डलहौजी पर्यटन स्थल

डलहौजी पर्यटन स्थल

डलहौजी पर्यटन स्थल

Dalhousie Tourist Places

संक्षिप्त परिचय

डलहौजी पर्यटन स्थल एक ऐसा स्थान जहाँ की खूबसूरती अद्भुत है जहाँ बदल और पहाड़ एक साथ मिलते हैं ऐसा अद्भुत नजारा सिर्फ और सिर्फ डलहौजी पर्यटकों को डलहौजी पर्यटन स्थलों का भ्रमण के द्वारन देखने को मिलता है इस लेख में हम डलहौज़ी यात्रा पर विस्तार से बात करेंगे डलहौज़ी कैसे घूमे? वहाँ स्थित प्रमुख पर्यटन स्थल क्या-क्या हैं उसको जानेंगे जैसे डायना कुंड, सतधारा, झंदरी घाट कालाटोप कहाँ है इसके अलावा अन्य घुमने का धार्मिक स्थल जैसे लक्ष्मीनारायण मंदिर मणिमहेश्वर जैसे प्रमुख मंदिरों के बारे में जानेंगे|

अन्य रमणीक स्थल जैसे सेंट पैट्रिक चर्च और वहाँ स्थित पहाड़ों के वॉटरफॉल आदि के बारे में और डलहौजी यात्रा कैसे करें इसके बारे में विस्तार से जानेंगे|

हमारा विश्वास है जैसे-जैसे आप आगे पढ़ते जायेंगे आपको डलहौजी पर्यटन स्थलों की एक पूरी रूप रेखा स्पष्ट हो जायेगा|

विस्तार से जाने

डलहौजी की समद्रतल से ऊँचाई 1970 मीटर है यह एक हिमाचल प्रदेश का खुबसूरत डलहौजी पर्यटन स्थल और खुबसूरत शहर है यह शहर अपने प्राकृतिक सुन्दरता के लिए विख्यात है यह पांच पहाड़ों के मध्य में बसा है और इस शहर को सन 1854 में अंग्रेजो ने और अच्छे ढंग से विकसित किया यहाँ के गवर्नर लार्ड डलहौजी को यह स्थान बहुत प्रिय था उन्ही के नाम पर इस शहर का नामकरण किया गया और इस शहर का नाम “डलहौजी” रखा गया|

डलहौजी एक ऐसा स्थान है जहाँ अंग्रेज लोग अपनी गर्मी की छुट्टी बिताने के लिए इसी स्थान पर आते थे आगे चलके इस स्थान पर रविंद्रनाथ टैगोर सन 1883 में यहाँ आये थे और अपनी कई कविताओं की रचना की थी यहाँ नेताजी सुभाष चन्द्र बोस आजादी के आन्दोलन के समय आये और अपने जीवन का कुछ महीना यहाँ बिताये थे पंडित जवारलाल नेहरु हिमाचल के इस स्थान को कश्मीर का गुलमर्ग कहते थे इनके अलावा अन्य गणमान्य लोग समय-समय पर यहाँ आते रहें है|

डलहौज़ी यात्रा

डलहौजी को चंबा घाटी का प्रवेशद्वार माना जाता है यह स्थान अपने प्राकृतिक वातावरण के लिए प्रसिद्ध है यहाँ जो भी इन्सान एक बार आता है वह बार-बार आने की कोशिश करता है यहाँ आने के बाद उसे एक अध्यात्मिक अनुभूति होती है यहाँ छोटे-बड़े मंदिर देखे जा सकते है ऊँचे-ऊँचे पर्वत, बहते पानी के झरने, घाटी की सुन्दरता, ठंडी हवाओं का झोंका लोगों को मदमस्त कर देती है|

डलहौज़ी कैसे घूमे

डलहौजी पर्यटन स्थल जाने से पहले, डलहौजी कैसे पहुँचे इसके लिए सबसे पहले रेल मार्ग द्वारा आप पठानकोट तक पहुँचे पठानकोट(पंजाब) आने के बाद यहाँ से डलहौजी मात्र 80 किलोमीटर रह जाता है यहाँ से दिल्ली, चंडीगढ़, अमृतसर, जम्मू से सीधी रेल सेवा उपलब्ध है आगे का सफ़र आपको बस या कैब (टैक्सी) के द्वारा करना होगा|

बस के द्वारा पठानकोट से सीधे बस रूट बना हुआ है जहाँ हर घंटे बस सेवा उपलब्ध है लोग कैब बुक करके भी जा सकता है|

डलहौजी किस मौसम में जाना ठीक है?

डलहौजी जाने के लिए गर्मियों का मौसम सबसे सही समय होता है आप सर्दियों में भी यहाँ आ सकते हैं और हिमपात का लुफ़्त उठा सकते हैं आइस-स्केटिंग आदि बर्फ से जुड़ा खेल का आनंद ले सकते हैं| बरसात के समय इस स्थान का यात्रा नहीं करना चाहिए इसके निम्नलिखित कारण है:

पहला कारण तो पहाड़ों में बारिश बहुत जबरदस्त होती है जिस कारण भू-स्खलन का खतरा रहता है|

दूसरा फिसलन बना रहता है|

तीसरा नदियों का जल स्तर बढ़ जाने से मार्ग में बदलाव हो जाता है|

चौथा रास्तों का कट जाना फिर मरम्मत करने के कारण रास्ता डाइवर्ट होना आदि कारण है|  

डलहौजी के प्रमुख पर्यटन स्थल

डलहौजी के प्रमुख पर्यटन स्थल

डायना कुंड

यह सबसे ऊँचाई वाले स्थान पर स्थित है और एक बहुत खुबसूरत पर्यटक स्थान है जहाँ पहुंचकर नीचे के तीन नदियों(रावी,व्यास,चिनाव) को देखने पर ऐसा लगता है जैसे हम आसमान से धरती को देख रहें है सब कुछ बौना-बौना लगता है यह प्रकृति का अनुपम दृश्य है|

सतधारा

यह स्थान पंजपुला मार्ग पर स्थित है यह एक जल धारा है इसका पानी पर्वतों के कई जडी-बुटी से होकर गुजरता है इसलिए यह पानी रोग निवारक और अत्यंत स्वच्छ झरना है यह झरना छोटी-छोटी सात धाराओं के रूप में सात स्थानों पर गिरने के कारण इसको सतधारा कहा गया|

कालाटोप

झंदरी घाट

यह एक ऐसा स्थान है जहाँ कई पुराने गिरे हुए महल, इमारतों और उनके खंडहरों को देखा जा सकता है यह एक प्रसिद्ध पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित स्थान है जहाँ लोग समय बिताने के लिए आते हैं|   

कालाटोप

समद्रतल से इसकी ऊँचाई 2450 मीटर है यहाँ पहुँचने के लिए डलहौजी के मुख्य पोस्ट-ऑफिस से इसकी दूरी मात्र 10 किलोमीटर है इस स्थान पर बड़े-बड़े लम्बे-लम्बे देवदार, चीड़ और बांस के वृक्ष देखे जा सकते हैं|

डलहौज़ी यात्रा कैसे करें

डलहौज़ी यात्रा कैसे करें

पंजपुला

अजीत सिंह रोड पर स्थित यह स्थान बेहद ही खुबसूरत स्थान हैं यहाँ लोग जलधारा का दर्शन करने आते हैं पंजपुला नाम के पीछे कारण यह है की यहाँ पांच छोटे पुलों के नीचे से बहती जलधारा के कारण इस स्थान का नाम पंजपुला पड़ा|

खजिहार

यह शहर से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और 1990 मीटर समद्रतल से ऊपर स्थित है इस स्थान को मिनी स्विट्ज़रलैंड कहा जाता है क्योंकि यहाँ प्रकृति अपने पुरे रंगत में होती हैं यहाँ एक खुबसूरत झील भी है जो लगभग डेढ़ किलोमीटर लम्बा है|  

डलहौज़ी में घुमने की जगह

डलहौज़ी में घुमने की जगह

लक्ष्मीनारायण मंदिर

यह भगवान विष्णुजी का मंदिर है जहाँ भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता का मूर्ति रखी हुई है स्थानीय लोगों के मुताबित यह मंदिर लगभग 200 वर्ष पुरानी बताई जाती है|  

मणिमहेश यात्रा

सावन में अगस्त और सितम्बर के महीने में लक्ष्मीनारायण मंदिर के दर्शन से लोग मणिमहेश्वर की यात्रा शरू करते हैं यहाँ के झील के पास स्थित संगमरमर की शिवलिंग है जिसको चौमुख लिंग कहा जाता है जिसका दर्शन करके लोग अपने आपको धन्य मानते हैं|  

सेंट पैट्रिक चर्च

यह चर्च बस स्टैंड से मात्र 2 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है यह सबसे बड़ा और भव्य चर्च है इस चर्च का निर्माण सन 1909 में किया गया था जिसमे 300 लोगों एक साथ प्रार्थना कर सकते हैं यह बहुत खुबसूरत चर्च है इस चर्च के चारों ओर पहाड़ों को देखा जा सकता है|

निष्कर्ष

उपरोक्त लेख में हमने डलहौजी पर्यटन स्थल के बारे में विस्तार से बताने का प्रयास किया सबसे पहले डलहौजी कैसे पहुँचा जाए इसको जाना| डलहौजी कैसे घूमे और वहाँ के मौसम की जानकारी होना अति आवश्यक है क्योंकि अगर कोई बरसात के समय डलहौजी घुमने का विचार करता है तो इसमें क्या-क्या मुसीबत आएगी इसको हमने जाना|

डलहौजी एक हिल स्टेशन है इसको पहाड़ों की रानी भी कहा जाता है स्थानीय निवासी पहाड़ों में ही निवास करते है क्योंकि समतल जमीन बहुत कम है हर जगह पहाड़ होने के कारण इस स्थान की खूबसूरती बहुत बढ़ जाती है|

यह स्थान छुट्टी बिताने के लिए और आध्यात्म यानि ध्यान (meditation) के लिए बहुत ही उपयुक्त जगह है| अतः हमें अपने लिए कुछ समय जरुर देना चाहिए चाहे वह समय आप मौज-मस्ती करें पिकनिक करें या ध्यान भी कर सकते है और अपने जीवन को ऊपर उठा सकते हैं|

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