्वपूर्ण घटना: उद्योग क्रांति(18वि शताब्दी), सिपाही मुतिनी(1857), भारतीय कांग्रेस का गठन(1885), बीबीसी(1885), स्वाधीनता संग्राम की शुरुआत(1905), सत्याग्रह(1930), जलियांवाला बाग(1919), भारतीय संविधान का निर्माण(1949-1950), भारत स्वतंत्र(1947), चीन-भारत सीमा विवाद(1962), भारत पाकिस्तान युद्ध (1965)(1971), इंदिरा गाँधी हत्या (1984), बाबरी मस्जिद विध्वंस (1992), पोकरण परमाणु परिक्षण(1998), कर्नाटक राज्य का विभाजन (2000), गुजरात भयंकर भूकंप(2001), मुबई आतंकी हमला (2008), आधार कार्ड का लागु होना (2013), नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने (2014), नोटबंदी (2016), जम्मू-कश्मीर से धारा 370 समाप्त (2019), दिल्ली दंगे (2020), covid-19 महामारी (2020),

भारत सन 1947 में आजाद हुआ साथ ही साथ भारत और पाकिस्तान का बंटवारा भी हो गया| सन 1950 में भारत का संविधान लागु हुआ| फिर भारत के विकास का कार्य प्रारम्भ हुआ| 1991 में आर्थिक नीतियों में परिवर्तन किया गया| सन 2014 में श्री नरेन्द्र मोदी जी के आने के बाद औद्योगिक विकास का कार्य शुरू किया गया मेक इन इंडिया चलाया गया और आज 9-10 वर्षो के बाद भारत विश्व की 5वी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरा| आने वाले 2040 तक हम अमेरिका, चीन के बाद तीसरे सबसे बड़े अर्थव्यवस्था बन जायेंगे| यह निश्चित है|

ईसाई, मुसलमान, हिन्दू, सीख, जैन, बौद्ध, यहूदी यह विश्व के प्रमुख धर्म है|

हिन्दू(80%), मुसलमान(18%), ईसाई(3%), सीख(1%), जैन(1%), बौद्ध(1%), यहूदी(1%) यह भारत के प्रमुख धर्म है|

3 खंडो में – प्राचीन काल, मध्कालीन काल और आधुनिक काल

भारत की सभ्यता 8000 वर्ष से भी ज्यादा पुरानी है|

हिंदुत्व (विनायक दामोदर सावरकर), भारत गाँधी के बाद (रामचंद्र गुहा), भारतीय संस्कृति और आधुनिक जीवन (शिव प्रकाश सिंह), भारत का प्राचीन इतिहास (राम शरण शर्मा), भारतीय संविधान (डॉ० बी आर अम्बेडकर) आदि|

निष्कर्ष

“भारत का सम्पूर्ण इतिहास” का शुरुआत “प्राचीन इतिहास” से होते हुए आधुनिक इतिहास पर आकर ख़त्म होता है| भारत का इतिहास दुनिया के अन्य देशों से पूरी तरह भिन्न है इसमें हमें “संस्कृति, धर्म, विज्ञान और साहित्य” का एक बेहतरीन तालमेल देखने को मिलता है| भारतीय इतिहास की शुरुआत प्राचीनकाल से होती है जब वैदिक संस्कृति और आर्य जनजाति का उदय हुआ था| इनके बाद मौर्यों का शासन रहा| गुप्त साम्राज्य, वर्धन और चोल राज वंशों का शासन रहा उन्होंने भारतीय सभ्यता को विकसित किया और आगे बढ़ाया|

आगे चलकर तुर्कों ने भारत पर आक्रमण कर मुग़ल साम्राज्य स्थापित किया| उनकी क्रूरता की कहानी विश्व विख्यात है इसका प्रमाण “मुग़ल साम्राज्य- एक इतिहास” एक प्रसिद्ध पुस्तक है जो मुग़ल साम्राज्य के इतिहास को संक्षेप में वर्णित करती है| इसके अलावा “अकबरनामा”, “हुमायूँनामा”, “बाबरनामा”, “जहांगीरनामा”, “शाहजहांनामा” आदि कुछ प्रमुख किताबें रही है जिसमें उन्होंने कैसे हिन्दुओं पर शासन किए कैसे इनपर अत्याचार किया इसका उल्लेख मिलता है|

साथ ही मंदिरों को किस प्रकार ध्वस्त कर उन्हीं मंदिरों की दीवारों से मस्जिदों का निर्माण कराया गया इसका स्पष्ट जिक्र किया गया है| इसके अलावा मूर्तियों को दिल्ली के जामा मस्जिदों के सीढ़ियों के नीचे चुनवा दिया गया| video देखने के लिए click करें|    

अंग्रेजों के आगमन के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी और मुगलों में युद्ध हुआ जिसमें मुगलों को हार का सामान करना पड़ा और भारत पर ब्रिटिश साम्राज्य कायम हुआ| 18वीं से 20वीं सदी तक भारत पर अंग्रेजों का राज रहा| इन्होंने भी अत्याचार करना प्रारम्भ कर दिया फिर आंदोलन हुए अंग्रेज को भी देश छोड़कर जाना पड़ा|

सन 1947 में भारत ने ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी प्राप्त किया और भारत में एक संविधानिक गणराज्य की स्थापना किया गया| उपरोक्त लेख का “प्राचीन भारत का इतिहास नोट्स” के रूप में भी आप इस्तेमाल कर सकते हैं| पंडित जवाहरलाल नेहरु ने अपनी किताब “Discovery of India” में भी भारत के बारे में विस्तार से चर्चा किया है| उपरोक्त लेख में हमने “भारत का सम्पूर्ण इतिहास” विस्तार से जाना|

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