प्रयागराज का इतिहास
प्रयागराज की गणना भारत के प्राचीन तीर्थस्थल में से एक है यह स्थान भारत के उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले में स्थित है जो पहले प्रयागराज था फिर इलाहाबाद किया गया फिर श्रीआदित्यनाथ योगी मुख्यमंत्रीजी द्वारा फिर से इसे वापस प्रयाग राज कर दिया गया|
एक मान्यता के अनुसार गंगा-जमुना के संगम से स्वरस्वती निकली जो त्रिवेणी संगम कहलाया प्रयाग नाम के विषय में कहा गया है की इस स्थान पर अनगिनत यज्ञों का आयोजन हुआ और आज भी किया जाता है इसलिय इसे “प्रयाग” कहा गया है इसी भूमि पर सोम, वरुण और प्रजापति का जन्म हुआ है|
इसलिए भी यह पवित्र भूमि है एक और मान्यता के अनुसार समुन्द्र-मंथन के पश्चात् अमृत की कुछ बुँदे प्राप्त हुई थी एक और मान्यता के अनुसार ब्रम्हाजी जब इस श्रृष्टि का निर्माण कर चुके थे तो ब्रम्हाजी सभी देवताओ के साथ इसी स्थान पर यज्ञ संपन्न कराए थे इसी यज्ञ का पहला अक्षर “प्र” अंतिम “याग” के मिलाप से ”प्रयाग” बना यज्ञ के स्वामी भगवान श्री विष्णु स्वयं वहां विराजमान है प्रयाग राज में हर 12वें वर्ष कुम्भ का नहान व मेले का आयोजन होता है|
प्रयागराज का पौराणिक महत्व
पुराणों के अनुसार जब समुन्द्र मंथन हुआ तो एक तरफ देवता थे और दूसरी तरफ राक्षस थे फिर मंथन शुरू हुआ बहुत से अनमोल चीज उस मंथन से निकले| लेकिन जब अमृत निकला तो दोनों में उसे प्राप्त करने का संघर्ष शुरू हो गया इसके विपरीत जब विष निकला तो देवता और असुर दोनों ही इससे परेशान हो गए तब भगवान शिव ने उसे ग्रहण किया जिससे उनका गला नीला हो गया जिसके कारण शिवजी को नीलकंठ भी कहते है|
प्रयागराज क्यों प्रसिद्ध है?
प्रयाग राज एक ऐसा स्थान है जहाँ उत्तर प्रदेश के बहुत से महत्वपूर्ण संस्थान है जैसे इलाहाबाद हाईकोर्ट, दसवीं और बारवीं का बोर्ड “उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद् इलाहाबाद“ इसे पढाई की नगरी भी कहते है जहाँ छात्र-छात्रा अपना पठन-पाठन करके सरकारी और गैर-सरकारी संस्थान में अपनी सेवा देते है|
प्रयाग राज में ऐसे बहुत से तीर्थस्थल और दर्शनीय स्थल है जैसे अक्षयवट यह सबसे मुख्य स्थान है यह संगम के कुछ ही दुरी में स्थित है संगम किला के नीचे ही है किले मे एक मंदिर है जिसे पातालपूरी मंदिर कहते है उसके बाद भारद्वाज आश्रम है व अन्य स्थल है|
प्रयागराज का अर्थ क्या है?
प्रयाग राज का नाम प्रयाग या प्रयागराज है सृष्टि रचेता भगवान ब्रम्हा जब इस संसार की रचना कर चके थे यानि कार्य पूर्ण होने के बाद सबसे पहले इसी स्थान पर उन्होंने यज्ञ किया था|
प्रयाग का अर्थ
प्रयाग का शाब्दिक अर्थ है “नदियों का संगम” यानि जिस स्थान पर नदियों का मिलाप होता है उसे संगम कहते है प्रयाग राज में गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम हुआ है इसलिए इसे प्रयागराज कहते है|
प्रयागराज का पुराना नाम
मुग़ल सम्राट अकबर सन 1575 में इस स्थान का नाम “इलाहबास” किया था जहांगीर द्वारा इसके नाम में परिवर्तन करके “इलाहाबाद” या “भगवान का निवास” कर दिया|
प्रयागराज का पुराना नाम प्रयाग था नदियों के संगम के कारण इसे प्रयागराज कहा गया बाद में इसे इलाहाबाद कर दिया गया मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी जी ने इसे वापस अपने पुराने नाम में बदल दिया अब यह प्रयागराज के नाम से प्रचलित है|
इलाहाबाद का नाम प्रयागराज कब पड़ा
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी जी ने 16 अक्टूबर 2016 को आधिकारिक तौर पर इसका नाम इलाहबाद से प्रयागराज कर दिया था इसके पहले भी सन 2001 में मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह जी द्वारा इसको बदलने का प्रयास किया गया लेकिन किसी कारण से नहीं हो सका|
प्रयागराज के दर्शनीय स्थल
- प्रयागराज के दर्शनीय स्थल में सबसे पहले नदी का संगम ही आता है जहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम हुआ है
- दूसरा इलाहाबाद का किला जो सम्राट अकबर द्वारा गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर बनाया गया|
- स्वराज भवन भी एक एतिहासिक कांग्रेस पार्टी का मुख्यालय है जिसे मोतीलाल नेहरु द्वारा बनाया गया श्रीमती इंदिरा गाँधी का जन्म यही पर हुआ था इसके साथ आनंद भवन भी बनाया गया|
- उत्तर प्रदेश का कक्षा 10 वीं और 12 वीं का बोर्ड – बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश इलाहाबाद यही पर है|
- उत्तर प्रदेश का इलाहाबाद उच्च नयायालय एशिया का सबसे बड़ा नयायालय है|
- हनुमान मंदिर बिलकुल नदी के तट पर बना है बाढ़ आने पर यह मंदिर डूब जाता है लेकिन फिर भी यह प्रयागराज का सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है
- प्रयागराज का म्यूजियम अपनी अद्भुत संग्रह के लिए मशहूर यह संग्रहलय इसमें 18 प्रकार की गैलरी है|
इलाहाबाद का किला किसने बनाया
प्रयाग राज के संगम पर बने किले को मुग़ल सम्राट अकबर द्वारा सन 1583 में बनाया गया था आज के समय में इस किले को भारतीय थल सेना द्वारा इस्तेमाल में लिया जाता है लेकिन इसका कुछ भाग पर्यटक के लिए भी खोला गया है|