तिरुपति बालाजी मन्दिर

Tirumala
तिरुपति बालाजी photo-1

Tirupati balaji temple

तिरुपति बालाजी मंदिर कहा है?

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संक्षिप्त परिचय

तिरुपति बालाजी मंदिर भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में तिरुपति नामक शहर में स्थित है। यह हिंदू धर्म का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है और भारत में सबसे अधिक भ्रमण की जाने वाली धार्मिक स्थलों में से एक है। मंदिर तिरुमला हिल के ऊपर स्थित है और वहां पर भगवान वेंकटेश्वरा (बालाजी) की मूर्ति स्थापित है|

मंदिर का निर्माण दक्षिण भारतीय वास्तुशिल्प के अनुसार हुआ है। मंदिर के दर्शनालय में दो प्रमुख घंटाघर हैं, जो पूरे दिन घंटों की गंगा बहाते रहते हैं। मंदिर के दो द्वार होते हैं, जिनमें से एक वास्तव में स्वर्ग के द्वार के रूप में जाना जाता है|

मंदिर में दर्शन के लिए विभिन्न प्रकार की पूजाएं होती हैं, जैसे श्रीवारी पादालु दर्शन, वस्त्रधारणा दर्शन और ब्रह्मोत्सवम् आदि। दर्शन करने के लिए पूरे विश्व से लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं|

तिरुपति बालाजी मंदिर भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में तिरुमला श्रीवास्तव श्रीवेंकटेश्वर स्वामी के दिव्य स्थानों में से एक है। यह मंदिर हिल स्टेशन के पास स्थित है और उन्नत ढंग से संरचित है|

इस मंदिर के निर्माण की तारीख स्पष्ट नहीं है, लेकिन इसका महत्वपूर्ण इतिहास है। इस मंदिर में वेंकटेश्वर स्वामी के अलावा भगवान विष्णु के अन्य अवतारों की मूर्तियां भी हैं|

यह मंदिर भारत में सबसे अधिक भक्तों को आकर्षित करने वाले स्थानों में से एक है। इसके लगभग 20 किलोमीटर दूर तिरुमला हिल है, जो भगवान वेंकटेश्वर के अलावा आकर्षण के लिए जाने जाने वाली दूसरी जगह है|

इस मंदिर में दैनिक पूजा और अर्चना के अलावा अन्य रस्में भी होती हैं, जो इस स्थान के महत्व को और बढ़ाती हैं। इसके अलावा, यह मंदिर धर्मिक आयोजनों के लिए भी जाना जाता है|

“तिरुपति बालाजी मन्दिर” भारत की सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है तिरुपति यानि भगवान विष्णु जी का मंदिर के बारे में विस्तार से चर्चा किया जायेगा मंदिर के अन्दर भगवान जी का दर्शन कैसे करें, उनके दर्शन का क्या प्रक्रिया है भगवान तिरुपति बालाजी ठहरने की व्यवस्था है इसको जानेंगे बालाजी महाराज का क्या महत्व है? उनकी उत्पत्ति कैसे हुई? बालाजी के चमत्कार के बारे में विस्तार से जानेंगे आदि-आदि|   

जैसे-जैसे आप आगे पढ़ते जायेंगे भगवान तिरुपति बालाजी महाराज के बारे में विस्तार से समझते जायेंगे तिरुपति मंदिर का निर्माण कब हुआ? तिरुपति बालाजी मन्दिर का इतिहास आदि के बारे में जानकारी प्राप्त कर पाएंगे|

आप कैसे पहुँचे तिरुपति बाला जी के मंदिर वहाँ पहुँचने के कौन-कौन से साधन है आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है|        

हमारे रिसर्च के मुताबिक तिरुपति बालजी के रहस्य अपने आप में ही अनोखा है लेकिन हमारे खोज में बहुत से अनसुलझे रहस्य सुलझ गए|

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की भारत में सबसे ज्यादा लोग दर्शन करने के लिए इसी मंदिर में आते है जहाँ चढ़ावा भी अकूत आता है यह सब भगवान की कृपा है अगर आप यहाँ ध्यान करते हैं तो आपको परम सुख की अनुभूति होती है|

Sri Venkateswara Swamy Vaari Temple

श्री वेंकटेस्वरा स्वामी वारि मंदिर

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विस्तार से समझें

दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है “तिरुपति बालाजी“ यह आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है “तिरुपति” एक तमिल शब्द है तिरु का अर्थ है “श्री” एवं पति का अर्थ है “प्रभु” | तिरुपति यानि श्रीपति यानि श्रीविष्णु और तिरुमलै का अर्थ श्रीपर्वत है इस पर्वत पर साक्षात् लक्ष्मी संग विष्णु स्वयं विराजमान है और यहाँ का पूरा शहर इसी पर्वत के नीचे बसा हुआ है यह साथ पहाड़ियों का समूह है जिसे वैंकटेश्‍वर कहते है दक्षिण भारत का पवित्रतम मंदिर मन जाता है|

कहा जाता है मेरु पर्वत के सप्त शिखरों पर बना हुआ है यहाँ स्थित जो भव्य मंदिर है उसमें जो मूर्ति उपस्थित है उसे आज तक कोई यह नहीं बता पाया की यह मूर्ति कहाँ से आया ? कौन लाया ? क्या यह प्रकट हुई है ? क्या यह जमीन से निकली है ? या कोई अन्य करण है ? इन सवालों का जवाब एक रहस्य बना हुआ है|

मंदिर के गर्भगृह स्थान पर भगवान श्री विष्णु और माँ लक्ष्मी स्वयं विराजमान है मंदिर का बनावट नक्काशी और खूबसूरती इतना भव्य है की हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है छोटे-छोटे मूर्तियों का हजारों के संख्या में दीवारों पर उकेरा गया नक्काशी अपने आप ही लोगों का मन आकर्षित करता है| तो तिरुपति बालाजी मंदिर कहां है? इसका उत्तर है तिरुपति बालाजी मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर में है|

तिरुपति बालाजी मंदिर के दर्शन

सद्गुरु जग्गी वासुदेवजी ने अपने एक प्रवचन में कहा था अगर आप इस स्थान पर जाते है तो आपको एक अद्भुत शांति और दिव्यता का एहसास होगा आपको इस स्थान पर एक बार अवश्य जाना चाहिये भगवान के दर्शन करने मात्र से ही आपको ईश्वर की विशेष कृपा प्राप्त होती है|

तिरुपति बालाजी कहाँ है

तिरुपति बालाजी भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है इसकी वास्तुकला और शिल्पकला अद्वितीय है| तिरुपति बालाजी मंदिर किस राज्य में है? यह मंदिर आंध्र प्रदेश राज्य के चितूर जिले में है मंदिर के दर्शन को हजारों-लाखों लोग प्रतिवर्ष आते है| “तिरुपति बालाजी का मंदिर” मैं स्वयं भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास माना गया है|

तिरुपति मंदिर

तिरुपति बालाजी के दर्शन कैसे करे

भगवान के दर्शन तीन बार हो सकते है सामान्य रूप से, लेकिन अगर किसी को किन्हीं विशेष परिस्थिति में विशेष समय दर्शन करना है तो उसका भी प्रावधान है वह अतिरिक्त टिकट या “तिरुपति बालाजी दर्शन पास” लेकर अन्दर जा सकता है और पूजा अर्चना कर सकता है अन्यथा पहला दर्शन प्रातःकाल में जिसे विश्वरूप दर्शन कहते है दूसरा दर्शन मध्यकाल और तीसरा दर्शन रात्रि काल दर्शन होता है|

यहाँ मंदिरों के दर्शन और पूजा का नियम और मंदिरों के अपेक्षा थोड़ा अलग है कपिल आश्रम में स्नान करके सबसे पहले कपिलेश्वर का दर्शन करें, फिर वेंकटाचलम जाकर वेंकटेश्वर महाराज का दर्शन करें फिर ऊपर के अन्य तीर्थों का दर्शन कर नीचे आकर तिरुपति में गोविन्दराज और कोदंड रामस्वामी का दर्शन करें और अंत मे तिरुचनूर जाकर भगवान विष्णु का दर्शन करने का विधान है यही तिरुपति बालाजी का सच है|

तिरुपति बालाजी बाल देने का महत्व

भगवान तिरुपति बालाजी मंदिर में बाल देने का एक विशेष महत्व है यहाँ जो भी इनसान अपने बाल का त्याग करता है अर्थात् पूरी तरह कटवा (मुंडा) लेता है तो ऐसा मान्यता है की वह व्यक्ति अपने पाप और बुराइयों को छोड़ रहा है और माता लक्ष्मी उसके सारे दुःख दूर कर देती है इसलिए जो भी तिरुपति दर्शन को आता है वह अपना बाल यहीं छोड़ जाता है जिससे जगत के पालनहार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी की कृपा उन पर सदैव बनी रहें|

तिरुपति बालाजी की उत्पत्ति कैसे हुई

एक मान्यता के अनुसार दक्षिण भारत के आंद्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है “तिरुपति” मंदिर में सबसे ज्यादा चढ़ावा चढ़ता है यही एक ऐसा स्थान है जहाँ भगवान विष्णु जो दुनिया के पालनहार है तिरुपति के रूप में अवतरित हुए थे भगवान का यह स्थान चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा है और यह पर्वत शृंखला शेषनाग के सात फनों के आधार पर बना है जिस कारण इसको सप्त गिरी कहा गया|

तिरुपति बालाजी में किसकी मूर्ति है

तिरुपति बालाजी कौन से भगवान है? – जगत के पालनकर्ता पालनहार श्री भगवान विष्णु जी हैं और उनकी ही मूर्ति स्थापित है और यह मूर्ति बहुत भव्य रूप में उपस्थित है|

तिरुपति बालाजी दर्शन के नियम

भगवान श्री तिरुपति बालाजी के दर्शन के लिए पहला प्रातःकाल दूसरा मध्यकाल और तीसरा रात्रि काल रखा गया है| विशेष परिस्थिति में अतिरिक्त शुल्क देकर या पास के द्वारा भी दर्शन किया जा सकता है|

तिरुपति का विशाल मंदिर

तिरुपति मंदिर के मुख्य द्वार पर रखे छड़ी का रहस्य क्या है?

तिरुपति बालाजी मंदिर के मुख्य द्वार पर दाएँ तरफ रखे छड़ी के बारे में कहा जाता है की जब भगवान छोटे थे अपने बाल्यकाल में तो इसी छड़ी से उनकी पिटाई की गई थी जिस कारण से उनके ठुड्डी पर चोट लग गई थी आपने तस्वीरों में देखा होगा वहाँ पर चन्दन का लेप है उनके घाव को भरने (ठीक) के लिए उस पर हर शुक्रवार के दिन चन्दन का लेप लगाया जाता है जिससे उनको ठंडक मिल सके और घाव जल्दी भर सके|

पद्मावती माता कौन है?

माता पद्मावती को माता लक्ष्मी का रूप माना जाता है अगर कोई गरीबी से तंग है और वह लाख प्रयत्न करने के बाद भी उससे उभर नहीं पा रहा तो उसे शुक्रवार के दिन इस मंदिर में आकार पूजा अर्चना करनी चाहिए लक्ष्मी माता का चरण पादुका खरीद कर घर लायें उसको विधिवत स्थापित करें नियमित पूजा करें निश्चित रूप से आप धीरे-धीरे समृद्ध होंगे| यह एक अद्भुत प्रयोग है जिसको श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाना चाहिए|

तिरुपति बालाजी में लोग बाल क्यों कटते हैं?

तिरुपति बालाजी मंदिर में बाल चढ़ाने के पीछे एक कहानी है कहानी यह है की भगवान बालाजी का निवास स्थान एक पहाड़ पर था एक गाय रोज दूध देने पहाड़ पर जाया करती थी बीच रास्ते में चींटियों ने अपना डेरा बना लिया था इससे गाय के मालिक को गुस्सा आ गया उन्होंने अपने टांगी से उसपर वार कर दिया लेकिन वार बालाजी को लग गया जिससे वह घायल हो गए इस पर माता नीला देवी वहाँ तुरन्त प्रगट होकर उनके घाव पर अपना केश काटकर रख दी जिससे बालाजी का रक्त का बहना तुरत बंद हो गया इससे प्रभावित होकर उन्होंने उनकी हर मनोकामना पूरी होने का वर दिया तभी से यह परंपरा चला आ रहा है|

बालाजी के चमत्कार

भगवान तिरुपति बालाजी मंदिर एक ऐसा मंदिर है जहाँ लोगों का हर कष्ट का निवारण होता है मुख्य रूप से यहाँ मौजूद सकारात्मक ऊर्जा आपको हर ऊपरी बाधा से मुक्ति दिलाती है भूत-प्रेत बाधा से ग्रसित लोग आते ही ठीक हो जाते है यहाँ तंत्र-मंत्र से ग्रसित शक्तियों से छुटकारा मिलता है|

इसलिए यह स्थान दुनिया का सबसे बड़ा भूत-प्रेतादि से परेशान लोगों के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है जहाँ भगवान के आशीर्वाद से लोग स्वतः ही ठीक हो जाते हैं इसके अलावा लोगों के शारीरिक कष्ट भी है जैसे पीठ दर्द, कमर दर्द, पैरो के गुठने का दर्द यहाँ आते ही धीरे-धीरे स्वतः ही ठीक होने लगता है इसलिए यह तिरुपति बालाजी मंदिर का स्थान किसी चमत्कार से काम नहीं है|

तिरुपति बालाजी VIP दर्शन

भगवान तिरुपति बालाजी के VIP दर्शन की सुविधा भी उपलब्ध है इसके लिए भक्त गण ऑफलाइन या ऑनलाइन टिकट खरीद सकते हैं इनके आधिकारिक वेबसाइट (TTD) पर जा कर| VIP दर्शन में भी लगभग 1 घंटे का समय लग जाता है और साधारण लाइन से (दर्शन में) पूरा दिन लग जाता है यहाँ प्रतिदिन एक लाख से अधिक दर्शनार्थी दर्शन करते है इसलिए सबको व्यवस्थित करने में समय लग जाता है|   

तिरुपति-बालाजी

तिरुपति मंदिर का निर्माण

तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास और निर्माण का किसी को भी सटीक जानकारी नहीं हैं लेकिन एक मान्यता के अनुसार मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में बना था आगे चलकर पल्लवों द्वारा मंदिरों को बनवाया गया अंग्रेजों के समय काल में भी मंदिर का निर्माण हुआ सन 1933 में सरकार इस मंदिर का प्रबंधन मद्रास सरकार ने अपने हाथ में ले लिया और एक कमिटी बनाई गयी जिसे तिरुपति-वेंकटेश्वर मंदिर के नाम से बनाया गया और तब से यह चला आ रहा है|  

तिरुपति बालाजी जैन मंदिर

तिरुपति बालाजी जैन मंदिर वास्तव में एक द्रविड़ जैन मंदिर है| इसका क्या मतलब है “द्रविड़” मध्य भारत में रहने वाली वह जनजाति है जिन्हें लोग गोंड आदिवासी के नाम से जानते हैं यह जनजाति ज्यादातर नदी के किनारे मिलते है भगवान श्री राम, माता सीता और श्री लक्ष्मण जी को इसी जनजाति के श्रृंगवेरपुर के राजा निषाद राज ने गंगा पार कराया था|

तिरुपति बालाजी जैन मंदिर को भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा भी पुष्ट किया गया है जिसे कई ब्राह्मण द्वारा स्वीकार किया गया अतः यह मूल रूप से द्रविड़ समुदाय के लोगों का मंदिर है जो आज भी मध्य प्रदेश में अधिक संख्या में है इसके अलावा केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु में अधिक संख्या में है|

बालाजी मंदिर फोटो

तिरुपति बालाजी कैसे पहुँचे

तिरुपति बालाजी पहुँचने के लिए भारतीय रेलवे Northwest Railway (NWR) द्वारा बहुत से ट्रेनें चलायी जाती है| 

तिरुपति बालाजी कैसे पहुंचे by train

तिरुपति बालाजी जाने के लिए बहुत से ट्रेनें है चाहे दिल्ली से जा रहें है, कोलकाता से, जयपुर से, ओडिशा या पंजाब किसी भी जगह से पहुंचा जा सकता है|

तिरुपति बालाजी कैसे पहुंचे by flight

घरेलू हवाई जहाज जैसे Air India, Spice Jet, Indigo आदि बहुत सारे फ्लाइट उपलब्ध है जिससे आप 4-5 घंटे में ही यात्रा कर सकते और यह सेवा पूरे भारत से उपलब्ध है|   

तिरुपति बालाजी कैसे पहुंचे by bus

बस सेवा तो हर जगह से उपलब्ध नहीं है और यह महंगा भी पढ़ता है लेकिन 100-200 किलोमीटर की दूरी के लिए बस सेवा या अन्य प्राइवेट साधन सही विकल्प है|

तिरुपति बालाजी के कितने नाम है

भगवान तिरुपति बालाजी का वेंकटेश्वर नाम बहुत प्रचलित है इसके अलावा उन्हें श्री निवास और श्री गोविन्द के नाम से भी जाना जाता है यह तीन नाम मुख्य रूप से जाना जाता है| लेकिन इसके अलावा तिरुपति बालाजी के 108 नामों से भी जाना जाता है जो नीचे बताया गया है|

तिरुपति बालाजी के 108 नाम

श्री वेंकटेश अष्टोत्तर शतनामावली

ॐ श्री वेङ्कटेशाय नमः

ॐ श्रीनिवासाय नमः

ॐ अनानुयाय नमः

ॐ माधवाय नमः

ॐ कृष्णाय नमः

ॐ अमृतांशने नमः

ॐ यज्ञभोक्रे नमः

ॐ चिन्मयाय नमः 

ॐ शैर्ये नमः

ॐ नंदाकिनी नमः

ॐ अनघाय नमः

ॐ वनमालिने नमः

ॐ पद्मनाभाय नमः

ॐ अश्वरूढाय नमः

ॐ निरान्तकाय नमः

ॐ शान्ताय नमः

ॐ श्रीमते नमः

ॐ परब्रह्मणे नमः

ॐ श्रीविभवे नमः

ॐ जिष्णवे नमः

ॐ दाशार्हाय नमः

ॐ श्रीहरे नमः

ॐ गोविंदाय नमः

ॐ प्रभवे नमः

ॐ शाश्वतते नमः

ॐ श्रीदेवाय नमः

ॐ केशवाय नमः

ॐ विष्णवे नमः

ॐ अच्युताय नमः

ॐ अमृताय नमः

ॐ गोपालाय नमः

ॐ सर्वेशाय नमः

ॐ गोपीश्वराय नमः

ॐ सुधातनवे नमः

ॐ अव्ययाय नमः

ॐ निरंजनाय नमः

ॐ निर्गुणाय नमः

ॐ गदाधराय नमः

ॐ परमेश्वराय नमः

ॐ दीनबन्धवे नमः

ॐ हयरीवाय नमः

ॐ जनार्धनाय नमः

ॐ अनेकमूर्तये नमः

ॐ अव्यक्ताय नमः

ॐ पापघ्नाया नमः

ॐ वरप्रदाय नमः

ॐ अनेकात्मने नमः

ॐ जगद्व्यापिने नमः

ॐ दामोदराय नमः

ॐ जगत्पालाय नमः

ॐ त्रिविक्रमाय नमः

ॐ शिंशुमाराय नमः

ॐ जगतसक्षिणे नमः

ॐ जगत्कर्त्रे नमः

ॐ सुरपतये नमः

ॐ निर्मलाय नमः

ॐ चतुर्भुजाय नमः

ॐ चक्रधराय नमः

ॐ त्रिधामने नमः

ॐ लक्ष्मिपतये नमः

ॐ जगद्वन्द्याय नमः

ॐ त्रिगुणाश्रयाय नमः

ॐ खड्गधारिणे नमः

ॐ जगदीश्वराय नमः

ॐ दशरूपवते नमः

ॐ ज्ञानपञ्जराय नमः

ॐ विराभासाय नमः

ॐ याद वेन्द्राय नमः

ॐ निर्विकल्पाय नमः

ॐ देवपूजिताय नमः

ॐ कटिहस्ताय नमः

ॐ धरापतये नमः

ॐ जगत पतये नमः

ॐ श्री वत्स वक्ष्से नमः

ॐ मधुसूदनाय नमः

ॐ वैकुण्ठ पतये नमः

ॐ निरुप्रदवाय नमः

ॐ शार्ञ्ङपाणये नमः

ॐ भक्तवत्सलाय नमः

ॐ कारुण्डकाय नमः

ॐ निष्कलान्काया नमः

ॐ नित्य त्रिप्ताय नमः

ॐ पुरुषोतमाय नमः

ॐ पद्मनीप्रियाय नमः

ॐ परञ्ज्योतिषे नमः

ॐ सच्चितानन्दरूपाय नमः

ॐ चतुर्वेदात्मकाय नमः

ॐ दोदण्ड विक्रमाय नमः

ॐ शङ्खदारकाय नमः

ॐ देवकी नन्दनाय नमः

ॐ पीताम्बर धराय नमः

ॐ शेशाद्रिनिलायाय नमः

ॐ नित्य यौवनरूपवते नमः

ॐ नीलमोघश्याम तनवे नमः

ॐ जटाकुट शोभिताय नमः

ॐ बिल्वपत्त्रार्चन प्रियाय नमः

ॐ कन्याश्रणतारेज्याय नमः

ॐ मृग यासक्त मानसाय नमः  

ॐ आकाशराजवरदाय नमः

ॐ योगिहृत्पद्शमन्दिराय नमः

ॐ चिन्तितार्ध प्रदायकाय नमः

ॐ जगन्मंगल दायकाय नमः

ॐ धनार्जन समुत्सुकाय नमः

ॐ परमार्ध प्रदायकाय नमः

ॐ आर्तलोकाभयप्रदाय नमः

ॐ शंख मध्योल सन्मुज

किङ्किण्याढ्य नमः

ॐ आलिवेलु मंगा सहित

वेंडटेश्वराय नमः

ॐ घनतारल संमध्य कस्तूरी

तिल्कोज्वालय नमः

तिरुपति बालाजी कितने किलोमीटर है

चेन्नई से तिरुपति बालाजी कितना किलोमीटर है?

चेन्नई से तिरुपति बालाजी की दूरी 141 किलोमीटर है वाया ट्रेन है अगर आप बस या अपने साधन से आते है तो यह लगभग 155 किलोमीटर है जो कि लगभग 4 घंटे का सफ़र है|

तिरुपति बालाजी से रामेश्वरम की दुरी

रामेश्वरम से तिरुपति बालाजी का रेलवे से दूरी 695 किलोमीटर by Rameshwaram Exp Train No.16734 है वही बस से इसकी दूरी 668 किलोमीटर है|

उज्जैन से तिरुपति बालाजी की दुरी

उज्जन से तिरुपति सड़क मार्ग से 1633 किलोमीटर है हवाई मार्ग से 1129 किलोमीटर है और ट्रेन से इसकी दूरी है 1633 किलोमीटर|

जयपुर से तिरुपति बालाजी की दुरी

जयपुर से तिरुपति बालाजी की दूरी ट्रेन से 2158 किलोमीटर है वही हवाई जहाज से 1525 किलोमीटर है बस से यात्रा करना समय और पैसा दोनों का बरबादी है|

तिरुपति बालाजी कितने किलोमीटर है

इसके लिए आप अपने google map का सहारा ले सकते हैं आपका current location to Sri Venkateswara swamy Vaari Temple डाल कर देख सकते है|

भोपाल से तिरुपति बालाजी कितने किलोमीटर है

भोपाल से तिरुपति बालाजी की दूरी 1450 km है सड़क के माध्यम से National Highway (NH 44) के रास्ते से भी जाया जा सकता है|

चेन्नई से तिरुपति बालाजी कितने किलोमीटर है

चेन्नई से तिरुपति बालाजी 157 km है सड़क के रास्ते National Highway (NH 716A) से भी जाया जा सकता है|

लखनऊ से तिरुपति बालाजी की दूरी

भोपाल से तिरुपति बालाजी की दूरी 1870 km है सड़क के माध्यम से National Highway (NH 44) के रास्ते से भी जाया जा सकता है|

दिल्ली से तिरुपति बालाजी

भोपाल से तिरुपति बालाजी की दूरी 1450 km है सड़क के माध्यम से National Highway (NH 44) के रास्ते से भी जाया जा सकता है|

दिल्ली से तिरुपति बालाजी फ्लाइट

भारत की राजधानी नई दिल्ली से तिरुपति बालाजी की दूरी देखा जाए तो यह 2180 km है और National Highway 44 से भी जाया जा सकता है|

इंदौर से तिरुपति बालाजी ट्रेन किराया

इंदौर से कोई डायरेक्ट ट्रेन नहीं है लेकिन भोपाल से तिरुपति बालाजी के लिए ट्रेन उपलब्ध है|

तिरुपति बालाजी से रामेश्वरम की दूरी

रामेश्वरम् से तिरुपति बालाजी की दूरी 625 km है सड़क के माध्यम से National Highway (NH 38) के रास्ते से भी जाया जा सकता है|

इंदौर से तिरुपति बालाजी के लिए ट्रेन

इंदौर से कोई डायरेक्ट ट्रेन नहीं है लेकिन भोपाल से तिरुपति बालाजी के लिए ट्रेन उपलब्ध है| Himsagar Exp. 16318 आदि|

तिरुपति बालाजी लाइव दर्शन

तिरुपति बालाजी के “दर्शन ऑनलाइन टिकट बुकिंग” करा सकते है इसके लिए आपको तिरुपति के वेबसाइट https://ttdsevaonline.com/ पर जाना होगा special entry darshan (Rs300) या Other Temple darshan Free पर क्लिक करके तारीख चुनकर कर सकते है| उपरोक्त “भगवान बालाजी लाइव दर्शन व् सम्पूर्ण विवरण” के लिए वेबसाइट पर जायें|

तिरुपति बालाजी ठहरने की व्यवस्था

यहाँ पर रुकने और दर्शन की व्यवस्था देवस्थान मंदिर परिषद के हाथों में रहता है जिसके लिए कोई भी उनसे अंतर जाल के माध्यम से संपर्क कर सकता है यहाँ रुकना और दर्शन बहुत ही सस्ता है लेकिन इसके लिए आपको पहले से इनसे संपर्क करना होगा ताकि जगह खाली मिल सके इसके अलावा IRCTC द्वारा टूर पैकेज दिया जाता है जिसमें उनकी पूरी ज़िम्मेदारी होती है इसलिए वह भी एक अच्छा विकल्प है| 

तिरुपति बालाजी photo

महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

भगवान तिरुपति बालाजी को विष्णु भगवान का अवतार कहते हैं ऐसी मान्यता है की कल युग के लोगों को बचाने के लिए ही भगवान विष्णु ने जन्म लिया यह ही इनके पीछे का कहानी है|

तिरुपति बालाजी मन्दिर की खासियत यह है की यह स्थान भगवान विष्णु का निवास स्थान कहा जाता है भगवान श्री हरि यहाँ तिरुपति बालाजी के रूप में विराजमान हुए थे और उन्होंने स्वयं इस मंदिर को प्रगट किया था क्योंकि इस मंदिर के निर्माण का इतिहास के पुस्तकों में कोई जानकारी नहीं मिलता है|

भगवान तिरुपति बालाजी में लगभग 10000-12000 करोड़ रुपए जमा है| एक बात तो निश्चित है की पूरे भारत में सबसे ज्यादा चढ़ावा तिरुपति बालाजी मन्दिर में ही आता है| 

भगवान तिरुपति बालाजी की मान्यता यह है की जो भी भक्त सच्चे मन से वेंकटेश (तिरुपति बालाजी) का सच्चे दिल से प्रार्थना करता हैं तो उनकी सभी मुरादें पूरी जरूर होती है|

भगवान तिरुपति बालाजी मन्दिर जाने का सबसे अच्छा समय October से March तक का समय सबसे सही समय होता है मंदिर दर्शन का|  

एक मान्यता के अनुसार भगवान तिरुपति बालाजी में बालों का मुंडन करवाने से या बालों का दान करने से बाल का दस गुना धन के रूप में वापस आता है| उनके ऊपर माता लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहती है| तिरुपति बालाजी मन्दिर की सबसे विचित्र बात यह है की यहाँ लोग अपने सिर के बाल दान करते है|  

भगवान तिरुपति बालाजी में सबसे विचित्र बात यह है की यहाँ लोग अपने सिर के बाल दान करते हैं और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा का पात्र बनते है माता लक्ष्मी की कृपा से भक्तों का दुःख दूर होता है दरिद्रता समाप्त होती है और सुख-शांति-वैभव का वास होता है|

तिरुपति बालाजी (आंध्र प्रदेश) राज्य सरकार की धरोहर है यह पूरा मंदिर परिसर उनके आधीन आता है यानी राज्य सरकार मंदिर का संचालन करती है और वही मंदिर की मालिक है| 

भगवान तिरुपति बालाजी मन्दिर की कमाई पूरे भारत के मंदिरों से ज्यादा है मतलब पूरे भारतवर्ष में सबसे ज्यादा चढ़ावा इसी मंदिर में आता है| देव भूमि तिरुमाला मंदिर की कुल संपत्ति लगभग 2.5 लाख करोड़ है सही आकड़ा के लिए तिरुपति मंदिर के सरकारी वेबसाइट पर जायें|  

हाँ, भगवान तिरुपति बालाजी का मंदिर दुनिया में सबसे ज्यादा अमीर मंदिरों में आता है यहाँ प्रति दिन श्रद्धालुओं की संख्या लगभग 1 लाख रहता है|  

तिरुपति बालाजी मंदिर में अलग-अलग मंदिर और पर्यटन स्थल प्रसिद्ध है जैसे श्री वेंकटेश्वर राष्ट्रीय उद्यान, श्री पद्मावती मंदिर, श्री वेंकटेश्वर मंदिर, श्री कपिला तीर्थ, हिरण पार्क, आकाश गंगा तीर्थ स्थान, गोविन्द राजन मंदिर, स्वामी पुष्करिणी झील पर्यटक स्थल आदि महत्वपूर्ण और रमणीय स्थल है|

तिरुपति मंदिर में कुल 10 टन से ज्यादा सोना व अन्य आभूषण मौजूद है जिसका कीमत लगभग 20 करोड़ अनुमानित नकद हो सकता है|

मंदिर में तिरुपति बालाजी भगवान का दर्शन करने में लगभग 5-6 घंटे लग जाते हैं इसलिए लोग सुबह से ही लाइन में लग जाते है बालाजी भगवान का दिन में तीन बार अलग-अलग दर्शन होता है सुबह के दर्शन को विश्वरूप कहते है इसके बाद दोपहर का दर्शन फिर रात का दर्शन कराया जाता है जल्द दर्शन पाने के लिए अधिक शुल्क का भी प्रावधान है ताकि VIP लोगों का समय बच सके|  

तिरुपति बाला जी पहुँचने के लिए भारतीय रेलवे Northwest Railway (NWR) द्वारा बहुत से ट्रेनें चलायी जाती है सड़क मार्ग से भी जाया जा सकता है|

तिरुपति बालाजी के दर्शन के इच्छा रखने वालो को मंदिर दर्शन से पहले शुद्ध मन से सात्विक विचार के साथ मास-मदिरा-अंडा-लहसुन-प्याज का त्याग करना होगा तभी वह भगवान के दर्शन प्राप्त कर सकता है| 

तिरुपति बालाजी मंदिर में अपने मोबाइल फ़ोन कैमरा या अन्य डिजिटल सामान, चमड़े का बेल्ट, बैग आदि कोई भी धातु नहीं ले जा सकते आदमी को सफ़ेद कुर्ता-पैजामा और औरत साधारण साड़ी-शूट में जा सकती है|     

तिरुपति बालाजी मंदिर में जो भी इन्सान मुंडन करता है वह अपने बालों को भगवान को अर्पित कर देता है या गंगा या नदी में प्रवाह कर देता है या अपने क्षेत्र के मंदिर या कुलदेवी को चढ़ा देते है|  

तिरुपति बाला जी में सिर मुंडवाना बिलकुल भी अनिवार्य नहीं ही लोग अपनी इच्छा से मुंडवाते हैं|

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति है एक मान्यता के अनुसार जिसको भी ऊपरी भूत प्रेत बाधा से ग्रसित है तो बालाजी मंदिर में पूजा अर्चना करने के बात प्रसाद घर लाकर घर के सभी लोगों को दिया जाता है जिससे ऊपरी हवा समाप्त हो सकें और घर में मंगल हो| तो मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का प्रसाद बिलकुल खा सकते हैं और घर भी ला सकते हैं| यह प्रसाद प्रशासन द्वारा दिया जाता है|  

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति है एक मान्यता के अनुसार जिसको भी ऊपरी भूत प्रेत बाधा से ग्रसित है तो बालाजी मंदिर में पूजा अर्चना करने के बात प्रसाद घर लाकर घर के सभी लोगों को दिया जाता है जिससे ऊपरी हवा समाप्त हो सकें और घर में मंगल हो|

हाँ. तिरुपति बालाजी मंदिर में बाल की नीलामी की जाती है सबसे छोटे बाल, बड़े बाल और लम्बे बाल इनकी नीलामी की जाती है इन्हें प्रसाद के रूप में ख़रीदा जाता है|

तिरुपति बालाजी मंदिर की कुल संपत्ति लगभग 2.5 लाख करोड़ है|

बालाजी मंदिर में एक ड्रेस कोड है जिसपर बहुत ही शक्त नियम है लागू है जिसका पालन करना अति आवश्यक है आप जींस और टी-शर्ट या कोई भड़काऊ कपड़ा नहीं पहन सकते हैं महिलाओं के लिए साड़ी और सलवार शूट का ही मंदिर परिसर प्रावधान है| मंदिर में आप वहाँ के कपड़े खरीदकर भगवान के दर्शन कर सकते हैं|

तिरुपति बालाजी मंदिर के मुख्य द्वार पर दाएँ तरफ रखे छड़ी के बारे में कहा जाता है की जब भगवान छोटे थे अपने बाल्यकाल में तो इसी छड़ी से उनकी पिटाई की गई थी जिस कारण से उनके ठुड्डी पर चोट लग गई थी आपने तस्वीरों में देखा होगा वहाँ पर चन्दन का लेप है उनके घाव को भरने (ठीक) के लिए उस पर हर शुक्रवार के दिन चन्दन का लेप लगाया जाता है जिससे उनको ठंडक मिल सके और घाव जल्दी भर सके|

तिरुपति बालाजी भगवान के दर्शन में पूरा दिन लग जाता है बेहतर होगा अगर आप पहले से एक कमरा ले लें| ऑनलाइन कमरे की बुकिंग (click) भी होती है| goto www.tirumala.org then click on Online Services -> Accommodation कमरा नहीं मिलने पर परिसर के बाहर होटल में भी ठहरा जा सकता है|

माता पद्मावती को माता लक्ष्मी का रूप माना जाता है अगर कोई गरीबी से तंग है और वह लाख प्रयत्न करने के बाद भी उससे उभर नहीं पा रहा तो उसे शुक्रवार के दिन इस मंदिर में आकार पूजा अर्चना करनी चाहिए लक्ष्मी माता का चरण पादुका खरीद कर घर लायें उसको विधिवत स्थापित करें नियमित पूजा करें निश्चित रूप से आप धीरे-धीरे समृद्ध होंगे| यह एक अद्भुत प्रयोग है जिसको श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाना चाहिए|

हाँ, बिलकुल तिरुपति बालाजी मन्दिर के दर्शन के लिए कोई भी 300 रुपए का टिकट खरीद कर दर्शन कर सकता है इससे उसके समय का बचत होगा अन्यथा उसको लाइन में कम से कम 5-6 घंट देने होंगे किसी विशेष दिन होने पर यह दस घंटे तक जा सकता है|

तिरुपति बालाजी मंदिर के काउंटर से टिकट प्राप्त कर सकते हैं|

एक बार अगर आप तिरुपति भगवान के दर्शन के लिए आते हैं तो सबसे पहले आपको माता पद्मावती के दर्शन करना चाहिए उनके दर्शन के उपरांत आप अपने सुविधा और प्लान के मुताबिक अन्य जगहों के दर्शन कर सकते हैं लेकिन एक बात तो निश्चित हैं की आपको यहाँ के सभी मंदिरों के दर्शन जरूर करने चाहिए क्योंकि हर एक मंदिर का अपना अलग ही महत्व और लाभ है|

देवी पद्मावती का मंदिर देखने में बहुत खूबसूरत है मंदिर के ऊपर का गुम्बज पूरी तरह सोने के परत से बना है दर्शन के लिए सरकार द्वारा  100 रुपए का शुल्क लिया जाता है तदुपरान्त आप लाइन में लगकर माता के दर्शन कर सकते हैं|  

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निष्कर्ष

श्री श्री 108 श्री तिरुपति बालाजी वेंकटेस्वरा स्वामी वारि मंदिर दक्षिण भारत का एक महत्वपूर्ण तीर्थ है एक सिद्ध पीठ है यहाँ का सकारात्मक ऊर्जा किसी भी नकारात्मकता को दूर करने में सक्षम है इसलिए यहाँ आना आपके समय और पैसे का सदुपयोग होगा|

हमने यहाँ मंदिर के दर्शन की नियम समझा जिससे यहाँ आने पर आपको कोई असुविधा न हो अगर कोई आश्रम में ठहरना चाहता है तो उसको सबसे पहले ऑनलाइन आवेदन करना होगा ताकि उसका आश्रम में कमरा बुक हो सके|

मंदिर के चमत्कार के किस्से आपने सुने होंगे जिसपर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया है ताकि हर कोई यहाँ आकर अपनी घरेलू समस्या जैसे भूत-प्रेत बाधा से ग्रसित व्यक्ति ठीक हो सके और अपना जीवन खुशहाली में जी सकें|   

तिरुपति बालाजी मन्दिर (तिरुमैल) दक्षिण भारत के साथ पूरे भारत, पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है इस स्थान का अपना आध्यात्मिक महत्व है|

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