ईर्ष्या मनुष्य को ठीक उसी प्रकार खा जाती है,
जिस प्रकार कपड़े को कीड़ा खा जाता है|
पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य
Anmol Vachan
“शांत मन” तन का जीवन है
परन्तु मन के जलने से
हड्डियाँ भी जल जाती है|
नीतिवचन
ईर्ष्या असफलता का दूसरा नाम
है ईर्ष्या करने से अपना ही
महत्व कम होता है|
चाणक्य नीति
हत्यारे की कुल्हाड़ी की
तुलना में ईर्ष्या की धार
दुगनी तेज होती है|
शेक्सपीयर
ईर्ष्या की सबसे अच्छी दवा है
– उद्योग और आशा|
रामचन्द्र शुक्ल
मनुष्य से मनुष्य को जितनी
ईर्ष्या होती है, उतनी संभवतः
यमराज को भी नहीं|
रविन्द्रनाथ ठाकुर
प्रायः समान विद्यावाले
लोग एक-दूसरे के यश
से ईर्ष्या करते हैं|
कालिदास
सबकी उन्नति में ही
अपनी उन्नति जानकर
कभी किसी के साथ
ईर्ष्या न करो|
अथर्ववेद
Anmol Vachan on irshya