जीवन में गुरु का महत्व
जीवन में गुरु का क्या महत्व है?
संक्षिप्त परिचय
जीवन में गुरु का महत्व क्या है? यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है इसका उत्तर हम सभी जानना चाहते है की क्यों जीवन में गुरु करना जरुरी है इनका हमारे जीवन में क्या रोल (भागीदारी) है? क्यों लोग गुरु करते है? दूसरी बात गुरु का चयन क्यों इतना महत्वपूर्ण है इसको समझेंगे|
यहाँ जो कुछ भी बताया जायेगा वह पूरी तरह प्रमाणित और ग्रंथो के अनुसार ही है अतः आप इनके शब्दों में विश्वास कर सकतें है और अमल भी| इन्सान को आगे बढ़ने के लिए किसी सहारे की जरुरत होती है जैसे माँ-बाप बचपन में अपने बच्चों को ऊँगली पकड़कर चलना सिखाती है गुरुजन अपने शिष्यों को एक-एक शब्द से पढ़ना-लिखना सिखाते हैं अन्य कला सिखाते है उसी प्रकार जीवन के उद्धार के लिए गुरु की जरुरत होती है जो हमें सही मार्गदर्शक बन सके|
तमाम किताबों और अपने गुरुजनों के अनुभव से यह बात सिद्ध होता है की “हमारे जीवन में गुरु का क्या महत्व है” यह गुरु ही है जो हमें सही मार्ग दिखाते है|
हमारे जीवन में गुरु का महत्व क्या है? मनुष्य जब जन्म लेता है तो उसको सब कुछ सिखाना होता है लेकिन पशुओं में यह बात नहीं होती है उसे यह सब कुछ जन्म से ही मिला होता है दूध पीना, तैरकर नदी पार कर लेना, स्वयं चलना आदि गुण उसे जन्मजात मिले होते है| मनुष्य को इन क्रिया-कलापों का बोध कराना होता है उसको सिखाना पड़ता है समझ देनी पड़ती है अब यह समझ दो प्रकार के होते है एक लौकिक दूसरा पार-लौकिक|
विस्तार से समझें
जीवन में गुरु का स्थान
लौकिक ज्ञान हमें परिवार, दोस्त, समाज और अध्यापकों से प्राप्त होतें है जिससे हम इस भौतिक जागत में सही ढंग से जी सकें| पार-लौकिक ज्ञान हमें अपने गुरुओं के द्वारा प्राप्त होता है जिसके मदत से हम इस जगत के परे जो दुनिया है उसको समझते है इसलिए “जीवन में गुरु का महत्व” बहुत ज्यादा है इसको एक कहानी से समझते हैं-
एक बार की बात है सिद्धार्थ गौतम बुद्ध अपने राज्य कपिलवस्तु में नगर भ्रमण के लिए सारथी के साथ अपने रथ पर निकले कुछ दूर जाने पर उन्हें सामने से कुछ लोगों द्वारा एक शव को लाते हुए देखा|
सिद्धार्थ ने सारथी से पूछा “इनको क्या हुआ है?” सारथी ने जवाब दिया “आदमी मर गया है लोग उसे जलाने ले जा रहें हैं” सिद्धार्थ गौतम ने फिर पूछा “क्या मैं भी मर जाऊँगा” इस पर सारथी ने जवाब दिया राजकुमार एक दिन सब मर जाएंगे| कुछ और आगे जाने के बाद एक बुढा आदमी खटिया पर बीमार पड़ा दर्द से कहार रहा था उन्होंने सारथी से पूछा इसको क्या हुआ है? इस पर सारथी ने कहा यह बीमार है उन्होंने पूछा क्या मैं भी बीमार पढ़ सकता हूँ सारथी ने जवाब दिया कोई भी बीमार पढ़ सकता है|
इस घटना ने सिद्धार्थ को अन्दर से झकझोर दिया उन्होंने निर्णय लिया की मैं इस “दुःख के कारण” को खोजूँगा आखिर इसका कोई तो इलाज होगा| फिर एक दिन वह अपनी पत्नी और पुत्र राहुल को छोड़ गेरुआ वस्त्र धारण कर गृह त्याग दिए और निकल पड़े दुःख के कारण को खोजने| वह बहुत से ऋषि मुनि तपस्वियों के शरण में गए उन्हें कुछ हद तक सफलता मिली भी लेकिन पूर्ण सफलता नहीं मिली| आगे चलके उन्होंने विपश्यना ध्यान को खोजा और बुद्धत्व को प्राप्त किया और भगवान सिद्धार्थ गौतम बुद्ध बने|
उनके जीवन की एक और घटना उनका शिष्य आनंद जो हमेशा भगवान बुद्ध के साथ रहते थे एक दिन उन्होंने पूछा भगवान आप कहते है जीवन दुःख है? लेकिन आपके जीवन में तो कहीं दुःख दिखता ही नहीं? इस पर भगवान ने जवाब दिया आनंद यदि तुम्हें मालूम हो जाये की तुम्हारे घर में आग लगी है तो तुम घर के अन्दर रहोगे या बाहर? बिलकुल इसी प्रकार मुझे मालूम हो गया है की जीवन में दुःख ही दुःख है तो मैं प्रयत्न करके इससे बाहर हो गया हूँ|
भगवान बुद्ध से हमें यह समझ में आता है की हमें इस दुःख से बाहर निकलने का प्रयास करना चाहिए जो की संभव है सिर्फ गुरु के मार्ग दर्शन से| हमारे जीवन में गुरु का क्या महत्व है? सही गुरु ही हमें सही मार्ग दिखा सकता है?
गुरु भक्ति योग की महत्ता
- गुरु भक्ति योग में शारीरिक, मानसिक, नैतिक और आध्यात्मिक हर प्रकार के अनुशासन का समावेश हो जाता है|
- गुरु भक्ति में आत्म साक्षात्कार कर सकते है|
- “गुरु भक्ति योग” मन की शक्तियों पर विजय प्राप्त करने का एक साधन है|
गुरु और शिष्य (गुरु की महत्ता)
- जो कान गुरु की लीला की महिमा नहीं सुनते, वे कान सचमुच बहरे हैं|
- जो ऑंखें गुरु के चरणकमलों का सौंदर्य नहीं देख सकती वह ऑंखें सचमुच अँधा है|
- गुरुरहित जीवन मृत्यु के समान है|
- गुरुकृपा की संपत्ति जैसा और कोई खजाना नहीं है|
- भवसागर को पार करने के लिए गुरु के सत्संग जैसी और कोई सुरक्षित नाव नहीं|
- आध्यात्मिक गुरु जैसा और कोई मित्र नहीं है|
- सदैव गुरु का नाम रटते जाओ|
- गुरु के चरणकमल जैसा और कोई आश्रय नहीं है|
गुरु के प्रति भक्ति भावना
- श्रद्धा, भक्ति और तत्परता के फूलों से गुरु की पूजा करो|
- आत्मासाक्षात्कार के मंदिर में गुरु का सत्संग प्रथम स्तंभ है|
- ईश्वरकृपा गुरु का स्वरुप होता है|
- गुरु का दर्शन करना ईश्वर के दर्शन करने के बराबर है|
- जिसने गुरु के दर्शन नहीं किये वह मनुष्य अँधा है|
- धर्म तो केवल एक ही है और वह है गुरु के प्रति भक्ति और प्रेम, यही धर्म है|
- जब दुनिया आपको भाव नहीं देती तब आपमें भक्ति भाव जागता है|
- गुरु का आश्रय लेना चाहिए और सत्य का अनुसरण करना चाहिए|
- अपने गुरु की कृपा में श्रद्धा रखो और अपने कर्तव्य का पालन करो|
- गुरु की आज्ञा का अतिक्रमण खुद अपनी कब्र खोदने का बराबर है|
- सद्गुरु शिव का ह्रदय सौंदर्य का धाम है|
गुरु की सेवा कैसे करनी चाहिए
- अपने जीवन का ध्येय गुरु की सेवा करने का होना चाहिए|
- अपने जीवन का हर एक कटु अनुभव गुरु के पति आपकी श्रद्धा की कसौटी है|
- शिष्य कार्यों की गिनती करता है जबकि गुरु उसके पीछे निहित उसके इरादे की गणना करता हैं|
- गुरु के कार्य को सन्देहपूर्वक देखना सबसे बड़ा पाप है|
- गुरु के समक्ष अपना दम्भपूर्ण दिखावा करने की कभी कोशिश नहीं करना चाहिए|
हम ऐसे लोगों को गुरु बनाते है जो खुद कही नहीं पहुँचे है लेकिन दूसरों को उपदेश देते है ऐसे लोगों से बचने के लिए परम शिव भक्त श्री हरीन्द्रानंद जी कहते है की आप शिव को गुरु बनाओ शिव के शरण में जाओ उन्हें गुरु के रूप में देखो समझो और अपनाओ वह ही तुम्हारा कल्याण करेंगे उनसे दया मांगो, उनसे अपनी समस्या बतलाओ, उन्हें अपने दुःख सुनाओ, जीवन के हर समस्या का समाधान करने में अगर कोई सक्ष्म है तो सिर्फ और सिर्फ “शिव” ही है अतः शिव को अपना गुरु बनाओ तभी हम जीवन में गुरु का महत्व समझ पाएंगे|
हमारी इच्छाओं का अंत नहीं है इच्छाएँ कभी बूढ़ी नहीं होती हम स्वयं बूढ़े हो जाते है यह बात 100% सत्य है की हम भोग को भोगते नहीं भोग हमें भोग लेता है जबकि भोग-विलास, सुख-सुविधा, धन-धान्य हम जीवन भर जुटाते हैं लेकिन वह सब यही छोडकर चले जाते हैं|
जीवन में अगर सही गुरु न मिले तो पूरा जीवन कष्टमय हो जाता है दुःख के दलदल में ही व्यतीत हो जाता है जो जगत के गुरु है इस पुरे संसार के गुरु है उनको अपनाओ उनको गुरु रूप में स्वीकार करो शिव गुरु ही सबका बेड़ा पार करेंगे|
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देवों के देव महादेव ही शिव गुरु है
शिव गुरु से याचना कैसे करें या शिव गुरु से दया कैसे मांगे?
हे! महादेव मुझे आपकी दया मिले|
रोग-व्याधि से निजात मिले,
अच्छे स्वास्थ्य की सौगात मिले|
अन्न-धन की भरमार रहे,
आपस में प्रेम अपार रहे|
खुशहाल पूरा परिवार रहे,
ज्ञान का विस्तार मिले|
जप की विधि अजपा-जप हो,
समय की निधि चर्चा में खर्च हो|
शिष्य आपका समस्त संसार हो,
ऐसी दया आपकी अपर हो|
सदगति हमें इस बार मिले,
हे! महादेव हमें आपकी दया का आधार मिले||
इस प्रकार हम शिव गुरु से दया कैसे मांगे यह एक कविता के माध्यम से सच्चे मन और हृदय की गहराईयों से व्यक्त कर सकते है ताकि हमारे ऊपर देवों के देव महादेव शिव का आशीर्वाद प्राप्त हो सकें|
निष्कर्ष
हमें अपने “जीवन में गुरु का महत्व क्या है?” इसको समझना होगा ताकि उनका मार्गदर्शन मिल सके और जीवन सफल हो सके| जीवन सफल बनाने के लिए गुरु की जरूरत होती है माँ-बाप तो जन्म देकर हमें इस दुनिया में ला दिये लेकिन मार्गदर्शक तो गुरु ही होता है जो हमें अपनी अभिलाषा, अपने लक्ष्य, अपना उद्देश्य की पूर्ति में सहायक होते हैं| अगर जीवन में सही गुरु मिल जाए तो जीवन सफल समझो और अगर सही गुरु न मिल पायें तो क्या होगा आप कल्पना कर सकतें है उस स्थिति-परिश्थिति की|
हर इन्सान को सही गुरु की तलाश करना चाहिए और उनके शरण में जाना चाहिए ताकि हमारा कल्याण हो सके|
नमः शिवाय
Shiv Guru Mujhe raat ku Achi Need aa jay ki bhi parkar ki tansaon Dimang mai Na aya
From
Dinesh Kumar
आपका मंगल हो!