चंबा पर्यटन स्थल

चंबा पर्यटन स्थल

चंबा पर्यटन स्थल

Chamba Tourist Places

संक्षिप्त परिचय

चंबा पर्यटन स्थल अपने आप में एक खुबसूरत स्थल है जहाँ जाने के बाद हर कोई अपने आपको प्रकृति के वादियों के बीच महसूस करता है| यहाँ आप चंबा जिले के पर्यटन स्थल के बारे में विस्तार से जानेंगे उसकी खूबसूरती उसकी प्रकृति यहाँ के मंदिरों के बारे में और यहाँ के कला के बारे विस्तार से समझेंगे|

चंबा के पारंपरिक रीतिरिवाज से भी हम भलीभांति परिचित होंगे ताकि उनके कला को जान सके और साथ ही साथ उनके रहन-सहन को समझ सके|

जैसे जैसे आप आगे पढ़ते जायेंगे आप चंबा के पर्यटन स्थल की सम्पूर्ण जानकारी मिलता जायेगा|

विस्तार से जाने

चंबा पर्यटन स्थल एक खुबसूरत धार्मिक स्थल है इसकी समुद्रतल से ऊँचाई 1000 मीटर है और डलहौजी से इस शहर की दुरी मात्र 50 किलोमीटर है| 10वीं सदी में एक राजा हुआ करते थे नाम था महाराजा साहिल उनकी एक बेटी थी नाम था चंपावती उन्ही के नाम पर राजा इस स्थान का नाम “चंपावती” रखे थे आगे चलके यह “चंपा” हुआ और अब यह “चंबा” हो गया|

चंबा पर जितने भी राजाओं ने शासन किया सबको कला से प्रेम था और साथ ही साथ धार्मिक स्वभाव के थे इससे भी बड़ी बात यह थी की सारे ही राजा बहुत ही दयावान थे इन सब विशेषताओं के कारण यहाँ की सभ्यता खूब फूली-फली|

पर्यटन स्थल चंबा में मुख्य रूप से 6 मंदिर है इन मंदिरों की बेजोड़ नक्काशी देखने लायक है सभी मंदिर पूर्वतः जैसे थे वैसे आज भी मौजूद है चूँकि यहाँ मुगलों का आक्रमण नहीं हुआ था इसलिए यह स्थान सुरक्षित रहा| मंदिरों का नक्काशी और कला देखने लायक है और स्वतः ही पर्यटकों को अपनी और आकर्षित कर लेता है यहाँ साल भर रौनक लगा रहता है हर त्यौहार पर मेला लगता है जगह-जगह पर मेला लगता है सावन में तो पुरे महीने मेला लगा रहता है इसके अलावा दोनों राम-नवमी में मेला और रौनक रहता है यह  चंबा पर्यटन स्थलों की खासियत है|

यह एक ऐसा स्थान रहा जहाँ हर तरह का कला अपने उच्चतम शिखर तक पहुँचा चाहे वह वास्तुकला हो, चित्र कला हो, मूर्तिकला हो, काष्ठकला हो, पत्थर पर नक्काशी हो सभी अपने खुबसूरत रूप में देखने को मिलता है| यह स्थान कला और प्रकृति का अनुपम मिश्रण है|

लक्ष्मीनारायण मंदिर गेट

चंबा कैसे पहुँचे?

चंबा पर्यटन स्थल जाने के लिए पठानकोट(पंजाब) के रास्ते ही जाए जा सकता है (आप पुरे भारत में कहीं से भी हों सबसे पहले पठानकोट पहुँचे) ट्रेन सेवा यही तक है इसके आगे के लिए सड़क मार्ग से पहुँचा जा सकता है चंबा पूरी तरह पहाड़ों और जंगलों से घिरा होने के कारण रेलवे यहाँ तक नहीं पहुँच पायी हैं पठानकोट से चंबा की दुरी 120 किलोमीटर है यहाँ से साधारण और डीलक्स बस सेवा उपलब्ध है टूरिस्ट कैब(टैक्सी) की सेवा भी उपलब्ध है आप खुद के निजी वाहन से भी चंबा जाया जा सकता है लेकिन ड्राइविंग बहुत खतरनाक हो सकता है लेकिन साथ ही साथ दिलचस्ब भी|

लक्ष्मीनारायण मंदिर

चम्बा में घूमने की जगह

भूरीसिंह संग्रहालय

इस संग्रहालय में केवल चंबा घाटी का कला ही देखने को मिलता है इस संग्रहालय का निर्माण  राजा भूरीसिंह डच डॉक्टर बोगले की प्रेरणा पर किया था इसमें 5 हजार से अधिक दुर्लभ कलाकृतियाँ संग्रहित है इसमें मूर्तियाँ, पांडुलिपियाँ, धातु की मूर्ति, लकड़ी की मूर्ति, चंबा रुमाल व् अन्य कला उपलब्ध है|

लक्ष्मीनारायण मंदिर

इस मंदिर को लक्ष्मीनारायण मंदिर कहा जाता है क्योंकि इस मंदिर में श्रृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की बहुत ही बेहतरीन प्रतिमा बेजोड़ नक्काशी के साथ दर्शन के लिए उपलब्ध है मंदिर के दीवारों पर भी खुबसूरत नक्काशी देखने को मिलता है|

अखण्डचंडी महल/रंगमहल

यह चंबा की धरोहरों में से एक है रंगमहल हिमाचली हस्तकला का एक बेहतरीन उदहारण है यहाँ रुमाल पर कसीदाकारी और लकड़ी पर शिल्पकारी(काष्ट-शिल्प) सिखाने का केंद्र भी मौजूद है|

सलूनी

सलूनी एक पर्यटक स्थल है यह चंबा से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और समुद्रतल से 1850 मीटर ऊँचाई पर स्थित है यह स्थान सैलानियों को अपने मनोरम दृश्य के कारण अपनी और आकर्षित करता है|  

भरमौर

चंबा से 65 किलोमीटर की दूरी पर भरमौर स्थित है यह एक पर्यटक स्थल है जहाँ सैलानी घुमने आते हैं और साथ ही साथ मणिमहेश यात्रा का आरम्भ भी होता है साथ ही साथ यहाँ स्थित चौरसिया मंदिर बहुत प्रसिद्ध है|  

चंबा के दर्शनीय स्थल और घूमने की जानकारी

सहो

चंबा से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सहो एक ऐसा स्थान है जो चंद्रशेखर मंदिर के लिए विश्व-विख्यात है| यहाँ के मंदिर में बेहतरीन कलाकारी देखने को मिलता है यह मंदिर प्रकृति की गोद में होने के कारण देखने में बहुत खुबसूरत लगता है| 

सरोल

चंबा से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सरोल एक ऐसा खुबसूरत घाटी है जो अपने पर्यटक और पिकनिक स्पॉट के लिए जाना जाता है यह रावी नदी के किनारे बसा है| यहाँ से पर्यटक कृषि और वन के बारे में जानकारी प्राप्त करते है|

मणिमहेश

चंबा में घूमने लायक पर्यटन स्थल

चौगन

एक ऐसा स्थान है जहाँ हर समय मेला लगता है यह अपने मेले के लिए प्रसिद्ध है मेले में ही यहाँ व्यापार होता है मेले में विभिन्न प्रकार की सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है इसलिए पर्यटकों के लिए यह स्थान खास मायने रखता है|

मणिमहेश

चंबा से 100 किलोमीटर की दुरी पर स्थित मणिमहेश 4170 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है यह स्थान अपने चोटी के लिए विख्यात है यहाँ मौजूद झील बहुत ही दर्शनीय है यहाँ लोग दूर-दूर से शिव के दर्शन के लिए आते हैं|

चम्बा का इतिहास

पांगी घाटी

चंबा से 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पांगी घाटी की ऊँचाई 2440 मीटर समुद्रतल से ऊँचा है यह एक खुबसूरत, लुभावनी और मनमोहक घाटी है यह स्थान पर्वतारोही का प्रिय स्थान है|

छतराड़ी

लगभग 105 किलोमीटर दूर स्थित छतराड़ी माता शक्तिदेवी के मंदिर के लिए प्रसिद्ध स्थान है यह एक प्राचीनकाल का मंदिर है यह एक रमणीक धार्मिक स्थल है|

निष्कर्ष

हमारा यह प्रयास रहा की हम चंबा पर्यटन स्थल से जुडी हर एक छोटी से छोटी चीज के बारे में जानकारी देने का प्रयास करें जिससे आपको चंबा जिले के पर्यटन स्थल पूरी तरह समझ में आ जाए जिससे अगर आप चंबा घुमने जाते हैं तो आपके पास पहले से ही जानकारी हो इस स्थान के बारें में|

उपरोक्त लेख में हमने चंबा कैसे पहुँचे? कहाँ से बस मिलेगा? हवाई मार्ग से कैसे जायें या रेलमार्ग से कैसे पहुँचे? इस पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है|

चंबा पहुँचने के बाद वहाँ घुमने की कौन-कौन सी जगह है? वहाँ स्थित मंदिरों के बारे में विस्तार से बताया गया है इसके अलावा चंबा का संक्षेप रूप में इतिहास भी बताया गया|

अतः हमें उम्मीद है इस पुरे लेख को पढ़ने के बाद आप चंबा के बारे में बहुत सी जानकारी प्राप्त कर चुके है| अगर कोई और जानकारी आपको चाहिए तो आप हमें ईमेल कर सकते है या कमेंट कर सकते है|

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