ध्यान क्या है

ध्यान क्या है?

ध्यान क्या है

What is Meditation?

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संक्षिप्त परिचय

ध्यान- यह एक विस्तृत विषय है ध्यान क्या है? ध्यान कैसे किया जाता है? ध्यान करने का सही तरीका क्या है? ध्यान को कब किया जाना चाहिए इसके लक्षण क्या है? और इसके फ़ायदे और नुकसान क्या-क्या है? और क्या ध्यान करने के लिए कोई निश्चित स्थान होता है या कहीं भी किया जा सकता है? इन सारे सवालों का जवाब आपको आगे प्राप्त होगा| इसके अलावा ध्यान से होने वाले लाभ (ध्यान के लाभ) जैसे:

  • ध्यान के स्वास्थ्य लाभ
  • ध्यान से शारीरिक लाभ
  • ध्यान के मानसिक लाभ
  • ध्यान के आध्यात्मिक लाभ
  • छात्रों हेतु ध्यान के मुख्य लाभ

इनके बारे में विस्तृत लेख देखने को मिलेगा|

ध्यान अपने आपमें सम्पूर्ण है यह आधा-अधूरा नहीं है अगर इसे ध्यानपूर्वक किया जाए तो ध्यान में ही स्वर्ग है ध्यान पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए इसे पूरा पढ़े|

ध्यान पर जो खोज अब तक किया गया है वह अद्भुत, अकल्पनीय और आश्चर्यचकित है क्योंकि ध्यान से बड़ा कोई पढ़ाई नहीं, ध्यान मतलब ध्यान देना ध्यान करना नहीं होता है (किसी भी चीज पर) हमारे कुछ अद्भुत अनुभव आगे दिये गए है इसलिए इस खोज को आगे ध्यानपूर्वक पढ़े आपकी हर जिज्ञासा शांत हो जाएगी|

ध्यान बाहर से भीतर की यात्रा है

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विस्तार से समझें

ध्यान क्या है यह किताबों में ढूंढने से नहीं मिलेगा किताबें तो हमें एक राह दिखा सकती है ध्यान तो अनुभव की बात है अगर आप गुलाब की खुशबु को बड़े मन से और कुछ देर तक सूंघते है और संजोग से इसी समय कोई घटना घटित हो जाती है और आप उस घटना को बड़े ध्यान से देख रहें होते हैं और आपसे अगले दिन कोई पूछे उस घटना के बारे में तो आप एक-एक क्षण का वर्णन कर देंगे यह है ध्यान|

ध्यान करना नहीं होता है ध्यान देना होता है पर्दा उठाओ और जगत को देखो आप पूछते हैं ध्यान क्या है? ध्यान है पर्दा हटाने की कला यह है ध्यान की परिभाषा|

और यह पर्दा बाहर नहीं है यह पर्दा हमारे अन्दर है विचार ही पर्दा है विचारों के तानो-बानो से पर्दा बुना है और विचार क्या है? यह हमारे अच्छे-बुरे ख्यालात से संबंध है| इसके लिए या तो आप अपने विचारों को रोक दें और उसके पार जाने में सफल हो जाओ उस समय ध्यान घट जायेगा निर्विचार दशा का नाम ध्यान है|

मेडिटेशन के नुकसान ध्यान का मतलब हैं- हम है, जगत है लेकिन विचार नहीं वही ध्यान है अगर किसी फूल को देखते-देखते उमसे खो गए अब आपको फूल का भी पता नहीं की यह फूल है यह उसका महक है यह लाल रंग का है जब किसी भी चीज का कोई अता-पता न हो आप उमसे गुम हो गए उमसे खो गये मौन हो गए स्तब्ध हो गए – वह ध्यान है|

ध्यान क्या है- ध्यान कोई काम नहीं है इसको करना नहीं है यह तो अवस्था है यह एक ऐसी अवस्था है जहाँ कोई क्रिया नहीं है ध्यान वह है| अगर कोई प्रार्थना करता है तो वह क्रिया है लेकिन अगर कोई प्रार्थना में हो जाये तो वह ध्यान है|

अगर कोई किसी के प्रेम में है तो वह क्रिया नहीं है वह ध्यान है करना क्रिया है स्वतः हो जाये तो ध्यान|  

ध्यान में होना और ध्यान करना दोनों में फर्क है|

सिर्फ ध्यान ही एक ऐसी स्थिति है जो क्रिया नहीं बाकी सब क्रिया है क्रिया का मतलब किया जाना, ध्यान स्वतः होना इसलिए ध्यान में प्रवेश हो सकता है क्योंकि ध्यान से गुजरने पर अहंकार विलीन हो जाएगा| इस अवस्था में पहुँचने के बाद क्रिया तो होता रहेगा जैसे चलना, जाना, खाना आदि लेकिन अहंकार विलीन हो जाएगा|

जीवन में वह क्षण अति महत्वपूर्ण है जब आप जीवन में कुछ ऐसा करते हैं जब कुछ मिलता नहीं| विराट को पाने के लिए मन में कुछ भी चाह नहीं होना चाहिए|

अगर कोई आपसे पूछे प्रेम क्यों करते हैं? प्रेम कोई करता नहीं प्रेम अपने आप हो जाता है इसको किया नहीं जाता हो जाता है यह अपने में ही आनंद है| प्रेम अपने आपमें पूर्ण है|

उसी प्रकार ध्यान अपने में पूर्ण है ध्यान करने से कुछ नहीं मिलता लेकिन सब कुछ मिल जाता है| यह तभी संभव है जब हम अपने अन्दर बैठे परमात्मा को पाने के लिए अक्रिया में हो जाते हैं| अगर मुझे आपके पास आना हो तो मुझे जाना होगा, चलना होगा लेकिन अगर मुझे अपने ही पास आना हो तो कैसे चलूँगा| क्रिया होता है किसी को पाने के लिए लेकिन स्वयं को पाने के लिए कोई क्रिया नहीं होती| जो क्रिया छोड़कर रुक जाता है ठहर जाता है शांत हो जाता है वह स्वयं को उपलब्ध हो जाता है|     

ध्यान की बाहरी दशा क्या है?

विज्ञान किसी और को जनता है धर्म स्वयं को जनता है विज्ञान वस्तु, पदार्थ और बाहर की खोज है धर्म स्व की खोज है, खुद की खोज है, स्वयं की खोज है| दो तरह की खोज है एक बाहर की खोज दूसरा भीतर की खोज| बाहर की खोज में उलझन है भटकाव है मरने के बाद भी हम खोजते है भीतर की खोज में ठहराव है संपूर्णता है|     

ध्यान कैसे सीखें? या ध्यान कैसे करें?

ध्यान कैसे किया जाये? “ध्यान”- यह जब होगा तो अपने मर्जी से होगा हमारे चाहने से नहीं होगा चाह में तो विचार आ गया हम सोच के ध्यान नहीं कर सकते क्योंकि विचार ही तो हमें प्रकृति से जुड़ने नहीं देगी और जब तक हम उससे जुड़ेंगे नहीं ध्यान घटित नहीं होगा|

तो सवाल फिर वही है ध्यान का अर्थ क्या है? ध्यान के लिए अपने भागदौड़ भारी जिंदगी से थोड़ा विश्राम करें थोड़ा रुक जायें, ठहर जायें, शांत हो जायें कुछ देर के लिए विचारों से मुक्त हो जायें अपने ऊपर समय दें परिवार से ध्यान हटा के अपने ऊपर ध्यान दें किसी नदी के किनारे जाकर बैठ जाओ और नदियों के पानी को देखते रहो या रात को चाँद तारों को देखते रहो उमसे डूब जाओ उसके सुन्दरता में, उसके शीतलता में यह ध्यान का स्वरूप है| 

एक बार जब आप ध्यान में चले जाते हैं तो ध्यान में क्या-क्या अनुभव होता है? इसका अनुभव आपको होने लगेगा इस तरह आप और गहरे ध्यान में कैसे जाएं और इसका लाभ उठाएँ|

हमें जीवंत प्रकृति को खोजना है ध्यान हमेशा जीवंत चीज में ही लग सकता है मंदिर-मस्जिदों में कहाँ ध्यान लग सकता है वहाँ तो पत्थर की मूर्तियाँ होती है और मस्जिदों में मौलाना के कब्र होते हैं वहाँ तो वैसे ही नहीं जाना चाहिए जहाँ नकारात्मक ऊर्जा बहती हो|

ध्यान के चमत्कारिक लाभ और ध्यान के चमत्कारिक अनुभव  दोनों आपको सकारात्मक जगह पर ही मिल सकता है ध्यान के चमत्कारिक अनुभव भी आपको वहीं पर ही होंगे इसलिए प्रकृति के करीब जाए उसके संपर्क में आने से ध्यान को एक अनुकूल वातावरण मिलेगा और कमल खिल जायेगा|

ध्यान वह आंख है जिससे परमात्मा का शास्त्र पढ़ा जा सकता है|

ध्यान के बारे में एक बात जान लेना चाहिए की ध्यान के लिए हमें मेहनत नहीं करनी है ध्यान मेहनत रहित है| जितना आप ध्यान करने के लिए मेहनत करेंगे उतने आप परेशान हो जायेंगे तनाव में आ जायेंगे और जो चित्त बेचैन है वह ध्यान में नहीं जा सकता है| तो ध्यान क्या है? ध्यान है “effortlessness प्रयास रहित, कोई प्रयास नहीं करना ही ध्यान है| अगर आप प्रयास करते हैं तो वह कसरत हुआ ध्यान नहीं ध्यान तो एक विश्राम है ध्यान में कुछ भी नहीं करना होता है “बिलकुल शांत” मन जहाँ जा रहा है जाये बस दृष्टा बन के देखते रहें यह ध्यान है|

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मेडिटेशन करने का सही तरीका

ध्यान क्या है? इसपर भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों से कहा जंगलों में, पहाड़ों में, निर्जन स्थान पर जाकर ध्यान करो जहाँ प्रकृति आपको छू सकें| ध्यान को पाने का कोई सीधा मार्ग नहीं है इसके लिए आपको अपने विचारों पर काबू रखना होगा| प्रकृति के साथ तालमेल बनाओ विचारों से दूर हो जाओ चिड़ियाँ के चहचहाने की आवाज सुनो झींगुर की आवाज सुनो|

ध्यान से ध्यान दो जानवर आपस में कैसे बात करते है और अगर कुछ नहीं समझ आ रहा है तो सबसे अच्छा है अपने साँस पर ध्यान दो भगवान बुद्ध इस पर ज्यादा जोर दिये थे क्योंकि बाकी सब चीजो से इन्सान का ध्यान भटक सकता है|

भगवान बुद्ध के अनुसार श्वास की माला पर काम करो जो साँस भीतर गई उसको देखो जो साँस बाहर आयीं उसको ही बस देखते रहो इसको माला बना लो अपने जीवन का और एक दिन ऐसा आएगा देखते-देखते, देखते-देखते तुम खो जाओगे तुम मिट जाओगे न तुम रह जाओगे न तुम्हारा विचार रह जायेगा तुम रह कर भी नहीं रहोगे इसे कहते है ध्यान घटित होना और मेडिटेशन करने के फायदे प्राप्त होने लगेंगे| 

ध्यान क्या है और कैसे करे?

अब सबसे महत्वपूर्ण चीज हमें अपने दरवाजे खुले रखने है ध्यान के आने का कोई निश्चित समय-सीमा नहीं होती है लेकिन अपने दरवाजे खुले होंगे तो सूर्य का रोशनी घर के अन्दर जरूर प्रवेश करेगी अगर दरवाजे बंद होगे तो रोशनी कैसे आएगी इसलिए हर समय तैयार रहें ध्यान सीधे घटित होने वाली चीज नहीं है बस अपना दरवाजा खुला रखो यही करना है और कुछ भी नहीं और जब ध्यान आये तो उसको रोकना भी नहीं है|

ध्यान कोई विज्ञान नहीं है यह तो एक कला है जिसे मौन ध्यान कहते हैं इसको अपने कला से भीतर प्रवेश कराया जाता है अगर रात को अचानक आपका नींद खुल गई मन बेचैन है पूरी दुनिया सोई हुई है तो तुम अपना समय व्यर्थ ना गवाओ उठकर बैठ जाओ और ध्यान करो सुनो ध्यान से रात के सन्नाटे में झींगुर के आवाज को मौन के आवाज को कुछ नहीं समझ आ रहा तो सांसो को देखो उसको अनुभव करो इस शांति को अपने जेहन में उतरने दो|

इसलिए तो जब दुनिया सोती है तो साधु जागते(ध्यान करते) हैं और जब दुनिया जगती है तो साधु सोते है|

मेडिटेशन के लाभ को मत गवाओ इस रात के शांति को नष्ट मत करो इस समय का सदुपयोग करो यह क्षण मन में एक कंपन पैदा करेगी यही मेडिटेशन की शक्ति है और साथ ही साथ ध्यान के चमत्कारिक अनुभव भी आपको मिलेंगे इसलिए इस समय का सही उपयोग करो|

रात का समय ध्यान के लिए सबसे उपयुक्त समय होता है इससे अच्छा समय तो कोई हो ही नहीं सकता कोई कोलाहल नहीं बिलकुल शांत और शांति का वातावरण इसका इस्तेमाल करें|

Colour Dhyan

ध्यान कब और कैसे करना चाहिए?

ध्यान क्या है? ध्यान को बहुत प्यार से और आराम से समझने की जरूरत है यह जब आये इसका स्वागत करें और अपने आपको इसके लिए तैयार कर ले ऐसे मौके को जाने न दें अन्यथा कभी नहीं आएगी| ध्यान के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं होती है यह जब भी आये बिना किसी से कोई सवाल पूछे बस बैठ जाओ उसका स्वागत करने के लिए अपना सारा काम छोड़ दो बस ध्यान पर ध्यान दो|

ध्यान को करने का सबसे उपयुक्त समय है जब आप प्रसन्न हो खुश हो तब किया जाता है ना की जब आप दुखी और निराश हो इस ख़ुशी के पल का सही सदुपयोग करना चाहिए सुख में ही परमात्मा हमारे पास आता है इसका लाभ उठाना चाहिए इस समय ईश्वर हमारे बहुत करीब होता है उसको जानो मत दो वह आयें है उनका लाभ उठाओ उनका आशीर्वाद लो|

जब आप दुःख में होते हैं तो ऐसा लगता है जैसे कोई ईश्वर नहीं शैतान इस दुनिया को चला रहा है हमें सुख में भगवान को याद करना चाहिए दुःख में नहीं लेकिन हम दुःख में ही मंदिर जाते हैं भगवान को याद करते हैं और सुख में मजे लेते है और उनको भूल जाते है|

लेकिन सुख में ही भगवान को याद करने का सबसे अच्छा समय होता है ध्यान सुख में ही घटता है क्योंकि उस समय मन प्रश्न चित, शांत और स्थिर होता है|

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ध्यान के लक्षण

ध्यान तो किसी को भी घट जाता है कभी-कभी तो यह अधर्मियों को भी आ जाता है पापियों को, दुष्टों को, ध्यान घट जाता है मेडिटेशन के नुकसान ध्यान बच्चों को भी घटता है बच्चों को ज्यादा ध्यान आता है इन लोगों ने तो ध्यान के बारे में कभी सोचा ही नहीं होता है क्योंकि ध्यान का कोई निश्चित समय सीमा नहीं होता है जब उपयुक्त समय आता है तो ध्यान अपने आप आ जाता है लेकिन जब आये तो उसको स्वीकारो और उसमें रम जाओ उसका लाभ उठाना चाहिए इस अद्भुत समय को जाने नहीं देना चाहिए|

बचपन में जब हम कंकड़-पत्थर उठा लाते थे गोली खेलते थे भूल जाते थे कोई और भी काम है अपने काम में मस्त हो जाते थे खेलते थे तो सिर्फ खेलते ही रहते थे कोई दूसरा काम ही नहीं सूझता था कब सुबह से शाम हो जाता है पता ही नहीं चलता था| बच्चे अकारण ही प्रसन्न हो जाते है मिट्टी में खेलते बच्चे को आपने देखा होगा कितने प्रसन्न होते हैं ध्यान तो इसे कहते थे यही मेडिटेशन की शक्ति हैं|

ऐसे प्रसन्न तो राजा-महाराजा भी नहीं होते होंगे जिनके पास दुनिया की सारी दौलत और सुख सुविधा मौजूद है लेकिन बच्चे के पास कुछ भी नहीं है लेकिन फिर भी प्रसन्नता में डूबा हुआ है जैसे मानो उनको पूरी दुनिया का खजाना मिल गया हो|

जैसे-जैसे हम बड़े होते गए अपने कक्षा में ऊपर बढ़ते गए ध्यान से अछूता होते गए और विचारों पर आते गए हमारे स्कूल-कॉलेजों में भी विचारों के ही बारे में बताया जाता है और विचार हमें ध्यान से दूर ले जाता है यह तो ध्यान का दुश्मन है ध्यान में जाना है तो विचारों को दूर करना होगा| विचार चिताओ और दुखो का भंडार है यह सुख तो दे ही नहीं सकता सुख के साथ फिर दुःख ले आता है इसलिए असली शांति और सुख केवल ध्यान में ही मिल सकता है|  

ध्यान के फायदे

दुनिया में सबसे बहुमूल्य अगर कोई काम है तो वह है अपने “ध्यान में जाना” इससे ज्यादा जरूरी कोई काम ही नहीं है जब भी इसका अवसर मिले तो इसमें डूब जाना इसको जाने मत देना न सुबह देखना, न शाम, न रात, न दिन जब भी मौका मिले ध्यान में चले जाओ और आनंदित हो जाओ ध्यान क्या है? ध्यान भीतर पड़े परदे को हटाने का नाम ध्यान है|

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नियमित ध्यान के फायदे

ध्यान के फायदे कुछ इस प्रकार है:

  • दुनिया के हर समस्या का समाधान सिर्फ ध्यान से ही संभव है
  • मन का एकाग्र होना सबसे बड़ी उपलब्धि है
  • नियमित ध्यान से हमारा फोकस समस्या के समाधान पर होता है
  • तनाव मुक्त होना
  • आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होना
  • शांति अनुभव होना

एकाग्रता में इजाफा होना

मेडिटेशन के नुकसान

  • मैडिटेशन करने से हमारे पैरों पर जोर पड़ता है जिससे वह दुखने लगता है|
  • Back-bone झुक जाता है और दर्द होता है
  • बैठने में परेशानियाँ आती है
  • समय का नुकसान होता है

मेडिटेशन करने का तरीका या ध्यान क्या है? और कैसे करे?

मेडिटेशन कैसे करना चाहिए? मैडिटेशन या ध्यान करते समय सबसे पहले आराम से पालथी मारकर पीठ सीधी रखकर बैठे (हल्का सा कुर्सी का टेक ले सकते है) चेहरा पूरब दिशा की और हो हथेलियाँ ऊपर की और खुली हुई हो सिर बिलकुल सीधा होना चाहिए आंखें बंद होनी चाहिए आपका ध्यान दोनों भाकुटी के मध्य होना चाहिए| मेडिटेशन क्या है और कैसे करें? इसको तीन चरण में करना चाहिए:

पहला: आराम से साँस ले और छोड़े और साँस लेते समय कहें मैं शरीर नहीं हूँ और जब साँस छोड़े तो मन में कहें मैं मन भी नहीं हूँ इसी विचार के साथ साँस लेना और छोड़ना है| (इसको 10 बार करना है)

दूसरा: मुंह खोलकर आ…. बोलना है लम्बी आवाज अपने मुंह से निकले (याद रहें पूरी साँस छोड़ना है) (इसको 10 बार करना है)

तीसरा: अब अपनी आंखें बंद रखते हुए अपने ध्यान को दोनों भौओं के मध्य रखें (इसे 5-10 मिनट करें)

यह वास्तव में शक्तिशाली क्रिया है इसके साथ-साथ आप यह याद दिला सकते हैं की मैं शरीर नहीं हूँ यह शरीर तो मात्र कुछ समय के लिए ही है अतः आपको यह याद दिलाने की जरूरत है की मैं शरीर नहीं हूँ मैं मन भी नहीं हूँ| यही परम सत्य है|

ध्यान के लिए स्थान कैसा होना चाहिए?

ध्यान का स्थान खुले वातावरण में होना चाहिए बंद कमरे में ध्यान नहीं करना चाहिए लेकिन अगर वह कमरा हवादार हो साँस की कोई दिक्कत ना हो तो किया जा सकता है| दूसरी चीज ध्यान के स्थान पर प्राकृतिक खुशबु होनी चाहिए जैसे फूल हो, खुला हवा हो|

ध्यान करने के लिए शांत वातावरण का चयन करना चाहिए तभी आपका मन ध्यान में लगे किसी भी प्रकार का कोलाहल, आवाज शोरगुल का स्थान ध्यान के लिए उपयुक्त नहीं है मोबाइल या अन्य डिजिटल उपक्रम का आसपास होना निषेद है|  

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ध्यान किस दिशा में करना चाहिए? और मेडिटेशन कब करना चाहिए?

वैसे तो ध्यान का कोई दिशा निर्धारित नहीं है इसको किसी भी दिशा में किया जा सकता है लेकिन ध्यान को अगर पूर्व दिशा की तरफ करके किया जाए तो इससे  अधिक लाभ प्राप्त होते हैं| अगर हम पूर्व या उत्तर दिशा के तरफ मुंह  करके ध्यान करते हैं तो निश्चित रूप से हमें आनंद की अनुभूति होगी इसके विपरीत अगर इन्सान पश्चिम या दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके ध्यान करते हैं तो हो सकता है आपका ध्यान लगने में देरी आये क्योंकि ऊर्जा हमें सही दिशा से ही प्राप्त होता है|

सुबह ध्यान करने के फायदे इसके अपने अलग ही महत्व है ऐसा माना गया है की सुबह के समय सारी सूक्ष्म और अदृश्य शक्तियाँ, अवधूत, परम आत्मा पृथ्वी पर आते है और जो ध्यान करते हैं उनको आशीर्वाद देते है इसलिए सुबह का ध्यान सबसे उपयुक्त माना गया है| इसी समय ध्यान में परमात्मा का पहला अनुभव भी आपको प्राप्त हो सकता है जो वास्तव में आपके लिए अद्भुत क्षण होगा और इससे आपकी पूरी जिन्दगी बदल जाएगी यानी यह आपके जीवन की दिशा और दशा दोनों बदल देगा|

ध्यान योग क्या है?

ध्यान योग का मतलब है किसी एक दिशा में ध्यान का लगना या केन्द्रित करना इसे ही ध्यान योग कहते है महर्षि पतंजलि द्वारा बताए याम के आठ सूत्र यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और  समाधि यह सभी ध्यान योग के अंतर्गत आतें हैं जिसे पुराने जमाने में गुरुकुलों में पालन कराया जाता था| उसको बाद ही बच्चों को गृहस्थ आश्रम में प्रवेश मिलता था जहाँ उनको कठिन अनुशासन में रहकर आचार्यों या गुरु द्वारा हर प्रकार का शिक्षा ग्रहण कराया जाता है जिसमे वेद पाठ के साथ रण-कौशल में पारंगत कराया जाता था|

Imagination

साथ ही साथ मेडिटेशन धुन के बारे में भी बताया जाता है अब यह मेडिटेशन धुन क्या है इसको समझना जरुरी है यह एक ध्वनि होती है जैसे ॐ की ध्वनि हो सकता है या कोई मंत्र हो सकता है जिसको लगातार निरंतर उच्चारण किया जाए जिसके निरंतर उच्चारण के बाद इन्सान उस मंत्र में सिद्ध हो जाता है जिससे वह प्रकृति के संपर्क में या श्रृष्टि के संपर्क में आ जाता है और मन पूरी तरफ शांत हो जाता है|

ध्यान केंद्रित करने के लिए योग

मन को शांत और एकाग्र करने के लिए कुछ आसान प्रयोग किए जाते है जैसे:  

1 – गरूढ़ आसान हमारे एकाग्रता और ध्यान के लिए सही है|

2 – पर्वत आसान यह आसान हमारे घबराहट चिंता को दूर करता है इसलिए क्षात्रों के लिए यह आसान सबसे उपयुक्त है

3 – अधोमुख श्वानासन यह आसन याददाश्त और बुद्धि के लिए सबसे बेहतरीन आसान माना गया है

इसके अलावा पद्मासन, सिद्धासन, सुखासन में आराम से बैठ जाए और ध्यान करें|

जिस स्थान पर आसान किया जा रहा है उस स्थान पर चटाई या मैट का प्रबंध कर लेना चाहिए और उसी मैट पर आसान करना चाहिए अन्यथा जो ऊर्जा हमें ऊपर आकाश से प्राप्त होगा वह सीधा अर्थ (जमीन) में चला जायेगा इसलिए मैट का प्रयोग अवश्य करें योगाभ्यास के द्वरान|

इन आसनों के मदद से ध्यान में आसानी से जाया जा सकता है कुछ लोगों को “ध्यान में नीला रंग देखना” पाया गया है एक और सवाल है ध्यान में दिखने वाला प्रकाश क्या है? इस प्रसन्न का उत्तर है ध्यान में कभी भी कुछ भी, कोई भी रंग, कोई भी अनुभव हो सकता है इसका कोई निश्चित रूप रेखा नहीं है और सबसे बड़ी बात है ध्यान का अनुभव सबका अलग-अलग होता है ध्यान में शरीर शून्य होना एक लक्षण है|

महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

  • सबसे पहले “ध्यान के लिए स्थान की चयन” करना चाहिए
  • ध्यान के लिए स्थान की व्यवस्था जैसे स्थान स्वच्छ हो, हवादार हो, मधुर (खुशबूदार) फूल और सबसे महत्वपूर्ण स्थान शांत हो|
  • उचित आसन की व्यवस्था हो क्योंकि ज्यादातर समय उसी आसान में व्यतीत होगा इसलिए अगर गद्दा हो तो उचित होगा|
  • मेरुदंड सीधा रखें जिससे शरीर का संतुलन बना रहें न आगे झुके बैठे न पीछे संतुलन बनाये रखें|
  • स्वयं को ईश्वर के आशीर्वादों के लिए उन्मुक्त रखना, अपने आने-जाने वाले विचारों पर या श्वास पर ध्यान केंद्रित रखें या जो भी हो रहा है बस दृष्टा बन कर देखते रहें|

बस दृष्टा बनकर|

मेडिटेशन कितनी देर करना चाहिए? इसकी कोई निश्चित सीमा नहीं है लेकिन कम से कम एक घंटा सुबह और एक घंटा सोने से पहले अवश्य करना चाहिए और जो ध्यान सीख रहें उनके लिए 12 घंटे ध्यान करना चाहिए 24 घंटे में| और हमारे ऋषि-मुनि तो हमेशा ही ध्यान में रहते हैं|

ध्यान का हमारे जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है जो निम्नलिखित है:

  • यह हमें अन्दर बाहर दोनों तरफ से मजबूत बनता है|
  • हमारे विकारों को दूर करता है|
  • फैसले लेने में मदद मिलती है|
  • जीवन में स्पष्टता आ जाती है|
  • सकारात्मकता दिखने लगता है|
  • काम-क्रोध, लोभ-मोह दूर होने लगता है|
  • जीवन के प्रति नजरिया एक दम स्पष्ट हो जाता है जिस भी काम में हाथ डालो उसमें 100 प्रतिशत सफलता निश्चित हो जाती है|

उपरोक्त कारणों से ध्यान हर किसी को जरूर करना चाहिए|      

यह एक ऐसा साधन है जिससे मनुष्य अपने विकास के प्रक्रिया को तेज कर सकता है| यह एक प्राचीन योग पद्धति है जिसको महा अवतार बाबाजी द्वारा मनुष्य के कल्याण के लिए बताया गया था| सद्गुरु जग्गी वासुदेव जी ने हमारे जीवन के चार आयाम बताएं है – “बुद्धि, भाव, शरीर और ऊर्जा”| क्रिया योग द्वारा इन चारों आयामों से आसानी से जुड़ा जा सकता है| 

ध्यान के लिए सबसे पहले एक उचित स्थान का होना, मेरुदंड (पीठ) सीधा करके बैठना, शांत हवादार स्थान का होना, आसन का होना| 

अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए ध्यान बहुत जरूरी है यह उतना ही जरूरी है जितना जीने के लिए भोजन|

ध्यान योग साधना प्रार्थना से शुरू होता है सबसे पहले शांत चित्त होकर ध्यान के मुद्रा में बैठे फिर प्रार्थना करें जो विचार आ रहें हैं उन पर ध्यान न देते हुए अपना पूरा ध्यान श्वास पर केन्द्रित करें| ध्यान करने के बहुत से तरीके है लेकिन यह मेडिटेशन करने का सही तरीका है|     

जीवन में संतुलन लाने के लिए मेडिटेशन बहुत जरूरी है|

मेडिटेशन का मतलब होता है “अपना ध्यान केंद्रित करना” ताकि हम अपना ध्यान जिस काम में लगाये उमसे सफलता मिल सके इसका ताल्लुक एकाग्रता से है|  

वैसे तो ध्यान ब्रह्म मूर्त में करना चाहिए अगर आप सुबह 3:40 से 4:30 तक ध्यान करते हैं तो ज्यादा फ़ायदा होगा क्योंकि उस समय बीज को अंकुरित होने में मदद मिल जाएगी| इसलिए यह उपयुक्त समय होता ध्यान के लिए इसलिए इसका लाभ उठाना चाहिए|

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निष्कर्ष

अंत में ध्यान क्या है? – ध्यान जीवन जीने की कला है ध्यान करना नहीं होता है ध्यान देना होता है ध्यान हमारे जीवन पर पड़े पर्दे को हटाने की कला है|

निर्विचार दशा का नाम ध्यान है| ध्यान का मतलब हैं- हम है, जगत है लेकिन विचार नहीं वही ध्यान है

किसी भी चीज को देखते-देखते तुम खो जाओ तुम मिट जाओ न तुम रहो न तुम्हारा विचार रहें इसे कहते है ध्यान|

दुनिया में सबसे बहुमूल्य अगर कोई काम है तो वह है “ध्यान में जाना” जब भी अवसर मिले ध्यान में डूब जाओ और आनंदित हो जाओ ध्यान क्या है? या सुदर्शन क्रिया क्या है? ध्यान भीतर पड़े परदे को हटाने का नाम ध्यान है|

ध्यान वह गहराई है जिसमें जो जितना ज्यादा डूबता जाता है वह उतना आनंदित होता जाता है और वह और जानने का प्रयास करता है ध्यान एक गहराई है यह अनन्त है| ध्यान का तरीका चाहे हो लेकिन मकसद सिर्फ एक ही है उस ध्यान के स्वरूप परमात्मा में विलय होना| परमात्मा ध्यान का स्वरूप है|

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