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कर्म पर अनमोल वचन
संक्षेप्त परिचय
कर्म ही मनुष्य के जीवन को पवित्र और अहिंसा बनाता है|
“कर्म पर अनमोल वचन” इस विषय पर हम आगे विस्तार से जानेंगे की कर्म क्या होता है? कर्म की परिभाषा क्या है? कर्म किसे कहते हैं| अच्छा कर्म, बुरा कर्म और निष्काम कर्म क्या है?
मनुष्य जैसा कर्म करता है वैसा ही फल भोगता है जीव कर्म करने में स्वतंत्र है और फल पाने के उसके सत्ता से परतंत्र है। तो कर्म को समझना बहुत जरूरी है यह पहली बात है| दूसरी बात जीवन में कर्म का महत्व क्या है? इसको जानेंगे कर्म “karma photo wallpaper” के भी माध्यम से भी विस्तार से बताया गया है|
विस्तार से जाने
कर्म क्या है?
अपना कर्म ही मनुष्य को संसार में गौरव अथवा पतन की और ले जाता हैं|
हम जो कुछ भी करते है वह सब कर्म कहलाता है चाहे हम अच्छा कर रहें हो या बुरा सब कर्म के अंतर्गत आता है हर जीव कर्म के बिना नहीं रह सकता है अच्छा कर्म बुरा कर्म हमारा भाग्य निर्धारित करता है की आगे चलके हम क्या (बनेंगे या पाएंगे) आज हम जो कुछ भी करते है उससे हमारा भविष्य निर्धारित होता है की आज से पांच साल या दस साल बाद हम कैसे होंगे|
कर्म अकर्म विकर्म क्या है?
कर्म को तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं|
पहला शुभ कर्म दान-पुण्य, मदद-सहायता या उपकार आदि|
दूसरा अशुभ कर्म जिसमें हिंसा-हत्या आदि पाप कर्म आते हैं|
और तीसरा निष्काम कर्म, मतलब कर्मों से अपने आपको अलग करना भगवत गीता में श्री कृष्ण ने अर्जुन को निष्काम कर्म का उपदेश दिया था| निष्काम कर्म का अर्थ होता है जिसमें हमारा कोई निजी स्वार्थ न हो, न पाने की इच्छा हो, न अपना फ़ायदा हो जैसे योगी, ऋषि-मुनि इनको किसी से कोई मतलब नहीं होता है इनको तो सिर्फ ध्यान से लगाव होता है जो निष्काम कर्म है|
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निष्काम कर्म ईश्वर को ऋणी बना देता है और ईश्वर उसे सूद सहित वापस करने के लिए बाध्य हो जाता है|
कर्म क्या है समाजशास्त्र
अगर कर्म को विस्तार से और गहराई से जानना चाहे तो इसके कई रूप हैं जैसे नित्य कर्म, नैमित्य कर्म, संचित कर्म, निषिद्ध कर्म आदि… लेकिन मूल रूप से हमें तीन कर्म को समझ लेना ही पर्याप्त है गहराई में जानने के लिए आप गीता-पुराण-सत्यार्थप्रकाश आदि का अध्ययन कर सकते है| इस तरह से “कर्म पर अनमोल वचन” का यह लेख बहुत ही संक्षिप्त रूप में लिखा गया है जिससे आप कम समय में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं|
आदमी काम की अधिकता से नहीं, उसे भार समझकर अनियमित रूप से करने पर थकता है|

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निष्कर्ष
मनुष्य के कर्म ही उसको इस दुनिया में गौरव अथवा पतन की ओर ले जाते हैं और इसकी शुरुआत एक विचार से होती है अच्छा विचार अच्छाई के तरफ ले जायेगा और बुरा विचार निश्चित रूप से बुराई के तरफ ले जाता है|
मनुष्य का focus (फोकस) निष्काम कर्म की तरफ होना चाहिए जिसमें लेने की इच्छा न हो, स्थिर रहने का प्रयास करना चाहिए| यह पंक्ति “स्थिर रहने का प्रयास करना चाहिए” इसको समझने के लिए “मैं कौन हूँ” इसको जानना बहुत जरुरी है|
उपरोक्त लेख में हमने देखा “कर्म Quotes” क्या है? अच्छे कर्म क्या है? या शुभ कर्म क्या है? कर्म का महत्व जीवन पर क्या असर दिखता है? उपरोक्त हमने देखा कर्म क्या है कर्म का सिद्धांत सब कुछ देखा|
तीन कर्म अकर्म विकर्म क्या है? इसको भी हमने देखा और कर्म क्या है गीता के अनुसार इसके लिए आप गीता-पुराण आदि ग्रंथो को पढ़ सकते है|
“कर्म पर अनमोल वचन” का यह लेख पसंद आया होगा हमने बहुत ही कम शब्दों में इसको समझाने का प्रयास किया है उम्मीद है आपको यह लेख अच्छा लगा होगा|
तुम जो भी कर्म प्रेम और सेवा की भावना से करते हो, वह तुम्हें परमात्मा की ओर ले जाता है जिस कर्म में घृणा छिपी है, वह परमात्मा से दूर ले जाता है|