जगन्नाथ पुरी का रहस्य
जगन्नाथ पुरी का समुद्र
उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर है पहले इस प्रदेश का नाम उड़ीसा के जगह उत्कल प्रदेश (शेष क्षेत्र, श्री पुरुषोतम, नीलांचल आदि नामो से जाना जाता है) हुआ करता था आज यह ओडिशा है पूरी से ज्यादा दूर नहीं है पूरी से ही इस शहर का नाम पढ़ा और यह स्थान समुद्र तट पर बसा है|
जगन्नाथ पुरी यात्रा
मान्यता के मुताबित भगवान विष्णु ने चार धाम की स्थापना की और जब वो अपने चारों धामों की यात्रा करते हैं सबसे पहले वो हिमालय में स्थित बद्रीनाथधाम जाते है बद्रीनाथ में स्नान करते है गुजरात द्वारिकाधाम जाकर कपड़े बदलते है पूरी जाकर भोजन करते हैं और दक्षिण रामेश्वरम् जाकर विश्राम करते है ऐसी मान्यता है|
पूरी के जगन्नथ धाम में भगवान के बड़े भाई बलराम, बलभद्र और सुभद्रा इन तीनो देवताओं के यहाँ पर काठ यानि लकड़ी की मूर्तियाँ है| यहाँ साल में एक बार रथ यात्रा निकाला जाता है जिसमे इन तीनो देवताओं को रखकर शहर में घुमाया जाता है उस रथ को खींचने और देखने के लिए पुरे दुनिया से लोग यहाँ आते है| जगन्नाथ पुरी का रहस्य स्वयं एक रहस्य है|
जगन्नाथ की कहानी और पूरी मंदिर की विशेषता
पूरी मंदिर में रखी मूर्ति लकड़ी की है अन्य मंदिरों में मूर्ति पत्थर या धातु की होती है लेकिन यहाँ की मूर्ति काठ की है पूरी के पंडितों के मुताबित जब श्री कृष्ण अपने धाम गए तो उनके शरीर का अंतिम संस्कार कर दिया गया लेकिन उनका दिल तब भी धड़कता रहा (जीवित आदमी की तरह) और आज भी सुरक्षित है ऐसा कैसे?
जगन्नाथ की मूर्ति
“जगन्नाथ पुरी का रहस्य” के बारे में कहा जाता है की हर 12 साल बाद मूर्तियों को बदलने का काम किया जाता है जब यह काम किया जाता है तो पुरे शहर को ब्लैकआउट यानि पुरे शहर को अँधेरा कर दिया जाता है और इसी अँधेरे में इन मूर्तियों को बदलने का काम किया जाता है और इस समय मंदिर की सुरक्षा CRPF के हवाले कर दिया जाता है चप्पे-चप्पे पर पहरा लगा दिया जाता है ताकि इस प्रक्रिया को कोई देख न सके यहाँ तक की उस पुजारी के आँखों पर भी पट्टी बंधी जाती है हाथो में दस्ताना रहता है और पुराणी मूर्ति को हटाके नयी मूर्ति कर देते है|
जो सबसे आचार्य वाली बात है वह ब्रम्ह प्रदार्थ है उस ब्रम्ह प्रधार्थ को पूरी मूर्ति से निकलकर नयी मूर्ति में दल दिया जाता है यही परम्परा है जो सदियों से चली आ रही है| यह ब्रम्ह प्रधार्थ को आजतक कोई देखा नहीं है और यह आज भी रहस्य बना है| कहा जाता है जो कोई भी इसको देख लेगा उसकी तुरंत मौत हो जायगी| पुजरिओं के मुताबित कुछ खरगोश की तरह उछालनेवाला चीज होता है गुज-गुज जैसा लगता है इसमें हरकत होता है उसी को हात से निकल कर नयी मूर्ति में डालते है| इसी को श्रीकृष्ण का दिल या ब्रम्ह प्रदार्थ कहा जाता है|
रथ यात्रा निकलने से पहले पूरी के राजा सोने के झाड़ू से साफ करने स्वयं (राजा) आते है|
भगवान जगन्नाथ की मूर्ति का रहस्य
- मंदिर के मुख्य द्वार पर पहला कदम रखते है आपको समुन्द्र की लहरों की आवाज नहीं सुनाई देती है पैर वापस उठाते ही फिर सुनाई देने लगाती है ऐसा कैसे होता है कोई नहीं जनता|
- मंदिर से कुछ ही दुरी पर चिता (लाश) जलती है मंदिर के चौखट पर पहला कदम रखते है चिता का दुर्गन्ध बंद हो जाता है पैर वापस बहार करते है दुर्गन्ध फिर आने लगाती है ऐसा कैसे होता है कोई नहीं जनता|
- पूरी के मंदिर के गुम्बद पर आजतक कोई पक्षी बैठा हुआ नहीं देखा गया न कोई पक्षी या जहाज ही मंदिर परिषद् से उड़ता हुआ देखा गया है यह एक रहस्य है|
- पूरी मंदिर की गुम्बद की परछाई आजतक नहीं देखि गयी चाहे धुप किसी भी दिशा से आये यह भी एक रहस्य है| यह मंदिर 4 लाख वर्ग फूट में फैला है इसकी ऊँचाई 214 फूट है लेकिन परछाई कोई नहीं देखा है|
- मंदिर के ऊपर एक झंडा है जिस को रोज बदलने का रिवाज है अगर इसको नहीं बदला गया तो यह मंदिर अगले 18 साल तक बंद हो जायेगा और अधिक जानकारी के यहाँ click कर सकते है|
- इस मंदिर के ऊपर एक सुदर्शन चक्र बना हुआ है जिसको जिस दिशा से देखो वह पूरा चक्र दिखता है यह सिर्फ पूरी नगर के मंदिरों की बात है अन्य स्थान की मंदिर में ऐसी बात नहीं है|
- यह दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर में से एक है जिसमे 500 रहोई और 300 सहायक काम करते है एक समय में लाखो लोगों को एक साथ खाना बनाकर खिलाया जा सकता है| मंदिर में भक्त चाहे कितने भी आ जाये लेकिन प्रसाद कभी काम नहीं होता लेकिन मंदिर के गेट बंद होने का समय आता है प्रसाद अपने आप ख़त्म हो जाता है यानि प्रसाद कभी भी बर्बाद नहीं हुआ यह भी रहस्य है|
- प्रसाद से जुड़ा एक और बात, मंदिर का प्रसाद लकड़ी के चूले पर बनता है और प्रसाद भी लकड़ी के बर्तन में बनता है जिसको एक के ऊपर एक सात बर्तन रखकर बनाया जाता है लेकिन अचरज वाली बात यह है की सबसे ऊपरवाले बर्तन में सबसे पहले पक के तयार होता है फिर उसके नीचे, फिर उसके नीचे।
- फिर उसको बाद यह आश्चर्य की बात है आग से सटे बर्तन में सबसे बाद में तैयार होता है सबसे पहले सबसे ऊपरवाले बर्तन में पकता है जो आग से 6 बर्तन दूर है यह भी आश्चर्य और रहस्य है|
- यहाँ हवा के विपरीत दिशा में झंडा फेहरता है मतलब जिस दिशा से हवा आता है उसके उलट दिशा में बहता है| यह भी एक रहस्य है “जगन्नाथ पुरी का रहस्य”|
यह है सारे विषमयकारी रहस्य जो आज भी रहस्य हैं।