बौद्ध धर्म का इतिहास

बौद्ध धर्म का इतिहास

History of Baudh Dharm

history of baudh dharm

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निष्कर्ष

बौद्ध धर्म का इतिहास क्या है? बौद्ध धर्म क्या है? बौद्ध धर्म के सिद्धांत क्या है? इसके बारे में जानेंगे?

कहा जाता है की यह धर्म 2500 वर्ष पुराना है कैसे बौद्ध धर्म भारत से शुरू हुआ और भारत से ख़त्म भी हो गया और फिर कैसे यह भारत में प्रवेश किया? कौन इसको भारत के धरती पर वापस लाया यह सब जानेंगे|

इसके अलावा कैसे बौद्ध धर्म आज इतना फल-फूल रहा है इसको भी जानेंगे?

“विपश्यना” शब्द बौद्ध से कैसे जुड़ा है इसको समझेंगे?

कैसे और किन-किन आतताइयों द्वारा भारत पर आक्रमण कर कैसे हमारे धर्म को, धर्म ग्रंथों को मंदिरों को नुकसान पहुँचाया गया कैसे नालंदा विश्वविद्यालय को मुसलमानों ने आग के हवाले कर दिया जिसमे रखे हजारों ग्रंथों को जला दिया गया जो लगातार 3 महीनों तक जलते रहें यह सब जानेंगे बने रहें|

बौद्ध धर्म का इतिहास
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विस्तार से समझें

बौद्ध धर्म के असली हकीकत क्या है?

भारत में लगभग 500 ईसा पूर्व में बौद्ध धर्म अस्तित्व में आया था|

बौद्ध धर्म बर्मा, चीन, जापान, थाईलैंड, मलेशिया, श्रीलंका, भारत, नेपाल, मेयामार, वियतनाम, तिब्बत, जावा, सुमात्रा आदि देशो में आज भी मौजूद है लेकिन सवाल यह है की यह भारत से क्यों गायब हो गया था?

इसके लिए हमें 2000 वर्ष पहले जाना होगा और किसी विचार के आधार पर नहीं बल्कि सक्ष्य और प्रमाणों के आधार पर देखना होगा| वामपंथी इतिहासकार और चिंतकों ने अपने फायदे के लिए बौद्ध धर्म जैसे पवित्र आस्था के साथ खिलवाड़ किया और अपना उल्लू सीधा किया था|

वामसेफ सामाजिक संगठन के अध्यक्ष श्री वामन निश्राम ने स्पष्ट अपने शब्दों में कहा की बौद्ध धर्म (बौद्ध धर्म का इतिहास) को भारत से  ख़त्म करने के लिए हिंसा का सहारा लिया गया जिसमे भारत में Buddhism धर्म का प्रचार प्रसार करने वाले भिक्षुक लोगों का कत्लेआम किया गया उनकी हत्याएँ की गयी उनकी हत्या करने के बाद उनके मठों-मंदिरों और स्थलों पर ब्राम्हणों ने कब्ज़ा कर लिया और अपना बना लिया|

वामपंथी हर घटना और चीज को अपने फायदे के चश्मे से देखते थे यह जातिवाद का जहर हर घटना में ढूंढ लेते थे यह इतिहास को यथावत नहीं दिखाते थे यह अपने हिसाब से उसको लिखते थे जहाँ उनका फयदा हो इस ढंग से पेश करते थे|

भारत में क्यों ख़त्म हुआ बौद्ध धर्म?

शतधन्वन का पुत्र बृहद्रथ मौर्य साम्राज्य का अन्तिम शासक था उनकें बारें में वामपंथी एक बार भी उनका जिक्र नहीं किया उसका शासन 187 ईसा पूर्व से 180 ईसा पूर्व तक था। वह भी बौद्ध धर्म का अनुयायी था। इस शासक ने भारत की सुरक्षा वेवस्था ही ख़त्म कर दिया था सैनिको को सीमाओं पर से हटा लिया था और सेना का अस्तित्व को ही समाप्त कर दिया था जिसका यमनो ने अच्छा अवसर मानकर पाटलिपुत्र पर चढाई कर दिया।

लाख समझाने के बाद भी वह युद्ध के लिए तैयार नहीं हुआ तब जाकर उनका सेनापति पुस्य मित्र शुंग ने उनकी हत्या कर दी सत्ता को संभाला और यमनो को युद्ध में पराजित कर देश से बाहर निकल दिया|

सम्राट अशोक के बाद जितने भी शासक आये वो बौद्ध धर्म को माननेवाले थे और उतने पराक्रमी नहीं थे जितना सम्राट अशोक थे इसलिए भारत की सुरक्षा काफी कमजोर हो गयी थी और इसी समय भारत में ज्यादा आक्रमण हुए थे।

मौर्या वंश के शासन काल के द्वरान किसी को कोई परेशानी नहीं थी लेकिन अगर आप पर कोई आक्रमण करें और आप चुप रहे उसका जवाब नहीं देना यह भी हिंसा है क्योंकि उनके आक्रमण से कई लोग मारें जायेंगे समाज तबाह हो जायेगा तो ऐसे समय हथियार उठाना अहिंसा ही माना जायेगा अपने लोगों की रक्षा के लिए, अपने देश, अपने समाज, अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए उठाया गया कदम अहिंसा ही माना जाता है| 

बौद्ध धर्म का पतन कैसे हुआ

अब बात वामपंथी की करते है वामपंथी बात को बस उतनी ही बताते थे जितने में उनका एगेंडा सिद्ध हो जाये| जिससे आपका नुकसान न हो इतिहास से उनका कोई लेना देना नहीं है उनको तो सिर्फ अपना नफा और नुकसान देखना है जो बात उनके खिलाफ आ रही हो उसको छिपा लो यही वामपंथी की खासियत होती है| इनकी एक और खासियत होती है एक ही झूठ को बार-बार फैलाव कई बार फैलाव अलग-अलग मंचो से फैलाव ताकि उनकी बात सत्य साबित हो जाये|        

एक सवाल उठता है बौद्ध धर्म का इतिहास की भारत बौद्ध धर्म को जन्म देनेवाला और भारत से ही बौद्ध धर्म ख़त्म हो गया? ऐसा कैसे हो गया जबकि चाइना, वियतनाम, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड, मयंमार, तिब्बत में आज भी फल-फूल रहे है और जहाँ भगवान बुद्ध का जन्म हुआ, प्रचार हुआ, मोक्ष हुआ वहीँ से ख़त्म हो गया इसका सबसे बड़ा कारण क्या है?

इसका सबसे बड़ा कारण हम खुद है हमने ही उस समय के बौद्ध मंदिर को नष्ट किया उनके अस्तित्व को मिटाया विदेशी आक्रमणकारी भारत आये और हमारी धरोहरों को बर्बाद किया हम अपने लाभ के लिए उनसे (आक्रमणकारी)  मिलकर अपने ही संस्कृति, सभ्यता, मान्यता और धरोहरों को नुकसान किया यह वो लोग है जो वामपंथी विचारधारा के लोग कहलाते है|

असल में वामपंथी विचारधारा के लोग ऐसा विचार समाज में फैलाते है जिससे हिंदुस्तान में जातिगत विद्वेष कम न होने पाए क्योंकि जातिगत बंटवारें के वजह से ही उनकी दुकान चलती है उनका स्वार्थ सिद्ध होता है| भारत से बौद्ध धर्म ख़त्म करने का जो बात वो(वामपंथी) बता रहें है वो बिलकुल गलत है क्योकि साक्ष्य और प्रमाण कुछ और ही कह रहे है|

बौद्ध धर्म का पतन के क्या कारण थे

बौद्ध धर्म का इतिहास पर वामपंथी इतिहासकार के अनुसार पुष्यमित्र शुंग और उनके बाद में आनेवाले शासक ने ही बौद्धों और बौद्ध वंश के लोगों की हत्या कराई है पुष्यमित्र शुंग ईसा से करीब 85 वर्ष पहले वृह्द्रत की हत्या की थी अगर उसके 400 से 500 साल पहले हिन्दू राजाओं द्वारा बौद्धों की हत्या की जा रही होती तो 5वीं 6ठविं  शताब्दी आते-आते भारत से बौधों की पूरी तरह ख़त्म हो गया होता।

लेकिन उस समय बौद्धों की स्थिति काफी अच्छी थी इसका प्रमाण 400 वीं ईसा में भारत आये चाईंनीश यात्री फाहियान के किताब में साफ दिखता है और उन्होंने अपनी किताब में लिपिबद्ध किया The Colonial Press किताब में साफ-साफ मिलता है|

उस समय बौद्ध धर्म का इतिहास  के बारे में स्पष्ट रूप से Chinese literature मेंThe Kingdom of Vaishali शीर्षक में यह बात साफ़ लिखा है “यात्री वैशाली राज्य में आते है नगर के उतारी हिस्से में एक बड़ा वन है, जिसमें चारदीवारी युक्त दो बौद्ध विहार हैं जहाँ कभी बुद्ध रहते थे नगर के अन्दर नगरवधू वैशाली ने बुद्ध के सम्मान में एक विहार बनवा रखा था वो अभी भी वैसे ही है|“ तो सब मिलकर उस समय वैशाली नगरी बौद्ध नगरी थी जहाँ हर कोई ख़ुशी-ख़ुशी रहते थे|

एक अन्य चाईंनीश किताब में “इस नगर में राधा स्वामी नाम का एक महान ब्राम्हण रहता था जो महायान मत का प्रोफ़ेसर था राधास्वामी बेहद विचारवान और ज्ञानी था और काफी पवित्रता से जीवन यापन करता था| यहाँ का शासक उसका बहुत सम्मान करता था और उसे अपना गुरु मानता था”|

वामपंथी लेखो में यह लिखा मिलता है की बौद्धों और ब्राम्हणों में हमेशा लड़ाईयां होती रहती थी जबकि एपिफेनियस विलसन ने अपने किताब में साफ़ तौर पर लिखी हैं वैशाली प्रदेश का सबसे बड़ा ब्राम्हण महायान वह बौद्ध धर्म का प्रोफेसर था और राजा उसका सम्मान भी करता था।

Chinese literature के पेज नंबर 252 में क्या लिखा है “अशोक के बनवाये स्तूप के पास महायान का एक मठ बन गया है, जो बहुत विशाल और सुन्दर है| यही पर हीनयान का भी एक मठ है| दोनों मठो में कुल मिलकर 600 से 700 बौद्ध भिक्षु रहते हैं| इनका आचरण और मठों में दी गई बौद्धिक व्यवस्थायें देखने लायक है|”     

इन सब प्रमाणों को देखते हुआ बृहद्रथ मौर्य के हत्या के 600 साल बाद भी बौद्ध धर्म बहुत अच्छी तरह फल-फुल रहा था और सनातन संस्कृति से उनका सम्बन्ध बहुत अच्छा था| इसके बाद भी वामपंथी लोभी यह झूट फ़ैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे की बौद्ध और सनातन संस्कृति के बीच ज़बरदस्त कटुता थी|

असल में बौद्ध और सनातन संस्कृति में कोई मतभेद था ही नहीं| दोनों ही हिन्दू परम्परा से है भगवान बुद्ध पहले सनातन संस्कृति के अनुयाई थे और ध्यान-धारण-समाधी के ही मान्यता से हैं जिसे महर्षि पतंजलि जी ने अपनी किताब में यह आठ अंग बताएं हैं- (1) यम (2) नियम (3) आसन (4) प्राणायाम (5) प्रत्याहार (6) धारणा (7)  ध्यान (8) समाधि इन्हीं रास्ते पर चलके उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया था और इसी का उन्होंने प्रचार किया और लोग उनके बताएं रास्ते पर चलके मोक्ष और अरहंत हुए|

अगर आप ध्यानपूर्वक अध्यन करेंगें तो आप पाएंगे की दोनों कमोवेश एक ही चीज है उन्होंने जो उपदेश दिया वही ग्रंथो में भी लिखा है लेकिन वामपंथियों को जोड़ने में नहीं तोड़ने में फायदा है उन्हें तो लड़ाने में फायदा है| वही वह तब भी कर रहें थे और आज भी कर रहें है|

बौद्ध धर्म उपदेश

बौद्ध धर्म उपदेश

बौद्ध धर्म की शिक्षा और सिद्धांत

असल में बौद्ध और सनातन संस्कृति में कोई मतभेद था ही नहीं| दोनों ही हिन्दू परम्परा से है भगवान बुद्ध पहले सनातन संस्कृति के अनुयाई थे और ध्यान-धारण-समाधी के ही मान्यता से हैं जिसे महर्षि पतंजलि जी ने अपनी किताब में यह आठ अंग बताएं हैं- (1) यम (2) नियम (3) आसन (4) प्राणायाम (5) प्रत्याहार (6) धारणा (7)  ध्यान (8) समाधि इन्हीं रास्ते पर चलके उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया था और इसी का उन्होंने प्रचार किया और लोग उनके बताएं रास्ते पर चलके मोक्ष और अरहंत हुए|

अगर आप ध्यानपूर्वक अध्यन करेंगें तो आप पाएंगे की दोनों कमोवेश एक ही चीज है उन्होंने जो उपदेश दिया वही ग्रंथो में भी लिखा है लेकिन वामपंथियों को जोड़ने में नहीं तोड़ने में फायदा है उन्हें तो लड़ाने में फायदा है| वही वह तब भी कर रहें थे और आज भी कर रहें है|

बौद्ध धर्म का पतन किसने किया

भारत में बौद्ध धर्म के उथान के कारण

  • हिन्दुओं में वर्ण व्यवस्था, ऊँच-नीच का भेदभाव होना|
  • बहुत ही कठिन पूजा-पाठ रीति-रिवाज, पशु बलि का होंना|
  • जातिवाद करना लोगों को जाति के हिसाब से आदर देना ब्राम्हण को उच्च और क्षुद्र को नीच समझना|
  • बौद्ध धर्म अत्यंत सरल होना अहिंसा और अत्यंत सरल होना है|
  • बौद्ध धर्म में सबका सम्मान करना पुरुष व् महिला दोनों को सामान समझना|

भारत में बौद्ध धर्म के पतन के कारण

  • नये-नये संगठन बनाना जैसे महायान और हीनयान आदि|
  • भ्रष्ट्राचार का प्रवेश होना
  • जादू-टोना तांत्रिक प्रभाव का प्रवेश होना|
  • पुस्य मित्र शुंग एक क्षत्रिय राजा थे अतः वह हिन्दू देवी देवता का प्रचार-प्रसार किया|
  • शंकराचार्य द्वारा बौद्ध पंडितो को शास्त्रारत में हराया जिससे हिन्दू धर्म का बोलबाला बड़ा|
  • और सबसे बड़ी बात मुगलों द्वारा हिन्दू मंदिरों और बौद्धों मंदिरों का नष्ट करना|
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निष्कर्ष

उपरोक्त लेख में हमने “बौद्ध धर्म का इतिहास” के बारे में विस्तार से जाना की कैसे मुसलमानों ने हमारे विरासतों को नुकसान पहुँचाया लोगों को धर्म परिवर्तन करने पर मजबूर किया जो लोग स्वीकार नहीं करना चाहते थे उनको लालच देकर या यातना-प्रतारणा से अपने धर्म में मिला गया|

हमने बौद्ध धर्म की विशेषताएं बताने का प्रयास किया और बौद्ध धर्म का परिचय पर प्रकास डाला जिससे आपको दुनिया के सबसे पुराने धर्म के बारे में विस्तृत जानकारी मिल सकें|   

बौद्ध धर्म और भारत के साथ इसका क्या संबंध है इसको भी हमने जाना हमें उम्मीद है की आपको बौद्ध धर्म के इतिहास के बारे में पूर्ण जानकारी मिली होगी इसके अलावा भी कोई सवाल हो तो आप हमें कमेंट कर सकते है या ईमेल कर सकते है|

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