कन्याकुमारी

कन्याकुमारी

कन्याकुमारी का इतिहास

इतिहास के अनुसार एक बार जब असुरों का अत्याचार बढने लगा तो उनका राजा बाणासुर देवताओं को कष्ट देने लगा तो धरती माता भगवान विष्णुजी से प्रार्थना करने लगी जिस पर भगवान ने कहा की उनको आदिशक्ति की आराधना करनी चाहिए और वह ही बाणासुर का संहार कर लोगों को मुक्ति दिला सकती है| 

फिर यज्ञ किया गया और उस अग्नि से एक सुन्दर कन्या प्रकट हेई देवी शिव को पाने के लिय तपस्या करने लगी उनकी तपस्या से प्रसन्न हो कर उनका पाणिग्रहण स्वीकार कर लिया अब देवताओ को चिंता हुई की अगर इनका विवाह हुआ तो बाणासुर मरेगा नहीं अतः भगवान शिव को विवाह करने से रोकना होगा|

देवर्षि नारद मुनि ने देवताओं के प्रार्थना पर भगवान शिव को शुचीन्द्रम नामक स्थान पर इतनी देर रोके रखा की सबेरा हो गया विवाह मुर्हुत टलने पर भगवान शिव वही स्थानुरूप में स्थित हो गए देवी फिर तपस्या करने लगी|

बाणासुर राक्षस के अनुचरो द्वारा देवी के बारे में जब बताया गया उनके सोंदर्य के बारे मे तो वो देवी से विवाह का हट करने लगा इस पर देवी ने उससे एक शर्त रखी अगर वो उसको युद्ध मे हरा देगा तो वो उससे विवाह कर लेगी इसके बाद दोनों मे भीषण युद्ध हुआ जिसमे देवी ने बाणासुर को वध कर दिया इस पौराणिक कथा को सम्राट अशोक की पुत्री के रूप मे देखा जाता है|

कन्याकुमारी में क्या प्रसिद्ध है?

कन्याकुमारी एक ऐसा स्थान जो तीन-तीन महासागरो का केंद्र बिन्दु है एक ओर बंगाल की खाड़ी, दूसरी ओर अरब सागर और मध्य मे हिन्द महासागर है और तीनो ही अपनी मनोहरम छटा का एक अद्भुत नजारा पेश करता है यह स्थान भारत की धरती का सबसे अंतिम छोर है जिसके बाद सिर्फ और सिर्फ सागर ही सागर नज़र आते है|

कन्या कुमारी से लगभग 1800 से 2000km दूर समद्र की गहराई के तरफ सिर्फ एक द्वीप है “दियगो गासिया” यहाँ अमेरिका का सैन्य अड्डा है कन्या कुमारी मे पर्यटक लोग ज्यादा आते है क्योकि यह स्थान हजारो वर्षो से अपने दर्शन-कला-संस्कृति-सभ्यता के लिए मशहूर स्थान है यहाँ भोर का दृश्य सबसे मनोहर होता है ऊँची-ऊँची लहरें दूर से आती है और तटो से टकराती है उस पर जब लालिमा लिए सूर्य की किरण जब पड़ती है तो देखनेवाले मंत्रमुग्थ होकर देखते ही रहते है|

कन्याकुमारी नाम कैसे पढ़ा?

इस स्थान का नाम कन्याकुमारी क्यों पड़ा इसके पीछे एक कहानी है वो कहानी यह है- भारत के महान  चक्रवर्ती सम्राट “अशोक” और उनके आठ पुत्र थे जब सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया तो वो इस मार्ग मे चलने से पूर्व अपने राज्य का बंटवारा कर दिया जिसमे दक्षिण का भाग अपनी पुत्री को दिया जिस वजय से इसका नाम कुमारी पड़ा|

कन्याकुमारी मंदिर

कन्या कुमारी के छोर से आगे एक पहाड़ी शिला है जिसपर सन 1982 में कलकाता के स्वामी विवेकानन्द आये थे देवी को दंडवत प्रणाम कर इस शिला पर तीन दिनों तक निराजल रहकर ध्यान किये थे इसलिए इस स्थान का नाम विवेकानन्द शिला पड़ गया और और साथ ही साथ तिरुवल्लुवर जी का भव्य मूर्ति मंदिर भी मौजूद है|

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कन्याकुमारी कहाँ है

भारत के राज्य तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिला में स्थित है यह स्थान तीन महासागर के बीच में स्थित है एक तरफ बंगाल की खाड़ी, दूसरी तरफ पश्चिम में अरब सागर और तीसरी तरफ दक्षिण में हिन्द महासागर इन तीनो ही महासागर के संगम में कन्या कुमारी है|

कन्याकुमारी भारत के किस दिशा में है

कन्या कुमारी भारत के दक्षिण में तीनो महासागर के संगम पर स्थित है यहाँ स्वामी विवेकानंद ने समुन्द्र के अन्दर एक ऊँचे टीले पर 3 दिन तक लगातार समाधी लगाये थे यहाँ एक मंदिर भी है|

कन्याकुमारी शहर

कन्याकुमारी के कुछ महत्वपूर्ण स्थान जो निम्नलिखित है:

  • कन्या कुमारी में एक सुन्दर और रमणीय गाँव थे उस गाँव में एक प्राचीन मंदिर है पुराणों के अनुसार अर्वाचीन थानुमलायन मंदिर यह वो स्थान है जहाँ भगवान शिव का विवाह हुआ था यहाँ हनुमान मंदिर भी है यहाँ स्वयं भू निर्मित मूर्ति है|
  • कन्या कुमारी में एक नागराज मंदिर जहाँ नागदेव की मूर्ति है यह कोविल शहर में है|
  • कन्या कुमारी के घाटों पर बहुत से देवी-देवताओं के मंदिर हैं जैसे सावित्री घाट, गायत्री घाट, श्याणु घाट है|
  • यहाँ पांडव द्वारा अधिष्ठात्री देवी मंदिर का निर्माण कराया गया था जो आज भी मौजूद है|  
  • यहाँ राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का स्मारक बना हुआ है यह स्मारक इस प्रकार बनाई गयी है की सूरज की प्रथम किरण सीधा महात्मा गाँधी की तस्वीर पर पड़े यही उनकी मृत्यु हुई थी|

कन्याकुमारी किस राज्य में है

कन्याकुमारी तमिलनाडु राज्य में स्थित है और यह भारत के दक्षिण दिशा में स्थित है|

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कन्याकुमारी से तिरुपति बालाजी की दुरी

कन्या कुमारी से तिरुपति की दुरी सड़क मार्ग से 770 किलोमीटर है वाया नेशनल हाईवे NH44/38 और अलग-अलग ट्रेन अलग-अलग दुरी है तय करती है तो 800 किलोमीटर के आसपास मान के चलते है|

कन्याकुमारी रामेश्वरम की दुरी

कन्या कुमारी से रामेश्वरम की दुरी सड़क मार्ग से 313-NH32 और 359-NH44 किलोमीटर है| हवाई जहाज से 236 किलोमीटर है| ट्रेन से 407 किलोमीटर|

कन्याकुमारी त्रिवेंद्रम की दुरी

कन्या कुमारी से त्रिवेंद्रम की दुरी सड़क मार्ग से 91 किलोमीटर है (नेशनल हाईवे NH66 से), ट्रेन से 66 किलोमीटर है| 

कन्याकुमारी से दिल्ली की दुरी

कन्या कुमारी से दिल्ली की दुरी 2842 किलोमीटर वाया नेशनल हाईवे NH44 है और नई दिल्ली से कन्या कुमारी की दुरी 2919 किलोमीटर है|  

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