
गंगासागर की कहानी
एक मान्यता के अनुसार देवताओ के राजा इन्द्रदेव ने एक बार राजा सगर द्वारा अश्वमेध यज्ञ में प्रयोग का घोडा महर्षि कपिल ऋषि के मंदिर के पीछे लाके बांध दिया| उस घोड़े को राजा के साठ हजार पुत्र अश्व को खोजते-खोजते मुनि के आश्रम पहुंचे तो घोडा बंधा देख मुनि को ही अश्व के चोरी का आरोप लगाने लगे इससे मुनि क्रोधित हो गए और उन्होंने राजा के पुत्रों को राख में बदल दिया|
बाद में राजा के छमा याचना पर वो इस बात पर राजी हो गए के राजा का कोई संतान यदि पावन गंगा को इस स्थान पर ले आये तो उनके सारे पुत्र जीवित हो जायेंगे और फिर कई पीड़ी बीतने के बाद इसी वंश के राजा भगीरथ ने अपने तपोबल से माँ गंगा को धरती पर लाने में सफल हो गए|
गंगा जब स्वर्गलोक से मृत्युलोक पर अवतरित हेई तो उनके पुरे वेग और उनके धाराप्रवाह को प्रतिबंधित करने के लिए हिमालय में भगवान शिव ने अपने जटाओ में गंगा को धारण किया राजा भगीरथ जब गंगा माँ को बंगाल का रास्ता दिखा रहे थे तो रास्ते में जहानु मुनि के आश्रम के ऊपर से वो बह गई|
इससे क्रोधित होकर मुनि गंगा को ही पी गए भगीरथ के काफी मिन्नतें के बाद जहानु मुनि गंगा को जाने दिये इसलिय इस स्थान को जहान्वी भी कहते है और इससे कई पीढ़ियों के बाद साठ हजार राजकुमारों का उद्धार हुआ|
गंगासागर
एक प्रसिद्ध कहावत है “सारे तीर्थ बार-बार गंगा सागर एक बार” जिससे यह साबित होता है कि गंगासागर एक महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थल है गंगा सागर पश्चिम बंगाल में स्थित है यह एक ऐसा स्थान है जहाँ सागर और गंगा का मिलन हुआ है यानि गंगा और सागर के संगम बिन्दु को गंगासागर कहते है महाकवि कालिदास की रचना रघुवंश में इसका उल्लेख मिलता है|
गंगा और सागर
एक कथा के अनुसार गंगा नदी जिसे भागीरथ ने अपने तपस्या से गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाये थे अपने पुत्रो के उद्धार के लिए, गंगा का इसी सागर में विलय हुआ| गंगा-सागर आने का सबसे सही समय है मकर संक्रान्ति का दिन क्योकि इस दिन वहां विक्रमी संवत के दिन मेला लगता है जिसमे लाखों की संख्या में लोग डुबकी लगते है|
गंगा सागर का मेला मकर संक्रान्ति को मनाया जाता है जो 5 दिनों तक चलता है जिसमे 3 दिनों का स्नान रहता है और बाकि 2 दिनों का मेला रहता है यहाँ लाखो लोग आते है स्नान-ध्यान करते है जिसमे “नागा साधू” मुख्य आकर्षण का केंद्र रहते है मकर संक्रान्ति के दिन समुन्द्र को धुप-दीप से प्रार्थना किया जाता है मुंडन किया जाता है श्राद्ध-पिंडदान भी करते है कपिल मुनि के दर्शन करते है उसके उपरांत अपने-अपने गंतव्य को प्रस्थान करते है|
हावड़ा से गंगासागर की दुरी कितनी है?
गंगासागर ट्रेन
कोलकाता से गंगा-सागर के लिए डायरेक्ट ट्रेन सेवा उपलब्ध है “गंगासागर एक्सप्रेस” और भी कई ट्रेने है अगर हम दुरी के बात करें तो हावड़ा से गंगा-सागर की दुरी 123 किलोमीटर है|
गंगा सागर बस
कोलकाता से गंगा-सागर के लिए राज्य सरकार द्वारा बस का भी प्रबन्ध किया गया है प्राइवेट बसें भी पर्याप्त उपलब्ध है कोलकाता (धर्मतला) से 123 (कम-ज्यादा) सो सकता है किलोमीटर की दुरी पर गंगा-सागर है जो नेशनल हाईवे NH12 से जाता है|
गंगासागर किस राज्य में है?
गंगा-सागर पश्चिम बंगाल राज्य के बंगाल की खाड़ी में स्थित है यह क्षेत्र पश्चिम बंगाल सरकार के प्रशासनिक कार्य क्षेत्र में आता है|
गंगासागर की यात्रा
अगर कोई गंगा-सागर की यात्रा करना चाहते है तो सबसे पहले कोलकाता से ट्रेन या बस से काकद्वीप जाना होगा वहाँ से सागर करीब ही है कोलकाता का सुभाष चन्द्र बोस सबसे निकट का एअरपोर्ट है यहाँ से फिर आपको बस या ट्रेन से जाना होगा जो लगभग 120 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है|
For more information click on https://www.gangasagar.in/