धन निरंकार

धन निरंकार का सम्पूर्ण जानकारी

संक्षिप्त परिचय
“धन निरंकार” एक लोकप्रिय और प्रसिद्ध संस्था है जिसके बारे में आपको सम्पूर्ण जानकारी यहाँ प्राप्त होगा जैसे धन निरंकार क्या है? मिशन का इतिहास, संस्था के संस्थापक, उनके विचार, किन-किन देशों में है? शुरू से लेकर अब तक कौन-कौन संस्था के प्रमुख बने? निरंकार क्या है? और तू ही निरंकार में अंतर है जानेंगे इसके अलावा संत निरंकारी मिशन क्या है? और संस्था के बारे में सब कुछ जानेंगे|
जैसे-जैसे आप मिशन के बारे में आगे पढ़ते जायेंगे आप संस्था के बारे में धीरे-धीरे गहराई से जानते जायेंगे और हमें उम्मीद है आपके सारे प्रश्नों के उत्तर मिलते जायेंगे और संस्था के हर बारीकियों को समझते जायेंगे जिससे संस्था के प्रति आपकी रूचि प्रगाढ़ होगी जाएगी और संस्था के प्रति आपकी निष्ठा बढ़ेगी|
लोगों के मन में यह सवाल आता है की इस संस्था के बारे में जानकारी कहाँ से प्राप्त करें ताकि इस संस्था से जुड़कर अपने आध्यात्मिक सफ़र को आगे बढ़ाया जा सकें इसी प्रश्न के उत्तर के लिए हमने गहन रिसर्च और अध्ययन किया जिससे लोगों को संस्था के बारे में सही जानकारी प्राप्त हो सकें और अपने जीवन को बेहतरी के मार्ग पर आगे बढ़ा सकें|
अतः विस्तार से जानने के लिए आगे पढ़े …


विस्तार से जाने
धन निरंकार मिशन कि शुरुआत 25 मई 1929 ई० में श्री बूटा सिंह और उनके मित्र श्री अवतार सिंह द्वारा पाकिस्तान में हुई थी| बाबा बूटा सिंह जी का जन्म पाकिस्तान के हडवाल गाँव में हुआ था बचपन से ही वह एक धार्मिक प्रवित्ति के इन्सान थे उन्होंने तमाम ग्रंथो का अध्ययन किया| बाबा बूटा सिंह जी को गुरुद्वारा में गीत गाना बहुत पसंद था और गुरुद्वारा में कीर्तन-भजन वह बराबर किया करते थे| उनको ईश्वर में अटूट विश्वास था वह एक दयालु और सत्य को मानाने वाले अद्भुत संत थे| आगे चलके सन 1943 में बूटा सिंह ने अपना सारा पदभार अपने परम मित्र श्री अवतार सिंह जी को दे दिया|
सन 1947 को जब भारत आजाद हुआ तो बाबा अवतार सिंह दिल्ली आ गये और दिल्ली में ही सन 1948 अपने इस संस्था का नामकरण “संत निरंकारी” रखा और इसका रजिस्ट्रेशन कराया इससे पहले यह संस्था औपचारिक रूप से शरू किया गया था|
आज इस संस्था के पूरी दुनिया भर में 3000+ संस्था चलते है|

धन निरंकार मिशन का इतिहास
बाबा अवतार सिंह का जन्म 31 दिसंबर 1899 को पाकिस्तान के लतीफल गाँव में हुआ थे उन्हें निरंकार का सच्चा ज्ञान अपने मित्र श्री बूटा सिंह के सानिध्य में रहते हुये प्राप्त हुआ था वह एक जबर्दस्त श्रद्धा-भक्ति वाले इन्सान थे साथ ही साथ ईमानदार और अपने गुरु के प्रति समर्पित इन्सान थे|
सन 1948 में श्री अवतार सिंह जी इस संस्थान का रजिस्ट्रेशन “संत निरंकारी” के रूप में कराया| लोग आते रहें संस्था आगे बढ़ता रहा| सन 1962 में श्री गुरुबचन सिंह को इस संस्था का पदभार दिया गया| सन 1980 आते-आते उनकी हत्या कर दी जाती है|
उनके बाद बाबा हरदेव सिंह जी को इस संस्था का उत्तराधिकारी बनाया गया जो की बाबा गुरबचन सिंह के पुत्र थे इनकी माता का नाम कुलवंत कौर था|
बाबा बूटा सिंह जी (1873-1943)
बाबा बूटा सिंह जी का जन्म भारत के हडवाल गाँव में हुआ था आज यह पाकिस्तान में पड़ता है भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बात यह क्षेत्र पाकिस्तान में चला गया| बाबाजी एक धार्मिक स्वाभाव के इन्सान थे पढाई में धार्मिक ग्रंथ पढ़ने में गहरी रूचि थी आध्यात्मिक भजन गाना उनको प्रिय था| एक बार भजन गाते हुए वह भाव-विहोर हो गए तब कहन सिंह जी ने उनसे कहा क्या आप जानते हैं जिसे आप बुला रहे हैं? केवल उन्हें पूर्णता में जानने से ही वास्तव में आपकी प्रार्थना सार्थक हो सकती है|
इसके बाद उनको एहसास हुआ कि उन्हें एक सच्चा मार्गदर्शक और गुरु मिल गया है। उन्होंने उसी समय अपने गुरु श्री कहन सिंह जी से ईश्वर-ज्ञान (ब्रह्मज्ञान) प्राप्त किया| फिर लगभग 14 वर्षों तक उन्होंने सत्य का प्रकाश लोगों में फैलाने के लिए चारों ओर यात्रा की| और 1929 में उन्होंने संत निरंकारी मिशन की स्थापना की|
बाबा अवतार सिंह जी (1899-1969)
बाबा अवतार सिंह जी का जन्म 31 दिसम्बर 1899 में हुआ था (आज के पाकिस्तान प्रान्त के लतीफल गाँव में हुआ था) उस समय यह अखण्ड भारत कहलाता था| बाबाजी स्वाभाव से धार्मिक, ईमानदार और मेहनती थे बाबा बूटा सिंह के सानिध्य में आने के बाद उन्हें निराकार का सच्चा ज्ञान प्राप्त हुआ था बाबा बूटा सिंह इस जगत को छोड़ने से पहले अपने शिष्य बाबा अवतार सिंह जी को यह महत्वपूर्ण जिम्मेवारी सौंप कर चले गए लोग अवतार सिंह को शहंशाह जी के नाम से भी जानते थे|
सन 1947 भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद बाबा अवतार सिंह जी भारत चले आये दिल्ली आकर उन्होंने संत निरंकारी मंडल की स्थापना की|
बाबा गुरुबचन सिंह जी (1930-1980)
बाबा गुरुबचन सिंह जी का जन्म पेशावर शहर में हुआ था जो भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद पाकिस्तान में चला गया इनके पिता श्री अवतार सिंह और माता श्रीमती बुधवंती जी थी|
यह बचपन से अपने शांत-सुशील स्वाभाव के रूप में जाने जाते थे उनका निस्वार्थ सेवा भाव सबको प्रभावित करता था भारत-पाकिस्तान के द्वारन इन्होने शरणार्थी शिविर में रहनेवाले लोगों की निस्वार्थ भाव से सेवा किया करते थे इससे प्रभावित होकर सरकार ने उनपर शिविर की पूरी जिम्मेवारी दे दी|
आगे चलकर सन 1962 में इन्होने मिशन की ज़िम्मेदारी संभाली और पुरे निष्ठा, प्रेम के साथ संस्था को आगे बढ़ाने लगे वह लोगों की हर प्रकार से सहायता के काम में लगे रहते थे जैसे लोगों के स्वस्थ चिकित्सा सेवा प्रदान करना, शिक्षा का क्षेत्र हो, सामाजिक कुरीतियों से लड़ना आदि कामों को संचालन करने लगे| सन 1980 में ऐसे महान समाज सेवक को कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा हत्या कर दिया जाता है|
बाबा हरदेव सिंह जी (1954-2016)
बाबा हरदेव सिंह जी का जन्म 23 फरवरी 1954 दिल्ली में हुआ था इनके पिता श्री गुरुबचन सिंह और माता श्रीमती कुलवंती कौर थी बाबाजी की आरंभिक शिक्षा पंजाब के पटियाला में हुआ था बाद में वह दिल्ली आ गए यहीं से उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर किया|
बाबा हरदेव सिंह का विवाह सविंदर कौर जी से हुआ सन 1975 में हुआ सन 1971 में बाबाजी निरंकारी सेवा दल के सदस्य बन गए सन 1980 में उन्होंने संत निरंकारी मिशन का कमान संभाली वह संस्था के प्रमुख रहते हुए बहुत से कार्यों को किया|
बाबाजी 2005 में नई दिल्ली में संत निरंकारी सरोवर परिसर में एक संग्रहालय की स्थापना किया संग्रहालय में बूटा सिंह, अवतार सिंह व् अन्य महत्वपूर्ण लोगों के जीवनी व अन्य रचित ग्रंथो को रखा गया संस्था के कार्यों को भी दर्शाया गया| बाबा हरदेव सिंह जी की मृत्यु 13 मई 2016 को मॉन्ट्रियल, (क्यूबेक) कनाडा के पास ऑटोरूट 30 पर एक कार दुर्घटना में हुआ था| उनके बाद उनकी पत्नी सविन्दर जी को संस्था का प्रमुख बनाया गया फिर उनकी पुत्री सुदीक्षा जी को प्रमुख बनाया है|
धन निरंकार में अभिवादन
धन निरंकार से जुड़े लोगों का अभिवादन करने का तरीका सबसे भिन्न है संस्था से जुड़े लोग जब भी आपस में मिलते है या प्रवचन समाप्त होने के बाद वह आपस में एक दुसरे का झुक कर आदर के साथ पैर छुते हैं और कहते हैं “धन निरंकार” जिसका मतलब होता है “God is Great” भगवान महान है वह आपके अन्दर बैठे भगवान को प्रणाम करते है इस तरह लोग एक दुसरे का अभिवादन करते हैं|

निरंकारी बाबा जी के विचार
बाबा हरदेव सिंह के बारे में कहा जाता है कि इनका जन्म 23 फरवरी 1954 को हुआ था| यह बालक स्वभाव से बहुत शांत-धीर व गंभीर स्वभाव के थे और बहुत ही प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनी इन्सान थे| बचपन से ही साधू-संतो के बीच रहना किताबें पढ़ना लोगों की मदत करना, सेवा भाव बचपन से ही इनके अन्दर विद्यमान था| एक कार्यक्रम के द्वारन जाते हुए कनाडा में एक कार दुर्घटना में इनकी मौत हो जाती है|
बाबा के जाने के बाद संस्था के सर्वोच्च रिक्त हुए पद की पूर्ति के लिए उनकी पत्नी को चयनित किया गया माता सुदीक्षा सविंदर हरदेव जी| उन्होंने संस्था में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया कुछ वर्षो के बाद उनकी तबियत बिगड़ने लगी| बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया|

अब एक बार फिर संस्था के मुखिया का चुनाव होना था जिसके लिए उनकी तीन बहनों में सबसे छोटी लड़की माता सुदीक्षा जी को संस्था का कमान सोंपा गया है वर्तमान में माता सुदीक्षा जी ही संस्था को आगे बड़ा रही हैं|

निरंकारी माता सुदीक्षा जी का परिचय
बाबा हरदेव सिंह जी महाराज और माता सविन्दर जी के तीन पुत्रियों में सबसे छोटी पुत्री माता सुदीक्षा जी बचपन से ही उनमे अद्भुत् धैर्य शक्ति थी अपने पिता पर अटूट विश्वास था जो की गुरु भी थे और उनका ज्ञान अव्वल दर्जे का था जो अपने आपमें विशिष्ट थी उन्होंने अपने स्कूल और कॉलेज काल में, अपने छात्र जीवन में हमेशा एक अच्छे इन्सान के गुणों को बरकरार| उन्होंने मनोविज्ञान से स्नातक की शिक्षा पूरी की|
उनका जीवन चुनौतियों से भरा होने पर भी कभी भी निराश नहीं हुई बल्कि वह हमेशा अपने आस-पास के सभी लोगों के लिए ताकत से साथ खड़ी रही और लोगों में खुशियाँ फैलाने का काम किया|

निरंकार क्या है
सन 16 जुलाई 2018 को उनकी माता सविन्दर हरदेव जी महाराज ने संस्था का कार्यभार सौंपा और उन्होंने सतगुरु माता सविन्दर जी को नम्रतापूर्वक नमन करते हुए उनके बताए रास्ते पर चलने का भरोसा दिलाया और उन्होंने इस बड़ी जिम्मेदारी को स्वीकार किया| माता सुदीक्षा जी महाराज पदभार ग्रहण करने के बाद सत्य के सन्देश को फैलाने का काम आरम्भ किया उन्होंने कई बड़े-बड़े काम किए|
जिससे लोगों का भला और कल्याण हो सके जिसके कारण उनको पुरे देश और विदेश से खासकर युवा वर्ग से प्यार और बड़ो का आशीर्वाद प्राप्त हुआ जिससे उनको और अधिक काम करने की उर्जा मिली जिससे वह अनुशासित और सार्थक मार्ग की और प्रेरित हुई और मार्गदर्शन करती रही|
करोनो काल के द्वारन डिजिटली अपने संस्था के अन्य लोगों से संपर्क में थी और उनको बराबर निर्देश दिया जा रहा था की वह लोगों की सेवा करते रहें चाहे ऑक्सीजन सिलेंडर की बात हो, PPA किट हो यहाँ तक की अस्पताल का निर्माण तक कराया गया| पंजाब सरकार के स्वास्थ्य मंत्रायल को संस्था के तरफ से हर तरफ का सहयोग दिया गया|
धन निरंकार मिशन में छ्टे गुरु के रूप में माता सुदीक्षा जी प्रतिष्टित हुई है| माता जी का कहना है की इस जीवन को संतुलित और आनंदमय बनाने का एक मात्र रास्ता है ईश्वर को जानना| उन्होंने भारत के साथ विदेश के कोने-कोने में शांति और प्रेम का सन्देश फैलाने के लिए काम कर रहीं है साथ ही साथ आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का भी काम लोगों को जागृत करके किया जा रहा है| माता सुदीक्षा जी स्पष्ट रूप से चाहती है की लोग ईश्वर को जाने, न केवल जाने बल्कि सही मायने में ईश्वर को जाने और समझे और अपने जीवन को सफल और आनंदमयी बनाये|

तू ही निरंकार
धन निरंकार प्रमुख सतगुरु माता सुदीक्षा जी ईश्वर की इच्छा को स्वीकार करने का उपदेश देंती है उनका कहनाम है की आप हर क्षेत्र में अपना सर्वश्रेष्ट प्रदर्शन करें| एक टीम के रूप में कड़ी मेहनत करते रहें उन्होंने आगे कहा की वह चाहती हैं की लोग प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल बुद्धिमानी से करें मसलन जल बचाने की बात हो या पेड़ लगाने की बात हो या अन्य…
सतगुरु माता सुदीक्षा जी अपने पूर्व जन्म के पूण्य प्रताप और इस जन्म के पुण्यों के चलते ही इतने काम उम्र में इतने बड़े पद को प्राप्त कर पायी| यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं की माता सुदीक्षा जी महाराज एक आध्यात्मिक गुरु हैं|
माता जी के पति श्री रेव रमित चंदना जी भी माता जी के पदचिन्हों पर चलते हुए मानव कल्याण में उनका भरपूर सहयोग कर रहें है| इसके लिए उनको कोटि-कोटि प्रणाम और साधूवाद|

संत निरंकारी मिशन का मुख्य सन्देश
धन निरंकार मिशन का मुख्य उपदेश है ईश्वर प्राप्ति के माध्यम से आत्मा साक्षात्कार करना है| जो प्राप्त होता है निरंकारी सत्संग और उनके बताए रास्ते पर चलके| ईश्वर ने सभी जीवों में “बुद्धि” सिर्फ इन्सान को ही दिया है| जिससे वह अपने जीवन को श्रेष्ट बना सके और मुक्ति को प्राप्त हो सके| इन्सान अपने बुद्धि का प्रयोग करके दुनिया में कुछ भी कर सकता है|
अगर हम ध्यान से देखें तो हम पाएंगे की इस दुनिया का हर चीज नाशवान है कोई भी चीज चिरस्थाई नहीं है और न ही शाश्वत हैं| हर समय परिवर्तन होता रहता है इसलिए हमें उस सत्य का खोज करना होगा जो अनंत है, शाश्वत है, समय से परे है, रंग-रूप जाति, स्थान, व्यक्ति, धर्म, मजहब और जन्म-मृत्यु से परे है|
एक तू ही निरंकार ईश्वर ही परम सत्य है, शाश्वत और अनंत है| हमें उनकी शरण में जाना चाहिए इसलिए मानव जीवन का मुख्य उपदेश निराकार, गुणरहित सर्वव्यापी, सर्वज्ञ और सर्वशक्तिमान ईश्वर जानना है| अतः हम सब को हर समय हर स्थिति और परिस्तिथि में ईश्वर से जुड़ने का प्रयास करना चाहिए|

धन निरंकार मिशन को “Universal Brotherhood” भी कहते है|
संत निरंकारी मिशन क्या है?
यह एक ऐसा संस्था है जो न तो धर्म है, न कोई मजहब, न कोई जाति, न कोई पंत बल्कि अगर इन सब को मिला दिया जाये और कोई एक शब्द निकले वह है “धन निरंकार मिशन” जिसको विस्तार से समझे तो यह एक ऐसा स्थान है जहाँ आपको उस एक ईश्वर का ज्ञान प्राप्त होता है, मानवता के गुणों को निखारने का काम होता है, एकता की भावनाओं को फैलाने का काम होता है, निरंकारी सत्संग, आध्यात्मिक आंदोलन को अपनाकर उसे और ऊपर उठाते हैं, रंग-जाति-मजहब-पंत-समुदाय सबसे ऊपर उठकर मानव जाति के बीच आपसी सौहार्द और प्रेम जगाना जिससे लोग अमन और चैन से रह सकें|
निरंकार का अर्थ क्या होता है? निरंकारी ज्ञान क्या है?
संस्था के संस्थापक बाबा बूटा सिंह जी महाराज ने लोगों को भगवान के साथ एकजुट होने का मार्ग दिखाया| उन्होंने कहा सच्चाई का पीछा एक सार्वभौमिक घटना है| दुनिया में लगभग सभी लोग, सभी संस्था, सभी ऋषि, संत, गुरु, आचार्य, भविष्यवक्ताओं व अन्य ने उस सर्वोच्च सत्ता को माना और स्वीकार किया है| सर्वशक्तिमान निराकार एक है जिसे हम तू ही निरंकार कहते हैं| ईश्वर तो सर्वव्यापी, सर्वज्ञ है उनकी सत्ता अपरम्पार है|
निरंकारी शब्द का अर्थ होता है- निराकार जो हर जगह व्याप्त है कण-कण में, रोम-रोम में, घाट-घाट में, हर जगह है, सर्वशक्तिमान है उसे निरंकार कहते है|
“धन निरंकार” भगवान को प्रकट करना चाहता है| जिसे निरंकार के रूप में जाना जाता है भगवान के प्रति भक्ति, इसे दृढ़ता से हम मानते है उस निरंकार को प्राप्त करना मानव जीवन का एक मात्र और अंतिम लक्ष्य होना चाहिए और इसे हासिल किया जा सकता है|
निरंकार को प्राप्त कैसे किया जाए?

इस प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने के लिए ही तो इस संस्था का उदय हुआ है| जिसके लिए सन 1929 से बाबा बूटा सिंह जी महाराज प्रयासरत थे- लोगों को समझाने में| उन्होंने कहा निरंकार को प्राप्त करने के लिए केवल और केवल जीवित और सच्चे गुरु की आवश्यकता है जिन्हें “सतगुरु” कहते है|
सतगुरु का आशीर्वाद और मार्ग-दर्शन से ईश्वर-प्राप्ति संभव है| भगवान ज्ञान शिक्षक के माध्यम से संभव है सतगुरु का मिशन शाश्वत है क्योंकि वहां प्रकाश है| भगवान प्राप्ति आपको दिन-प्रतिदिन करनी होती है अपने जीवन में आचार-विचार-भाव में बदलाव लाकर संभव है लेकिन यह तभी संभव है जब आपके पास सतगुरु हों – एक सच्चा मार्ग दर्शक|
धन निरंकार मिशन के सेवादल आपकी सहायता के लिए
आगंतुकों को कण्ट्रोल करने, उनकी सहायता करने और मार्ग दर्शन करने के लिए पुरुष सवादल और महिला सेवादल होते हैं यह एक तरह से हमें सही मार्ग दिखाने के लिए नियुक्त होते है इनका मकसद निस्वार्थ भाव से लोगों की सहायता करना जैसे भोजन कराना, चोट लगने पर मेडिकल सहायता प्रदान करना आदि|
धन निरंकार जी का मतलब क्या होता है?
मंडली हॉल में आप देखेंगे भक्त एक दुसरे का पैर छुते दिखेंगे लोग एक दुसरे का सम्मान करते दिखेंगे| लोग नम्रता से प्रत्येक व्यक्ति के भीतर भगवान के लिए झुकना है और वे “धन निरंकार” कहकर भगवान की प्रशंसा करते है| इसका मतलब होता है- भगवान महान है|
जब भी निरंकारी भक्त एक दुसरे से मिलते हैं तो वह एक दुसरे का अभिवादन “धन निरंकार जी” मुँह से कहते हैं और साथ ही साथ एक दुसरे का पैर भी छुते हैं अपनी श्रद्धा और भक्ति का परिचय देते हुए वह दुसरे इन्सान में भगवान देखते हैं अपने साथी भक्त के अन्दर सतगुरु जी की छवि को देखते है चाहे वह किसी भी जाति-धर्म-मजहब का हो अगर वह इस संस्था से जुड़ा है तो वह इसका अधिकारी हो जाता है|
इसको कुछ इस प्रकार से व्यक्त किया गया है:
गुरसिख नून जद गुरसिख मिल्दा
वेख के चा चढ जांदे ने।
इक दूजे दे पायरान उत्तर
नियॉन नियॉन सीज़ झुकंडे ने।
(अवतार बानी से लिया गया है)
अर्थात् जैसे ही सच्चे गुरु का एक शिष्य दूसरे शिष्य से मिलता है, वे खुशी से अभिभूत हो जाते हैं। वे एक-दूसरे के पैर झुक कर छूते हैं।
निरंकारी ऑनलाइन सत्संग भी चालू हो गया है या निरंकारी सत्संग ऑनलाइन इसकी अधिक जानकारी के लिए Click करें|

धन निरंकार मिशन द्वारा कई परियोजना का शुभारम्भ
धन निरंकार संस्था द्वारा “अर्बन ट्री क्लस्टर” Urban Tree Cluster अभियान का शुभारम्भ किया गया| “वाननेस वन” नामक इस परियोजना को सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के कर कमलो द्वारा पुरे भारत में सम्पूर्ण कराया गया जिसमे 22 राज्यों के 280 शहरों में चयनित लगभग 350 स्थानों पर आयोजित किया गया|
निरंकारी सेवादल द्वारा रक्तदान किया गया
निरंकारी सेवादल के सेवकों द्वारा रक्तदान किया गया जिसमे 103 निरंकारी श्रद्धालुओं द्वारा रक्तदान किया गया जिससे मानवता की सेवा हो सके| रक्तदान करने के ही मकसद है की ब्लड बैंक में रक्त की कमी न होने पायें इसे कमी को पूरा करने के लिए समय-समय पर इस तरह का योगदान दिया जाता है|

धन निरंकार का भजन और निरंकारी गीत
अपने बच्चो को तू ये वरदान दे
अपने बच्चो को तू ये वरदान दे,
बाल संगत को तू, अपना ध्यान दे,
बाल संगत को तू, अपना ध्यान दे,
जो कभी भी डोले और हे सतगुरु,
हम सब बच्चो को वो ईमान दे,
बाल संगत को तू, अपना ध्यान दे,
देख कर दुनिया कहे ये संत है,
ऐसी हम बच्चो को तू पहचान दे,
बाल संगत को तू, अपना ध्यान दे,
जिसको पा के सारे ही गम दूर हो,
हम सब को ऐसी तू मुस्कान दे,
बाल संगत को तू, अपना ध्यान दे,
जिसमे शमिल हो भला संसार का,
मांगे ये ‘सतबीर’ ऐसा दान दे,
बाल संगत को तू, अपना ध्यान दे,

मंगलाचरण

हे समरथ परमात्मा, हे निर्गुण निरंकार |
तूं कर्ता है जगत् का, तूं सब का आधार ||
कण-कण में है बस रहा, तेरा रुप अपार |
तीन काल है सत्य तूं, मिथ्या है संसार ||
घट-घट वासी हे प्रभु, अविनाशी करतार |
दया से तेरी हों सभी, भव-सागर से पार ||
निराकार-साकार तूं, जग के पालनहार |
है बे-अंत महिमा तेरी, दाता अपरम्पार ||
परम पिता परमात्मा, सब है तेरी संतान |
भला करों सब का प्रभु, सब का हो कल्याण
निरंकारी सत्संग भजन
उपासना
सेवक है जो मालक दा हर हुकम नू पूरा करदा ऐ
सेवक है जो मालक दा खलकत दी सेवा करदा ऐ
सेवक है जो मालक दा ओह नेकी तों भरपूर रहें
सेवक है जो मालक दा ओह कुल बदियां तों दूर रहें
सेवक है जो मालक दा एह मालक ओह दे संग रहें
सेवक है जो मालक दा ओह रंगया एहदे रंग रहें
सेवक है जो मालक दा ओह नां मालक दा जपदा ऐ
सेवक है जो मालक दा एह पत ओस दी रखदा ऐ
सेवक है जो मालक दा न कूके ते फरयाद करें
कहे उस मालक ताई खुद मालक वी याद करें ||

उपासना या निरंकारी भजन

गुरु दी महिमा गायां बंदे कल कलेश ने होंदें दूर
गुरु दी महिमा गायां बंदे चेहरे उत्ते चमके नूर
गुरु दी महिमा गायां बंदे नैनीं सुख कलेजे ठंड
गुरु दी महिमा गायां बंदे मैहरा वी बन जाए खंड
गुरु दी महिमा गायां बंदे पापी वी हो जाण पुनीत
गुरु दी महिमा गायां बंदे होवण मुरदे वी सुरजीत
गुरु दी महिमा गौउणी पूरे गुर दी बक्शीश नाल
कहे अवतार पूरा गुर छीन विच कट देंदा ऐ माया जाल
धन निरंकार mp3 गाने, भजन, गीत

Bhojpuri – Dhan Nirankar Ji – Guddu Rajbhar
Chalten Jayen – Arvind Kumar
Dhan Guru Nanak Tuhi Nirankar – Brig. Partap Singh
Dhan Nanak tu hi nirankar – Bhai Gurucharan singh ji
Guru hi sumiran hai – Hariharan
Kintu Prantu Chor Ke – Surinder Khan
Mai bhi gaun tum bhi gao tu hi nirankar-Arvind Kumar
Meethe Vachan Bolen – Arvind Kumar
Nanak Nirankar – Tejbir Rana
Nirankar Avtar Bani-1 – Pulkit Kumar
Nirankar Avtar Bani-2 – Pulkit Kumar
Nirankar Avtar Bani-3 – Pulkit Kumar
Nirankar Avtar Bani-4 – Pulkit Kumar
Nirankar hi bannda sab marzan – Salamat Joga
Rehbar Tere Charno Mein – Kamal Khan
Sach ki dushman duniya chahe – Sarvesh Mishra Paresh Shah
Sachkhand Vase Nirankar – Bhai karaj Singh Damdami taksal
Tera Assra Jo Liye Jaa Rahe Hain – Vinod Gandharv
Tu hi nirankar – Kamleshwar chaturvedi
Tuhi nirankaar 2 – Manjit Singh
Tuhi nirankar – Vandana nirankari
Tuhi Nirankar1 – Veer manpreet Singh
Tuhi Nirankar3 – Manjit Singh
Vaho Vaho Bani Nirankar – Bhai Joginder Singh Riar
Waho Waho Bani Nirankar hai – Bhai Tejinder Singh ji

Nirankari Satsang Bhawan
संस्था का मुख्यालय : संत निरंकारी कॉलोनी,
दिल्ली- 110 009 इंडिया

निष्कर्ष
“धन निरंकार” संस्था का शुरुआत ही हुआ था आध्यात्मिक उद्देश्य के लिए आगे चल कर यह आधुनिकता का रूप ले लिया लेकिन अपने मूल रूप में आज भी आपको मिलेगा फर्क सिर्फ इतना है की अब यह अध्यात्म से ज्यादा सामाजिक कार्यों में ज्यादा रुचि लेती है जिससे जन-जन का भला हो सकें|
इस संस्था से जुड़े अधिकारी और पदाधिकारी गण आज बहुत सारे मानव कल्याण से जुड़े कार्यक्रम संचालित करते है जैस ब्लड-डोनेशन, गरीबो के लिए अनाज, पौधा-रोपण का कार्य हो, स्वच्छ भारत अभियान, मेडिकल सेवा आदि अनगिनत कार्य किये जाते है|
उपरोक्त लेख विस्तार से धन निरंकार मिशन के उद्देश्यों को समझाया गया है हमने उनके इतिहास को जाना कब-कैसे-कौन प्रारम्भ किया इनके संस्थापक निरंकारी बाबा जी के वचार, धन निरंकार जी का मतलब, निरंकारी सिमरन, निरंकार सत्संग, निरंकार की साखी आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी सब आपको एक ही स्थान में मिला| अतः आप इसका लाभ उठा सकते है और अपने जीवन को सफल करें इसी उद्देश्य के साथ धन निरंकार जी|