दीपावली का महत्व

दीपावली का महत्व

दीपावली में लक्ष्मी गणेश का फोटो

दीपावली का महत्व

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संक्षिप्त परिचय

इस लेख में हम जानेंगे “दीपावली का महत्व” और दीपावली के Significance & Importance महत्व के बारे में और दीपावली की सम्पूर्ण जानकारी हासिल करेंगे जिसमें दीपावली का सांस्कृतिक महत्व को समझेंगे और जानेंगे दीवाली हमारे जीवन में क्यों इतना महत्वपूर्ण है? और यह कैसे हमारे जीवन से जुड़ा है? क्यों दिवाली पर दीये जलाने का विशेष महत्व है? आध्यात्मिक कारण तो जानेंगे ही साथ ही साथ इसका वैज्ञानिक आधार क्या है? ताकि तुलनात्मक रूप से हम समझ सकें की यह हमारे जीवन से किस प्रकार से जुड़ा है और इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण क्या है?

दीपावली में हम क्या-क्या करते हैं कैसे हम खुशियाँ मनाते है “दीवाली पूजन सम्पूर्ण विधि” पर भी विस्तार से चर्चा करेंगे बच्चों के मिठाइयाँ और पटाखे, “दिवाली में आतिशबाजी” पर भी विस्तार से चर्चा करेंगे|

दीप दिवाली रंगोली

दिवाली रंगोली फोटो Simple

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विस्तार से समझें

दीपावली क्यों मनाया जाता है?

दीपावली मनाये जाने का सीधा सा मतलब हैं अयोध्या के राजा राम जो कि विष्णु के अवतार थे (पुराणों के अनुसार) कैकई के कहने पर राजा दशरथ द्वारा दिये चौदह (14) वर्ष के वनवास के बाद अपने राज्य, अपने जन्मस्थली लौटे थे अयोध्यावासी अपने प्रिय राजा को पाकर उनके स्वागत में और ख़ुशी में घी के दीपक जलाये थे|

जब राजा राम अयोध्या के धरती पर कदम रखे तो उस समय कार्तिक मास की घनघोर काली अमावस्या की रात थी सबके द्वारा दीप प्रज्वलित किये जाने के वजय से उस रात पूरा वातावरण आनंदित, खुशनुमा, हर्षोलाश और दीयों की रोशनी से जगमगा गया था तभी से यह परम्परा चला आ रहा है दीया जलाने और खुशियाँ मनाने का, यह एक कारण है दूसरा कारण है आगे…

बेस्ट रंगोली डिजाइन फोटो

दीपावली का महत्व

सबसे पहले तो यह जानने की जरूरत है की दीपावली कब मनाया जाता है?दीपावली हिंदी पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के 13वें दिन आता है इसीलिए इसे त्रियोदशी कहते हैं|

दीपावली कर अर्थ क्या है? दीपावली अर्थात्-> दीप + अवलिः = दीपकों की पंक्ति, एक लाइन में रखे दिये खुशियों का प्रतीक, उजाले का प्रतीक, दीपावली दीपों का त्योहार है, बुराई का अच्छाई पर जीत का प्रतीक…

इस दिन धनवंती देवी की पूजा की जाती हैं जो धन की लक्ष्मी है आज धन्वंतरि शब्द का अर्थ आयुर्वेद से जुड़ गया है मतलब (डॉक्टर) हो गया है रोग के ईलाज से जुड़ गया है धन्वंतरि आयुर्वेद के श्रोत माने जाते हैं यह हमारे सेहतमंद जीवन से जुड़ा विज्ञान है इसी तरह धन्वंतरि और त्रियोदसी को काट कर धनतेरस कर दिया गया इस तरह इस शब्द का उदय हुआ|

इस तरह सेहत की चीज धन की बन गई है और हम सोचते हैं यह पैसे से जुड़ा चीज है इस दिन से शर्दी शरू हो जाती है मौसम में परिवर्तन आने लगता है और इस बदलते मौसम में कैसे रहा जाए कैसे कपड़े पहने, कब उठाना चाहिए, क्या खाना चाहिए, योगाभ्यास कब करना चाहिए, ध्यान कब करना चाहिए इसपर पूरा विज्ञान मौजूद है जिससे हम इस बदलते वातावरण में अपने आपको ढाल सकें|

दीपावली के दिन उत्साह मनाया जाता है पटाखे छोड़े जाते है दीये जलाये जाते हैं मिठाइयाँ खाई जाती है ताकि हमारा उत्साह कम न हो जाए और हम सर्दियों का स्वागत धूमधाम से करते हैं क्योंकि धरती और सूर्य के बीच की दूरी बदल जाती हैं इस कारण धरती पर जीवन धीमी हो जाती है इसलिए दीपावली से 14 जनवरी (खिचड़ी) के मध्य कोई भी किसान बीज नहीं बोता है क्योंकि इस समय मौसम ठण्ड और धीमी हो जाती है उत्तरी गोलार्थ में सब कुछ रूक सा जाता है (मतलब हमारा पृथ्वी सूर्य से दूर हो जाता है) पर्याप्त गर्मी नहीं मिलने से बीज को अंकुरित होने में समस्या आती है|

पृथ्वी पर जीवन का मुख्य आधार उर्जा है और उर्जा का श्रोत सूर्य है इसी से जीवन संभव है सूर्य के बिना कुछ भी संभव नहीं है| धनतेरस के दिन से हमारे सभ्यता में हर एक दिन एक नये डिजाईन का रंगोली बनाने की परम्परा शुरू हो जाती है ताकि उर्जा हमारे घर में आकर्षित हो सके| अब यह परम्परा प्राय लुप्त हो गई है|

सर्दियों के दिनों में सूरज की पहली किरण हमारे ऊपर पड़नी चाहिए ताकि हम और भी ज्यादा जीवंत हो सकें हमारे अन्दर उर्जा का संचार हो सकें| दीवाली एक धार्मिक त्योहार के साथ-साथ हमारे भौगौलिक स्थिति से जुड़ा पर्व भी कह सकते हैं|

यह एक ऐसा समय है जिसका असर हर जीव-जंतु, पशु-पक्षी, जानवर मनुष्य हर चीज पर पड़ता है सब में ठहराव आ जाता है इसलिए इस समय अपने आपको उर्जावान बनाये रखने के लिए हमें कुछ शारीरिक और मानसिक गतिविधियाँ करनी पड़ती है इसीलिए यह त्योहार धन्वंतरि हमारे शरीर और विज्ञान से जुड़ा है की हमें अपने शारीरिक सिस्टम को जीवंत बनाने से जुड़ा है इसलिए इस समय का हमें विशेष ध्यान रखना चाहिए|

न्यू रंगोली

न्यू रंगोली डिजाइन

धनतेरस का महत्व

पुराणों के अनुसार दैत्यों के राजा बलि एक शक्तिशाली राजा थे उनके शासनकाल के समय दैत्य, दानव, असुर और राक्षस बहुत शक्तिशाली हो गए थे उनके गुरु शुक्राचार्य द्वारा|

दुसरे तरफ दुर्बासा ऋषि के श्राप से इन्द्रदेव की शक्ति क्षीण हो गयी थी इस कारण राजा बलि का राज्य तीनों लोक- धरती, पाताल और आकाश में फैल गया था सभी लोग (देव और मनुष्य) उनसे भयभीत रहते थे|

इस समस्या के निवारण हेतु देवतागण भगवान विष्णु जी के पास पहुँचे और इसके निवारण का उपाय पूछा तब उन्होंने कहा देवतागण आप लोग राक्षसों के साथ मिलकर समुद्र मंथन करो उस मंथन में जो अमृत निकलेगा उसका पान कर लेना जिससे आप देवतागण अमर हो जायेंगे और आप लोगों को कोई मार नहीं पायेगा|

आगे चलके देवताओं और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन हुआ मंथन में मंदराचल पर्वत को मथनी के रूप में इस्तेमाल किया गया वासुकी नाग को रस्सी के रूप में मंथन में इस्तेमाल किया गया भगवान विष्णु कच्छप अवतार में मथनी में लगे|

राक्षसगण मुँह के तरफ से पकडे और देवतागण पूंछ के तरफ से पकड़े मंथन प्रारम्भ हुआ मंथन से जल में हलचल होने लगा जिससे सबसे पहले विष निकला विष को महादेव ने पी लिया विष गले में पहुँचने पर भगवान शिव का गला नीला पड़ गया इसीलिए महादेव जो को नीलकंठ भी कहा जाता है|

मंथन से दूसरा चीज जो निकली वह कामधेनु गाय था जिसे ऋषियों ने अपने पास रख लिया|

फिर घोड़ा निकला जिसको असुर राजा बलि अपने पास रख लिया|

ऐरावत हाथी इन्द्रदेव ले गए|

कौस्तुभमणि भगवान विष्णु अपने पास रख लिए|

कल्पवृक्ष स्वर्ग चला गया|

रम्भा अप्सरा स्वर्ग चली गई|

महालक्ष्मी भगवान विष्णु ने वर लिया|     

वारुणी कन्या के रूप में प्रकट हुई जिसको राक्षस अपने पास ले लिए|

फिर चन्द्रमा, पारिजात वृक्ष, शंख निकला जो स्वर्ग चला गया|

और अंत में धन्वंतरि देवी अमृत कलश के साथ प्रकट हुई|

अमृत प्रकट होने पर देवताओं और असुरों में झगड़ा होने लगा इस झगड़े को रोकने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर लिए जिससे सबका अमृत कलश पर से ध्यान हट सके और सभी लोगों का ध्यान कलश पर से हट कर उस सुन्दर स्त्री के तरफ चला गया|

वह सुंदरी बोली देवतागण और असुरगण एक पंक्ति में बैठ जायें में सबको क्रम से अपने हाथों से अमृत पान करूंगी इसपर सभी लोग राजी हो गए| राक्षसों में एक दानव स्वरभानु देवताओं का यह चाल समझ गया और भेष बदलकर देवताओं के पंक्ति में जा बैठा उसकी बारी आने पर जैसे ही उसके मुख में अमृत की कुछ बूंद गया वैसे ही चन्द्रमा जी ने विष्णु जी से पुकार कर कहा अरे यह तो राक्षस है तुरंत ही भगवान विष्णु अपने सुदर्शन चक्र से उस स्वरभानु का सिर धड़ से अलग कर दिया|

अमृत के प्रभाव से स्वरभानु का सिर राहु और धड़ केतु के रूप में विख्यात हुआ|

इस तरह भगवान विष्णु देवताओं को अमृत पिलाकर अपने लोक चले गए यह है धनतेरस की पूरी कहानी|

अब अगर आपका यह सवाल है की धनतेरस के बारे में बताइए तो उपरोक्त कहानी धनतेरस के बारे में था|

Sawastik

Diwali swastik

दीवाली पूजन सम्पूर्ण विधि

  • सबसे पहले आप एक मिट्टी की लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति घर लायें अगर पैसा हो तो चाँदी की मूर्ति खरीदें, अष्टधातु का भी खरीद सकते हैं लोग कागज के फोटो का भी इस्तेमाल करते हैं तो यह आपके ऊपर है|
  • कुछ जरुरी सामान जुटा लें (यथा शक्ति) लाल वस्त्र (एक फीट), नारियल, कलावा, रोली, सिंदूर, चावल(अक्षत), लॉन्ग, सुपारी, पान का पत्ता, आम का पत्ता, फूल, कलश, चौकी, हवन सामग्री, हवन कुंड, पंचामृत(दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), मिठाइयाँ, दीपक, रुई, सरसों का तेल, आसन, अगरबत्ती, कुशा आदि…
  • शुभ मूर्त के लिए ठाकुर पंचांग या अन्य पंचांग देखें|
  • अगर आपको संस्कृत नहीं आती तो कोई बात नहीं, मंत्र नहीं आता तो कोई बात नहीं, केवल पवित्र मन और सच्चे ह्रदय से ईश्वर के प्रति जो भी भावना आप प्रकट करते हैं वह निश्चित रूप से फलदायक सिद्ध होगा|
  • पूजा स्थल पर पूरी तैयारी कर लेने के बाद हाथ में फूल लेकर “ॐ श्री गणेशाय नमः” मंत्र बोले|
  • मंत्र पढ़े – गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्।

उमासुतं शोक विनाशकारकं, नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।।

  • गणपति आवाहन – ॐ गं गणपतये नम: इहागच्छ इह तिष्ठ।। इतना कहने के बाद पात्र में अक्षत छोड़ दे।    
  • इसके बाद माँ लक्ष्मी का ध्यान करें-

ॐ या सा पद्मासनस्था, विपुल-कटि-तटी, पद्म-दलायताक्षी।

गम्भीरावर्त-नाभिः, स्तन-भर-नमिता, शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया।।

लक्ष्मी दिव्यैर्गजेन्द्रैः, मणि-गज-खचितैः, स्नापिता हेम-कुम्भैः।

नित्यं सा पद्म-हस्ता, मम वसतु गृहे, सर्व-मांगल्य-युक्ता।

  • लक्ष्मी और गणेश का गुणगान करें, पाठ करें, आरती करें|
  • सच्चे मन से ध्यान करे हम सबके तरफ से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और मंगल|

 

साधारण रंगोली

आसान रंगोली फोटो

दीपावली पर निबंध

दीपावली का त्यौहार कब और कैसे मनाया जाता है? दीपावली जिसको दीवाली भी कहा जाता है यह हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है इस त्यौहार को मनाने के पीछे का सबसे बड़ा कारण है भगवान राम का रावण पर विजय प्राप्त कर अयोध्या वापसी पर अयोध्यावासी दीप जलाकर उनका स्वागत किये थे आज के मोर्डेन युग में यह पटाखे-मिठाइयाँ रंगोली और लाइटिंग में परिवर्तित हो गया है और काफी हद तक डिजिटल हो गया है यहाँ तक की हम भगवान की मूर्तियाँ भी डिजिटल पूजा करते हैं|

दीपावली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

लोग अपने घर-दुकान-ऑफिस को साफ़ करते हैं सफेदी कराते हैं रंगों से खुबसूरत ढंग से पेंट करवाते हैं घर पर रखे पुराने कबाड़ को बेच देते है घरों में अगर मरम्मत की जरुरत हो तो उसको कराते हैं बाजार से झालर और सजावट का सामान लाकर सजाते हैं|

Diwali fireworks images

दीपावली की कुछ जानकारी जो आप जानकर हैरान रह जायेंगे

  • “दीपावली का महत्व” इसलिए और ज्यादा हो जाता खासकर नेपाल में क्योंकि इसी दिन को नेपलिओं का नया वर्ष (संवत) शुरू होता है नेपाल एक हिन्दू राष्ट्र है जिनका भारतीयों की तरह रीति रिवाज है और वह भगवान शिव की पूजा करते है|
  • दीपावली की रात औघड़ के लिए अपनी विद्या को जगाने का दिन भी कहा जाता है जो जादू-टोना में विश्वास करते हैं वह इस विशेष दिन का इंतेजार करते हैं|
  • जैन मत के अनुसार भगवान महावीर को इसी दिन मोक्ष की प्राप्ति हुई थी इसलिए “दीपावली का महत्व” जैन समाज के लिए यह दिन “महावीर स्वामी निर्वाण दिवस” के रूप में मनाते है|
  • दूसरी तरह सिखों के लिए यह तिथि इसलिए खास हैं क्योंकि इसी दिन अमृतसर 1577 में स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास कराया गया| दूसरा कारण इसी दिन सन 1619 में दीपावली के दिन हरगोबिन्द सिंह जी को जेल से रिहा किया गया था|
  • स्वामी रामतीर्थ का जन्म भी दीपावली के पवन दिन में ही हुआ था|
  • महर्षि दयानंद स्वरस्वती जी इसी दिन अजमेर के करीब मोक्ष्य को प्राप्त हुए थे|
  • सम्राट अकबर, जहाँगीर, मुग़ल शाषक बहादुर शाह जफ़र यह मुस्लिम शासक दीपावली को बड़े धूमधाम से मनाते थे|
  • मुस्लिम शब्द में दीवाली को ईदेह चारागाह कहते हैं, अँधेरे में रोशनी की, जेहालत पर इल्लम की, बुराई पर अच्छाई की, मायूसी पर उम्मीद की और फतह और कामयाबी की अलामत समझा जाता है|
  • विश्व के लगभग हर देश से दिवाली मनाये जाने का समाचार आता रहता है इससे “दीपावली का महत्व” और अधिक बढ़ जाता है|
  • दीपावली में सरकारी छुट्टी इन देशो में होता है- नेपाल, श्रीलंका, मायंमार, मलेशिया, सिंगापूर, फुज्जी|
  • दक्षिण भारत के कई स्थानों में दीपावली को नरकासुर के वध के कारण मनाया जाता है|
  • श्रीराम द्वारा 14 वर्ष के वनवास के द्वरान रावण द्वारा माता सीता का हरण कर लिया जाता है तब भगवान श्रीराम रावण का वध कर माता सीता को लेकर अयोध्या वापस लौटते हैं उनके ख़ुशी में अयोध्या को दीपों से सजाया जाता है तभी से दीपावली मनाया जाता है|
  • दीपावली में “धनतेरस झाड़ू का महत्व” अपने आप में विशेष और ख़ास है इस दिन झाड़ू खरीदना शुभ माना जाता है इससे माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती है और घर से दरिद्रता दूर करती है इससे धन-वैभव आता है|
दिवाली दीया

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निष्कर्ष

उपरोक्त लेख में हमने देखा “दीपावली का महत्व”  पर विस्तार से प्रकाश डाला गया दीपावली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है

“धनतेरस का महत्व” को जाना की कैसे धन्वंतरि देवी ने अमृत कलश को देवताओं को पिलाकर उनको अमर बना दिया पूरी कहानी ऊपर दिया गया है|

दीपावली में लक्ष्मी-गणेशजी की पूजा अर्चना होती हैं इनका पूजा करने से रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है धन और वैभव की प्राप्ति होती है|

दीवाली में लोग मिठाइयाँ एक दुसरे को देते और लेते हैं पुराने गिले-शिकवे दूर होते हैं भाईचारे और सौहार्द के साथ मिल जुलकर मनाते हैं|  

दीपावली की शुभकामनाएं के साथ सबका मंगल और कल्याण हो|”

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