भगवान शिव

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भगवान शिव

Bhagwan Shiv

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संक्षिप्त परिचय

भगवान शिव कौन है? क्या महादेव का कोई अस्तित्व है? शिव का स्थान क्या हिमालय के मानसरोवर में? क्या शिवलिंग में शिव निवास करते हैं? जैसे-जैसे आप आगे पढ़ते जायेंगे “शिव का रहस्य” को समझते जायेंगे| 

जैसे-जैसे आप आगे पढ़ते जायेंगे आप भगवान शिव के गूढ़ रहस्य को समझते जायेंगे…

उम्मीद है इस लेख में आपको शिव शंकर के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त होगा यह सारी जानकारी अलग-अलग जगहों से, किताबों से, ग्रंथों से प्राप्त किया हुआ है साथ ही साथ सिद्ध ऋषियों के अनुभवों के आधार पर लिखा गया है इसके अलावा अपने ध्यान के द्वारा प्राप्त अनुभव के आधार पर आधारित यह लेख आपको सम्पूर्ण जगत का परिचय करा देगा ऐसा मेरा विश्वास है|

इस जानकारी को समझने के बाद ऐसा मेरा विश्वास है आपको और खोज (रिसर्च) करने की जरूरत नहीं पड़ेगी|

मैं राधा रमण गूगल द्वारा Google Digital Unlocked Certificate अप्रैल 2020 को प्राप्त किया इसके बाद मेरे अन्दर आत्मविश्वास आया और मैं blogging, website developer, content writer, photo editor, video editor, Animated GIF Maker आदि… चीजों में महारत हासिल किया लेकिन पहले ऐसा बिलकुल भी नहीं था पहले शुरुआत में मैंने बहुत सारी गलतियाँ की (कोरोना काल) के समय पर्याप्त समय होने के कारण निरंतर अभ्यास के कारण मेरे अन्दर जबरदस्त सुधार आया अब मैं लोगों को मुफ्त में मार्गदर्शक देता हूँ ताकि वह भी अपना जीवन बेहतर बना सकें और इस क्षेत्र में आगे बढ़ सकें|   

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विस्तार से समझें

शिव का अर्थ या मतलब है (शी + व = शिव ) अर्थात् “वह जो नहीं है वह शिव है” मतलब वह हर जगह व्याप्त है कण-कण में व्याप्त है अणु-परमाणु में वद्यमान है जो दिखते कहीं नहीं, मौजूद हर जगह है उन्हें “शिव” कहते हैं जो न होते हुए भी हर जगह मौजूद हो- यही शिव अर्थ है हिंदी में भोलेनाथ या इनको हिंदी में महादेव भी कहते है|

“Shiv meaning in hindi” and “shiv meaning in sanskrit”– शिव का मतलब ही होता है “कल्याण, मंगल” शिव यानि “शुभ” “मांगलिक” जो सबका कल्याण और मंगल चाहनेवाला हो जिनको देवतागण-असुर-दानव-पशु-पक्षी-जानवर हर प्रकार का जीव उनके आधीन है जो सबका पिता भी है और माता भी जो सबका कल्याण चाहनेवाला हैं क्योंकि दुनिया का सब जीव उन्हीं का बनाया हुआ है|

“shiv meaning in English” में इसका अर्थ होता है “The Great GodHe is the supreme being in this universe. Shiva is also known as “The Destroyer”.   

भगवान शिव “शुन्यता” है सब कुछ उनके मन से होता है “वह जो नहीं है” यानि वह सबसे ऊँचा है उसके आगे हम सिर झुकाते है क्योंकि वही असली तत्व है पूरा ब्रम्हाण्ड उनके आधीन है हम सब उनके गोद में निवास करते है कुछ लोग शिव को “dark energy” भी कहते है अर्थात भगवान शिव ही ग्रह-नक्षत्रों को एक साथ थामे हुए है| 

जब हम आकाश की और देखते है तो क्या दिखता है असंख्य तारें-बादल लेकिन असल में ऊपर कोई सीमा नहीं है एक आकाशगंगा है फिर दूसरा आकाशगंगा फिर तीसरा आकाशगंगा कोई सीमा नहीं है|

विज्ञान के मुताबित अगर आप एक सुपरसोनिक हवाई जहाज (1 घंटे में पुरे पृथ्वी का 1 चक्कर लगानेवाले जहाज) से उड़ते है और पुरे जीवनभर भी इस ब्रम्हाण्ड का अंत खोजने की कोशिस करते है तो भी आप इसका सिर्फ 1 प्रतिशत भी ना पहुँच पाएंगे यह ब्रम्हाण्ड इतना विशाल है इसको विज्ञान साबित कर चूका है इन सबके पीछे सिर्फ एक शक्ति है वह है – “शिव”|

शिव देवों के देव महादेव अनादि और अनन्त है

Shiv in meditation

महेश्वर महादेव

अगर हम देवो के देव महादेव भगवान शिव को जानने की कोशिश करें तो हम यह पाएंगे की भोलेनाथ हर उस चीज से गुजरे है जिससे इन्सान गुजरता है वह कई चीजो का मेल है जैसे:

शिव सबसे सुन्दर हैं           

वह सबसे बतसुरत भी हैं

शिव एक महान सन्यासी हैं            

वह एक गृहस्थ भी हैं

शंभो सबसे अनुशासित हैं            

वह एक शराबी भी है

शिव एक नर्तक हैं                     

वह एक पूर्ण रूप से स्थिर भी है

देवता उनकी पूजा करते हैं             

दानव भी उनकी पूजा करते हैं

शिव सबसे भयानक भैरव है                   

वह गुसैल और जबरदस्त हिंसक हैं

वह करुणामयी भी हैं                          

वह सुन्दर मूर्ति भी है

वह मोह लेनेवाले जबरदस्त प्रेमी सुन्दर देव है                 

वह तांडव मूर्ति भी है जो सृष्टि का संघारक हैं

वह अचलेश्वर है गतिशील न होना

 

शिव के बारे में हम जो भी कहते हैं

उसका उल्टा भी उतना ही सच है

शिव ही जन्मदाता और संघारक है

om animated

शिव जिनको कोई नाम नहीं देना चाहिए नाम देने का मतलब है उनको सीमित करना है और सीमाओं में बंधना है यह बिलकुल गलत है भगवान शिव के 108 नाम उनके जटिलताओं को अभिव्यक्त करते है यह सब अथाह रहस्यों की अभिव्यक्ति है अगर आप इस आदियोगी को स्वीकार कर सकते है उनको अपना सकते हैं तो आप जीवन को ही पार कर सकते हैं|

अगर आप अपने तार्किक दिमाग को छोड़कर जीवन के प्रति सचेत और ग्रहणशील बने तो चमत्कार हो सकता है|

शिव अर्थात् असीम शुन्यता

शिव के कुछ रोचक तथ्य (महादेव तथ्य)

आइये जानते है “महादेव से जुड़े कुछ रोचक तथ्य” के बारे में:-  

  • महादेव हिन्दू देवताओं में सबसे प्रमुख है “महादेव
  • महादेव का नाम वेद में “रूद्र” है|
  • शिव चेतना के अन्यामी हैं इनकी अर्धांगिनी शक्ति का नाम पार्वती है
  • शंकर के पुत्र गणेश, कार्तिकेय और पुत्री अशोक सुंदरिय है  
  • शिव की पूजा दो रूपों में की जाती पहला मूर्ति रूप में और दूसरा शिवलिंग के रूप में
  • शिव के जन्म और मृत्यु का कोई प्रमाण नहीं है वह सारे जगत के स्वामी है स्वयं-भू है
  • शिव के सिर पर चन्द्रमा और जटाओं में गंगा का वास है
  • शिव ने विश्व के कल्याण के लिए विषपान किया था इसलिए उन्हें “नीलकंठ” भी कहा जाता है|
  • शिव लय और परलय दोनों को अपने आधीन किये हुए है
  • शिव हिन्दू धर्म के मूल है और अंतिम सत्य भी वही है
  • शिव से ही ध्यान परम्परा का प्रारम्भ होता है
  • ध्यान के जन्मदाता शिव है
  • शिव को “मृत्युंजय महादेव” भी कहा जाता है क्योंकि वह मृत्यु को जीत चुके है|
  • शंकर को “मारकंडे” भी कहा जाता है अर्थात् जिन्हें मार-काट पसंद हो|
  • बम-बम बोल का तात्पर्य धाम-धाम से है जिसका सम्बंध ध्यान से है
  • शिव को त्रिनेत्र कहा जाता है तीसरा नेत्र बोधि नेत्र है यानि अपने ज्ञान चछु से पुरे जगत को अनुभव करना
  • शिव को त्रिशूलधारी भी कहा जाता है यानि त्रिरत्न अर्थात् बुद्ध धर्म संघ का प्रतिक है
  • शिव के शिर में चन्द्रमा होने का अर्थ शीतलता है
  • शिव ने काशी से अपना धर्म चक्र प्रारम्भ किया था उसी प्रकार बुद्ध ने भी गया में ज्ञान प्राप्त करने के बाद पहला उपदेश सारनाथ काशी में ही दिया था
  • शिव के साथ देव और दानव दोनों रहते थे अर्थात् वह दोनों के प्रिय भी है और गुरु भी है
  • शिव प्रथम ध्यानी है और भगवान बुद्ध के रूप में शिव ही अंतिम है आगे जो भी ध्यान की परम ऊँचाई प्राप्त करेगा वह भी शिव ही होगा|

भगवान शिव

हर इन्सान को अपने जीवन में एक बार कैलाश मानसरोवर दर्शन जरुर करना चाहिए कैलाश मानसरोवर कहां है? वर्तमान समय में मानसरोवर तिब्बत(चाइना) में है|

हर “शिव भक्त” या कोई भी इन्सान को अपने अन्दर यह भावना जरुर रखना चाहिए की मैं एक बार कैलाश मानसरोवर जरुर जाऊँगा और जरुर जाना भी चाहिए वहाँ अद्भुत शांति मिलती है|

सवाल उठता है कैलाश मानसरोवर क्या है? कैलाश मानसरोवर यात्रा क्यों करना चाहिए?  वहाँ न तो मंदिर है न कोई दरबार है वहाँ सिर्फ एक झील है और पहाड़ है बस और कुछ नहीं है एक चीज हम जरूर बताना चाहेंगे की वहाँ दिव्या शक्तियों का निवास स्थान है यह एक ऐसा स्थान है जो तीन लोकों का मध्य है स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल का center point है यह बिलकुल मध्य में है इसको ब्रम्हाण्ड का शून्य कह सकते हैं या केन्द्र बिंदु कह सकते हैं|

हिन्दू धर्म के मान्यता के अनुसार तीन लोक हैं:-

पहला ब्रह्म लोक जो ब्रह्माजी का निवास स्थान है जहाँ ध्यान के माध्यम से जाया जा सकता है|

दुसरा विष्णु (क्षीर सागर- निवास स्थान) जो जगत के पालनहार हैं यहाँ भी ध्यान के माध्यम से जाया जा सकता है|

और तीसरा श्रृष्टि के संहारक शिव लोक जहाँ हर कोई प्रतेक्ष्य रूप से जा सकता है और अनुभव कर सकता है|

यहाँ एक अलग तरह का ऊर्जा का अनुभव और अनुभूति होती है और अगर आप सिर्फ पांच मिनट के लिए ध्यान करते है तो आपका ध्यान लग जायेगा वहाँ आज भी 400-500-1000 साल के योगी मिल जायेंगे ध्यान करते हुए या जो अपनी साधना में लीन रहते है और वहाँ बहुत हाई लेवल उर्जा बहती है वहाँ बहुत से योगी रहते हैं और महादेव भगवान शिव भी वहाँ रहते है जिसको कालातिर्थ कहते है|

वहाँ एक निर्धारित समय में तारें नीचे आते हैं ऊपर जाते है धरती और आकाश का पता ही नहीं चलता सब एक हो जाता है वहाँ एलिंस भी आतें है और साथ ही साथ बहुत तरह के super humanbeing भी दिखते हैं और यह कोई कोरी कल्पना नहीं है यह बिलकुल सत्य बात है|

अगर आप शांत होकर ध्यान में बैठते हैं तो आपको वेदों के मंत्र सुनाई देंगे आप जिस देवी या देवता का ध्यान करते है उन्ही देवी-देवताओं का मंत्र सुनाई देगा तो यह एक अद्भुत जगह है जहाँ अपनी जीवन-लीला समाप्त होने से पहले एक बार जरूर जाना चाहिए|  

कैलाश मानसरोवर हवाई यात्रा के मदत से भी किया जा सकता है और कैलाश मानसरोवर यात्रा रूट(सड़क) मार्ग से भी किया जा सकता है लोग अपनी सुविधा अनुसार इस पवित्रतम स्थान का दर्शन करते हैं और अपने जीवन को धन्य करते है|

शिव के त्रिशूल का रहस्य

एक सवाल उठता है शिव के त्रिशूल का क्या रहस्य है? अगर आप शिव के त्रिशूल को देखते हैं तो यह मत सोचिये की यह एक हथियार है मारने वाला वह किसी से लड़ना चाहते हे ऐसा नहीं है इसको समझे|

लोग इसको सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण से जोड़ रहें लेकिन इसको ऐसे देखें त्रिशूल के ऊपर तीन नोक है और वह तीनों एक से जुड़ा हुआ है अगर आप ध्यान से समझे तो यह तीन आयाम है जो एक से जुड़ा हुआ है यह सिर्फ एक प्रतीक है सतह पर यह तीन है लेकिन गहराई में सिर्फ एक ही है अब यह तीन क्या है?

पहला जीवन में श्रृजन हो रहा है जीव का जन्म हो रहा है- हाँ यानि यह काम ब्रह्मा द्वारा किया जा रहा है

दूसरा क्या पालन रखरखाव हो रहा है- हो रहा तो यह विष्णु है और

तीसरा है विनाश क्या शरीर में हर क्षण विनाश हो रहा है- हाँ करोड़ों नये कोशिका पैदा हो रहे है और मर रहें है|

तो यह तीन शक्ति ही हमारे शरीर की देखभाल कर रहें है इसके अलावा जीव-जन्तु, जानवर, जीव-निर्जीव, ग्रह, ब्रम्हाण्ड सब को यही तीन आयाम थामे हुए हैं यही तीन शक्तियाँ है श्रृजन, पालन और विनाश यही इस जगत का नियम है शिव का त्रिशूल यही दर्शाता है की सतह पर यह तीन है लेकिन असल में यह एक है यही जीवन का आधार है और यही शिव के त्रिशूल का रहस्य भी है|

शिव किसका ध्यान करते है?

भगवान शिव Bhagwan Shiv जैसे ध्यानी इस जगत में दूसरा कोई नहीं अगर ध्यान करना है तो शिव जैसा करना चाहिए|

ध्यान का अर्थ होता है न विचार न वासना न स्मृति न कल्पना ध्यान का अर्थ होता है सिर्फ भीतर होना और कुछ नहीं इसलिए भगवान शिव को मृत्यु के विनाश का देवता कहा गया है क्योंकि ध्यान विध्वंस है मन का| मन ही संसार है मन ही श्रृजन है मन ही सृष्टि है मन गया की प्रलय हो गया जो मन के गहराइयों में उतरता है उसका प्रलय हो जाता है|

ध्यान है मृत्यु (मृत्यु विचारों का उसके भावों का उसके कल्पनाओं का) सब ख़त्म हो जाता है केवल सत्य रह जाता है वह जो नष्ट नहीं होता यहीं से ज्ञान का जन्म होता है जो ज्ञान हम किताबों से प्राप्त करते हैं वह ज्ञान नहीं वह तो मिथ्या है कल्पना है असली ज्ञान तो ध्यान में जन्मता है ध्यान तुम्हें सत्य के दर्शन कराता है ध्यान ब्रम्हाण्ड की कुंजी है|

आज हर घर-मंदिर में भगवान शिव की पूजा हो रही है लेकिन शिव की पूजा की बात नहीं है| शिवत्व को उपलब्ध होने की बात है| शिवलिंग के आकार को ध्यान से देखो वह ज्योति के आकार का है जब हमारे अन्दर ज्योति जलता है तो ऐसे ही आकार का ज्योति जलता है यही शिव का रूप है जो अंडाकार आकार का होता है|

शिव ने इतने ध्यान की प्रक्रिया दिये है जितना कोई नहीं दिया अनगिनत द्वार जिससे लोग चकरा गए कौन सा ध्यान करें भगवान गौतम बुद्ध ने एक विधि बताया “विपश्यना ध्यान” महावीर ने “शुक्ल ध्यान” महर्षि पतंजलि ने कहा “निर्विकल्प समाधि” लेकिन शिव ने परमात्मा को प्राप्त करने के हजारों द्वार खोल दिये|

भगवान शिव किसका ध्यान करते हैं? इसका उत्तर है शिव खुद ध्यान है जो खुद ध्यान है समाधि है निराकार ब्रह्म है जिसका कोई आकार नहीं वह खुद एक ध्यान है इसलिए ध्यान का कोई ध्यान नहीं कर सकता शिव तो स्वयंभू है इसलिए न उनके माता-पिता है न वह जन्मे है न मरे है वह परम सत्य है अंत में सब वहीं जाता है…

देव-दानव-असुर-मानव सबके मालिक शिव

ॐ नमः शिवायः

शिवलिंग का आकार ऐसा क्यों है?

शिवलिंग का मतलब क्या होता है? शिवलिंग का आकार बहुत महत्वपूर्ण है देखिये “शिवलिंग” इसको अलग-अलग करके समझते है ‘शिव’ अर्थात् भगवान वैसे तो शिव का अर्थ है सुन्दर, मंगल, शुभ इत्यादि दुसरे तरफ शिव का मतलब वह जो नहीं है वह शिव है अब आते हैं ‘लिंग’ शब्द का अर्थ होता है “आकार” और वह अप्रत्यक्ष है जब ईश्वर महादेव भगवान शिव ने इस संसार को प्रकट किया उस समय इसका आकार एक अंडाकार रूप का था जिसको दीर्घवृताकार कह सकते है यह खुद से अपना रूप प्रकट करने लगा था|

श्रृष्टि का जो रूप है वह एक दीर्घवृत्त या एक लिंग के रूप में हुई थी एक महान सद्गुरु जग्गी वासुदेव के अनुभव के मुताबित जब कोई ध्यान के गहराई में जाता है और पूर्ण विलीन हो जाते है तो आप पाते हैं की ध्यान में एक ऊर्जा दिखाई देती है जो एक बिंदु का रूप है फिर वह ऊर्जा एक लिंगरुपी दीर्घवृत्त का आकर बन जाता है यही सबसे आखिरी आकार और सबसे पहला आकार लिंग रूप में है यही है शिवलिंग का महत्व और शिवलिंग का रहस्य क्या है इसको हमने समझा इसको गहराई से समझने के लिए आपको ध्यान के गहराइयों में जाना होगा|

shivling download

शिवलिंग रहस्य और शिव तत्व

भगवान शिव को जानना इतना आसान नहीं है| मनुष्य अपने समझ और ग्रंथों से प्राप्त जानकारी से जितना समझ पाया है उसको यहाँ संक्षेप में बताया जा रहा है| शिवलिंग का असली रहस्य तो हमारे संत, अवधूत और ऋषियों को ही पता है जो सैकड़ो वर्षो से हिमालयों के कन्धराओं में तपस्या में लीन है|  

लेकिन शिवलिंग के रहस्य को आसान शब्दों में समझने की कोशिश करते है|

बहुत कम लोग जानते है शिवलिंग का अर्थ क्या है? शिवलिंग क्यों पूजा जाता है? शिवलिंग का आकार ऐसा क्यों है? शिवलिंग का शाब्दिक अर्थ क्या है? शिवलिंग का रहस्य क्या है? शिवलिंग का इतिहास क्या है? क्यों शिवलिंग को भारत वह विश्व के अन्य लोग पूजते है? यहाँ तक की शिवलिंग को अन्य ग्रहों के लोग व् एलिंस क्यों पूजते है इन सब बातों पर विस्तार से जानेंगे|

शिव + लिंग का मतलब क्या है| शिव का मतलब है- “परम शुद्ध चेतना” और लिंग का मतलब है- विशाल चिन्ह, प्रारूप या प्रतीक| अर्थात् भगवान शिव परम तत्व के प्रतीक या रूप|

लिंग का अर्थ – लियते यस्मिन् इति लिंगम| – लिंगपुराण|

मतलब सारे संसार की उत्पत्ति और लय जिसमें हो उसे लिंग कहते है|

शिव शक्तोश्च विचिन्ह्र्य मेलनम लिंगमूचय्ते – शिवपुराण|

अर्थात् शिव और शक्ति का मेल ही शिवलिंग है|

शिवलिंग को जानने से पहले हमें शिव(पुरुष) और शक्ति(प्रकृति) को जानना होगा|

शिवलिंग को वेदों में पुरुष प्रकृति कहा जाता है|

शिवपुराण में शिवलिंग को शिव शक्ति कहा जाता है|

आधुनिक विज्ञान में इसे डार्क एनर्जी कहते है|

विज्ञान के अनुसार सब कुछ एनर्जी (ऊर्जा) है| विज्ञान के मुताबिक सारा खेल ऊर्जा का है जन्म-मरण, विकास, परिवर्तन सब कुछ ऊर्जा पर निर्भर है| और यह अपने आप होता है| विज्ञान हमें बिग बैंग के बारे में भी बताता है| लेकिन बिग बैंग से पहले क्या था इस पर विज्ञान के पास कोई जवाब नहीं है| लेकिन हमारे ग्रंथो में बिग बैंग से पहले क्या था इसकी भी जानकारी उपलब्ध है|

प्रकृति का अर्थ क्या है?

प्र + कृति = कृति से पहले यानि श्रृष्टि निर्माण से पहले जो है उसे प्रकृति कहते है| प्रकृति का मतलब पहाड़, नदी, नाले, पेड़ यह वादियाँ इसे प्रकृति नहीं कहते है| प्रकृति जो पैदा कर सकें जिसमें श्रृजन की क्षमता हो वह प्रकृति है| प्रकृति तीन गुणों से युक्त है- सतोगुण तमोगुण रजोगुण| लेकिन प्रकृति में जड़ता होने के कारण यह खुद से कुछ भी उत्पन्न नहीं कर सकती| तो इसमें श्रृजन लाने के लिए पुरुष(शिव तत्व) इसको सक्रिय करता है| जिसे चेतना कहा जाता है|

दूसरी तरफ प्रकृति के पास क्षमता है अपने आपको प्रकट करने की लेकिन कोई रास्ता नहीं है अंकुरित होने की, अब पुरुष(शिव तत्व) अपने आपको प्रकट करना चाहते है तो उसके लिए माध्यम प्रकृति(शक्ति) है दोनों के मेल से श्रृजन संभव होने लगा| पेड़ नदी नाले वनों का निर्माण होने लगा दिन और रात होने लगते है बदलाव दिखने लगता है इस प्रकार यह श्रृष्टि अपने आप बनने लगती है|

शिव और शक्ति को एक रूप देने के लिए शिवलिंग का श्रृजन हुआ| शिव कोई व्यक्ति नहीं है यह चेतना है शिव चेतना की परम अभिव्यक्ति है|

इसी गुण को भगवान शंकर के रूप में दर्शाया जाता है| यह जो आकर है यह निर्गुण ब्रह्म का प्रतीक है और शंकर साकार ब्रह्म का प्रतीक है| अब प्रकृति को दर्शाया कैसे जाये तो इसके लिए शिवलिंग के आकर के कारण इसे पूरे ब्रह्मांड को दर्शाया जा सकता है क्योंकि इसमें प्रकृति के सभी तत्व आ जाते हैं|

शिवलिंग के ऊपर का हिस्सा शिव की ओर केन्द्रित करता है और नीचे का हिस्सा प्रकृति को दर्शाता है| परम तत्व का आकर एक ज्योति के रूप में दर्शाया जाता है वही आकर शिवलिंग के ऊपर के हिस्से के रूप में जाना जाता है| ज्योति के समान तेज होने के कारण शिव को कर्पुरगौरम यानि कपूर के समान उज्जवल वर्ण के है ऐसा कहा गया है|

इसको जब भौतिक रूप में एक पत्थर के रूप में उकेरा गया तो वह शिवलिंग कहलाया|

इस पूरे जगत में दो चीज है एक शिव और दूसरा शक्ति इन दोनों के परे कोई चीज नहीं है इस जगत में जो कुछ भी है वह सब इसके अन्दर है ब्रह्मा-विष्णु-महेश से लेकर हर देवी-देवता जगत के अन्दर मानव, राक्षस, देवलोक, पेड़, पहाड़, हवा, आकाश, ब्रह्मांड में मौजूद ग्रह, नक्षत्र, तारे सब कुछ इनके आधीन है इसलिए शिव-शक्ति प्रथम और अंतिम सत्य है|

शिवलिंग में सभी देवी-देवताओं का वास होता है इसलिए शिवलिंग का पूजा करने से सब देवी-देवताओं का पूजा स्वतः हो जाता है| शिवलिंग से हमें बोध होता है की शिवलिंग प्रकृति के मध्य में रहते हुए भी यह प्रकृति से लिप्त नहीं होते उसी तरह हम मनुष्यों को भी चाहिए की वह भी इस प्रकृति में रहते हुए इसमें लिप्त नहीं होना चाहिए| अपने आध्यात्मिक पथ पर निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए| हमें भी शिव बनने की कोशिश करनी चाहिए यानि अपनी चेतना के स्तर को ऊपर उठाना चाहिए जो हमें परम तत्व परम शांति के तरह ले जाएगा|

प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ क्या है? प्राण प्रतिष्ठा क्या होती है?

प्राण प्रतिष्ट का सीधा सा मतलब होता है इसमें ईश्वरीय तत्व स्थापित करना जिसको पंडितों, ब्राह्मणों या पुजारिओं द्वारा मन्त्रों द्वारा स्थापित किया जाता है बड़े-बड़े अनुष्ठानो, पूजापाठ, हवन आदि जाप द्वारा किया जाता है इसके उपरान्त रोज पूजापाठ किया जाता है ताकि यह जीवंत रहे| लेकिन अगर आप किसी आकार का प्राण प्रतिष्टा विधिवत करते है तो उसे निरंतर पूजापाठ की जरूरत नहीं होती है जब यह एक बार स्थापित हो जाता है तो हमेशा के लिए स्थापित हो जाता है|

यह जीवंत हो जाता है इसमें से निरंतर ऊर्जा बहती रहेगी और जो भी इसके संपर्क में आता है उसको इसका लाभ जरूर मिलता है अगर वह वहाँ बैठकर ध्यान क्रिया करता है तो उसको भरपूर लाभ मिलता है| 

“शिव ही वह देव है जिन्हें देवता और असुर एक जैसा मानते हैं और पूजते हैं”

शिव शक्ति

इस जीवन में तीन चीज ऐसी है जिसके बिना कोई भी चीज संभव नहीं है हम ब्रह्मा, विष्णु और महेश की बात नहीं कर रहें हैं लेकिन यह उनसे जुडी जरूर है- श्रीजनकर्ता, पालनहार और विनाशक यह तीन चीज हमारे जीवन में किसी न किसी प्रकार से काम कर रही है और यही हमारे जीवन का आधार है|

यह तीन शक्तियाँ हमारे जीवन में और अन्य जीव-जंतु, ब्रम्हाण्ड के हर जगह काम कर रही है|

लेकिन अगर आप गहराई से समझने की कोशिश करते हैं तो आप पाएंगे की इसके पीछे सिर्फ एक शक्ति है|

आज विज्ञानिक यह कहते है की पूरा ब्रम्हाण्ड 99% खाली है इसका मतलब यह खाली नहीं है लेकिन कुछ है यह बिलकुल इस तरह है जैसे हम बिजली को देख नहीं सकते लेकिन बल्ब जला सकते है हवा को देख नहीं सकते लेकिन साँस ले सकते है या ऊर्जा को आँखों से देख नहीं सकते लेकिन उसका लाभ देखा जा सकता है|

आदिगुरू ही वह ऊर्जा है जिनके संचालित करने से यह पूरा ब्रम्हाण्ड गतिमान है उनका कण-कण, अणु-परमाणु में पूरा आधिपत्य है तभी यह पृथ्वी अपने जगह पर स्थिर होकर सूर्य का चक्कर लगा रहा है यह गुरुत्वाकर्षण काम कर रहा है अन्तरिक्ष को थाम रखा है आकाशगंगा अपने स्थान पर है यह सब उनके थामने के वजह से ही संभव हो सका है इसलिए वह महादेव है जिन्हें परम तत्व कहते है|

har har mahadev

देवों के देव महादेव

भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ? शंकर भगवान के गुरु कौन थे? भगवान सदाशिव कौन है? ब्रह्मा, विष्णु महेश के माता पिता कौन है? देवों के देव महादेव नाम कैसे पड़ा? शंकर जी की माता का नाम, शंकर भगवान किस जाति के थे? इन सारे प्रश्नों के उत्तर आपको यहाँ मिलने वाला है| 

शंकरजी एक ऐसे देवता है जिनमें वह सभी आयाम मौजूद है जो अन्य किसी में नहीं है अलग-अलग देवता में अलग-अलग गुण थे जैसे अग्निदेव में अग्नि का, पवनदेव में हवा का आदि और वह महान बने लेकिन महादेव में वह सभी गुण है जिससे वह देवों के देव महादेव माने गए|

महादेव को बोध और अनुभूति के हिसाब से देखा जाय तो भी उनके जैसे कोई नहीं वह देवों के देव, महानो में महान, गुरुओं के गुरु, वह उत्तम में भी श्रेष्ट  वह पंचतत्व के रचयिता हैं श्रृष्टिकर्ता हैं वह स्वयंभू हैं वह ही आदि हैं वह ही अंत है वह ही उत्पन्नकर्ता और संहारक हैं|

 

शिव की पूजा कैसे की जाती है

भगवान शिव की पूजा करने की विधि बहुत ही साधारण प्रक्रिया से की जाती है इसको क्रम से समझे सबसे पहले सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जायें अपना हाथ-मुंह धोना नहाना फिर नये वस्त्र या साफ़(सफ़ेद) वस्त्र पहने (अगर पास में शिव मंदिर है तो वहाँ जायें)

सबसे पहले वहाँ सभी देवी-देवताओं को गंगा जल से अभिषेक करे मन में “ॐ नमः शिवायः” का जाप करतें रहें|

एक लोटा गंगा जल या शुद्ध जल में थोड़ा सा दूध-घी मिलकर चढ़ाये इसके बाद शिवलिंग पर पुष्प अर्पित करें बेलपत्र जरुर चढ़ाए

फिर दीप प्रज्वलित करें जो भी चढ़ावा हो उसको चढ़ाए भोग लगायें

शिव चालीसा का पाठ और आरती करें आदि…

अब जो सबसे जरूरी चीज है वह करें (जो कोई नहीं करता) मंदिर के आंगन में एक स्थान पर दस या बीस मिनट के लिए ध्यान करें|

घर वापस आते वक्त अपना चढ़ाया हुआ प्रसाद और बेलपत्र जरूर घर ले आयें|

बेलपत्र अपने तिजोरी में रखें या इसको अपने जेब में रखकर कोई भी शुभ कार्य करें सफलता निश्चित मिलेगी|

तो इस प्रकार शिव की पूजा करें यह अत्यंत शक्तिशाली प्रक्रिया है इस प्रक्रिया से पूजा-अर्चना करने से न सिर्फ आपका वर्तमान सुधरेगा बल्कि भविष्य के साथ-साथ अगला जन्म और मोक्ष का रास्ता भी खुल जायेगा यह ब्रम्हाण्ड का सबसे शक्तिशाली पूजा विधि है|

“अपने पर विश्वास रखो शिव आपके साथ हैं”

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शिव के त्रिशूल का रहस्य

भगवान शिव महादेव के त्रिशूल के तीन रहस्य है उत्पत्ति, पालन और संहारक आगे इसको गहराई से समझते हैं अक्सर आपने देखा होगा तस्वीरों में भगवान भोलेनाथ अपने साथ त्रिशूल रखते है लोगों को यह बताने के लिए की जीवन में तीन आयाम है पहला आप, दूसरा आपके होने का तरीका, तीसरा जो आपको पता है और जो आपको नहीं पता महादेव शम्भू बहुत जटिल और पूर्ण है|

शिव सबसे महान क्यूं हैं?

भगवान शिव ने लोगों को सिर्फ तरीका बताया यह सबसे महत्वपूर्ण है औरों ने लोगों को ज्ञान दिया (शिक्षा दिया) यह महत्वपूर्ण नहीं है शंकरजी ने लोगों को कोई ज्ञान नहीं दिया उन्होंने सिर्फ तरीका दिया जो पूर्ण रूप से विज्ञानिक है|

देवों के देव महादेव भगवान शिव ने 108 तरीके बताये उमसे 6 और जोड़कर 114 हुए यह सब चक्र है हमारे शरीर में 112 चक्र है जिसमें 2 चक्र शरीर के बाहर मौजूद है यह 2 चक्र उनके लिए हैं जो शरीर से पारे है इंसानों के लिए सिर्फ 112 रास्ते हैं फिर उन्होंने 112 आयामों में स्पष्ट तरीके बताया की कैसे इनका इस्तेमाल करके आत्मज्ञान पाया जा सकता है|

श्रृष्टि के प्रारम्भ में जब शिव 7 ऋषियों को जीवन के बनावट के बारें में बता रहें थे तो महादेव के साथ उनकी पत्नी भी थी उनको आत्मज्ञान मिल चूका था महादेव अपने शिष्यों को समझा रहे थे की मनुष्य 112 तरीकों से आत्मज्ञान प्राप्त कर सकता है पार्वती ने बीच में कहा 112 ही क्यों? और भी तरीके हो सकते हैं? शंकर ने कहा ठीक है तुम जाओ और खोजो वर्षो तपस्या करने के बाद वह आयी और महादेव से एक सीढ़ी नीचे बैठ गयी भगवान आज भी उनको उपदेश दे रहें थे वह हार चुकी थी और चाहती थी की बाकि के आयाम सिर्फ महादेवजी के पास रहें औरों को न पता चले|

 

महादेव “जीवन के बनावट” यानि “शिव महा ज्ञान” के बारें में बात कर रहें है और यह पूरी तरह विज्ञान पर आधारित है हम क्या करते हैं हम इसमें सामाजिक महत्व और आर्थिक महत्व को जोड़ देते है लेकिन महादेव सिर्फ और सिर्फ विज्ञानिक आधार पर बात कर रहें है और उन्होंने ऋषियों को सिर्फ विज्ञान दिया था तकनीक नहीं दी थी|

अलग-अलग ऋषि उस विज्ञान से तकनीक बनाने लगे चाहे हम कंप्यूटर का इस्तेमाल कर रहें हो, मोबाइल से बात कर रहें हो, जहाज बना रहें हो, लोगों का इलाज कर रहें हो आदि सभी के पीछे एक विज्ञान है|

आपको उस विज्ञान से मतलब नहीं है हमें तो बस तकनीक से मतलब है जिसका हम इस्तेमाल कर सकें अगर विज्ञान को न समझा होता तो आज तकनीके न होती उदाहरण के लिए एक app या software को बनाने के लिए जो अल्गोरिथम या प्रग्रमिंग लैंग्वेज (python या C language etc.) का इस्तेमाल किया जाता है वह बहुत जटिल होता है जिसका इस्तेमाल करके हम आसानी से सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते है|

दूसरा उदाहरण जब हम किसी mic में बोलते हैं तो वह soundwave बन जाती है यह सब एक विज्ञान का तकनीक है|

तीसरा उदाहरण जब हम मोबाइल पर बात करते हैं तो वह electromagnetic wave बनके एक मोबाइल से दूसरे मोबाइल तक पहुँचता है लेकिन जब यह तरंग एक स्थान से दूसरे स्थान दिल्ली या लखनऊ जाता है तो वहाँ फ़ोन रिसीव करनेवाला जवाब दे सकता है लेकिन जब यह बात रास्ते में होता है तो यह code होता है जिसको कोई नहीं समझ पता लेकिन इस code को decode सिर्फ इस software को बनाने वाला ही समझ सकता है और कोई नहीं इसलिए यह एक पूर्ण रूप से विज्ञान का एक तकनीक है|

महादेव भगवान शिव ने सिर्फ और सिर्फ विज्ञान दिया तकनीक की बात उन्होंने सप्तऋषियों पर छोड़ दिया वह इसका इस्तेमाल कर अपना जीवन बेहतर और उन्नत बनाये| हम अपने जरूरत के हिसाब से अलग-अलग गजेट्स बना लेते है यह सब तकनीकें है लेकिन विज्ञान वही एक है विज्ञान महत्वपूर्ण है तकनीक महत्वपूर्ण नहीं है वह तो सिर्फ सहायक है विज्ञान के मदत से कुछ भी बनाया जा सकता है

आज बहुत सी तकनीक पुरानी हो गई है हम नई-नई चीजे बना लेते है लेकिन विज्ञान वही है वह नहीं बदला हमें इसपर ध्यान देना चाहिए|

आदिगुरू (शिव) एक पूर्ण विज्ञान है और बाकि सब गुरु, ऋषि लोगों ने उस विज्ञान का प्रयोग कर तकनीक बना दिया और उनको हम विज्ञानिक मानते है जैसे Dr.APJ Abdul Kalam आदि|

आज विज्ञान ऐसी स्थिति में पहुँच गई है जिससे तकनीक आसमान छु रही है तो ऐसे समय विज्ञान को मजबूत करना जरूरी हो गया है|

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“दुनिया में जो भी विज्ञान है वह सब कुछ SHIV-G Network से चलता है”

भगवान शिव के माता पिता कौन है?

इसको एक सुन्दर घटना “shiv story” से समझने का प्रयास करते है जब शिव और पार्वती का विवाह होनेवाला था तो इस विवाह को एक विशाल समारोह के रूप में मनाया गया उनके विवाह में दुनिया का हर प्राणी आये देव-दानव-भुत-पिशाच-पशु-पक्षी-जानवर-कीडे-मकोडे हर तरह का जीव उनके शादी में पहुँचे क्योंकि महादेव सबके स्वामी है सब उनके संतान है तो सब बारात में पहुँचे|

लड़की पक्ष के पंडित ने पूछा कृपया अपने पूर्वजों का नाम बताइये तो भगवान शिव बैठे रहें और नीचे देखने लगे क्योंकि शादी में बिना पूर्वजो के नाम जाने विवाह संभव नहीं होता है कई बार पूछने के बाद भी जब शंकर जी कुछ नहीं बोले तो नारद जो वहाँ मौजूद थे उन्होंने अपना वाद्ययंत्र उठाया और बजाने लगे फिर उनसे पूछा गया फिर कोई जवाब नहीं आया|

तब नारदजी बोले यह स्वयंभू हैं इनके कोई माता-पिता नहीं है यह पूरी श्रृष्टि के आधार हैं जो ध्वनिओं में निहित है और इनका सभी ध्वनिओं में महारत है और इसी महारत से इन्होंने श्रृष्टि का निर्माण किया इसलिए ध्वनि ही इनका वंश है इसलिए मैं यह वाद्ययंत्र बजा रहा हूँ|

“शिव को स्वयंभू के रूप में जाना जाता है मतलब स्वः निर्मित”

शिव का कोई पिता नहीं है कोई माता नहीं है एक आत्म निर्मित प्राणी है| महेश्वर भगवान शिव एक मात्र आदिगुरू या आदियोगी है जो स्वयंभू है उनका जीवन स्वनिर्मित है उनको कर्म से कोई लेना-देना नहीं है मोह से कोई मतलब नहीं है सब से अछुता रहते हुए भी सबसे जुड़े है रोम-रोम में कण-कण में व्याप्त है वह जुड़कर भी नहीं जुड़े है वह रहते हुए भी नहीं है वह सबके जीवन का आधार है……

जो आप अपने आंख से देख नहीं सकते, जिसको छूआ नहीं जा सकता जिसको अपनी इन्द्रियों से जाना नहीं जा सकता मतलब जो नहीं है (शि + व = शिव) अर्थात् जो नहीं है वह शिव है यहीं से सब कुछ आया है सबकुछ वहीं से है बस अंतर इतना सा है की उसे हम जानते नहीं है क्योंकि इसका कोई भौतिक रूप मौजूद नहीं है लेकिन आया सब कुछ वहीं से है|

हम अपने इन दो आँखों से सिर्फ वही चीज समझ और जान सकते है जिनको हम देख सकते है जिनको नहीं देख सकते उसको नहीं समझ सकते इसको ऐसे समझे- जिस भी चीज का सीमा है जैसे हमारा शरीर, घर, हमारा शहर, देश आदि जिसका कोई सीमा नहीं है जो असीम है अनंत है जो है ही नहीं उसको समझने के लिए हमें अपने तीसरी नेत्र (चछु) की जरूरत होती है जैसे महाभारत में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपना दिव्य रूप देखने के लिए “दिव्यदृष्टि” दिया था यहाँ भी वही बात है आपको अपने अन्दर गहराई में जाना होगा अपने जीवन को ऊपर उठाना होगा तभी हम उसकी सत्ता को समझ सकते है|

अगर आप ऊपर आसमान के तरफ देखे तो आपको तारें ही तारें दिखाई देंगी असंख्य तारें जोकि इस पुरे ब्रम्हाण्ड का 1% से भी कम भाग है बाकि का 99.99% बिलकुल खाली है घोर अन्धेरा है यह सब महादेव की असीम सत्ता है जिसकी कोई क्षितिज नहीं है- अंतहीन ब्रम्हाण्ड|

अगर आपको जानना है की “मैं कौन हूँ” तो आपको यह मानना ही होगा की मैं कुछ नहीं जनता हूँ और अपने आपको यह याद दिलाना होगा की “मैं यह शरीर नहीं हूँ” “मैं यह मन भी नहीं हूँ” अपने आते-जाते साँस के साथ निरंतर यह कहना और मानना होगा ऐसा करते-करते आप एक दिन यह समझ जायेंगे “मैं कौन हूँ अपने आपको जानो” यह सबसे सरल तरीका है अपने आप को जानने का|

आज विज्ञान भी कहते हैं इस ब्रम्हाण्ड में कुछ तो है जो सबको थामे हुए है पृथ्वी-ग्रह-चन्द्रमा-सूर्य आदि हर चीज अपने जगह पर स्थिर है कोई तो ऐसी शक्ति है चाहे वह ऊर्जा के रूप में हो या किसी भी रूप में इस बात को आज का विज्ञान भी मानता है|

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“हम कर्म करने के लिए स्वत्रंत है लकिन शिव की सत्ता में परिणामो में परतंत्र”

statue of shiv

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शिव के बारे में रोचक तथ्य

भगवान शिव के बारे में कुछ रोचक तथ्य है जो अद्भुत है:

शिव के माता-पिता का कोई जानकारी किसी भी ग्रंथ में नहीं मिलता है क्योंकि वह स्वयंभू है|

उनके जन्म का कोई स्थान नहीं है|

उनके बचपन का कोई जानकारी किसी भी ग्रंथ में नहीं मिलता है|

उनको हमेशा एक रूप में देखा गया है उनके बचपन का कोई तस्वीर नहीं है|

कोई नहीं जनता वह कब मरे है|   

यह सब चीजे यह साबित करता है की महादेव ही आदियोगी है जो न ऊपर है न नीचे न दाएं है न बाएँ दासों दिशाओं में हर जगह मौजूद है|

अर्धनारीश्वर महादेव की कहानी

सद्गुरु ने अर्धनारीश्वर की कहानी बहुत खुबसूरत ढंग से विस्तार से बताया ऋषि भृगु भगवान भोलेनाथ से योग का ज्ञान प्राप्त करने के बाद उनके प्रति बहुत गहराई से समर्पित हो गए थे वह सिर्फ शिवजी की ही प्रतीक्षिना करना चाहते थे तो उन्होंने पार्वती से थोडा दूर हटने को कहा ताकि मैं उनकी प्रतीक्षिना कर सकू शंकरजी अपनी पत्नी और शिष्य के बीच चल रहे इस झगड़े से हैरान थे|एक दिन पार्वती शिवजी (shiv ji) के बिलकुल करीब सटकर बैठ गई भृगु ने देखा की महादेव भगवान शिव की प्रतीक्षिना करने का कोई जगह नहीं है तो वह चूहा बन गए और उनका परिक्रमा करके चले गए महादेव यह सब देख रहे थे|

अगले दिन महादेव पार्वती को अपने गोद में बैठा लिया और देखना चाहते थे अब भृगु अब क्या करते हैं? तो वह अपने आप को एक पक्षी में बदल लिए और सिर्फ महादेव का परिक्रमा करके चले गए भगवान शिव इस भक्ति से पूरी तरह अभिभूत थे की एक भक्त कितना समर्पित है अपने गुरु के प्रति और हैरान भी थे|

अगले दिन महादेव भगवान शिव अपने आपको आधा शिव आधी पार्वती के रूप में बदल लिया और मन में यह सोचा चलो अब देखते हैं अब तुम क्या करोगे? तो भृगु ने अपने आपको मधुमक्खी बना लिया और एक पैर का परिक्रमा करने लगे यह देखकर शिव-पार्वती दोनों हँसने लगे भगवान शिव यह नहीं चाहते थे की भृगु अपने भक्ति में खो जायें और अस्तित्व की परम प्रकृति से चुक जायें|

अगले दिन महादेव अर्धनारी रहते हुए सिद्धासन में बैठ गए अब कोई दूसरा रास्ता नहीं था अब दोनों को ही परिक्रमा करना होगा तो यह था “अर्धनारीश्वर क्या है?” के कहानी का एक संक्षिप्त विवरण|

निरंजन महादेव भगवान शिव चाहते थे की वह अर्धनारीश्वर रूप को स्वीकार करें अर्धनारीश्वर योग क्या है? इसको जाने हमारा यह शरीर आधा पुरुष और आधा नारी है हमारे शरीर में यह दोनों तत्व बराबर अनुपात में है अगर कोई अपने इस तत्व को बराबर अनुपात में खिलने दें तो आप मानव से महामानव बन सकते है|

आपको दोनों साथ में लेकर चलना होगा योग का पूरा विज्ञान इसी पर आधारित है योग का मतलब ही जोड़ है यह कोई कसरत या पहलवान बनने के बारे में नहीं है यह मनुष्य के कल्याण के बारे में है|

विश्व के पहले गुरु कौन माने जाते हैं?

आज अगर हमें भगवान शिव से योग प्राप्त हुआ है तो इसके पीछे पार्वती का जिद है जिनके कारण यह सारा ज्ञान आज हमारे आपके पास आया है (यानि पार्वती के जिद के कारण) देवा-दी-देव महादेव ने सबसे पहले सप्तऋषियों को यह योग बताया (उससे पहले यह ज्ञान वह अपनी पत्नी को दे चुके थे) आगे चलके उनके यह सात शिष्य “योग का ज्ञान” प्राप्त कर पुरे दुनिया में फैलाया इसलिए महादेव भगवान शिव को प्रथम गुरु के रूप में देखा जाता है आदि गुरु शिव ही जगत गुरु है और उन्हें “विश्व के प्रथम गुरु या दुनिया के प्रथम गुरु हैं शिव” के रूप में देखा जाता है|

जिसमे भारत का दक्षिणी भाग अगस्त मुनि के द्वारा आया यहाँ जो भी ज्ञान मिला है वह सब कुछ उनके द्वारा ही मिला है|

“जो शिव को अपनाता है वह परमगति को प्राप्त होता है”

काशी का इतिहास

शिव की नगरी काशीकाशी का पौराणिक महत्व क्या है? काशी दुनिया की सबसे पुरानी नगरी है जहाँ भगवान शिव आज भी निवास करते हैं जब मिश्र की सभ्यता, सिन्धु घाटी सभ्यता नहीं थी उस समय भी काशी था यह प्राचीनतम शहर अपने जीवंत मूल्यों के लिए विख्यात है यह ज्ञान प्राप्ति का एक अद्भुत स्थान है जिसे पवित्रों में भी पवित्र स्थान माना गया है काशी को किस नगरी के रूप में जाना जाता है?- इसको वाराणसी के रूप में जाना जाता है इसको बनारस भी बोला जाता है|

काशी एक असाधारण यन्त्र है जो न उसके पहले बना न उसके बाद ही बन सकेगा यह एक ऐसा स्थान है जो आपको हर सीमा से परे ले जा सकता है जो इन्सान को ब्रम्हाण्ड से जुड़ता है|

काशी किस प्रदेश में स्थित है? इसे वाराणसी भी कहा जाता है यह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है|  

वाराणसी में मुख्य रूप से 54 मंदिर शिव के लिए और 54 मंदिर शक्ति के लिए बने है बाकि छोटे बड़े मंदिर है काशी का आधा हिस्सा पिंगला है और आधा हिस्सा इडा है यह पूरा शहर एक शरीर की तरह है काशी विश्वनाथ मंदिर बारह जोतिर्लिंगों में से एक है यहाँ गोस्वामी तुलसीदास, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, महर्षि दयानंद स्वरस्वती, संत कबीरदास, संत कीनाराम आदि महापुरषों का आगमन हुआ था प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा काशी कारीडोर का निर्माण कराया गया और काशी का जीर्णोद्धार किया गया|

काशी करवट का इतिहास क्या है? गंगा के किनारे स्थित एक ऐसा महादेव मंदिर है जो एक तरफ झुका हुआ है और यह कई वर्षो से झुका है जो न डूबता है न गिरता है अखंभ रूप में खड़ा और स्थित है झुका होने का कारण लोग इसे काशी करवट कहते है|    

काशी क्यों प्रसिद्ध है? काशी आध्यात्म के साथ-साथ कला, संगीत, व्यापार का भी एक मुख्य शहर था एक महान विज्ञानिक अल्बर्ट आइन्स्टाइन ने कहा था हमारा वेस्टर्न विज्ञान भारतीय विज्ञान खासकर गणित के बिना एक कदम भी आगे नहीं चल सकता था और यह विज्ञान काशी में ही पैदा हुआ भगवान गौतम बुद्ध ने भी अपना पहला उपदेश अपने पांच शिष्यों को यहीं पर दिया था|

काशी विश्वनाथ मंदिर किसने बनवाया था? और काशी विश्वनाथ मंदिर में कितना सोना लगा है? इसे महाराजा रणजीत सिंह द्वारा बनाया गया सन 1985 ई० में जिसमें एक हजार किलो सोने का इस्तेमाल किया गया इसके पहले इसी मंदिर को अहिल्या बाई होल्कर सन 1780 ई० ने बनवाया था|

काशी को किस नगरी के रूप में जाना जाता है? – इसको वाराणसी नाम से जाना जाता है पूर्व में इसको बनारस कहते थे इसके पहले काशी कहा जाता था यह इसका पौराणिक नाम था|

काशी पूजा-पाठ, श्राद्ध, अनुष्ठानो का केंद्र है कला-साहित्य का उत्तम उदाहरण है काशी के लोगों को अपने खुद के साथ कुछ भी करना नहीं आता है बस वह यह जानते है की कुछ करना जरूरी है काशी के पंडित जो अनुष्ठान करते है उससे सबका कल्याण होता है इसलिए उस पूजा में शामिल होना ही पर्याप्त है सप्तऋषि भगवान महादेव से ज्ञान प्राप्त करके जब जाने लगे तो उन्होंने महादेव से पूछा हम आपकी पूजा कैसे करें तो उन्होंने बताया ऐसा करें काशी के पंडित आज भी उसी प्रक्रिया से पूजा करते है जिससे आसपास के वातावरण में अद्भुत ऊर्जा का संचार होता है यह एक जबरदस्त अनुष्ठान है|

हम एक और काशी नहीं बना सकते लेकिन वर्तमान काशी को जितना हो सके उतना संभाल सकते हैं उसकी संस्कृति को आगे बढ़ाए| संस्कृति को बनने में हजारों वर्ष लग जाते हैं लेकिन गलत चीज अपने आप ही बन जाती है इसलिए यह हमारा धर्म है की जो हमें विरासत में मिला है उसको संजोकर रखें आज इन्सान के पास जितनी भी किताबें मौजूद है वह पर्याप्त है बस जरूरत है उसपर अनुसन्धान करने की उसको जीवंत बनाने की ताकि अपना और सबका भला हो सकें अधिक जानकारी के लिए आप महादेव विकिपीडिया पर जा सकते है|

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शिव को प्रसन्न करने के आसान उपाय

शिव ज्ञान की बातें:

  • हर सोमवार को शिव मंदिर जाकर पूजा और ध्यान करें|
  • घर की सारी समस्या का सिर्फ एक समाधान शिवजी पर पूर्ण विश्वास के साथ शद्धा के साथ नियमित रूप से पूजा करने से सब कष्ट दूर होता है|
  • जीवन में सुख समृद्धि के लिए गाय-बैल को रोटी या हरा चारा खिलाये|
  • गरीबो को भोजन खिलाएं आपका अन्न-भण्डार हमेशा भरा रहेगा|
  • सावन के पवित्र महीने में नियमित रूप से जल चढ़ाना, पूजा-अर्चना करना अत्यंत ही लाभ दायक होता है|
  • “ॐ नमः शिवायः” का जप करने से मन को शांति प्राप्त होती है|
  • मन में अपनी इच्छा रखकर आटे में गुड़ मिलकर गुंथ ले छोटे-छोटे गोली बनाकर मछली को खिलाएं आपकी हर इच्छा पूरी होगी यह एक आजमाया हुआ विधि है|
  • अपने हर काम में सफल होने के लिए और चमत्कारी लाभ के लिए सोमवार के दिन शिव-लिंग पर चढ़े तीन पत्ती का बेलपत्र उठालाये और अपने पास रखें तिजोरी में रखें बढ़ोतरी होगा आप जिस काम में इसको इस्तेमाल करेंगे उसी में सफलता की गारंटी निश्चित मिलेगी|
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भोलेनाथ पर अनमोल विचार

यह “महाकाल अनमोल वचन” भगवान के वचन हैं जिन्हें ध्यानपूर्वक समझकर अपने ह्रदय के गहराइयों से समझकर आत्मसार करना चाहिए ताकि हम सबका और स्वयं का कल्याण हो सकें इसमें शिव के दोहे, शिव मंत्र और शिव पुराण श्लोक सारे आ जाते हैं|

शिव ही शक्ति है, शिव ही गुरु है, शिव ही भजन और शिव ही जगत गुरु है शिव के शरण चलो|

हम सब शिव के अंश हैं लेकिन शिव किसी के अंश नहीं|

Mahadev status in hindi

जीवन में मान-सम्मान और ख़ुशी चाहिए तो अपने आपको भगवान शिव से जोड़ो|

जब भक्ति सच्ची हो तो घर बैठे ही मिल जाते हैं- भगवान|

भक्ति में चूर रहो, दुनिया से दूर रहो|

खुद पर विश्वास करो शिव देगा तो छप्पर फाड़ के देगा|

Mahakal quotes

शिव ही शुरुआत है शिव ही है अंत|

शिव की भक्ति करो शिव अपने आप देगा इस बात का विश्वास करो|

करना है अगर किसी की भक्ति तो करो- शिव की भक्ति|

जो भस्म से नहायें वह महाकाल कहलाये जो शिव भक्ति से नहाये वह शिव भक्त कहलाये|

Bolenath shayari

शिव से जब-जब जो-जो मंगा वह पाया इस बात का प्रमाण है प्रतेक शिव भक्त|

मनुष्य को ना साधु बनने की जरुरत न वैरागी बनने की है सिर्फ शिव भक्त बनो|

शिव को पाना है तो मन को मंदिर बनाओ|

अगर जीवन में किसी के सामने सिर झुकाना है तो सिर्फ “महादेव” के सामने झुकाओ|

शिव का न कोई आदि है न अंत वह तो अनन्त है|

Bolenath quotes in hindi

शिव ही शून्य है|

इन्सान को हमेशा नशे में रहना चाहिए नशा सिर्फ शिव-नशा का हो|

हर बंधन को तोडना आध्यात्मिकता है क्योंकि महादेव को पाने की शरुआत यहीं से होती है|

इन्सान अपने शरीर को या तो शव बना सकता है या शिव फैसला आपके हाथ में है|

मनुष्य में दोनों गुण हैं अच्छा और बुरा लकिन जो उसमे स्थिर है वह शिव के साथ है|

Mahakal quotes in hindi

अच्छा भी महादेव का भक्त है बुरा भी महादेव का सब महादेव के ही अंश हैं|

अगर खुद को बदलना चाहते हो शिव के शरण में जाओ|

जो सबकी मदद करता है शिव उसकी मदद करता है|

जो “ॐ नमः शिवायः” का जाप करता है उसके सारे मनोकामना पूर्ण होते हैं|

Mahakal status hindi

शिव योगियों के योगी हैं “आदियोगी” है शिव देवो के देव हैं “महादेव” हैं और शिव गुरुओं के गुरु है “महागुरु” हैं अतः उनसे श्रेष्ट कोई नहीं|

शिव का मार्ग सत्य, न्याय, दया, अहिंसा का है|

मन के हारे हार है मान के जीते जीत इसलिए अपने मान पर विजय प्राप्त करो शिव सहज ही प्राप्त हो जायेंगे|

मैंने देवो के देव महादेव भगवान शिव को अपनाया है तुम भी अपनाओ और अपने जीवन को धन्य बनाओ|

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शिव दुनिया है और दुनिया शिव है हमें शिव को अपनाना है ताकि दुनिया हमारा हो|

अपने पर विश्वास रखो शिव आपके साथ हैं|

जब भी परेशानी मुसीबत आये तो शिव को याद करो, कोशिश करो सुख में याद करने की ताकि दुःख न आ सके|

रुके कर्मो और बुरे कर्मो के अच्छे फल मिलने लगते हैं जब महादेव के शरण में जाते हैं हम|

शिव जीवन का ध्यान है शिव ही जीवन का आधार है शिव ही जगत के पालनहार और शिव ही महादेव घाट-घाट वासी हैं|

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जो सत्य के मार्ग पर चलता है वह महादेव के मार्ग पर है|

हम कर्म करने के लिए स्वत्रंत है लकिन शिव की सत्ता में परिणामो में परतंत्र|

यह अमूल्य जीवन देने लिए शिव का तहे दिल से “शुक्रिया”|

अगर जाना ही है तो महादेव के शरण में जाओ|

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अगर शिव से कुछ मांगना ही है तो उनकी “भक्ति मानगो” न सोना मानगो न चांदी मानगो|

संसार का सबसे बड़ा मंत्र “ॐ नमः शिवायः” है यह  “शिव को बुलाने का मंत्र” है

संसार का सार शिव है इसलिए शिव को जानो उससे पहले अपने को जानो|

जो शिव को अपनाता है वह परमगति को प्राप्त होता है|

जिनकी पूजा सब करते है वह हैं शिवजी|

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जिनके सामने देवता-असुर सब शीश झुकाये रहते है उनको बारम्बार प्रणाम|

अगर खुद पर नियंत्रण रखना है तो महादेव के शरण में जाओ|

मेरा भारत महान शिव सर्वशक्तिमान|

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शिव को एक संभावना के रूप में देखो हर रास्ते खुलेंगे|

शिव लिंग का महत्व को समझे यह ब्रम्हांडीय शक्ति की उर्जा है|

उपयोक्त पंक्ति को हम अपने या mahakal whatsapp status या mahakal status fb या   shiv status in hindi या mahakal attitude status अन्य जगहों पर इस्तेमाल कर सकतें है|

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निष्कर्ष

मुझे उम्मीद है इस पुरे लेख को पढ़ने के बाद आप यह जान चुके है की भगवान शिव कौन है? उनका ब्रम्हाण्ड से क्या जुड़ाव है?

हमने सबसे विश्वसनीय श्रोतों से जानकारी देने का प्रयास किया है ताकि कोई भी शिव (आदिगुरू या आदिशक्ति)को आसानी से समझ पायें हमने अपने तरफ से अपना सौ प्रतिशत जानकारी देने का प्रयास किया है उम्मीद है आपको अच्छा लगा होगा अगर आपको अच्छा लगा है तो कृपया कमेंट बॉक्स में कमेंट करके बतायें अगर कोई कमी है या कोई जानकारी छूट गयी है तो वह भी बतायें ताकि उसमें सुधार किया जा सकें|

3 thoughts on “भगवान शिव”

  1. Mai Nai Shiv Guru Ko Guru Bana Liya Hai Tan Sai Aur Man Sai
    Par Mere Sarir Mai Iak Santi Se Masus Nahi Hu rhi
    Har Ruj Subha Utha Kar Shiv Mandir Bhi Jata hu
    shiv mere guru hai mai un ka shisya hu
    mai bhi shiv bhagti mai juda hua hu kab tak mere sarir mai shanti nhi dagi
    kyu ki shiv ant hai shiv hi surat hai
    Mujhi ish karan rat ku need bhi nhi ati tuti hu need aati hai
    shiv hai tu sab musibat tal jaygi gi
    mujhi pura apnai guru par bishbas hai

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