दत्तात्रेय मंदिर


संक्षिप्त परिचय
“दत्तात्रेय ऋषि धाम आश्रम या दत्तात्रेय आश्रम आजमगढ़” एक सिद्ध पीठ है जहाँ दत्तात्रेय ऋषि ने तपस्या किया था यहाँ सावन के पवित्र महीने में भारी संख्या में श्रद्धालु और दर्शनार्थी आते है मंदिर के बारे पूरी जानकारी और इनका इतिहास के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दिया जा रहा है|
जैसे-जैसे आप महर्षि दत्तात्रेय धाम के बारे में आगे पढ़ते जायेंगे उनके इतिहास के बारे जानकारी प्राप्त करते जायेंगे आपके मन के सारे प्रश्नों का समाधान होता जायेगा और आप ऋषि दत्तात्रेय अवतार की तपस्या, दत्तात्रेय का अर्थ, दत्तात्रेय स्तोत्रम्, उनके पुत्र जन्म स्थान और दत्तात्रेय गायत्री मंत्र आदि के बारे में विस्तार से समझाया गया है|
यह सारी जानकारी विभिन्न ग्रंथों से लिया गया है जिसको बहुत ही स्पष्ट और साधारण भाषा में बताने का प्रयास किया गया है जिससे लोगों को समझने में आसानी हो “दत्तात्रेय आश्रम आजमगढ़” के हर एक पहलू के बारे में बताने का प्रयास किया गया है|

विस्तार से समझें
दत्तात्रेय मंदिर
दत्तात्रेय आश्रम आजमगढ़ जिसे महर्षि दत्तात्रेय धाम आश्रम भी कहा जाता है जो आजमगढ़ मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है महर्षि दुर्बासा धाम आश्रम से भी 20 किलोमीटर की ही दूरी पर दत्तात्रेय मंदिर वह आश्रम है यह स्थान दो नदी के संगम कुंवर नदी और तमसा नदी के संगम पर स्थित है पहले यह स्थान घने वनों और वृक्षों से घिरा रहता था लेकिन अब यहाँ आबादी बढ़ने के कारण इस ऐतिहासिक स्थल का भौगोलिक नक्शा बदल रहा है|
यहाँ पहुँचने के लिए या तो अपना वाहन हो या रिजर्व साधन ही एक मात्र विकल्प है (पहुँचने का) शिवरात्रि के दिन यहाँ भव्य मेले का आयोजन किया जाता है इसमें सबसे जादा फ़ायदा छोटे-छोटे दुकानदारों को ही होता है इससे लोगों को रोजगार मिल जाता है और जीविका का एक साधन बना रहता है|
दत्तात्रेय पुराण
पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्माजी के मानस पुत्र महर्षि अत्रि सप्तऋषियों में से एक है और उनकी पत्नी माता अनुसुइया त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु, महेश को अपने पुत्र के रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या करने लगी तब तपस्या का प्रभाव बढ़ने के करण उन्हें जाना पड़ा तीनों देवियों के कहने पर माता अनुसुइया का परीक्षा लेने के लिए कहा गया इसपर एक सन्यासी का वेश बनाकर तीनों देवों ने उन्हें भिक्षा देने को कहा लेकिन शर्त यह थी की वह उनसे नग्न अवस्था में ही ग्रहण करेंगे शर्त सुनने के बाद माता थोड़े देर के लिए स्तब्ध रह गयी|
लेकिन अगले ही क्षण अपने ध्यान से देखने पर पूरे खेल को समझ गयी और उसके बाद अभिमंत्रित जल से उन तीनों सन्यासियों को जो ब्रह्मा, विष्णु, महेश ही थे उन्हें शिशु रूप में परिवर्तित कर उन्हें भिक्षा के रूप में स्तन पान करवाया और इस तरह त्रिदेवों की परीक्षा पूर्ण हुई और माता अनुसुइया का त्रिदेवों को अपने पुत्रों के रूप में प्राप्त करने का सपना पूर्ण हुआ|
दत्तात्रेय अवतार
भगवान अत्रि जो पहले ही अपने दिव्य दृष्टि से यह पूरे घटनाक्रम को देख रहें थे तीनों देवों को अपने पुत्रों के रूप में प्राप्त कर अत्यंत ही प्रसन्न हुए और उन्होंने तीनों बालकों को गले से लगा लिया फिर उन्होंने तीनों शक्तियों को अपने तपोबल से एक में परिवर्तित कर दिया जिससे उनका एक अद्भुत रूप निर्मित हुआ जिसमें तीन सिर, छ: हाथ का एक मनोरम रूप का निर्माण हुआ इस रूप को भगवान विष्णु का अवतार माना गया इसी रूप की पूजा दत्तात्रेय धाम आश्रम में किया जाता है|
आगे जब ब्रह्मा, विष्णु, महेश की पत्नियों को जब यह पता चला तो उन्होंने अत्रि मुनि से उनके देवों को लौटने का आग्रह करने पर त्रिदेवों को अपने वास्तविक रूप में ले आये और वह अपने-अपने लोकों को लोट गये भगवान विष्णु को दत्तात्रेय ऋषि से भी जाना जाता है इनके अन्य दो भाई चन्द्रमा ऋषि जिन्हें ब्रह्मा कहते है और दुर्वासा जिन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है| और यह “दत्तात्रेय आश्रम आजमगढ़” दत्तात्रेय जी का जन्म स्थली माना जाता है|
दत्तात्रेय का अर्थ
दत्तात्रेय स्त्रोत
दत्तात्रेय का अर्थ है अत्री का पुत्र (अत्री का एक बेटा) शास्त्रों के मुताबिक यह एक पवित्र नाम है जिस प्रकार राम नाम का महत्व है राम एक पवित्र तम नाम है यह दो अक्षर का प्यारा नाम है जिसके उच्चारण मात्र से ही सभी दुखो का नाश हो जाता है भगवान दत्तात्रेय श्री राम के ही अवतार है दत्तात्रेय नाम से सरे दुखो का अंत होता है|
दत्तात्रेय का पुत्र
दत्तात्रेय जो साक्षात् भगवान विष्णु थे दत्तात्रेय के पुत्र का नाम निमी था उन्होंने घोर तपस्या की और एक महान योगी और तपस्वी के रूप में प्रसिद्ध हुए|
दत्तात्रेय जन्म स्थान
भगवान दत्तात्रेय का जन्म स्थान का पुरातत्व विभाग द्वारा प्रमाणित नहीं किया गया है लेकिन हमारे शास्त्रों और पुराणों द्वारा इसके प्रमाण मिलते है की संभवतः उन्होंने आजमगढ़ के निज़ामाबाद के तमसा नदी पर ही अपना निवास स्थान बनाया होगा| जो आजमगढ़ मुख्यालय से 20 किलोमीटर पश्चिम में है|
दत्तात्रेय गायत्री मंत्र
तांत्रोक्त दत्तात्रेय मंत्र –
‘ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नम:’
दत्तात्रेय गायत्री मंत्र –
‘ॐ दिगंबराय विद्महे योगीश्रारय् धीमही तन्नो दत: प्रचोदयात’
दत्तात्रेय मंत्र
दत्तात्रेय का महामंत्र –
‘दिगंबरा-दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा’
“ॐ नमो भगवते दत्तात्रेयाय….पासुन सुरुवात करुन…ॐ नमो महासिध्दाय स्वाहा।”
ॐ द्राम दत्तात्रेयाय नमः
दत्तात्रेय बीज मंत्र
एक शक्तिशाली बीज मंत्र –
॥ ऊं द्रां ह्रीं स्पोटकाय स्वाहा ॥
दत्तात्रेय के 24 गुरु
दत्तात्रेय के 24 गुरुओं के नाम इस प्रकार है:
पृथ्वी, वायु, जल, अग्नि, आकाश, सूर्य, समुद्र, चन्द्रमा, हिरण, मछली, पतंगा, कपोत, अजगर, मधुमक्खी, हाथी, शहद निकालने वाला, कुर्र पक्षी, कुमारी कन्या, सर्प, बालक, मकड़ी, तीर-कमान बनाने वाला, पिंगला वैश्या, भृंगी कीट|
।। दत्तात्रेय स्तोत्र ।।
जटाधरं पाण्डुराङ्गं शूलहस्तं कृपानिधिम् ।
सर्वरोगहरं देवं दत्तात्रेयमहं भजे ॥ १॥
अस्य श्रीदत्तात्रेयस्तोत्रमन्त्रस्य भगवान् नारदऋषिः ।
अनुष्टुप् छन्दः । श्रीदत्तपरमात्मा देवता ।
श्रीदत्तप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ॥
जगदुत्पत्तिकर्त्रे च स्थितिसंहार हेतवे ।
भवपाशविमुक्ताय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १॥
जराजन्मविनाशाय देहशुद्धिकराय च ।
दिगम्बरदयामूर्ते दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ २॥
कर्पूरकान्तिदेहाय ब्रह्ममूर्तिधराय च ।
वेदशास्त्रपरिज्ञाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ३॥
र्हस्वदीर्घकृशस्थूल-नामगोत्र-विवर्जित ।
पञ्चभूतैकदीप्ताय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ४॥
यज्ञभोक्ते च यज्ञाय यज्ञरूपधराय च ।
यज्ञप्रियाय सिद्धाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ५॥
आदौ ब्रह्मा मध्य विष्णुरन्ते देवः सदाशिवः ।
मूर्तित्रयस्वरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ६॥
भोगालयाय भोगाय योगयोग्याय धारिणे ।
जितेन्द्रियजितज्ञाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ७॥
दिगम्बराय दिव्याय दिव्यरूपध्राय च ।
सदोदितपरब्रह्म दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ८॥
जम्बुद्वीपमहाक्षेत्रमातापुरनिवासिने ।
जयमानसतां देव दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ९॥
भिक्षाटनं गृहे ग्रामे पात्रं हेममयं करे ।
नानास्वादमयी भिक्षा दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥१०॥
ब्रह्मज्ञानमयी मुद्रा वस्त्रे चाकाशभूतले ।
प्रज्ञानघनबोधाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ ११॥
अवधूतसदानन्दपरब्रह्मस्वरूपिणे ।
विदेहदेहरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १२॥
सत्यंरूपसदाचारसत्यधर्मपरायण ।
सत्याश्रयपरोक्षाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १३॥
शूलहस्तगदापाणे वनमालासुकन्धर ।
यज्ञसूत्रधरब्रह्मन् दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १४॥
क्षराक्षरस्वरूपाय परात्परतराय च ।
दत्तमुक्तिपरस्तोत्र दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १५॥
दत्त विद्याढ्यलक्ष्मीश दत्त स्वात्मस्वरूपिणे ।
गुणनिर्गुणरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १६॥
शत्रुनाशकरं स्तोत्रं ज्ञानविज्ञानदायकम् ।
सर्वपापं शमं याति दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥ १७॥
इदं स्तोत्रं महद्दिव्यं दत्तप्रत्यक्षकारकम् ।
दत्तात्रेयप्रसादाच्च नारदेन प्रकीर्तितम् ॥ १८॥
॥ इति श्रीनारदपुराणे नारदविरचितं दत्तात्रेयस्तोत्रं सुसम्पूर्णम् ॥
FAQ - महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर
दत्तात्रेय मंदिर तमिलनाडु के रामेश्वरम के पास गंधमादन पर्वत पर स्थित है यह एक अति पवित्र मंदिर है जहाँ लोग शांत बैठते हैं और ध्यान करते हैं| दूसरा मंदिर उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के निजामाबाद तहसील के अंतर्गत आता है| यहाँ दो नदियों का संगम है|
भारत में दत्तात्रेय के नाम पर 16 मंदिर और तीर्थ है अधिकतर दक्षिण भारत में स्थित है|
दत्तात्रेय का मतलब होता है अति सुन्दर भगवान विष्णु का रूप जिन्हें अत्री के पुत्र के रूप में जाना जाता है|
दत्तात्रेय भगवान को तीनों त्रिदेव के अवतार के रूप में जाना जाता है जिसे ब्रह्मा-विष्णु-महेश कहते है इनका स्वरूप का वर्णन कुछ इस प्रकार है त्रिदेव होने के कारण इनका तीन सिर है चार हाथ है जिसमें शंख, चक्र, त्रिशूल और कमल तीनों देवों के अस्त्र हैं| साधु के वेश में विचरण करना और उनके पीछे-पीछे कुत्ता गाय व अन्य जानवर का टोली साथ में चलना चेहरे पर अद्भुत आभा|
भगवान दत्तात्रेय की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि जगत के त्रिदेव ब्रह्मा-विष्णु-महेश का संयुक्त रूप दत्तात्रेय में विद्यमान है| जो परम सुख देने वाले है जिनकी जितनी आराधना की जाये उतनी कम है यह अति मनोहर दृश्य है|
भगवान श्री दत्तात्रेय जी की पत्नी का नाम लक्ष्मी माता है इनके पुत्र का नाम निमि हैं|
भगवान दत्तात्रेय लोगों से छुटकारा पाने के लिए नदी में स्नान करने चले गए तीन दिनों तक लगातार जल के अन्दर रहने के बाद भी लोग वहाँ से नहीं गए तो उन्होंने जल समाधि ले लिया इस तरह भगवान दत्तात्रेय परम लोक को चले गए|
भगवान श्री दत्तात्रेय का पहला अवतार श्रीपाद वल्लभ था दूसरा श्री नरसिंह अवतार तीसरा श्री समर्थ और चौथा सबसे ज्यादा प्रचलित अवतार श्रीडीह के श्री साईं बाबा के रूप में हुआ था ऐसा माना जाता है|
भगवान श्री दत्तात्रेय नाथ संप्रदाय से आते हैं और शिव के अवतार माने जाते हैं दत्तात्रेय से ही नाथ संप्रदाय की शुरुआत हुआ था उनके जितने भी गुरु-शिष्य हुए सभी को नाथ संप्रदाय के रूप में जाना जाता है| भगवान दत्तात्रेय ने पहली बार योग और तांत्रिक दोनों की शिक्षा अपने लोगों को दिया था|
दत्तात्रेय के पुत्र का नाम निमी था उन्होंने घोर तपस्या की और एक महान योगी और तपस्वी के रूप में प्रसिद्ध हुए|
भगवान दत्तात्रेय को पूजा के रूप में चमेली और कमल का फूल चढ़ाया जाता है|
दत्ता भगवान विष्णु के अवतार है इन्हें ज्ञान का अवतार भी माना जाता है|
भगवान श्री दत्तात्रेय की पत्नी का नाम लक्ष्मी है इनका दूसरा नाम अनघा देवी है यह तीन देवी का अवतार है (लक्ष्मी, सरस्वती और पार्वती)|
भगवान श्री दत्तात्रेय के शिष्य थे – परशुराम|
भगवान श्री दत्तात्रेय ब्रह्माजी के मानस पुत्र माने जाते है और वह अत्री मुनि और माता अनुसुइया के पुत्र थे|
भगवान श्री दत्तात्रेय की जयंती कृष्ण पक्ष की दशमी के दिन मनाया जाता है यह दिन दिसंबर महीने में मनाया जाता है|
भगवान श्री दत्तात्रेय के गुरु के रूप में यह पूरा संसार है जैसे आकाश, अग्नि, जल, हवा, सूर्य, चन्द्रमा, मछली, मनुष्य, जानवर, राक्षस, हाथी, चींटी, शेर हर कोई यह पूरे 24 गुरु है|
भगवान श्री दत्तात्रेय के चौबीस गुरु है पृथ्वी पर पाए जाने वाले हर जीव उनके गुरु है|
भगवान श्री दत्तात्रेय की कहानी श्रृष्टि के प्रारम्भ के समय की है वेदों के अनुसार दत्तात्रेयजी विष्णु भगवान के छठे अवतार माने जाते हैं| दत्तात्रेय भगवान को तीनों त्रिदेव के अवतार के रूप में जाना जाता है जिसे ब्रह्मा-विष्णु-महेश कहते है इनका स्वरूप का वर्णन कुछ इस प्रकार है त्रिदेव होने के कारण इनका तीन सिर है चार हाथ है जिसमें शंख, चक्र, त्रिशूल और कमल तीनों देवों के अस्त्र हैं| भगवान विष्णु को त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का एकरूप माना गया है| भगवान साधु के वेश में विचरण करना और उनके पीछे-पीछे कुत्ता गाय का टोली साथ में चलना चेहरे पर अद्भुत आभा| यह कुछ अल्प वर्णन है|
भगवान दत्तात्रेय के तीन सिर के पीछे का सांकेतिक अर्थ है ब्रह्मा, विष्णु, महेश या सत्त्व, रजस और तामस भी कहा जा सकता है जो गुणों को दिखता है|
भगवान दत्तात्रेय त्रिदेव का एकरूप है यानी उनसे बड़ा इस संसार में कोई नहीं यह जीवन के हर गुण को प्रदर्शित करते हैं चाहे वह अच्छा हो, बुरा हो हर गुण-कर्म उनके आधीन रहते है| सारे गुणों से युक्त होते हुए भी वह किसी भी गुण में लिप्त नहीं होते इसी लिए इन्हें ईश्वर कहा जाता है|

निष्कर्ष
“दत्तात्रेय ऋषि धाम” या “दत्तात्रेय आश्रम आजमगढ़” के बारे में जो भी जानकारी पुराने ग्रंथों से हमें प्राप्त हुआ उसको बहुत ही साधारण ढंग से प्रस्तुत किया गया है|
पुराने अभिलेखों से जो जानकारी हमें प्राप्त हुई है हमने महर्षि दत्तात्रेय महाराज के बारे में जाना जैसे दत्तात्रेय मंदिर के बारे में, इनके पुराण में वर्णित पौराणिक कथा के बारे में बताया गया है| उनके तपस्या के बारे में जाना, उनके अवतार के बारे में जाना तथा उनके मंदिर और आश्रम के बारे में जानकारी प्राप्त किया|
एक बात जो सबसे मजेदार है वह यह कि महर्षि दुर्वासा धाम, चन्द्रमा आश्रम और दत्तात्रेय मंदिर तीनों एक ही जिले आजमगढ़ में स्थित है और तीनों ही आश्रम दो नदियों के संगम पर स्थित है और एक तीसरी बड़ी नदी बनकर आगे बढ़ गई है| “दत्तात्रेय आश्रम आजमगढ़” एक धार्मिक स्थल के साथ-साथ पिकनिक स्पॉट भी है|